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11.11% Lakshya the great / Chapter 1: The real genius
Lakshya the great Lakshya the great original

Lakshya the great

Penulis: master_storys

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Bab 1: The real genius

तो कहानी शुरू होती है और मैं आप लोगों को पहले बता देना चाहता हूं यह कहानी काल्पनिक कहानी है इसका हकीकत से कोई भी लेना-देना नहीं है परंतु उसमें कुछ घटनाएं और कुछ जगहों की बातें हकीकत की तरह लग सकती है और कुछ जगह हकीकत में है उनका भी इसमें प्रयोग होगा:-

तू कहानी शुरू होती और हमें दिखाया जाता है एक बहुत बड़ा शहर जिसके ऊपर घने काले बादल मंडरा रहे थे वह जोरदार बारिश उसे शहर के ऊपर कर रहे थे यह समय शाम की 6:00 बजे से 7:00 के बीच था।

कुछ घरों में बिजली न होने के कारण उनके घर में रोशनी नहीं थी कुछ के घरों में बिजली तो नहीं आ रही थी परंतु एक इनवर्टर नामक उपकरण के द्वारा जो एक बैटरी से कनेक्ट होता है उसके द्वारा कुछ घंटे की बिजली का इंतजाम किया जा सकता था और कुछ घर ही थे जो इसे अपने घरों में लगवा सकते थे ।

हमारा में किरदार अभी इस दुनिया में आया नहीं उसके आने से पहले किए शांति है जो अंत होने को आ चुकी थी जैसे ही इसका अंत हुआ हमारे मुख्य किरदार का जन्म हुआ यह दिन था 12 मार्च 2001 उसके पिता ने उसे अपने हाथों में उठाया और नामकरण करने के लिए उसकी ओर देखा वह बहुत प्यारी नजरों से अपने पिता को देख रहा था उसके पिता और उसके परिवार वाले उससे कई उम्मीदें लगा रहे थे।

उसके जन्म होते ही की यह डॉक्टर बनेगा इंजीनियर बनेगा पर फिर एकदम से सारे शांत हो जाते हैं उसके पिता उसको आराम से वहीं रखते हैं और अपनी पत्नी यानि कि हमारे मुख्य किरदार की मां को देखने लगते हैं वह देखते हैं कि वह बेहोश हो चुकी है उनकी हालत थोड़ी खराब हो चुकी है उनके बेटे को जन्म देते हुए परंतु वह जानते थे उन्हें इसमें दर्द तो हुआ है पर खुशी दोनों को बराबर मिली है।

हमारे मुख्य किरदार के पिता दिमाग की रूप से थक गए थे और डर रहे थे इसीलिए वह आराम करने के लिए सो जाते हैं और हमारे मुख्य किरदार की मां शारीरिक रूप से और दिमाग की रूप से वह भी थक गई थी।

तो इसी के कारण वह भी बेहोश हो चुकी थी जैसा कि मैं आपको बताया परंतु हमारे मुख्य किरदार की देखभाल करने के लिए उसकी एक बड़ी बहन भी थी जो एक 5 साल की छोटी सी लड़की थी वह अपने छोटे से भाई को देख रही थी उसे खिलाना चाहती थी पर वह देखी है कि वह भी बहुत छोटा है ना ही वह उसकी बात समझ सकेगा ना ही वह उसके साथ अभी खेल सकेगी नहीं वह बोल सकता है ना ही वह चल सकता है वह खेलना चाहती थी उसे खिलाना चाहती थी उसे अपने हाथों में उठाना चाहती थी उसे देखकर उसे भी बहुत खुशी मिल रही थी। हमारे मुख्य किरदार की बहन का नाम मानसी था मानसी अंदर ही अंदर कई गुना ज्यादा खुश हो रही थी वह अपने भाई को देखते-देखते कब उसके पास ही सो गई पता नहीं चला उसे।

अगले दिन जब सबको होश आता है और हमारे मुख्य किरदार की तरफ देखा जाता है वह अपनी बहन के साथ सो रहा था पर कोई भी उसकी बहन को उससे दूर करने की कोशिश करता तो वह रोने लगता।

