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80% काशी बनारस की खूबसूरती / Chapter 4: ४. रुद्र का अपने परिवार से झगड़ा करना

Bab 4: ४. रुद्र का अपने परिवार से झगड़ा करना

जब रुद्र का अपने मां और बहन की चेहरे पर नजर पड़ी तो उसकी हसी छूट गई। वो हस्ते हुए बोला, " देखिए, आप लोग ने जो प्लानिंग किया था वो तो फेल हो गया। इस चीज का हमें बेहद अफसोस है "

रुद्र ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी की तभी उसके पापा विक्रांत सिंह हैरान होते हुए बोले, " प्लानिंग ! कैसी प्लानिंग रुद्र ? "

रुद्र मुस्कुराते हुए बोला, " पापा, थोड़ा सब्र रखें। आपको सब पता चल जायेगा। " फिर वो अपने मां के तरफ देखते हुए बोला, " मां, आपने तो कहा थी की दादी की तबियत खराब है, पर मुझे तो नहीं लग रहा। "

अनुजा कुछ बोलने ही वाली थी की तभी चित्रा अपना दिमाग दौड़ाते हुए बोली, " क्यों ? तुझे क्यों नहीं लग रहा की दादी तबियत खराब है ? वो क्या यहां खड़ी हुईं है जो तुझे ऐसा लग रहा है ? "

रुद्र फिर मुस्कुराते हुए बोला, " चित्रा दी, आप न पहले डिसाइड कर लो की आप हमें तू बुलाइंगी या फिर तुम। और बाकी रहा दादी की यहां खड़ी होने की बात, तो हम बता दें की दादी तो यहां नहीं खड़ी है, लेकिन फिर भी हमें पता है की दादी की तबियत खराब नहीं है। "

चित्रा थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली, " रुद्र, तू तब से ये क्या बके जा रहा है ? दादी की तबियत सच में खराब है। तू ऐसा सोच भी कैसे सकता है की हम दादी के बारे मे झूठ बोलेंगे ? "

चित्रा कुछ और भी बोलना चाहती थी लेकिन तभी रुद्र ने चिल्लाते हुए कहा, " अच्छा, दादी की तबियत खराब है, तो ठीक है एक बार को मान लिया। लेकिन दादाजी, पापा, अंजना दी, शिबांश भईया, ध्रुव और मीरा इतना हैरान क्यों हैं ? और आप और मां का चेहरा उतरा हुआ क्यों है और आप दोनो ऐसे नज़रे क्यों चुरा रहे हैं ? "

रुद्र के इतना बोलते ही चित्रा जो गुस्से से बात कर रही थी वो अब थोड़ी शांत होते हुए बोली, " रुद्र, इतना जोर से मत चिल्लाओ। और हम दोनो झूठ क्यों बोलेंगे ? घर वाले हैरान इसीलिए हैं क्योंकि मैंने और मां ने किसीको ये बात बताई नहीं थी। हम चाहते थे की तुम्हारे आने के बाद हम सबको बताएंगे। "

रुद्र को पता था की इस बात पर वो कितना भी बेहेस करले, लेकिन चित्रा कोई न कोई बहाना करके उसके बात को टाल देगी। इसी लिए उसने चित्रा को एक ऐसा सवाल पूछा जिससे चित्रा बुरी तरह चौंक पड़ी। रुद्र ने पूछा, " ठीक है, मैंने मान लिया की सब हैरान इसी लिए थे क्योंकि आप दोनो ने किसीको बताया नहीं था और मेरे आने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन मेरे इस सवाल का जवाब है आपके पास ? "

चित्रा बेफीकर होते हुए बोली, " हां हां, पूछो ना ? केसा सवाल ? "

रुद्र मुस्कुराते हुए बोला, " जब में गेट से अंदर आ रहा था तब आप बालकनी से मुझे देख कर मुस्कुरा क्यों रहीं थीं ? "

