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0.82% वेलेरियन एम्पायर / Chapter 1: रात- भाग 1
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वेलेरियन एम्पायर

Penulis: ash_knight17

© WebNovel

Bab 1: रात- भाग 1

Editor: Providentia Translations

वर्ष1834

गोल सुनहरा चाँद बादलों को पार करते हुए प्रकाश बिखेरता जा रहा था।उन बादलों में से कुछ चंद्रमा को छिपाने की कोशिश कर रहे थे किन्तु हवा उन्हें उड़ा ले गई।

यह रात भी, गाँव में रहने वालों के लिए किसी अन्य रात की तरह थी।उनका गाँव, एक नदी के किनारे, वेलेरिया, पश्चिम साम्राज्य और मायथवेल्ड, दक्षिण साम्राज्य के बीच था।प्रत्येक साम्राज्य के अपने गाँव और कस्बे होते थे, हालाँकि, यह तय किया जाना बाकी था कि यह विशिष्ट भूमि किस साम्राज्य की होगी।

उनके छोटे घरों के आसपास लैंप और लालटेन जलाए गए थे, क्यूंकि वे जिस जंगल से घिरे थे वहां शाम ढलने के बाद अंधेरा हो गया था।उस गाँव के एक घर में एकछह साल की छोटी लड़की अपने माता-पिता के साथ रहती थी। हाल ही में उसके पिता ने उसे एक खरगोश का बच्चा लाकर दिया था, जिसके पालन पोषण में वह बच्ची लगी रहती थी।उसने अक्सर जंगल में छोटे छोटे खरगोश उछलते देखे थे किन्तु उन्हें इतना करीब से पालने का अवसर नहीं मिला था।वह उस खरगोश को सहला रही थी जब उसने अपनी माँ को खुद को पुकारते सुना।

"केटी!"उसकी माँ ने उसे घबराहट भरी आवाज में पुकारा।

छोटी लड़की अपनी जगह से उठ खड़ी हुई। उसनेखरगोश को अपनी गोद में उठाया और अपने छोटे से कमरे से बाहर निकल अपनी माँ से मिलने चल पड़ी।उसकी माँ दरवाजे के पीछे से देख रही थी और बहुत डरी दिख रही थी।

"मेरी गुड़िया," उसकी माँ ने कुछ झुककर लड़की की आँखों में आँखें डालते हुए कहा, "तुम यही अंदर रहो,दरवाजा बंद कर लो और इसे तब तक न खोलना जब तक कि तुम्हारे पापा या मैं, न आऊँ तुम्हे लेने के लिए"

"आपकहाँ जा रही हो? " उसने अपनी माँ को देखते हुए पूछा, मानो उसकी भूरी आँखें भी सवाल कर रही हो।

उसी क्षण, एक महिला के रोने की तीखी आवाज सुन,दोनोंमाँ,बेटीखिड़की की ओर देखने को मजबूर हो गयी।चिंतितमाँने अपनी बेटी का ध्यान आकर्षित करने के लिए उसका चेहरा दोनों हाथो से थाम लिया।

 

"केटी, मेरी प्यारी बच्ची," उसने अपनी छोटी सी बेटी के कान में धीरे से बोला, "याद रखना पापा और मम्मा आपको हमेशा प्यार करेंगे। अपना ध्यान रखना,मेरी गुड़िया"ऐसा कहते हुए उसकी आँखों में आंसूओं का सैलाब सा उतर आया और उसने अपनी बेटी के माथे को चूम लिया।

वह जानती थी कि उसके पास समझाने का समय नहीं हैऔर अगर वह समझाती भी तो क्या उस छोटी सी बच्ची को समझ आता? केटी बहुत ही कोमलता और प्यार से पाली गयी थी।वह उस उम्र में थी जब युवा कली एक सुंदर फूल बनकर खिलने को तैयार होती है,लेकिन नियति भी अटल होती है।वह नहीं जानती थी कि कुछ और, इससे ज्यादा खतरनाक, उनके सामने आना वाला था।किसी ने दरवाजे पर जोर से टक्कर मारी,जिससे वह इलाका महिलाओं और पुरुषों की चीख से भर गया।