लोगों उसकी बहन की ओर इतना प्यार देखा कह रहे थे बस अब से बड़ा हो जान तो कुछ साल बाद यह अपनी बहन के साथ खूब खेला करेगा खूब मस्ती मजाक करें करेगा और जहां तक लगता है अपनी बहन की रक्षा भी खुद करेगा या किसी ने इसकी बहन की ओर आंख में उठा दी होगी तो क्या पता यह उसकी आज भी नच ले हम बस अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या कर सकता है अपनी बहन के लिए पर क्या पता बड़ा हो जाने के बाद इसलिए सब याद भी ना रहे।

पर तभी एक अनोखी चीज हो जाती है एक बच्चा जो एक दिन पहले ही इस दुनिया में जन्म लेकर आया है वह छोटे-मोटे शब्द सीख चुका था जैसे की मम्मी पापा जो चीज देखकर हर कोई आश्रित हो जाता है सोचते हैं कि आखिर यह कैसे किया उसने इतनी छोटी उम्र एक दिन का भी नहीं है ढंग से और अभी सही है बोलने भी लगा।

यह बात हमारे मुख्य किरदार की बहन उसके मम्मी पापा सबको पता चलती है जैसे ही पता चलती है वह सारे के सारे खुश हो जाते हैं।

इसके बाद हमें 3 दिन बाद का बताया जाता है।

हमारे मुख्य किरदार का नाम धार दिया गया है उसका नाम लक्ष्य धरते हैं।

इसके हमें 2 साल बाद दिखाया जाता है।

लक्ष्य अब 2 साल का हो चुका है लेकिन जो बात उसकी हैरानी कर देने वाली थी वह यह थी कि वह इतनी छोटी सी उम्र में जो बच्चे कॉलेज में जाकर अपनी पढ़ाई पूरी कर करते थे जिन किताबों की वह सहायता लिया करते थे लाइब्रेरी में जाकर वह उन किताबों को पूरी तरीके से पढ़ कर याद करके समझ चुका था उन किताबों को कोई भी एक अक्षर पूछ लो कि इसका मतलब क्या है तुम्हें उसे अच्छे से बता देता था जैसे कि उसने यह चीज तो कल ही पड़ी थी और अच्छे से याद भी कल ही करी थी ऐसे बताता है वह हर चीज जो देखकर उसके मम्मी पापा बहुत खुश होते हैं वह गर्व करते हैं अपने बेटे पर पर जॉन की बेटी मानसी है वह इतनी उत्तम नहीं है उन्हें इससे कोई एतराज भी नहीं उन्हें लगता है कि जो लक्ष्य के अंदर यह सारी काबिलियत है यह कुदरत काव्य थी।

जो उसे कुदरत के द्वारा प्राप्त हुई है या उसके अंदर यह जन्म से उसे मिला बस उनका यही मानना था कि जहां से भी मिली हो उनमें से काव्य का जन्म बिल्कुल नहीं हुआ है यह काबिलियत उन दोनों में से किसी की नहीं और तो लक्ष्य का खून भी उसके माता-पिता से बिल्कुल मैच करता था।

तो इसका कोई सवाल नहीं उठाता की यह उनका बेटा नहीं है या कोई सवाल उठता तो उसका जवाब यह दो साल का बच्चा इस तरह से देता जिस तरह से कोई बड़ा अपनी बधाई करने के लिए सवालों का जवाब घमंड में ।

दे रहा हो असल में इसे किसी बात का घमंड नहीं था और ना ही यह दिक्कत थी कि सिर्फ बताना नहीं आ रहा था कि ऐसा दिख रहा हो लोगों को देखने और समझने में ही ऐसा लगता था कि यह घमंड में बोल रहा है जब घमंड में चूर है इस लड़के का घमंड इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि यह किसी को कुछ समझता ही नहीं पर ऐसा कुछ नहीं था।

और वह अपनी बहन के साथ बिल्कुल प्यार से बात करता हूं वह अपनी बहन की हर एक छोटी सी छोटी गलती को अपनी सूझबूझ से सुधारने और संभालने की कोशिश भी करता वह अपनी बहन से ज्यादा दूर तो नहीं होता पर कभी-कभी या उसकी बहन किसी काम में व्यस्त हुआ करती तो उसकी वह सहायता करता या उसे वह उसे काम को करता हुआ लखन उसे दिख जाता जिसके कारण है उसे दूर चला जाता।

