समय धीरे-धीरे पंख लगा कर उड़ रहा था मुझे सुषमा के यहां कमरा किराए पर लिए हुए 6 महीने से ज्यादा का समय हो गया था अब मैं उनके परिवार का सदस्य बन गया था एक दिन शाम के समय ज्योति पढ़ाई कर रही थी उसे कुछ समस्या आई तो उसने मुझसे पूछा मैंने उसके सवाल का हल बता दिया वह बड़ी खुश हूई और बोली भैया आप ही मुझे रोज पढ़ा दिया करो आप जो समझाते हो वह मुझे अच्छे से समझ में आता है और याद भी रहता है मैंने कहा ठीक है उसके बाद वह रोज शाम को एक डेढ़ घंटा मेरे पास आ जाती और खूब मन लगाकर पढ़ाई करने लगती लगभग एक महीने बाद एक दिन अचानक जब मैं शाम को ऑफिस से घर आया तो सुषमा घर पर अकेली थी मैं कपड़े बदल कर उनके पास पहुंच गया और उन्हें बाहों में भर कर चूमने लगा भाभी ने की मुझे पूरा सहयोग करें हम दोनों ने जमकर जवानी के मजे लूटे और जैसे ही मैं कमरे से बाहर आया तो देखा आंगन में ज्योति बैठी थी और मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी एक बार को तो मैं घबरा ही गया था कि शायद ज्योति ने हम दोनों को सेक्स करते हैं देख लिया मगर जब सब कुछ सामान्य लगा तो मेरे मन से भी वहम निकल गया मगर उस दिन के बाद ज्योति के बर्ताव में कुछ बदलाव आ गए थे अब वह अक्सर मेरे करीब आ जाती थी और अपने चूचियों को मेरे शरीर से स्पर्श कराती थी धीरे धीरे उसने और ज्यादा करीब आना शुरू कर दिया मैं उसकी कच्ची उम्र को ध्यान में रखकर अक्सर नजरअंदाज कर देता था ज्योति अक्सर स्कर्ट या जींस ही पहनती थी एक दिन जब रहे शाम को मेरे पास पढ़ने के लिए आई तो वह मेरे सामने बैठी हुई थी और मैं उसे पढ़ा रहा था तभी अचानक उसने अपनी टांगों को मोड कर ऊपर उठा दिया जिससे उसकी स्कर्ट भी ऊपर सरक गई और उसकी चिकनी जांघें नजर आने लगी तभी उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी पैंटी के ऊपर से अपनी योनि को सहलाया जैसे ही मेरा ध्यान उसके हाथ पर गया उसने तुरंत अपना हाथ हटा दिया और मुस्कुराने लगी फिर कुछ पूछने के बहाने मेरे करीब आई और अपनी चुचियों को मेरे कंधे से सटाकर रगड़ने लगी उसकी छोटी-छोटी चुचिया उत्तेजना के कारण एकदम पत्थर जैसी कठोर हो गई थी और वह उन्हें मेरे कंधे पर रगड़ रही थी उसकी इस हरकत से मेरे अंदर भी वासना की आग भड़क गई मगर मैं चुपचाप बैठा हुआ उसकी हरकतों का आनंद ले रहा था थोड़ी देर पढ़ने के बाद वह अपने कमरे में चली गई मगर मेरी वासना की ज्वाला को भड़का गई मैं सीधा रसोई में जाकर सुषमा से लिपट गया और अपना लौड़ा उनके चूतड़ों में रगड़ने लगा वह बोली क्या बात है आज तो अभी से तैयार हो गए मैंने कहा आज बहुत मन हो रहा है रात को आ जाना मैं खाना खाकर जल्दी ही अपने कमरे में चला गया सुषमा भी अपना काम निपटा कर अपने कमरे में चली गई वह अक्सर 11या12 बजे के आसपास आ जाती थी मगर आज 1 बजे तक सुषमा का कोई अता पता नहीं था मैं उठ कर सीधा सुषमा के कमरे में चला गया जहां पर सुषमा और ज्योति डबल बेड पर लेटे हुए थे मैंने जाकर सुषमा को जगाया वह गहरी नींद में सो रही थी दो तीन बार उठाने के बाद भी जब वह नहीं उठी तो मैं वही उनके पास लेट कर उनकी चूचियों को सहलाने लगा और उनके निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगा थोड़ी देर में सुषमा की आंख खुल गई और उन्होंने मुझे बाहों में भर कर अपने ऊपर खींच लिया मेरा लौड़ा तो पहले ही तैयार था ऊपर आते ही मैंने उसे योनि में प्रवेश