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बात एक रात की... बात एक रात की... original

बात एक रात की...

Penulis: Ivan_Edwin

© WebNovel

द टाइप राइटर...

" कब तक आएगा वुड्स विला ... और कितनी देर लगेगी " चार्ल्स ने उत्सुकता पूर्वक हॉवर्ड से पूछा । चार्ल्स की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, उसके अंदर इस बात को जानने की तीव्र इच्छा थी कि आखिर वैन में पीछे पड़ा कॉफिन किसके लिए जा रहा था जिसकी जानकारी हॉवर्ड को भी नहीं थी। इतने में हॉवर्ड उत्तेजित स्वरों में कहता है "वो देखो आ गया वुड्स विला", चार्ल्स विला की ओर जिज्ञासा पूर्वक देखता है, पुराना हो जाने के कारण उसके दीवारों पर कई जगह काई ने हरे रंग का कर दिया था, वुड्स विला काफ़ी बड़ी जगह घेरे हुए था जो ये साफ़ दर्शाता था कि उसके मालिक काफ़ी रईस थे । मेन गेट पर पहुंचते ही नीली वर्दी पहने चौकीदार ने गेट को खोला। हॉवर्ड ने वैन को विला की ओर धीरे धीरे ले जाना शुरू किया ताकि उस वुड्स विला के भव्य बगीचे को चार्ल्स भी अच्छी तरह से देख ले जिस पर गेट के अंदर प्रवेश करते ही हॉवर्ड की नज़र पड़ गई थी , जिसमें केवल काले गुलाब खिले हुए थे जिनकी भीनी मीठी सुगंध का आनंद उनकी नाक ने लेना शुरू कर दिया था। इतना मनमोहक दृश्य कभी कभी ही देखने को मिलता है जिसका आनंद चार्ल्स और हॉवर्ड दोनों ले रहे थे, बगीचे के बीच बीच में सुंदर परियों की मूर्तियां बनी हुई थी, पर चार्ल्स को इस बात का ताज्जुब हुआ कि विला की ओर जाती सड़क के एक हिस्से में बेशुमार काले गुलाबों के बीच में मेल एंजेल्स और सड़क के दूसरी तरफ फ़ीमेल एंजेल्स की मूर्तियां थीं जिन्हें सफेद संगमरमर से बनवाया गया था।

"देखा चार्ल्स पैसा हो तो इंसान क्या क्या नहीं कर सकता है, देखो इसे कहते हैं जन्नत जैसा बगीचा, मैंने तो आज तक ऐसा सुंदर बगीचा नहीं देखा, यहां का मालिक काफ़ी रईस और शौकीन लगता है", हॉवर्ड ने चार्ल्स की ओर देखते हुए कहा, चार्ल्स ने भी उससे सहमति जताई और बाहर की ओर देखते हुए कहा "सुंदर तो है लेकिन एक बात बड़े हैरत की यह है कि सड़क के एक तरफ़ पुरुष और दूसरी तरफ महिला एंजेल्स की मूर्तियां हैं ऐसा क्यूँ है ", चार्ल्स ने अपनी आशंका जताई और हॉवर्ड की ओर देखने लगा।

"अरे इतना सोचने वाली बात नहीं है, ये एक स्टाइल हो सकता है बगीचे को सजाने का इसमें इतना हैरान करने वाली कौन सी बात है ", हॉवर्ड ने चार्ल्स को समझाते हुए कहा।

दोनों सुंदर नज़ारे को देख उसकी प्रशंसा करते हुए जा ही रहे थे कि चार्ल्स की नज़र बगीचे के बीचोंबीच कुछ खाली स्टैंड थे जो सफेद संगमरमर के बने हुए थे लेकिन उन पर अभी तक मूर्तियां स्थापित नहीं की गई थीं।

" ये देखो चार्ल्स यहाँ से खाली पड़े मूर्तियों के स्टैंडस शुरू हो जाते हैं और ऐसा ही तुम्हारी तरफ के बगीचे में महिला एंजेल्स की मूर्तियों के बाद खाली पड़े है , इसका मतलब है अभी भी इस बगीचे में काम चल रहा है जिसमें मेल एंजेल्स और फ़ीमेल एंजेल्स की कमी है", चार्ल्स ने हॉवर्ड से कहा।