लेकिन एक बात और अनोखी थी लक्ष्य ने किताबों में बस पढ़ाई ही नहीं करी थी इसके अलावा उसने जो किताबों में काल्पनिक कहानी में लड़ाई के तरीके बताए हैं उनको सीखा और उन्हें हकीकत में कैसे इस्तेमाल कर जा सके इस धुंध उनमें जो कमियां थी उन्हें हटा दिया मतलब कि अब वह मार्शल-आर्ट, कुंग-फू और इसी तरह के कई लड़ाई के तरीकों को इस्तेमाल करना सीख चुका था वह छोटी सी उम्र में ही इतना तेज फुर्तीला और ताकतवर था कि उसकी बराबरी करने के लिए लोगों को जन्म लग जाएंगे पर उसकी बराबरी करने के पास भी नहीं आएंगे।

वह अपना दिमाग शांत करने के लिए छोटी सी उम्र में ही मेडिटेशन यानी कि ध्यान केंद्रित करने के लिए योगा करने लगा था उसके शरीर में अब इतनी ताकत और इतना लचीलापन आ चुका था कि उसकी रफ्तार एक गोली की रफ्तार के सामने छुए और खरगोश की रफ्तार जैसी थी मतलब की कछुआ एक गोली बंदूक से चलने वाली जो बहुत बड़ी और ताकतवर बंदूक से चली है लेकिन अपना खरगोश लक्ष्य उससे कहीं गुना तेजी के साथ एक परी की पूरी मिसाइल की रफ्तार रखता हुआ तो अब इसमें भी उसका कंपैरिजन या कहो बराबरी कुछ नहीं निकाल सकते।

लक्ष्य ने अपनी छोटी सी उम्र होने के कारण कहीं गुना चीज सीख चुका था परंतु है।

सिर्फ अभी 2 साल का था इस कारण उसके माता-पिता ने उसे एक स्कूल में दाखिला दिला दिया और वह उसे स्कूल में अपनी उम्र के बच्चों के साथ ही पढ़ने लगा वह नर्सरी क्लास जो बिल्कुल छोटे बच्चों को संभालने और उन्हें थोड़ा बहुत समझने का काम करती थी उनके साथ पढ़ने लगा 2 महीने में ही उसकी जो पूरी क्लास थी सिर्फ उसकी बात को ऐसा सुनती जैसे कि उनके माता-पिता का आदेश उन्हें आदेश शब्द का भी अभी तक मतलब नहीं पता था पर लक्ष्य के आदेश उन्हें ऐसे लगता जैसे कि उनका मित्र उन्हें कोई ऐसी बात बता रहा है।

जो उनके काम की है और उन्हें समझ नहीं चाहिए उसे बात को और इस बात पर एक बार अमल करके देखना चाहिए लक्ष्य छोटे होने के बावजूद वहां अपने बड़े का बहुत सम्मान करता था परंतु।

जो उसके अध्यापक थे उसके नर्सरी क्लास को संभालने के लिए उनकी भी वह मदद करता था ताकि वह पूरी क्लास को संभाल सके और उसी के कारण उसे यह कायनात प्राप्त हुई थी।

परंतु इस काव्य के होने के कारण वह नर्सरी क्लास के अध्यापक से ज्यादा महत्वपूर्ण और ज्यादा पसंदीदा कर जाने वाला बन गया यानी कि या उनका अध्यापक कोई बात कहे तो वह एक बारी को या कई बारी को वह उसे बात को नहीं सुनेंगे या करेंगे ही नहीं लेकिन वही बात अपना लक्ष्य कहते तो वह बात बिल्कुल सही है और उसके कोई मतलब होगा जिसके कारण लक्ष्य उनसे यह सारी बातें कर आ रहा है वह उन्हें बिल्कुल गेम की तरह समझाना और गेम की तरह ही उन्हें सब कुछ काम देता और करवाता है।

(मैं आप लोगों को बता दूं कि मैं ही बिल्कुल छोटे बच्चों से क्यों आप लोग बताता जा रहा हूं एक-एक बात को बताने की वजह यह है कि मैं आपको इसकी काबिलियत के झलक को दिखाना चाहता हूं और मैं आपको बता दूं हर एक चैप्टर शनिवार को आता है तो अब इसके बाद अगला चैप्टर शनिवार को आएगी इसीलिए मैसेज जितना बड़ा हो सके उतना बड़ा बनाने की कोशिश करता हूं और करूंगा ताकि पढ़ने वाले और समझने वाला या कोई हो तो उसे भी इसमें मजा आए तो कहानी को और आगे बढ़ते हुए)

