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40% तू चाहिए / Chapter 2: आंखों से ओझल

Bab 2: आंखों से ओझल

आसिफ ये सोचने पर मजबूर हो जाता है " आखिर क्या है "उस बाला में, जिसकी वजह से जीनत इस हाल में पहुंच गई है और ये बाला जीनत तक किसने पहुचाई है?

इन सब सवालों से अभी पर्दा उठना बाकी था, "क्योंकि "जितनी बड़ी मुश्किल, "उतने ही गहरे राज,

आखिर क्या है ये बाला का राज?

दूसरी तरफ जीनत ने अपने कमरे की पूरे दीवार पर ये लिख कर भर दिया था की, " जिंदगी और मौत के बीच की जंग, आखिर "ऐसा क्या है मेरे संग?

हर तरफ दीवारों पर यही लिखा हुआ था, जब आसिफ कमरे के अंदर आया तो उसकी नजर दीवारों पर पड़ी।

हर तरफ एक ही लफ्ज़ गूंज रहे थे, "जिंदगी और मौत के बीच की जंग,, आखिर "ऐसा क्या है मेरे संग?

और जब आसिफ ने जीनत की तरफ देखा तो "वो उसे देख कर ऐसे हस रही थी जैसे वो कभी बीमार ही न हो।

ये देखकर आसिफ के भी चेहरे पर ख़ुशी छलक गई और वो जैसे ही आगे बढ़ा तो जीनत ने कहा,

" अगर इसकी तरफ कदम भी बढ़ाया तो तुम्हारी बीवी के लिए अच्छा नही होगा,, इसलिए "अपने बढ़ते हुए कदम को वहीं रोक लो"।

आसिफ ने चौक कर कहा, " क्या हुआ है तुम्हे? तुम ऐसा क्यों बोल रही हो?

जीनत ने आगे कहा, " hahahaha, बहुत प्यार करते हो ना इससे? "क्या तुमने कभी एक बार भी महसूस किया है की इंतजार करना केसा होता है?

आसिफ जीनत के पास बढ़ते बढ़ते रुक जाता है क्योंकि उसकी इस भयानक सी आवाज ने उसके कानो के पर्दों पर यूं असर डाला था जैसे किसी ने उसके कान के पास आकर जोर से चिल्लाया हो।

उसने अपने कानों पर हांथ रखते हुए जोर से कहा, " कौन हो तुम और क्या चाहती हो हमसे?

जीनत की आंखें लाल और उन आंखों में उबलते हुए लावे जैसा गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था, उसने आसिफ से कहा, " हैरत है मुझे तुम्हारे इस सवाल पर! क्या कहा है तुमने की "क्या चाहती हूं? "तुम्हारे इस सवाल ने मेरे दिल को और जला दिया है और अब मुझे जो चाहिए ना, मैं वो ले कर रहूंगी।

आसिफ ने चीख कर कहा, " क्या चाहिए तुम्हे?

जीनत के अंदर बसी एक जिद्दी आत्मा ने जवाब दिया, " वो तो "मैं तुम्हे वक्त आने पर ही बताऊंगी, "अभी के लिए "bye,

उस जिद्दी आत्मा की वो आंखें आसिफ से बहुत कुछ कहना चाहती थी, लेकिन आसिफ ने तो अपने कानो को यूं बंद किया हुआ था जैसे वो इस भयानक सी आवाज से खौफजदा हो गया हो।

फिर अचानक कुछ भारी चीज के गिरने की आवाज आई और कमरे में काफी सन्नाटा भी हो चुका था, आसिफ ने अपने कानो से अपने हांथ को आहिस्ता आहिस्ता हटाया तो सामने देखा की जीनत अपने बेड पर बेसुध होकर पड़ी है। आसिफ दौड़ कर जीनत के पास गया और उसे अच्छे से लेटा दिया।