"हो सकता है अभी काम थोड़ा बाकी है, काफ़ी

पैसा खर्च किया है इस बगीचे पर, " हॉवर्ड ने चार्ल्स से कहा।

कुछ ही देर बाद दोनों मेन डोर की सीढ़ियों के सामने वैन को पार्क करते हैं। दोनों वैन से बाहर निकल कर सीढ़ियाँ चढ़ डोर बेल बजाते हैं जो एक पुरानी सुनहरी घण्टी थी जिस पर मकड़े ने अपना जाल बना रखा था जिसे देख कर इस बात का अंदाज़ा हो रहा था कि उस घण्टी का इस्तेमाल कई वर्षों से नहीं किया गया था।

"चर्रररररररर", वुड्स विला का पुराना दरवाज़ा खुलता है अंदर से एक पचास वर्षीय सुंदर महिला काले स्कर्ट और टॉप में बाहर निकल कर आती है। उसके चेहरे से उसकी उम्र का अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल था, उसने आँखो पर काला चश्मा लगा रखा था।

"क्या आप ही मिस्टर हॉवर्ड हैं, कॉफिन स्टोर के मालिक, मेरा ऑर्डर किया हुआ कॉफिन लाएं हैं", उस अधेड़ उम्र की महिला ने हॉवर्ड की ओर देखते हुए पूछा। उस महिला ने बिना हॉवर्ड से मिले ही पहचान लिया था कि वह कौन है, चार्ल्स को ये देख कर हैरत हुई पर हॉवर्ड ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया।

"जी हाँ मैडम, बताइए कहाँ रखना है", हॉवर्ड ने उस महिला ने उस महिला को जवाब दिया।

"ले आइए वैन से निकाल कर और मेरे पीछे आइए ", महिला ने आदेश दिया।

हॉवर्ड और चार्ल्स वैन की ओर चल दिए खाली कॉफिन लेकर आने के लिए। वो अनजान महिला उनका इंतजार कर रही थी। दोनों शीघ्र ही वैन से कॉफिन लेकर महिला के पीछे पीछे चल दिए। वुड्स विला अन्दर से पुराने म्युजियम की तरह लगा चार्ल्स को, काफ़ी बड़ा हॉल था जिसमें दायीं ओर एक बड़ी लाइब्रेरी थी, दीवार पर हर जगह जानवरों के कटे हुए सिरों की ट्राफियां टंगी हुई थी । ऐसा लगता था जैसे किसी बड़े शिकारी का घर हो। हॉल के बीचोंबीच एक सीढ़ी थी जो ऊपर के कमरों की ओर जाती थी।

"वहाँ उस टेबल पर रख दो," उस महिला ने उनसे कहा और हॉल के बायीं ओर रखी एक बड़ी टेबल की तरफ़ इशारा किया। दोनों ने कॉफिन उस टेबल पर रख दिया। चार्ल्स ने उस महिला की ओर देखते हुए पूछा "यहाँ किसकी डेथ हो गई है मैडम", चार्ल्स की बेचैनी इस बात को जानने के लिए उसे रोक न पाई।

" मेरी टाइपिस्ट की, आज अचानक ही उस लड़की का निधन हो गया, अच्छी खासी थी पता नहीं क्या हो गया, अभी महज बाइस साल की ही थी, उसके घरवालों को खबर कर दिया है," उस महिला ने जवाब दिया।

" कोई बीमारी होगी मैडम, कभी कभी सेहत से पता नहीं चलता है, हो सकता है दिमागी बुखार हो ", हॉवर्ड ने महिला से कहा।

" इस वुड्स विला के मालिक और मेरे पति मिस्टर जेम्स वुड के निधन हो जाने के बाद मैं बिलकुल अकेले पड़ गई थी, इस अकेलेपन को दूर करने के लिए मैंने सोचा कि चलो एक नॉवल ही लिख लेती हूँ इसलिए अख़बार में इश्तेहार निकलवाकर एक टाइपिस्ट को नौकरी पर रखा था लेकिन उसकी भी मौत हो गई, अभी तो मेरी नॉवेल आधी भी नहीं हुई थी कि उसके पहले ये हादसा हो गया, ख़ैर ये लो अपने कॉफिन के तय की गई रकम ", मिसेस वुड्स ने उनसे कहा और अपने बटुए से रकम निकाल कर उसकी ओर बढ़ा दिया। हॉवर्ड ने महिला से रकम ले ली और उन्हें गिनने लगा।