लक्ष्य अब एक 4 साल का बच्चा बन चुका था मतलब कि अब लक्ष्य चार साल का बच्चा था लेकिन उसकी कदर इतनी थी कि उसकी कक्षा के अध्यापक की कोई एक बारी को परवाह न करें पर लक्ष्य की परवाह पूरी क्लास करती थी।

और लक्ष्य अपनी क्लास में आने वाले नए बच्चों को भी अच्छे से और प्यार से बात करता हुआ समझता था इस कारण वे लोग भी लक्ष्य के प्रति अपना प्यार को जाहिर करते थे वह भी लक्ष्य प्रेम से बात करते और उसकी बातें भी सुनते लक्ष्य यूकेजी नमक क्लास में था हमारे यहां जो यूकेजी क्लास होती है वह पहली क्लास से एक क्लास पीछे होती है या मैं आप लोगों का हूं यह क्लास जीरो है इसके बाद क्लास एक आरंभ होगी।

लक्ष्य की बहन भी मानसी अब 9 साल की हो चुकी है और वह तीसरी कक्षा में पढ़ती है वह चाहे कितनी भी अच्छे से पढ़ ले यह कितने भी अच्छे नंबर लिया है पर उसके घर वाले और घर के अंदर आने वाले रिश्तेदार पड़ोसी और ऐसे ही अन्य लोग उसके छोटे भाई से उसकी हमेशा तुलना करते हैं।

कि वह इतनी छोटी सी उम्र में उसकी बहन के सामने तो कहीं गुना ज्यादा समझदार और पढ़ाई में आगे है जिसके जवाब में वह कुछ नहीं कह पाती थी।

लेकिन उसका भाई लक्ष्य खुद कहता था या किसी ने मेरी बहन को मुझे तुलना करी तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा और लोगों को यह लगता था कि लक्ष्य अपनी बहन को बचाने के लिए ऐसा करता है पर हकीकत लक्ष्य और उसकी बहन को ही पता थी उसकी बहन पड़ती ती।

अच्छे से थी लेकिन ऐसे लोगों की बातें सुन सुन के उसका दिमाग हमेशा डर में रहता था चाहे वह कितना भी अच्छा कर ले उसके भाई से उसकी तुलना करी जाती जो चीज उसे धीरे-धीरे करके दर में डालते चली गई अब वह दर उसके अंदर घर बनाकर उसे अंदर से ही खाता जा रहा था। जिससे बचने के लिए हमेशा लक्ष्य उसके पास आता उस बात करता और उसे अपना प्यार दिखाता जिससे उसका यह दर जो उसके अंदर एक जिद्दी कीड़े की तरह बिल्कुल कट गया था।

वह धीरे-धीरे करके कमजोर होता पर लेकिन औरों की बातों से वह वैसा ही वापस हो जाता पर जबकि लक्ष्य या इस सब के जवाब में हर बार अपनी बहन को दिलासा देता और प्यार देता जिससे उसका यह दर धीरे-धीरे करके और लोगों की तुलना करने के कारण जो बढ़ता था वह बढ़ाना बंद हो गया चाहे अब कोई भी कितनी भी तुलना कर ले पर लक्ष्य के प्यार के सामने वह कुछ भी नहीं था वह अब डरना बंद कर जाती है आदि की बहन और वह दर जो उसके अंदर एक छोटा सा घर बनाकर बैठ चुका था वह भी धीरे-धीरे करके गायब हो जाता है और अब उसे किसी भी चीज का डर और घबराहट नहीं थी।


PERTIMBANGAN PENCIPTA
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असल में ना मैंने जो यह लास्ट की बात करी है तो लक्ष्य इसमें वह बंदा है जो आपसे जिस कंपेयर किया जाता है वैसे यह सिर्फ मैं बता रहा हूं मेरा कोई इंटेंशन नहीं था कि यही लिखूं यह यही डालो पर मूड पर ऐसी थी तो लिख मारा तो यही दिखाने के लिए लिखा है और या कोई भी इसे लेट कर पा रहा है तो प्लीज एक छोटा सा कमेंट जरुर करके जाना और थैंक यू या मैं कहूं धन्यवाद।

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