ये सवाल सुनते ही चित्रा की मुस्कुराते हुए चेहरे पर बैचेनी का भाव आ गया। वो सोचने लगी, " ये रुद्र गाड़ी चला रहा था की मेरे Expressions को Notice कर रहा था ? अगर इसने मेरी सिर्फ मुस्कुराहट को देखी हो तो तो ठीक, लेकिन अगर उसने मेरा Expressions को Notice किया होगा, तो तो में गई आज। चित्रा अपने चेहरे पर झुठी Smile लाते हुए बोली, " रुद्र तुम बिना जाने कुछ भी सोच और बोल देते हो। मेरी बात सुनो, में इसलिए मुस्कुरा रही थी क्योंकि में तुम्हे देख कर खुश हो गई थी। "

रुद्र इस बात पर गौर करते हुए सोचने लगा, " ये चित्रा किसे बेवकूफ बना रही है ! इसे क्या लगता है, की में गाड़ी चला रहा था, तो इसीलिए मैंने इसका Expressions Notice नहीं किया ! " ये सब सोचते हुए वो थोड़ी देर केलिए खामोश हो गया था। वो चित्रा को घूरते हुए ही ये सब सोच रहा था। चित्रा भी मन ही मन सोच रही थी, " ये रुद्र अब चुप क्यों है ? शायद उसके पास मुझे बोलने केलिए कुछ भी नहीं है। लेकिन वो मुझे ऐसे घूर क्यों रहा है ? " चित्रा कुछ और सोच पाती की रुद्र बोला, " लेकिन आपके Face की एक्सप्रेशंस से नहीं लग रहा था की आप मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे ? "

" तो तुझे क्या लग रहा था ? और एक बात तू खुद भी हम तो कभी में बोलता है। तू खुद ही तय करले। " चित्रा ने थोड़ा घबराई हुई आवाज में कहा।

" आप मेरी चिंता मत कीजिए। में हम कहूं या में, इससे मेरे सवाल से दूर दूर तक कोई Connection नहीं है। बाकी रहा आपके एक्सप्रेशंस के बात तो आपके चेहरे से साफ लग रहा था की आप ऐसे मुस्कुरा रहीं थीं जैसे आप ने किसी चीज में कामयाबी हासिल करली हो। "

ये सुनते ही चित्रा का दिमाग खराब हो गया। वो गुस्से से बोली, " रुद्र, तेरा दिमाग खराब है क्या जो तू मेरे बारे में ऐसा बोल रहा है ? तू तो जैसे भगवान है जो मुझे देख मेरे मन की बात को जान लिया "

रुद्र भी गुस्से से बोला, " में ये नहीं कह रहा की में भगवान हूं। आज तक न कोई भगवान हो पाया है न आज कोई भगवान हुआ है न आगे कोई होगा। और मैंने तो मन की बात नहीं की। मैंने तो आपके चेहरे के भाव के बारे में बोला था।

चित्रा फिर गुस्से से बोली, " रुद्र बंद कर अपना बकवास। महादेव की कसम में तेरे आने पर ही मुस्कुरा रही थी।

अब रुद्र के अंदर जो गुस्सा था वो बाहर आने लगा था। लेकिन चित्रा बात सुन वो बुरी तरह भड़कते हुए गुस्से से चिल्लाते हुए बोला, " बस चित्रा दी। महादेव के नाम लेकर ये अपना सफेद झूठ बोलना बंद कीजिए। आपको शर्म नहीं आती, महादेव का नाम लेते हुए आप झूठ बोल रहीं हैं ! और आप भूलिए मत की में चार साल तक पुलिस की नोकरी कर रहा था। अब मैंने पुलिस का काम छोड़ कीर्ति को उसके Business मे मदद जरूर कर रहा हूं, लेकिन मेरे Experience मुझसे झूठ नहीं बोल सकती। "