करवा दिया सुषमा सिसकारियां लेते हुए अपनी योनि को ऊपर उछलने लगी मैं भी पूरे जोश में भर कर दनादन लोड़ा उनकी योनि में पटकने लगा एक भरपूर चूदाई के बाद मैंने अपने यौवन रस से उनकी योनि को तर कर दिया भाभी अभी संखलित नहीं हुई थी तो वह बेचैन हो उठी और मुझे और ज्यादा चोदने के लिए कहने लगी मेरा लौड़ा मुरझा गया था तो मैं उनकी बगल में लेट गया उन्होंने उठकर मेरे लोड़े को चूसना शुरू कर दिया उनकी जीभ के स्वाद से मेरा लोड़ा फिर से तैयार हो गए भाभी ने बिना देर किए ऊपर आकर लोड़े को योनि में प्रवेश करवा दिया और ऊपर बैठकर चुदाई शुरू कर दी अपनी कामाग्नि को शांत करने के बाद सुषमा मेरे ऊपर लुढ़क गई वह तो अपनी मंजिल पर पहुंच गई थी मगर मुझे अभी काफी रास्ता तय करना था मेरी मंजिल अभी कोसों दूर थी इसलिए मैंने ऊपर कर अपनी मंजिल का सफर शुरू कर दिया मगर थोड़ी देर बाद ही सुषमा को तकलीफ होने लगी और वह मुझे जल्दी करने के लिए कहने लगी जब काफी देर की चूदाई के बाद भी मेरा वीर्य नहीं निकला तो वह मुझे रुकने के लिए कहने लगी मैं उनकी मनोदशा को समझ कर नीचे उतर आया और उनके बगल में आकर लेट गया अब हम एक दूसरे को बाहों में भर कर बेतहाशा चूम रहे थे कि तभी अचानक सुषमा की आंख लग गई और वह खर्राटे लेने लगी मैं अभी भी वासना की आग में जल रहा था और मेरा लौड़ा पूरा तना हुआ था तभी अचानक मेरे लोड़े पर किसी ने अपना हाथ रख दिया मुझे एक जोर का झटका लगा क्योंकि अपनी वासना को शांत करने की जल्दी में मैं यह भूल गया था कि उस कमरे में हमारे साथ ज्योति भी है और वह उसी बेड पर लेटी है जिस पर हम काम क्रीडा कर रहे हैं ज्योति के हाथ में जैसे ही मेरे लोड़े को छुआ मेरे नसों में करंट सा दौड़ गया और लोड़े ने दुगने जोश के साथ अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया ज्योति मेरे बराबर में लेटे हुए मेरे लोड़े को सहला रही थी और मैं चुपचाप लेटा हुआ उसके गर्म हाथों को महसूस कर रहा था उसकी हथेलियां मेरे लोड़े से भी ज्यादा गर्म जिसका साफ-साफ मतलब था कि वह भी वासना कि आग में जल रही है मगर उसकी छोटी उमर को ध्यान में रखते हुए मैं कोई हरकत नहीं की धीरे-धीरे ज्योति मेरे करीब आ रही थी उसने अपने बदन को मेरे से सटा दिया और अपनी चूचियां मेरे कंधों पर लगानी शुरू कर दी थोड़ी देर तक लोड़े को सहलाने के बाद अचानक उठ कर कमरे से बाहर चली गई थोड़ी देर इंतजार करने के बाद भी जब वह वापस नहीं आई मैं उठ कर अपने कमरे में आ गया और जैसे ही मैंने लाइट जलाई तो देखा ज्योति एक चद्दर ओढ़ कर मेरे बेड पर लेटी हुई है और उसका नाइट गाउन फर्श पर पड़ा है मैंने दरवाजा बंद किया तो ज्योति ने पलट कर मुझे देखा और मुस्कुराते हुए अपनी बाहें फैलाकर मुझे आने का इशारा किया मेरा लौड़ा अभी भी पूर्ण उत्तेजित था और वह किसी काले नाग की तरह लहरा रहा था जैसे ही मैं बेड के पास पहुंचा ज्योति ने मेरे लोड़े को हाथ में पकड़ कर अपने होंठ उस पर रखती है उसके गरम होठ ऐसे लग रहे थे मानो किसी ने मेरे लोड़े पर अंगारा रख दिया और वह अपने होठों को फैला कर उसे अपने मुंह में लेने का प्रयास करने लगी मगर मेरा लौड़ा उसके मुंह से कहीं ज्यादा मोटा था जिस कारण वह चाह कर भी उसे अपने मुंह में नहीं ले पा रही थी जब काफी कोशिश करने के बाद भी वह सफल नहीं हुई तो झलला कर बोली हे भगवान कितना मोटा है यह तो मेरे मुंह में भी नहीं आ रहा मैं