वैसे अगर आप को कोई एतराज़ न हो तो एक बात कहना चाहूंगा मैडम", चार्ल्स ने मिसेस वुड्स की ओर देखते हुए कहा।

"बात सुनने से पहले मैं कैसे एतराज़ जाता सकती हूँ, बेझिझक बोलिए", मिसेज वुड्स ने चार्ल्स की ओर देखते हुए कहा।

"आपका बगीचा काफ़ी सुंदर है, उसे देखते ही किसी जन्नत का अनुभव होता है, बेशुमार काले गुलाबों के बीच लुभावने अंदाज़ में जो एंजेल्स की सफेद मूर्तियां हैं उनसे नज़रें हटाने का दिल नहीं करता है, ये भी आपके स्वर्गीय पति मिस्टर जेम्स वुड ने ही बनवाया था क्या", चार्ल्स ने बगीचे की तारीफ करते हुए मिसेज वुड्स से उस बगीचे को बनवाने वाले के बारे में भी पूछ लिया।

" नहीं ये बगीचा मैंने बनवाया है, मुझे काले रंग से बेहद लगाव रहा है इसलिए बगीचे में हर किस्म के काले गुलाब हैं जिन्हें कई देशों से मंगवाया गया है , काले गुलाब से भी मेरे अतीत की कुछ यादें जुड़ी हैं, वो लम्हे जो मैंने और मिस्टर वुड्स ने खुशी से साथ बिताए थे, बस यही वजह है कि गार्डन में हर जगह काले गुलाब ही हैं और सफ़ेद संगमरमर की मूर्तियां भी मॉडल को पैसे देकर बनवाई गई हैं ", मिसेज वुड्स ने चार्ल्स को सारी बातें अच्छी तरह से समझाते हुए कहा।

" ओह! तो इसमें काफी पैसा खर्च हुआ होगा मैडम और अभी तो इसमें काम बाकी है ", चार्ल्स ने मिसेज वुड्स की ओर देखते हुए कहा।

अब मिसेज वुड्स के भाव थोड़े गंभीर हो गए थे, ऐसा लग रहा था कि मानो काले चश्मे के पीछे से मिसेज वुड्स की आँखे चार्ल्स को बड़े ध्यान से देख रही थी, " हाँ अभी काम बाकी है गार्डन का भी और मेरी नॉवेल का भी, अब कोई नया टाइपिस्ट ढूंढना पड़ेगा", मिसेज वुड्स ने चार्ल्स की ओर देखते हुए कहा।

"अब हम चलना चाहेंगे मैडम", हॉवर्ड ने दोनों के बीच हो रही बातचीत को काटते हुए कहा।

"आह! इतनी जल्दी भी क्या है, अगर आप दोनों युवकों को कोई परेशानी न हो तो क्या आप मेरी टाइपिस्ट की लाश को इस कॉफिन में रखने में मदद करेंगे, प्लीज़, मैं मदद के लिए चौकीदार को भी बुला लेती हूँ, " मिसेज वुड्स ने दोनों की ओर देखते हुए अनुरोध किया।

"अरे नहीं मैडम हमारा काम हो गया, हम चलते हैं ", हॉवर्ड ने मिसेज वुड्स को साफ़ इन्कार कर दिया, वह शायद लाश को हाँथ नहीं लगाना चाहता था।

" अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है हम आपकी मदद करने को तैयार हैं," चार्ल्स ने मिसेज वुड्स से कहा और अपने दाएँ हाथ से हॉवर्ड का हाथ मान जाने के लिए दबा दिया।

" ओह... मुझे बड़ी खुशी हुई ये जानकर कि आप दोनों मदद के लिए तैयार हो गए हैं, क्या आप में से एक बाहर के चौकीदार को बुला लाएगा, प्लीज़, आज यहाँ वुड्स विला में ज़्यादा तर नौकर काम पर नहीं आये हैं और जो थे उन्हें मैंने चर्च और जानने वालों के यहाँ ख़बर करने के लिए भेज दिया है ", मिसेज वुड्स ने अपनी मजबूरी व्यक्त की, जिसे सुनकर दोनों को उनकी मजबूरी का अंदाज़ा हुआ, शायद यही वजह थी कि इनकार कर देने वाले हॉवर्ड ने ही मदद के लिए बाहर जाकर चौकीदार को बुलाना उचित समझा और वह विला में चार्ल्स को मिसेज वुड्स के साथ अकेला छोड़कर चला गया।