रुद्र कुछ और बोल पाता की तभी उसके पापा विक्रांत सिंह उसके पास आकर उसे एक जोरदार थपड़ मारते हुए बोले, " रुद्र, चुप हो जा। अगर तूने मेरी बेटी के बारे में कोई और शब्द बोला तो में तुझे जान से मार डालूंगा। "

विक्रांत के कड़वे सब सुन घर का बड़ा बेटा शिबांश सिंह जो की रुद्र का बड़ा भाई और चित्रा का छोटा भाई था, वो विक्रांत के पास आते हुए गुस्से से उसे रुद्र से दूर करते हुए बोला, " पापा, क्या कर रहें हैं आप ईए ? दिमाग खराब है आपका ? आप क्या रुद्र को जान से मारेंगे, अगर आपने रुद्र को छुआ भी या फिर उसे एक शब्द भी कहा तो में आपका क्या हश्र करूंगा वो आप सपने में भी नहीं सोच सकते। आप एक बाप के तरह तो नहीं लग रहे। क्योंकि कोई भी बाप अपने बेटे को इतने जोर से नहीं मारता की उसके मुंह से खून निकलने लगे। "

शिवांश के आंखो में आंसू आ गए थे ये सब बोलते बोलते। उसके आंखों से साफ पता चल रहा था की वो रुद्र से कितना प्यार करता था। अपने भाई के आंखों में आंसू देख रुद्र के आंखे भी नम हो गईं। अब रुद्र को Support करने केलिए उसके सारे भाई बहन उसके पास खड़े थे सिवाय चित्रा के। उसे तो मजा आ रहा था ये सब देख कर। विक्रांत फिर से चिल्लाते हुए बोला, " तुम सारे मेरे बच्चे नहीं हो क्या ? तुम्हारा भाई तुम्हारी बहन के ऊपर झूठा इल्जाम लगा रहा है और तुम लोग चित्रा का Support न करके रुद्र को Support कर रहे हो ! "

इस बार घर की सबसे बड़ी बेटी और घर के बच्चों में सबसे बड़ी अंजना सिंह, अपने पापा पर चिल्लाते हुए बोली, " बस पापा ! और कितना बोलेंगे आप ? रुद्र आपका बेटा है कोई दुश्मन नहीं और वैसे भी आपको रुद्र से क्या परेशानी है ? जबसे रुद्र का दोस्ती कीर्ति के साथ है तभी से आप रुद्र पर चिल्ला रहे हैं और उसे आपने कितनी सजा भी दी है। छोटी छोटी बात पर उसे डाटना, उसे मारना, उसे सज़ा देना। आखिर ऐसा क्यों पापा ? "

अंजना कुछ और बोल पाती की तभी उनकी दादी और घर की मालकिन करिश्मा सिंह हॉल में प्रवेश करते हुए सबके पास आकर खड़े हो गए। लेकिन उनके साथ जो सक्स खड़ा था उसे देख कर हर किसका होश उड़ हुआ था। करिश्मा सिंह के बगल में कोई और नहीं बल्कि कीर्ति सिंह खड़ी थी। रुद्र किसी तरह अपने खुशी को और अपने आंसू को Cantrol करते हुए बोला, " कीर्ति तुम यहां ? केसे ? "

" हां, में यहां हूं रुद्र। तुम्हे क्या लगा, तुम यहां मुसीबत में हो और मुझे चोट लगी है, में तो वहां अपने घर पर हूं, इसीलिए मुझे कुछ भी पता नहीं चलेगा ? में तुम्हारी मदद करने केलिए यहां नहीं आ सकती ? "

ध्रुव और मीरा का कीर्ति से बहुत लगाव था। वो उसे बहुत प्यार करते थे और उसका सम्मान भी करते बड़ी बहन की तरह। वो दोनो खुश होते हुए कीर्ति के तरफ दौड़ते हुए बोले, " कीर्ति दी "

कीर्ति भी खुश होते हुए बोली, " ध्रुव, मीरा केसे हो तुम लोग ?