हंसकर बोला अभी तुम छोटी हो इस को झेलना तुम्हारे बस की बात नहीं मेरे इतना कहते ही वह चद्दर हटाकर खड़ी हो गई और मैं उसे बिना पलकें झपकाए देखता रहा वह निर्वस्त्र थी उसकी छोटी-छोटी मौसमी जैसी गोल गोल गुलाबी चूचियों पर छोटे से गुलाबी निप्पल थे जो बड़े ही प्यारे लग रहे थे उसकी योनि पर सुनहरे रंग की झांटे उगी हुई थी और उसकी गुलाबी छोटी सी योनि एक अलग ही मजा दे रही थी मैंने आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया जैसे ही उसे अपने सीने से लगाया उसका पूरा शरीर कांप गया और वह भी मुझसे लिपट गई मैं उसे लेकर बेड पर आ गया उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी कमसिन जवानी को सहलाने लगा उसके जिस्म का हर एक उभार एक अजीब ही नशा लिए हुए था जैसे-जैसे मैं उसकी जवानी को सहला रहा था उसके मुंह से सिसकारियां और ज्यादा निकल रही थी वह उत्तेजना से भर चुकी थी जैसे ही मैंने उसके निप्पल को मुंह में लेकर चूसना शुरू किया उसकी तो मानो चीख ही निकल गई सिसकारियां भरते हुए मुझे अपने सीने से लगा रही थी और मुझे बार-बार चूमने लगी थोड़ी देर तक उसकी चूचियों को चूसने के बाद मैंने नीचे सरक कर अपने होंठ उसकी योनि पर रख दिए वह तो एकदम उछल पड़ी उसके लिए यह एहसास एकदम नया था और जैसे ही मैंने हाथ से उसके योनि अधरों को फैला कर अपनी जीभ का स्पर्श कराया वह तुरंत ही संखलित हो गई यह उसका पहला अनुभव था मुझे उसकी योनि को चाटने में एक अलग ही स्वाद आ रहा था मैंने आधे घंटे तक उसकी योनि को चांटा जी भर कर चाटने के बाद जैसे ही मैं खड़ा हुआ उसने तुरंत मेरा लौड़ा पकड़ कर अपने मुंह में लगा लिया और उसे अंदर लेने का प्रयास करने लगी जब काफी कोशिशों के बाद भी उसे कामयाबी नहीं मिली तो उसने मेरी तरफ देखा मैंने मुस्कुराकर उसे आंख मारी और उसका सिर पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे मेरा लौड़ा उसके मुंह को फैलाता हुआ अंदर प्रवेश कर गया अब वह और भी ज्यादा परेशान हो गई क्योंकि मेरे लोड़े में उसके मुंह को भर दिया था उसको सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी उसकी आंखों से आंसू बहने लगे तो मैंने तुरंत अपना लोड़ा बाहर खींच लिया वह गहरी सांस लेते हुए हांफ रही थी थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद उसने मेरे लोड़े को सहलाना शुरू किया और अपने होठों को रगड़ने लगी कभी अपनी जीभ से चाटती तो कभी होठों को रगड़ती थी अब मुझे भी बेचैनी होने लगी थी मैं भी जल्दी से मंजिल पर पहुंचना चाहता था जब काफी कोशिशों के बाद भी मंजिल हासिल नहीं हुई तो मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर अपना लोड़ा की योनि पर रगड़ने लगा थोड़ी देर बाद मुझे मंजिल करीब नजर आने लगी मगर तभी ज्योति ने कहा मुझे दर्द हो रहा है अब बस करो मैं उसके ऊपर से उतर कर बगल में लेट गया उसने उठकर मेरे लोड़े को सहलाना और चूमना शुरू कर दिया बीच-बीच में वह उसे अपने मुंह में लेकर चूस रही थी तभी अचानक मेरी नसों में करंट सा दौड़ गया और मैं दोनों हाथों से उसके सिर को पकड़कर अपना लोड़ा उसके मुंह में घुसा दिया मैं झटके लेता हूआ उसके मुंह में संखलित हो गया वह बड़े मजे से मेरे वीर्य को पीने लगी और मेरे लोड़े को चाट चाट कर मजे लेने लगी थोड़ी देर बाद वो अपने कमरे में चली गई और मैं भी लेट कर सिगरेट पीता हुआ नींद के आगोश में चला गया