गु यूशेंग इतना निर्मम हो गया था कि किन जहीए लगातार कुछ दिनों तक बिस्तर से नहीं उठ सकी। यह उसके लिए सौभाग्य की बात थी कि लियांग डौको का कोई आने वाला समय में कार्यक्रम नहीं था, तो किन जहीए को कही जाना नहीं था।
वो घर पर रहकर आराम कर सकती थी। जब तक किन उस रात की दहशत से बाहर आती, एक हफ्ता बीत चुका था।
और उस सप्ताह के दौरान, गु यूशेंग पहले की तरह घर वापस नहीं आया था।
केवल गु यूशेंग खुद और गु हवेली के लोग उसके घर का फोन नंबर को जानते थे।
जब से किन जहीए ने उसके घर में रहना शुरू किया था, तब से गु यूशेंग ने उस घर को ऐसा समझा था ऐसे वो कभी असल में घर है ही नहीं और कभी नहीं बुलाया था।
इसलिए फोन एक सजावट से ज्यादा कुछ नहीं था, जब तक की गु मैन्शन से फोन नहीं आता।
उस दोपहर, जब फोन बजा तो घर का नौकर रसोई में फ्रूट टी की तैयारी कर रहा था। जबकि किन जहीए, जो लिविंग रूम में सोफे पर बैठकर टीवी देख रही थी, ने बिना प्रदर्शित हुए नंबर को देखे फोन को उठाया, उसे लगा कि गु मैन्शन से कॉल आया होगा।
हैंडसेट उसके कानो तक पहुंचने से पहले ही उसमें से संक्षिप्त आदेश सुनाई दिया, "उसे तैयार करो और मैं आज शाम छह बजे उसे लेने आऊंगा।"
ये गु यूशेंग की आवाज थी ...
किन जहीए के हिलते हुए हाथ अचानक रूक गए। गु यूशेंग ने शायद सोचा था कि नौकर ने फोन उठाया था और जिसका जिक्र गु ने किया था वो किन के लिए था।
इससे पहले कि किन जहीए खुद कोई जवाब देती या हैंडसेट को रसोई में जाकर नौकर को जवाब देने देती, गु यूशेंग को ये अहसास हुआ कि फोन के दूसरी ओर कुछ गड़बड़ है, तो उसने फिर से कहा, इस बार उसकी आवाज थोड़ी सख्त थी, "फोन उठाने वाला कौन है ?"
हालांकि, गु यूशेंग ने उसे जवाब देने का मौका नहीं दिया। "ये दादाजी का आदेश हैं। आज रात, तुमको बीजिंग होटल में चैरिटी पार्टी में चलना है!"
उसने अपनी बात कहते हुए जानबूझ कर "दादाजी" शब्द पर जोर दिया। हालांकि,उसने उसे सिर्फ पार्टी में चलने के लिए बताने के अलावा और कुछ नहीं कहा, लेकिन किन जहीए उसकी बातों का मतलब समझ सकती थी।
उसने सोचा था कि गु यूशेंग किन को पार्टी में ले जाए इसके लिए दादाजी का इस्तेमाल किया है...
मानो जैसे उसका अनुमान सच हो गया हो, गु यूशेंग ने फिर से बात की, "तुम्हारी हरकतें एकदम समय पर होती है। मैं बस व्यापार यात्रा से लौट ही था जब दादाजी का फोन आया ... हा ..."
गु यूशेंग थोड़ा सा प्यार से मुस्कराया, लेकिन फोन के पार भी, किन जहीए को उसका द्वारा किया जा रहा अपमान महसूस हो रहा था।
फिर उसने जल्दी से फोन रख दिया।
कोई आश्चर्य नहीं कि ये हफ्ता इतना शांतिपूर्ण गुजरा था, क्योंकि गु यूशेंग व्यापर यात्रा पर गया हुआ था इसलिए गु मैन्शन से कोई भी फोन नहीं आया था।
...
अब, जैसे ही वह वापस आया, दादाजी ने मौका पकड़ लिया था और उन दोनों को एक साथ करने की कोशिश की।
किन जहीए जानती थी कि दादाजी उसके प्रति बहुत ही दयालु थे, लेकिन ... दादाजी की मेहरबानी के कारण ही उसे बार - बार कष्ट सहना पड़ता था।
एक हफ्ते पहले हुआ वो बुरा सपना किन को डर से कंपा देने के लिए काफी था और अगर वो और गु यूशेंग सच में उस रात मिलने वाले थे तो कौन जानता था कि वह उसे दुख देने के लिए क्या करेगा।
पहले दो बार जो हुआ वो उम्मीद से बहुत अलग था और किन उससे बच नहीं सकती थी, लेकिन इस बार अलग बात थी ... अगर वह जानती होती कि वह दुखी होगी, तो वह खुद को उस तरह की स्थिति में आने नहीं देती।
किन जहीए ने शांति से मामले पर विचार किया। जब उसने थोड़ी देर के लिए खिड़की के बाहर उज्जवल दोपहर की धूप को देखा, तो शब्द "व्यापार यात्रा" उसके दिमाग में आया और उसके मन में एक सुझाव आया। उसने जल्दी से हैंडेसट उठाया और नंबर मिलाया।