"इस समय आपके साथ इस विला में और कौन कौन रहता है नौकरों को छोड़कर, मैडम", चार्ल्स ने मिसेज वुड्स से बेझिझक पूछा।

"मैं और मेरी टाइपिस्ट ही रहते थे यहाँ, चूँकि नॉवेल लिखने का मामला है इसलिए ज़्यादा भीड़ भाड़ मुझे पसंद नहीं, कहानी किसी ने चूरा ली तो फिर क्या होगा, आज कल रईस लोग अपनी कहानियों को कॉपी राइट कर लेते हैं, मैंने इसलिए सभी को आने जाने से मना कर रखा था नौकरों को छोड़कर ", मिसेज वुड्स ने दुबारा गंभीर हो कर कहा, चार्ल्स को ऐसा प्रतीत हुआ कि वह उसे काले चश्मे के पीछे से बुरी तरह घूर रहीं थीं।

" तो किस किस्म का नॉवेल लिख रहीं हैं आप, मैडम", चार्ल्स ने एक बार फिर सबकुछ नज़र अंदाज़ करते हुए मिसेज वुड्स से पूछा।

" आह! मेरी कहानी एक अंधेरी दुनिया की सच्ची घटना पर आधारित है," मिसेज वुड्स ने राहत की ठण्डी साँस भरते हुए जवाब दिया। फिर उन्होंने पास ही रखी एक टेबल पर सिगरेट का केस उठाया जो लकड़ी का बना हुआ था और उसके बगल में ही एक लाइटर भी रखा हुआ था।

उधर हॉवर्ड जो चौकीदार को मदद के लिए बुलाने निकला था अब उसे गार्डन को पूरा पार कर के जाना था जिसके मध्य में कंक्रीट की सड़क बनी थी, हॉवर्ड ने सोचा इतनी सी दूरी के लिए वैन को क्यूँ तकलीफ दी जाए इसलिए उसने पैदल चलने का निर्णय किया, उसे लगा कि इसी बहाने एक बार फिर अच्छे से इस भव्य सुंदर बगीचे के दर्शन हो जाएंगे। हॉवर्ड धीरे धीरे आगे बढ़ता है विला से गार्ड्स चेक पोस्ट की दूरी ज़्यादा थी, ऊपर से इंग्लैंड का रंग बदलता मौसम, हॉवर्ड अभी कुछ दूर चला ही था कि इतने में काले बादलों ने सुरज के प्रकाश को ढक लिया और आसमान में तेज़ बिजली कड़की, बिजली कड़कने की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि अच्छे अच्छों का दिल दहल जाए, लेकिन फिर भी हॉवर्ड ने हिम्मत नहीं हारी उसने चलते चलते गार्ड को आवाज़ देना शुरू कर दिया, चार्ल्स को एक बात की राहत मिली कि बरसात ने अपना कहर बरसाना शुरू नहीं किया था पर फिर भी आंधी जैसी तेज़ हवाएँ बह रही थीं जिनकी वजह से हॉवर्ड को ठीक से देखने परेशानी हो रही थी। पर फिर भी हॉवर्ड आगे बढ़ता रहा तेज़ हवाएं बहने के कारण बेशुमार काले गुलाबों की तेज़ मीठी सुगंध ने पूरे वातावरण को अपनी खुशबु से महका रखा था, हॉवर्ड ने उन गुलाबों से भरे बगीचे के ऊपर एक नज़र डाली, आँधी का भी उन गुलाबों पर कोई असर नहीं हो रहा था, वह केवल हवा से इधर-उधर झूल रहे थे, इतने में अचानक "हॉवर्ड... हॉवर्ड... ओह मेरे प्यारे हॉवर्ड", हॉवर्ड को एक अनजान महिला की आवाज़ पीछे से पुकारती है। पहले तो हॉवर्ड उस अवाज़ को ज़ोर की हवा बहने के कारण सुन नहीं पाता है और आगे बढ़ता ही रहता है , पर फिर भी आवाज़ का आना बंद नहीं होता है "हॉवर्ड... हॉवर्ड... ही ही ही... हॉवर्ड इधर देखो प्यारे हॉवर्ड... ही ही ही ही ही... ही ही ही ही ही", एक बार फिर से उस मधुर मदमस्त कर देने वाली आवाज़ ने अपनी हंसी के साथ हॉवर्ड को पुकारा। अब हॉवर्ड ने अपने कदम रोक लिए और एक बार फिर से उस आवाज़ के पुकारने का इंतजार करने लगा।

