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Bab 76: भाभी, तुम भगवान हो!

Editor: Providentia Translations

लू टिंग ने फोन को प्रॉजेक्टर से निकाल लिया था इसलिए निंग क्षी क्या बोल रही थी, लू जींगली सुन नहीं पा रहा था पर वह अनुमान लगा सकता था की वह शायद बाहर जाने का पूछ रही थी|

अपने भाई का ऐसा ठंडा जवाब सुनकर लू जींगली का मन अंदर के अंदर रो रहा था, " निंग क्षी के खुद कॉल करने का भी कुछ असर होता क्यों नहीं दिख रहा है? क्या मैं असमय मर जाऊँ यह ही भगवान चाहता है?"

निंग क्षी की आवाज़ और ज्यादा मीठी होती जा रही थी| " मैं लिटिल ट्रेजर को अकेले ले कर नहीं जा सकती, अगर कुछ हो गया तो? और वह भी आपको हमारे साथ देख के खुश होगा| आ जाओ न| विनती है मेरी|"

लू टिंग तीन सेकंड के लिए चुप रहा फिर बोला " ठीक है, आता हूँ मैं।"

लू जींगली एक दम सन्न...यह क्या हो गया? उसे लगा जैसे स्वर्ग से उसके ऊपर फूल बरस रहे थे, उसके मुरझाए चेहरे पर रौनक आ गई|

"भाभी तुम भगवान हो|"

उसे लगा था कि भाई बहुत ही सख्त आदमी है पर भाई तो गुस्सा होने का नाटक कर रहा था|

फोन रखने के बाद लू टिंग ने कहा, " मीटिंग खत्म!"

सारे के सारे कर्मचारी भी आश्चर्य से एक दूसरे का मुँह देख रहे थे| बॉस ने इतनी आसानी से सब को जाने दिया|

लू जींगली खुद पर गर्व महसूस कर रहा था, "सभी लोगों को मुझे धन्यवाद देना चाहिए| मैंने ही निंग क्षी को फोन लगाया, तुम सब मेरी वजह से बचे हो आज|"

मीटिंग खत्म होने के बाद सारे कर्मचारी लू जींगली को घेरकर खड़े हो गए|

"छोटे मालिक, क्या हमने जो सुना वो सच था? किसी लड़की ने बॉस लू को कॉल किया था|"

"कौन थी वह? उसके एक कॉल पर बॉस मीटिंग छोड़कर चले गए।"

"मतलब बॉस की लाइफ में कोई लड़की है? किस खानदान की है? छोटे मालिक बताओ ना?"

"क्या जानना चाहते हो आप लोग? क्यों जानना चाहते हो? ताकि तुम लोग भी उसकी शरण में जा सको? नहीं...मेरी होने वाली भाभी की शरण में, मैं सिर्फ जा सकता हूँ , ओर कोई नहीं|" लू जींगली ने बोला|

हर कोई अब इस होने वाली भाभी के बारे में जानने को उत्सुक था|

 इधर स्टूडियो में, फोन रखने के बाद निंग क्षी कुछ हल्का महसूस कर रही थी|

चलो सब ठीक हुआ .....

इसके आगे अब और कोई समस्या नहीं चाहिए|

इस प्रकरण का उससे कुछ भी लेने देना नहीं था, पर उसने बस यूँ ही मदद कर दी थी|

वो निकलने ही वाली थी कि उसका फोन फिर बजा| लू जींगली ने फिर से कॉल किया था|

"अब क्या हुआ छोटे मालिक? सब ठीक है ना?" निंग क्षी ने पूछा|

"हाँ, हाँ सब ठीक है अब, तुमने जो प्यार का जाल बिछाया था उसमें भाई पूरी तरीके से फँस गया| सब ठीक हो गया|

"क्या प्यार का जाल?" इसे शेर का ध्यान भटकाकर उसे उसकी माँद से निकालना कहते है|" निंग क्षी ने झल्लाकर कहा|

"ठीक है! ठीक है! समझ गया ! अब मैं रखता हूँ, जब भी कभी तुम बोलोगी तुम्हें खाने पर ले जाऊंगा मैं इस एहसान के बदले, वादा रहा मेरा|"

फोन रखने के बाद भी निंग क्षी दो मिनट तक फोन को देखती रही," इस आदमी को कुछ समझ आता है या नहीं?"

"निंग क्षी यहाँ क्यों छुपी हुई हो? चलो खाना खाते हैं|" उसने जियांग मुए को आते हुए नहीं देखा था|

निंग क्षी ने घबरा कर आस पास देखा कि कही कोई उन दोनों को देख तो नहीं रहा था| निश्चिंत हो जाने पर उसने जियांग मुए से कहा, " आज रात मुझे कुछ काम है, मैं नहीं आ पाऊँगी| तुम लोग जाओ खाने पर|"

"क्या?" जियांग मुए ने पूछा| " मेरे स्वागत के लिए यह पार्टी दी जा रही है, तुम इस फिल्म मेरी हीरोइन हो और तुम ही नहीं आ रही हो?"

निंग क्षी ने चिंता के स्वर में कहा, " हाँ मैं सब समझती हूँ पर आज रात मुझे बहुत ज़रूरी काम है| मैं सही में नहीं आ पाऊँगी| हम कभी किसी और दिन चलेंगे| ठीक है?"

"क्या ठीक है?" जियांग चिढ़कर बोला| "ऐसा कौन सा इतना महत्व का काम है तुम्हें आज रात किस से मिलने जा रही हो?"

निंग क्षी ने भी अब ज़िद्दी अंदाज़ में कहा, " मैं किसी से भी मिलूँ इससे तुम्हें क्या?"

यह सुन कर जियांग मुए को और भी ज्यादा गुस्सा गया " तुम लू टिंग को मिलने जा रही हो ना?" बोलो?


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