शिया ची हक्का बक्का रह गया ।
उसे इस बात की कल्पना नहीं थी की जिंगे प्रोग्रामिंग में इतनी कुशल होगी….
उसे यह पुछ्ने की इच्छा हुई कि अचानक उसने यह कुशलता कहां से पाई, लेकिन जिंगे के काम पर पूरा ध्यान होने के कारण वह रुक गया । वह उसका ध्यान भंग नही करना चाहता था ।
वह चुपचाप बिस्तर के पास खड़े होकर उसे काम करते हुये देखता रहा। उसके लिए शांत रह पाना मुश्किल था …
45 मिनट !
जिंगे ने प्रोग्रामिंग खत्म करने के लिए एक घण्टे से भी कम समय लिया ।
उसने अपने हाथो को मरोड़ा , लंबी सांस ली और पीछे मुड़कर शिया ची को हतप्रभ पाया ।
जिंगे ने उसे लैपटॉप दे दिया। " मुझे लगता है कि काम पूरा हो गया है । एक बार मौका दे और देखे इसमे कोई गलती है । अगर यह काम का है, तो यह अपने सीनियर को भेजो और पैसे की बात कर लो"।
"हूं ? ओ…ओके … " शिया ची ने अपना लैपटॉप चुपचाप ले लिया और दोनो आंखो से उसे घूरने लगा।वह स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा था ।
जिंगे इतनी परेशान थी कि उसके अजीब व्यवहार पर ध्यान न दे पाई ।
उसकी आंखे स्क्रीन की चकाचौंध के लगातार संपर्क से थक गई थीं और उसे और भी सरदर्द हो रही थी….
जिंगे वापस अपने बिस्तर पर गिरी, अपनी आंखें बंद कीं , और… सो गई !
शिया ची अपनी बहन को अचानक जागने से बचाने के लिये अपने आत्म अनुशासन को कसौटी पर तौल रहा था ।
दीदी, क्या तुम बताओगी कि सपने में जाने से पहले तुम्हें क्या हो रहा था ! तुमने इतनी अच्छी प्रोग्रामिंग कुशलता कहां से हासिल की‽
मन में कई सवाल होते हुए भी,उसकी नींद में खलल डालने की ची की हिम्मत नहीं हुई ।
वह यही कर सकता था कि अपनी जिज्ञासा को शांत रखे और धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करे ।
जिंगे को जागने के लिए दो घंटे लगे, और यह शिया ची के लिए मुश्किलों से भरी घड़ी थी ।
जैसे ही वह अपनी आंखे खोलीं , उसने खुद को शिया ची की कौतहूल भरी , टकटकी लगा रही आंखो के निशाने पर पाया ।
आश्चर्यचकित जिंगे ने पूछा , " तुम क्या देख रहे हो?"
शिया ची ने जवाब दिया, " बहन क्या तुम कुछ खाना चाहती हो? मैं तुम्हारे लिए ले आता हूं।
"आम ?" जिंगे भौंहें उचकाकर बोली ।
"हां, ये तुम्हारा पसंदीदा फल है न? खाओगी?" शिया ची ने उत्साहपूर्वक कहा ।
जिंगे ने अपनी शरीर के ऊपरी भाग को पलंग के फ्रेम का सहारा लेकर सीधा किया और शिया ची को विस्मयपूर्वक देखने लगी ।
शिया ची फिर से उसे व्याकुलता से देखते हुए उत्तर की प्रतीक्षा करने लगा।
जिंगे ने अपनी नजरें सकराईं" शिया ची तुम करना क्या चाहते हो ? तुम्हे पता है मुझे आम से एलर्जी है"।
शिया ची ऑंखों में आंसू भरकर उसके हाथ पकड़ने के लिए आगे की ओर झुका । "तो, ये तुम थी दीदी ! क्या तुम्हे याद है जब मैं पांच साल का था तो तुमने मुझे डूबने से बचाया था ?"
"नशे में हो क्या ? जब तुम पांच साल के थे हम एक दूसरे को जानते भी नही थे ।"
"बहन , वो तुम हो !" शिया ची खुशी से उछल पड़ा ।" "मुझे लगा तुम मर चुकी हो और एक नई चेतना तुम्हारे शरीर में आ गई है, जैसे कि सामन्य पुनर्जन्म के उपन्यासों में चित्रित किया जाता है । तुम सोच भी नही सकती हो दो घंटे से मैं कितना परेशान था"।
जिंगे ने उसे कौतूहल से देखा, " यह तुम क्या कह रहे हो ?"
" तुम जानती हो , तुम्हारी आत्मा मर चुकी है और तुम्हारा शरीर किसी दूसरे व्यक्ति की आत्मा की अधीन है … इस तरह का कुछ ।
" तुम्हें लगता है कि अब मैं वह शिया जिंगे नहीं हूं? "
शिया चिंगे ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया । " इसमें मेरा क्या कसूर है? तुम अचानक से कार दुर्घटना के बाद इतनी अच्छी प्रोग्रामिंग कैसे सीख ली। तुम्हे नहीं लगता यह ऐसे ही उपन्यासों की कहानी जैसा है ? मैं काफी डर गया था कि तुम कोई ओर बन गई हो ।शुक्र है कि तुम वही हो"।
चिंगे की बोलती बंद हो गई ।
फिर भी, उसने शिया ची को ऐसा सोचने के लिये उसे दोष नहीं दे पाई, उसने कभी उसे अपनी प्रोग्रामिंग की प्रतिभा दर्शाई ही नहीं थी।