हॉवर्ड को अब भी अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था, उसने जो सुना वह विश्वास करने योग्य बिलकुल भी नहीं था। हॉवर्ड अब डरा हुआ था और डर ने ही उसे प्रतिक्रिया दिखाने से मना कर दिया था।

"आपकी टाइपिस्ट का नाम क्या था, मैडम", चार्ल्स ने मिसेज वुड्स से पूछा।

"ओ, उसका नाम कैथरीन था, मैं उसे मिस ब्राउन कह कर बुलाती थी, वह एक बहुत प्यारी और ज़िंदा दिल लड़की थी, हर सन्डे चर्च जाया करती थी, सभी से प्रेम भाव से मिलती थी, पता नहीं ऊपर वाला अच्छे लोगों को इतनी जल्दी अपने पास क्यूँ बुला लेता है", मिसेस वुड्स ने चार्ल्स की ओर देखते हुए कहा और साथ ही सिगरेट केस से एक सिगरेट निकाल कर जला ली और राहत का धुआं अपने अंदर खींच कर बाहर छोड़ा। फिर सामने पड़े एक सिंगल सोफ़ा पर बैठ गईं।

" आप भी बैठ क्यूँ नहीं जाते हो , काफ़ी देर से खड़े हो थक जाओगे, तुम्हारे दोस्त को भी आने में अभी वक़्त लगेगा", मिसेस वुड्स ने चार्ल्स की तरफ़ देखते हुए तथा अपने दूसरे हाँथ से खाली सोफ़ा की ओर इशारा करते हुए कहा। चार्ल्स उनकी बात मान गया और एक खाली सोफ़े पर बैठ गया।

" लगता है बाहर काफ़ी तेज़ हवाएं चल रही हैं ", चार्ल्स ने बातचीत आगे जारी रखते हुए कहा।

" हाँ, शायद इस वजह से आपके दोस्त को चौकीदार बुलाने में ज़्यादा वक़्त लगे, मिसेस वुड्स ने चार्ल्स की बात पर हामी भरते हुए कहा।

" मैडम, आपके गार्डन में फ़ीमेल एंजेल्स और मेल एंजेल्स की मूर्तियां अलग अलग क्यूँ बनी हैं, जबकि म्यूज़ियम और कई लंदन की कई बड़ी जगह पर यही मूर्तियां आलिंगन करते हुए बनवाई गई हैं", चार्ल्स ने मिसेस वुड्स से उनके बगीचे के बारे में एक और प्रश्न पूछ डाला।

मिसेज वुड्स चार्ल्स को फिर से एक बार ध्यान से देखने लगीं और थोड़ी देर की खामोशी के बाद बोलीं" दरअसल मेरे बगीचे के एंजेल्स कभी आपस में मिल नहीं पाए इसलिए अलग अलग बनवाए गए हैं ", मिसेस वुड्स का बेरूखी भरा जवाब सुनकर पहले तो चार्ल्स थोड़ा घबरा सा गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला "मैं कुछ समझा नहीं", उसने सबकुछ जानते हुए भी अनजान बनने का नाटक किया।

"मेरा मतलब यह है कि इन मूर्तियों को अलग अलग ही बनवाया गया है, मैं नहीं चाहती थी कि कोई ये समझे कि ये लंदन के म्यूज़ियम से या अन्य किसी जगह की मूर्तियों से मेल खाती हैं", मिसेस वुड्स ने बड़ी चतुराई से चार्ल्स से हक़ीक़त को छुपा लिया, उनके चेहरे के भाव से चार्ल्स को इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं लग पाया कि वह झूठ बोल रही हैं।

