Unduh Aplikasi
100% जिंदगी 1 / Chapter 7: बीते लम्हे 7

Bab 7: बीते लम्हे 7

हम बाहर आये , किसी तरह मैने उसे संभाल रखा था । वो बिल्कुल भी होश मे नही थी ,ऐसा लग रहा था उसने अपने सारे गम भुला दिये है ,और अपने बीते हुए कल को पीछे छोर मेरे बहो मे सिम्टी हुई है ।मैने औटॉ को रुकने का इशारा किया ।और हम उसमे बैठ ग्ये किसी तरह मैने उसे संभाल के अंदर बैठाया ।और उसके सिर को अपने कन्धे का सहारा दे दिया।वो भी सब कुछ भुल कर आराम से सो गयी ।कुछ देर बाद हम अपने कमरे पे पहुचने वाले थे ,मैने बहुत कोसिस की उसे होश मे लाने की लेकिन मेरी हरेक कोसिस असफल हुई।उसने अपने दोनो हाथो से मेरे कन्धे को पकर रखा था।जैसे वो मेरे सिने से लिपट कर अपने आप को सब से ज्यादा सुरछित महसुश कर रही थी।मैने भी उसे ज्यादा परेशान कर ना सही नही समझा , और मैने ये फैसला किया की आज रात वो मेरे साथ ही रहे गी ।शायद इसमे उसे कोई आपत्ति हो सकती थी ,अगर उसे अपने आप पे कुछ काबू होता ।लेकिन उसने अपने आप को मेरे हवाले छोर दिया था।मुझे इस बात का इहसास भी था ,कि इस तरह पूरी रात उसे अपने साथ रखना सही नही है,लेकिन मै क्या कर ता ।कहाँ लेकर जाता मै उसे ,कैसे छोर देता मै अकेले उसे इत्नी रात को भटकने के लिये।मै भूल गया था सब कुछ जब मेरी नजर उसके प्यारी सी मासूम चेहरे पर परी तो।औटॉ रकी मै अपने कमरे के आगे था ।अन्तिम बार मैने फिर से सोचने का फैसला किया की क्या इस तरह से उसे पूरी रात अपने साथ रखना क्या सही होगा,वो भी बिना इजाजत के,कही उसे बुरा ना लगे ।फिर भी इन सारी बातो को छोर मैं उसे अपने साथ ले जाने के लिये तैयार हो गया ।अपने कन्धे का सहारा देकर मैने उसे अपने कमरे तक पहुचाया ।रात के लगभग ग्यारह बज रहे थे ।सब लोग दिन भर के थके हुए अपने अपने घरों मे आराम कर रहे थे ।धिरे से मैने अपने कमरे का दरवाजा खोला और उसे अपने कमरे मे ले गया ।उसे कुछ भी पता नही था की वो कहाँ हैं ।और मुझे इस बात की कोई खबर नही थी की मै क्या कर रहा हू ? मैने उसे अपने बेड पर लिटाया ,और मै वही बगल मे परे सोफे पर बैठ गया ।कुछ देर मै वही ऐसे ही सोफे पर बैठा रहा, फिर मै उठा और कुछ खाने के लिये बनाया।रात ज्यादा हो रही थी ,तो मैने नूडल्स बनाया,दो प्लेट मे रखा ।और फिर मैने तनिशा को जगाने की कोशिश की । लेकिन कोई फायदा नही हुआ ।काफी देर बाद जा के वो थोरा खाने को राजी हुई ।मै खाने की प्लेट ले कर आया ।उसे जगाया वो फिर से मेरे कंधे का सहारा ले कर झुक गयी,मैने देखा वो खाने की इस्थिती मे नही थी ।तो मैने उसे खुद खिलाया,फिर मैने उसे बेड पर ही लिटा दिया । फिर मै खुद वही सोफे पर बैठ के खा रहा था और मै सोच रहा था की कैसे इसके बेहोसिपन को थोरा कम किया जाए।इस से पहले मैने कभी ड्रिंक की नही थी तो मुझे इसके बारे मे कोई आइडिया नही था।मैने बैठे बैठे ही उसे ऑनलाइन सर्च किया ।फिर मै गिलास मे थोरा पानी और उसमे नीबू मिला कर उसे पिने को दे दिया और मै सोने की तैयारी कर ने लगा।मैने अपना बेड वही सोफे पर लगा लिया और उस तनिशा वही बेड पर सो रही थी ।मै अपने कपरे बदल कर वही सोफे पर लेट गया ।लेटे लेटे मेरी नजर वही सो रही तनिशा के चेहरे पर परी ,कितनी खुबसूरत लग रही थी वो ।इतना मासूम और इत्नी आकर्षक ,देख कर ही दिल भर गया था मेरा ,उसके मासूम से चेहरे मे कोई बात तो थी ,तभी तो मै बस उसके बातो मे ही खोया था । उसको देख कर मुझे मन कर रहा था की काश मै आज इसके साथ होता ।मै अपने खयालो मे ही खुस हो रहा था ।मेरे कंधे पर उसका सिर रख के सोना ,उसे अपने गोद मे उठाना ,सारी यादे मुझे बहुत रोमांचित कर रही थी।मै मन ही मन बहुत खुश हो रहा था । मेरा शरीर इतना ज्यादा रोमांचित हो रहा था की सब कुछ सोच कर ही मेरे मन मे और शरीर मे कुछ अजीब सा परिवर्तन हो रहा था ।मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की ये क्या हो रहा है ।बस मै उसे महसूस कर रहा था ।उसे बस महसूस कर के मेरे रोम रोम रोमांचित हो रहे थे ।सोच रहा था बस इक बार उसके जाम से भरे हुए आकर्षक होठो को चूम लूं ।मै तो बस खुली आंखो से इक जीवन्त सपने देख रहा था ।और अक्सर जो सपने बहुत प्यारे होते है उनका पुरा होना लगभग मुस्किल ही होता है।लेकिन वो कहते है ना की किसी को पुरे दिल से चाहो तो पूरी कायेनाथ उसे मिलाने मे लग जाती है ।बस सायद वही होने वाला था ।और बोलते है ना को अगर कुछ होने वाला हो तो उसका आभास थोरा बहुत पहले से होने लगता है ।सायद एसा ही कुछ होने वाला था मेरे साथ ।आचनक मेरा ध्यान उसके पास परी गिलास पर गया। हल्की हल्की बाहर बारिश हो रही थी जिसके कारन अंदर थोरी ठण्ड हो रही थी ।तनिशा आराम से कम्बल ओढ़ के सो रही थी ।और मै ऐसे ही चादर लपेटे सो रहा था ।बहुत मुस्किल से अंदर गर्मी आयी थी ,उठने का मन नही कर रहा था ।फिर भी क्या मन मे आया सोचा की देख लू , उसने पिया की नही ।मैने पढा था की नीबू पानी पीने से थोरा हन्गोवर कम हो जाएगा । इसलिये अगर पी लेती तो थोरा होश मे आ जाती । मै ये सोच रहा था तभी इक हल्की सी आवाज़ आयी, पानी ! मैने सुनने की कोसिस की तनिशा की आवाज़ थी।उसे पानी पिन था ।मैने बोला हाँ ,पानी ! मै सब कुछ भूल गया दौर के चला गया पानी लाने को ।पानी ले के आया और उसे दिया ,वो बस इक घूँट पानी पी और अपने हाथो से भरी हुई गिलास को मेरे सामने बढा दिया।