"छिप जाओ!"महिला चीखी और छोटी लड़की बिस्तर के नीचे छिपने के लिए हाथ पाँव चलाने लगी ।

छोटी लड़की को पता था कि कुछ तो गलत हो रहा है और वह जानना चाहती है कि क्या चल रहा था लेकिन उसकी माँ ने उसे छिपने के लिए कहा था।घर के बाहर रोने और दरवाजे पर जोर से पीटने से वह डर गई और उसने जानवर को अपनी सीने में छिपा लिया।उसके बाद उसे कमरे के दरवाजे के टूटने की आवाज़ सुनाई दी, जिसके बाद एक सन्नाटा सा पसर गया। कैटी ने बाहर निकल कर, हॉल में झाँकने की कोशिश की, लेकिन अपनी माँ को एक व्यक्ति द्वारा पकड़ा हुआ देखकर उलझन में पड़ गई।उस आदमी के दाँत उसकी माँ के गले में धँसे हुए थे।उसके मुंह के कोने से खून की धार टपक रही थी ।

"माँ...?" उसने अपनी माँ को बुलाया जो बेजान लग रही थी।उसके चेहरे पर कोई मुस्कान नहीं थी औरआँखेंखाली-खाली दिख रही थी।उसकीमाँउससे बहुत दूर जा चुकी थी और अब पीछे रह गया था तो बस माँस का एक लोथड़ा।

उसकी आवाज सुनकर, वह आदमी जो अब तक उसकी माँ का खून पी रहा था, उसने दरवाजे पर खड़ी छोटी लड़की पर टकटकी गड़ा दी।अपने होठों को चाटते हुए, उसने उस महिला को अपनी बाहों में से जमीन पर पटक दिया और सामने खड़ी उस लडकी को पागलों जैसी मुस्कान के साथ घूरने लगा।सामने खड़े ताजा शिकार के बारे में सोचते हुए उसकी चमकदार लाल आँखें उत्साह के साथ और अधिक चमक उठी।

"एक छोटी लड़की एक पिशाच के लिए किसी उपहार जैसी है," उस आदमी ने उस बच्ची को दूसरे कमरे की ओर भागते देख कहा, लेकिन वह उससे भी तेज था, "एक छोटा सा असहाय मनुष्य,एकवैम्पायर की दया का पात्र!यह सबकुछ ना होता अगर तुम लोगों ने हमारी बात मानी होती ।अब मैं तुम्हारे स्वादिष्ट खून को पीने का आनन्द उठाऊंगा"

केटी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन वह धीरे-धीरे पीछे हट गई। उसके हाथ डर से कांप रहे थे। वह एक किनारे जाकर ठहर गयी, क्योंकि अब उसके पास भागने का कोई रास्ता नहीं था।जैसे ही उसके सामने खड़े व्यक्ति ने उस पर झपटने की कोशिश की उसने घबराकर अपनी आँखें बंद कर लीं। किन्तु कुछ हुआ नहीं, बस हवा में जैसे चुटकी की आवाज हुई और फिर जमीन पर कुछ धड़ाम से गिरने की आवाज सुनाई दी।उसने धीरे से आँखें खोलकर देखा तो वह आदमी जमीन पर पड़ा हुआ था।उसने टकटकी बांधे नजर उपर को उठाई, तो उसने गहरे लाल आँखों की एक जोड़ी को घूरते पाया पर यह आँखें जमीन पर पड़े आदमी से अलग थी।

दोनों एक-दूसरे को घूर रहे थे । एक डर के भाव से घूर रही थीतो दूसरा उसके हाथ में लिए जानवर को जिज्ञासा से देख रहा था।उस लम्बे आदमी ने कदम आगे बढ़ाये । उस खरगोश को सीने से लगाए छोटी लड़की धीरे से बोली,

"कृपया इसे मत मारो"।

 

 


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