" क्या मैं आपका टाइप राइटर देख सकता हूँ, मैडम, मुझे भी टाइपिंग में काफ़ी रूचि है, मैंने हाल ही में एक नया टाइप राइटर खरीदा है, मैं आपके टाइप राइटर को देखने के लिए काफ़ी उत्सुक हूँ," आखिर कार चार्ल्स ने हिम्मत करके मिसेस वुड्स से वह प्रश्न पूछ ही लिया जिसे वह काफ़ी देर से पूछने के लिए व्याकुल हो रहा था, उसके मन में इस बात की शंका हो रही थी कि कहीं वह टाइप राइटर इसी वुड्स विला से तो नहीं जुड़ा है जिसे वह ख़रीद कर लाया है।

मिसेज वुड्स के चेहरे के भाव और ज़्यादा गंभीर हो गए थे पर उन्होंने उन्हें कुशलता पूर्वक अपनी ज़हरीली मुस्कान के पीछे छुपा लिया और खड़े होकर चार्ल्स को अपने पीछे आने का इशारा करते हुए बोलीं "आइए मेरे साथ", मिसेज वुड्स चार्ल्स को अपने स्टडी रूम की तरफ़ ले जा रहीं थीं जहाँ पर उनका टाइप राइटर रखा हुआ था।

क्या इससे पहले भी आपके पास कोई दूसरा टाइप राइटर था" चार्ल्स ने मिसेज वुड से पुछा , मिसेस वुड्स ये सुनकर अपनी जगह पर ही जम सी जाती हैं और उनके चेहरे का रंग अब सफेद सा पड़ गया था पर अपने भावों को उन्होंने चार्ल्स के सामने प्रकट होने नहीं दिया," नहीं इससे पहले मेरे पास और कोई टाइप राइटर नहीं था और अब अगर आपकी तहकीकात हो गई हो तो हॉल की ओर चलें ", मिसेज वुड्स ने अपने काले चश्मे के पीछे से चार्ल्स को घूरते हुए कहा।

"वैसे काफ़ी देर हो गई है अब तक तो हॉवर्ड को मदद के लिए चौकीदार को बुला लेना चाहिए था ", चार्ल्स को मिसेस वुड्स के जवाब से उनके मन के भाव कुछ हद तक पता चल गए कि वह ज़्यादा दखलंदाजी पसंद करने वाली महिला नहीं है इसलिए चार्ल्स ने बात को घुमाना ही उचित समझा और हॉल की तरफ प्रस्थान करने लगा।

उधर हॉवर्ड उस रहस्यमयी पुकार सुनकर रुका हुआ था कि अचानक एक बार फिर से एक अनजान आवाज़ ने उसे पीछे से पुकारा "ओ मेरे प्यारे हॉवर्ड... पीछे मुड़ कर मुझे देखो... मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी", हॉवर्ड के कान खड़े हो गए तीसरी बार उसे पुकारने वाले को सुनकर, उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे पीछे से आवाज़ किसने लगाई थी, एक तरफ उसके भीतर से आवाज़ आ रही थी कि वह पीछे मुड़कर पुकारने वाले को देखे वहीं दूसरी ओर उसका दिमाग कह रहा था कि" पीछे मुड़कर मत देखना, यह मौत का एक छलावा है आगे बढ़ते रहो और सीधा गेट कीपर की छावनी तक पहुँच जाओ"। हॉवर्ड को निर्णय लेने में मुश्किल हो रही थी उतनी ही मुश्किल जितनी उसे तेज़ हवाओं के बहने के कारण देखने में हो रही थी। गार्डन के बीचोंबीच खड़ा हॉवर्ड अब असमंजस में पड़ चुका था कि क्या करना चाहिए।

कुछ देर बाद उसने इस बात को अपना वहम न मान कर पीछे पलटने का फैसला किया, उसने अपने दिमाग की न सुनकर दिल की सुनने का फैसला किया, दिल के उस हिस्से की बात जो अंधकार से भरा हुआ है, जहाँ डर का निवास होता है और इसी डर ने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया था। पीछे पलटने पर क्या अंजाम होने वाला था ये तो हॉवर्ड ने कभी सोचा भी नहीं था इसलिए शायद उसके दिमाग ने ऐसा करने से उसे मना कर दिया था।

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