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Bab 27: दान

Editor: Providentia Translations

परिस्थिति को देखते हुए, तेंजिन खुद भी जिंगे को कुछ पैसे देना चाहती।

यह सोच कि वह जिंगे को भीख मांगते देख पाएगी, उसने उसे अस्पताल के रास्ते में जोश से भर दिया।

अस्पताल पहुंचने में अधिक समय नहीं लगा। अपने संपर्कों का उपयोग करके, मुबाई ने फ़ौरन पता लगा लिया कि चेंगवू किस कमरे में था।

जब वो जिंगे से मिलने के लिये तेज़ी से गए, तब चेंगवू की सर्जरी की तैयारी चल रही थी । 

उसका शरीर पर डिसइंफेक्टेंट स्प्रे किया गया था, और दुर्गंध पूरे कमरे में फैल गई थी । 

जिंगे को वो दुर्गंध बर्दाश्त नहीं हो रही थी,इसलिये वह कमरे से निकलकर कॉरिडर में बैठ गई । 

उसने सफल ऑपरेशन के लिये प्रार्थना करने की मुद्रा में अपने दोनो हाथों को जोड़ा ।

 डॉक्टर ने पूरे विश्वास के साथ 80 प्रतिशत के दर से सफल ऑपरेशन होने का वादा किया था । 

 "दीदी , तुम कैसे करती हो"? चिंतित शिया ची पूछ्ने के लिये उसके पीछे चल पड़ा था । 

जिंगे कुछ घंटों के लिये झपकी ली; ची को डर था कि उसने पर्याप्त आराम नहीं किया था । 

जिंगे ने सर हिलाया और बोली , "मैं ठीक हूं, जाओ चाचा के साथ रहो" । 

 " चलो ठीक है , पिताजी वापस सो गये"। शिया ची को कदमों की आहट की आवाज सुनायी दी । वह उसकी ओर मुड़ा और मुबाइ के लोगों को देखा । उसके चेहरे के हाव भाव गंभीर हो गये । 

जब जिंगे ने शी मुबाइ को देखा , वह पहली ही नजर में उन लोगों के आने की मंशा समझ गई थी । 

उसके बाद , उसका ध्यान चू तेंजिन पर गया, जो उसके पीछे चल रही थी । 

जिंगे को एक पल के लिये कुछ समझ नहीं आया। 

हालांकि , उसने तुरंत खुद को संभाला । वो पूरा समय विस्मयकारक हाव भाव बना रखी थी । 

वे दोनो सामने वालों को ऊपर से नीचे देख रहे थे , मुबाइ का ग्रुप भी यही कर रहा था ।

तेंजिन, विशेषकर जिंगे को देख रही थी , वह उसकी कोई भी हाव भाव चाहे वो छोटी ही क्यों ना हो, अपनी नजरो से बचाना नहीं चाहती थी । 

उसको आश्चर्य और निराशा थी कि, जिंगे अभी भी एक मूर्ति की तरह खड़ी थी। 

जिंगे ने उनको ऐसे देखा जैसे कि वह अजनबी हो । 

पिछले बार की सारे अभीव्यक्ति आत्म घृणा , शर्मिंदगी, परहेज कुछ भी उसके चेहरे पर नहीं दिख रहे थे । 

उसकी आंखो में कोई भाव नहीं थे ,जैसे कि पिछली बार था क्योंकि उनको उसका दिमाग पढ़ नहीं पा रहा था । 

सिर्फ़ तेंजिन ने ही इस बदलाव को महसुस नहीं किया, बल्कि मुबाइ ने भी। 

वह उसके सामने रुक गया और कर्कश आवाज में पूछा, " मैंने सुना है कि तुम्हारे चाचा बीमार है" । 

तीन सालों के बाद उनके हुए तलाक के बाद यह उनकी पहली मुठभेड़ थी, अगर पिछली पिछली बार को छोड़ दें, जिसमें शायद की कोई शब्द बोला गया था।

जिंगे को देख कर लग रहा था कि वो कोई जवाब नहीं देने वाली थी । वो उन्हे स्थिरता से देख रही थी , जैसे कि वह काफी आराम से हो । 

चांग अन समझाने के लिये आगे बढ़ा , " मिस शिया , फिर से मिलकर अच्छा लगा । सीइओ शी को तुम्हारे पड़ोसी से खबर मिला कि मि. शिया चेंगवू बिमार पड़ गये हैं,इसलिये हम उन्हे देखने आये थे । 

शिया ची ने व्यंग्य के साथ जवाब दिया , " हमारे परिवार कब एक दूसरे के इतने करीब आए ? मेरी बहन काफी समय से आपके बॉस के साथ कोई लेना-देना नहीं है , ना ही शिया के बाकि परिवार वालो को । इसलिये मिस्टर शी, आप वापस चले जायें । मेरे पिताजी अजनबियों से मिला नहीं करते"।

शिया ची के अपमानजनक शब्द से तेंजिन गुस्सा गयी । चुंकि मुबाइ को देख ऐसा लग रहा था कि वो कुछ भी बोलने वाला नहीं , उसे यह महसूस हुआ कि उसे इस जगह उनकी ढाल बनना चहिये । 

वो जिंगे को देखकर खुश नहीं थी । "जिंगे , कुछ भी हो , तुम अभी भी लिन लिन की मां हो , हमलोग तुमसे नाता नहीं तोड़ सकते । लिन लिन के लिये , हम तुम्हारी मदद करना चाहते हैं , क्योंकि हमलोगो को चिंता थी कि तुम्हारे चाचा के मेडिकल बिल के लिये तुम्हें पैसो की जरुरत पड़ सकती थी । इसलिये मैं और मुबाइ यहां आए हैं"। 


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