ये देख कर मेरा दिमाग एक दम खराब ही हो गया ।कितनी सेक्सी लग रही थी उसकी भिन्गी हुई होठ ।बस इक बार जो पी लेता मै उसे । मै बस उसे देख के सोच रहा था और वो अपने हाथो मे ग्लास लिये ही सो गई थी।बाल उसके सर के चारो तरफ बिखरे परे थे ।उसके काले बलो के बिच भिन्गे हुए होठ , बस वैसे ही अपनी छटा बिखेर रहे थे जैसे सुनहरे काले बादल के बिच कोई तारा अपनी चमक बिखेर रहा हो ।

तभी उसने अपनी करवट बदली और मेरा ध्यान भंग हुआ । अपने आप को समझा कर सोचा की अब जा के सो जाता हूँ। तभी मेरा ध्यान फिर से उस ग्लास पर परी । मैने आवज लगाई, तनिशा ! उसने उधर मुरे ही धीमे स्वर मे बोली हाँ! , शायद वो भी जाग रही थी ।मैने बोला ,

ये ग्लास मे नीबू पानी है ,पी लो ।

वो धीमे से मेरी तरफ मुरी, उसके बाल उसके होठों को ढकने की कोशिस कर रही थी ,अपने हाथो से उसने अपने बलों को हटाया और बहुत धीमी सी आवाज़ मे बोली की दो!

मुझे कुछ पता तो नही की उसके दिमाग मे क्या चल रहा था ?

मै ग्लास उठा कर उसके तरफ बढाया ,

पता नही उसके पास इत्नी एनर्जी कहाँ से आयी , उसने तेजी से मेरे शर्ट के कॉलर को पकर कर अपनी तरफ खीच लिया ,मेरी समझ मे कुछ नही आया ।बस मेरे होठ और उसके होठ के बिच इक उंगली भर की दुरी थी , उसकी गरम सासो मे मै खो रहा था और धिरे धिरे उसकी आँखे बन्द हो रही थी ।


next chapter
Load failed, please RETRY

Bab baru akan segera rilis Tulis ulasan

Status Power Mingguan

Rank -- Peringkat Power
Stone -- Power stone

Membuka kunci kumpulan bab

Indeks

Opsi Tampilan

Latar Belakang

Font

Ukuran

Komentar pada bab

Tulis ulasan Status Membaca: C7
Gagal mengirim. Silakan coba lagi
  • Kualitas penulisan
  • Stabilitas Pembaruan
  • Pengembangan Cerita
  • Desain Karakter
  • Latar Belakang Dunia

Skor total 0.0

Ulasan berhasil diposting! Baca ulasan lebih lanjut
Pilih Power Stone
Rank NO.-- Peringkat Power
Stone -- Batu Daya
Laporkan konten yang tidak pantas
Tip kesalahan

Laporkan penyalahgunaan

Komentar paragraf

Masuk