वो दोनो कीर्ति के पास खड़े होते हुए बोले, " हम दोनो ठीक हैं। लेकिन आपको तो चोट लगी है ना, तो आप कैसे हैं ? "

कीर्ति हस्ते हुए उन दोनो के गाल को छूते हुए बोली, " में ठीक हूं, ये छोटी मोटी चोट से आपकी कीर्ति दी को कोई फर्क नहीं पड़ता। "

शिवांश कीर्ति के तरफ देखते हुए बोला, " कीर्ति, हमें एक बात बताओ, तुम और दादी एक साथ यहां कैसे ? " वो फिर अपने पापा को देखते हुए उन पर व्यंग कसते हुए बोला, " दादी की तबियत खराब थी न, तो वो यहां सही सलामत कैसे ? "

विक्रांत, अनुजा और चित्रा के उतरे हुए चेहरे को देख कीर्ति को हसी फूट पड़ी। वो मुस्कुराते हुए बोली, " शिवांश भईया, में हूं ना, में आपकी सारी Confusion दूर कर दूंगी। "

तभी चित्रा कीर्ति पर चिल्लाते हुए बोली, " बेशरम लड़की, तेरे वजह से हमारे घर में हमेशा झगड़ा होता है। तूने हमारे परिवार की शांति को छीन लिया है। रुद्र को हमेशा हमारे खिलाफ भड़काती रहती है। निकल जा तू हमारे घरसे। "

कीर्ति जो की शांति से बात कर रही थी वो चित्रा के बातों से गुस्से में अगयी। उसका मन कर रहा की वो चित्रा को पकड़ उसे घसीट ते हुए लेजाए और उसे इतना मारे की वो सीधा कोमा में पहुंच जाए। लेकिन फिर भी वो अपना हद पार नहीं करना चाहती थी। लेकिन चुप होकर वो अपने ऊपर इल्जाम लगाते हुए देख भी नहीं सकती थी। वो बुरी तरह भड़कते हुए गुस्से चिल्लाते हुए बोली, " बेशरम में हूं या आप ? में आपके तरह महादेव के नाम लेकर झूठ नहीं बोलती। दूसरों को बोलने से पहले आप खुद को देखिए। और क्या बोला आपने ? मेरे वजह से आपके परिवार में झगड़ा होता है, मेंने आपकी शांति छीन ली है। मैंने तो आपको नहीं कहा की आप झगड़ा कीजिए मेरे लिए। और मेने आपकी शांति नहीं छीनी है, बल्कि आप लोग खुद जिमेदार हैं इसके लिये। और आपने क्या बोला था, की में रुद्र को आप लोगों के खिलाफ भड़काती रहती हूं ! मुझे दूसरों के Personal Matters में Interfere करना पसंद नहीं। आपको शर्म नहीं आती चित्रा दी, दादी के बारे में ऐसी बात करते हुए ? और विक्रांत अंकल, अनुजा आंटी, आप दोनो ने भी इनका साथ दिया ? विक्रांत अंकल आपके बारे में सोच कर ही मुझे बुरा लग रहा है, की आपने अपनी मां के बारे में ऐसा कैसे सोच लिया। ये जानते हुए की दादी बिलकुल सही सलामत है, फिर भी आप ने इनके झूठ में साथ दिया ? "

शिवांश कीर्ति को बीच में रोकते हुए बोला, " कीर्ति इन्हे जितना भी बोलो, जितना भी समझाओ चाहे गुस्से से या प्यार से, ये नहीं समझने वाले। तुम बताओ ना को दादी और यहां कैसे पहुंची और तुम्हे कैसे पता चला। "

आखिर क्या थी कहानी। आगे ये कहानी क्या मोड़ लेगी ? आखिर कीर्ति को केसे पता चला की यहां रुद्र मुसीबत में है ? और सबसे बड़ी बात, चित्रा का असली मकसद क्या था ? ये सब जाने केलिए पढ़ते रहिए " काशी बनारस की खूबसूरती " सिर्फ Webnovel App पर।


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