वो अपनी आंखों पर हांथ रख कर रोने लगा, आज जीनत से बात किए आसिफ को पूरे 1महीने बीत चुके थे, वो जीनत की आवाज सुनने के लिए तड़प रहा था लेकिन अफसोस जीनत ने इन 1 महीनों में अपने जुबान से एक शब्द भी नहीं कहा था।

पता नही आसिफ और जीनत की जिंदगी में अब और क्या होना बाकी था, लेकिन इस हादसे ने एक बड़ी जंग को दावत दे दी थी और वो जंग "जिंदगी और मौत के बीच की थी, इस जंग में किसी एक का हारना कन्फर्म था क्योंकि ये जंग कोई आम जंग नही थी।

आसिफ परेशान होकर उस आमिल के पास गया और वहां जाकर उसने आमिल से पूछा, " क्या करूं मैं बाबा? मैं बहुत ही परेशान हूं, केसे निकालूं इस मसले का हल ।

आमिल ने आसिफ से कहा, " अभी तुम्हारी बीवी की हालत कैसी है?

आसिफ ने परेशान होकर आमिल से कहा, " कैसी होगी बाबा, उसने तो एक महीने से मुझसे बात ही नही की है, मैं तड़प रहा हूं उसकी आवाज सुनने के लिए, प्लीज आप कुछ करियेना।

आसिफ ने आमिल से कहा, " हां, मेरे यहां आने से पहले जीनत पर किसी का हावी होना और तो और उसने मुझसे कुछ कहा भी है ,

आमिल ने आसिफ से पूछा, " क्या ?

आसिफ ने आमिल से कहा, "वो हमसे कुछ लेना चाहती है लेकिन पता नहीं क्या? उसने ये भी कहा है की "वो जो चाहती है "वो लेकर ही रहेगी और जब मेने उससे पूछा तो उसने कहा, " वक्त आने पर ही बताएगी,,

आमिल ने बहुत सोचते हुए आसिफ से कुछ सवालात किए,

"क्या तुम्हारा या तुम्हारी बीवी का किसी के साथ कोई दुश्मनी थी या कोई ऐसा रिश्ता जिससे तुम्हारा कोई नुकसान हुआ हो कभी?

आसिफ ने बहुत सोचने के बाद आमिल से एक बहुत चौकाने वाली बात कही आखिर वो क्या बात थी जिसे कहने से आसिफ के चेहरे पर पसीने की बूंद टपकने लगे

और उसने सहमी सी आवाज में आमिल से कहा,  " मुझे एक बात का आज भी बहुत अफसोस है की मेने अपनी जिंदगी में किसी की जिंदगी को नही बचा पाया शायद उसी का बदला मुझे आज मिल रहा है।

आखिर आसिफ ऐसे कौनसे बदले की बात कर रहा था, ऐसा कोनसा राज था? जिसका अफसोस आजतक आसिफ को था।

कुछ सालो पहले आसिफ को प्यार जैसे शब्द से नफरत हो गई थी।

इंसान चाहे जितना भी सीधा क्यों न हो।

एक न एक दिन उसे भी इस गली से गुजर कर जाना ही होता है।

क्योंकि जवानी होती ही है बहकने के लिए।

आसिफ ने अपनी स्कूल लाइफ में खुदको संभाल लिया था।

लेकिन जैसे ही उसने law college में दाखिला लिया तो वो भी वक्त के साथ साथ फिसल गया।

और उस भयंकर और खौफ की शुरुआत हुई वही से।

जिसे आसिफ भी होने से नही रोक पाया।

हमने हर जगह रैगिंग होते हुए तो नही देखा है लेकिन रैगिंग का नाम तो सुना ही है।

जो सीनियर स्टूडेंट्स होते है वो अपने जूनियर के साथ और नए स्टूडेंट्स के साथ रैगिंग करते है मतलब उसे अलग अलग तरह की अपनी बातें मनवा कर परेशान करते है।

कुछ लोग अपनी आवाज उठाते है तो कुछ लोग नही उठा पाते है।


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