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0.56% माय यूथ बिगेन विद हिम / Chapter 1: पुनर्मिलन
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माय यूथ बिगेन विद हिम

Penulis: Baby Piggie

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Bab 1: पुनर्मिलन

Editor: Providentia Translations

केम्पिंस्की होटल के मुख्य द्वार पर एक लाल टैक्सी आकर रुकी, और उसमे से एक बीस वर्षीय लड़की बाहर निकली। उसने साधारण सी सफेद सूती ड्रेस पहनी हुई थी, और उसके बाल लम्बे और हलके से घुंगराले थे। दिखने में तो वो एक सामान्य लड़की थी, लेकिन फिर भी किसी भी मापदंड पर खरा उतरने में सक्षम थी । चेहरे पर हल्का मेकअप, दाहिने हाँथ में एक सफ़ेद हैंडबैग और पैरों में काले रंग की हील्स पहने वो किसी शांत और एकांत प्रदेश की राजकुमारी सी प्रतीत हो रही थी।

बहुत सी लड़कियां दिखने में सुंदर नहीं होती है पर उनके चेहरे की बनावट, और उनका स्वभाव उन्हें औरों से अलग बना देता है, हुओ मियां उन्हीं में से एक थी । वह बहुत खूबसूरत तो नहीं थी, लेकिन उसके चेहरे की बनावट आकर्षक और स्वभाव दिल पे छाप छोड़ने वाला था।

"अरे! हुओ मियां, तुम यहाँ? जल्दी चलो, सब दूसरी मंज़िल पर पेओनी के कमरे में इंतज़ार कर रहे है। उन्हें जब तुम्हारे आने का पता चलेगा, वे सभी बहुत खुश होंगे!" दरवाज़े पर खड़े पुराने सहपाठियों ने मुस्कुराते हुए ऊपर की ओर इशारा किया। हुओ मियां ने भी सिर हिलाते हुए और हल्की सी मुस्कराहट के साथ दूसरी मंज़िल की ओर कदम बढ़ा दिए। एक अजीब सी बेचैनी उसे परेशान कर रही थी, यह एक ऐसा एहसास था जो लम्बे समय से उसने महसूस नहीं किया था।

सच कहा जाए, तो वह शायद ही कभी इन हाई-स्कूल के पुनर्मिलन में शामिल हुई होगी। ऐसा नहीं था कि हुओ मियां घमंडी थी, या वह इन लोगो के साथ उठना बैठना पसंद नहीं करती थी, बात केवल इतनी सी थी की, तीन वर्षों के हाई स्कूल के दौरान, एक व्यक्ति ने उसके दिल और दिमाग पर इतनी गहरी छाप छोड़ी की मियां उससे जुड़े हर एक इंसान से दूर रहना बेहतर समझती थी।

इस बार, वह केवल इसलिए यहाँ आई थी क्योंकि उसके हाई स्कूल की अध्यापिका ने व्यक्तिगत रूप से उसे बुलाया था | सुश्री याओ साठ साल से अधिक की थी और उन्हें बहुत समय पहले ही सेवानिवृत्त किया जा चुका था। हुओ मियां ने सुना था, की सुश्री याओ अपनी बेटी के साथ न्यूजीलैंड चली गई है, लेकिन अब, न केवल वह अचानक देश लौट आई हैं, बल्कि उन्होंने ही इस पुनर्मिलन का आयोजन भी किया हैं। हुओ मियां के पास वास्तव में मना करने का कोई कारण नहीं था। हलाकि वह कभी भी उस प्रकार की छात्रा नहीं थी जो अपनी शैक्षिक योग्यता के आधार पर अध्यापिका का ध्यान आकर्षित कर पाए, पर सुश्री याओ उसके पुराने दोस्तों जैसी ही थी।

इसके अलावा, वह व्यक्ति सात साल से लापता है, कोई वजह भी नहीं की वो इस पुनर्मिलन मे आए, है ना? खुदको यही समझते हुए हुओ मियां अपनी बेचैनी को दबाने की कोशिश कर रही थी।

आखिरकार जब उसने दरवाज़े को धकेला, तो वहां पहले से ही बहुत से लोग मौजूद थे। दरवाज़ा खुलता देख, सभी दरवाज़े की ओर मुड़े और उन्होंने सहमी सी मुस्कराहट लिए मिया को अंदर आते देखा।

"कैसे हैं सब लोग? आप लोगों से लंबे समय के बाद मिलकर अच्छा लगा," उसने सहमी आवाज़ में कहा।

 "क्या आप मिस हुओ है, अगर हाँ तो यह चमत्कार हुआ कैसे?", उसकी एक महिला मित्र ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा।

हुओ मियां मुस्कुराई पर उसने जवाब नहीं दिया। तभी, कक्षा अध्यक्ष, हान जू उठे, और उन्होंने सबको वहां आने के लिए धन्यवाद दिया। वे हुओ मियां की तरफ बढ़े और और कहा, "हुओ मियां, तुम यहाँ बहुत समय बाद आई, सब तुम्हें बहुत याद करते हैं, और क्या कर रही हो आज कल?"

"ओह! मैं काफ़ी अच्छी हूँ, क्लास प्रेसिडेंट," हुओ मियां ने कमरे के चारों ओर नज़रें घुमाई। जब उसने होमरूम अध्यापिका को नहीं देखा, तो वह खुद को पूछने से रोक नहीं पाई, " सुश्री याओ कहाँ है?"

"अरे, सुश्री याओ ने फोन किया था, वे ट्रैफ़िक में फँस गई है। जल्द ही आ जाएँगी। चलो, पहले बैठ जाओ।"

हुओ मियां ने सिर हिलाया, और एक शांत कोना पकड़ कर बैठ गयी| और अपने सहपाठियों की बातें सुनने लगी।

हाई स्कूल से पढ़ाई किए उन्हें कई साल हो चुके थे, और अब हर कोई बदला सा दिखाई दे रहा था। कुछ बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम कर रहे थे, तो कुछ सरकार के लिए, और कुछ ऐसे भी थे जो विदेश में जा कर आगे की पढ़ाई कर रहे थे। कुल मिलाकर अगर कहा जाए तो इन सबकी तुलना में वो जो कभी 130 के आईक्यू के साथ एक होशियार लड़की मानी जाती थी, अब एक दम साधारण दिख रही थी।

हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उसने राजधानी कॉलेजों को खारिज कर एक स्थानीय मेडिकल अकेडमी में नर्सिंग स्कूल में आवेदन करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। पढ़ाई पूरी होते ही, वह एक प्रांतीय अस्पताल में 3 साल के लिए एक नर्सिंग इंटर्न बन गई ।

अब वह साथ काम करने वाले इंटर्न के साथ सम्बन्ध में है। हालाँकि उस इंटर्न की पारिवारिक बैकग्राउंड काफी सामान्य थी , लेकिन आने वाला भविष्य उज्जवल था। हुओ मियां को अब अपनी ज़िंदगी से और कुछ नहीं चाहिए था। वह अब केवल शांति और सुरक्षा ही चाहती थी ना कि धन और भाग्य।

तभी, किसी ने अचानक उसकी पीठ पीछे से थपथपाई। हैरान होकर, हुओ मियां पलटी।


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