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9.67% RAMYA YUDDH (राम्या युद्ध-रामायण श्रोत) / Chapter 3: मधुर संगीत sweet song

Chapitre 3: मधुर संगीत sweet song

रात के समय था वहा पे मंदिर इतना अच्छा से सजाया गया था की राम्या उन सुंदरता को देख कर इतना जादा आकर्षित हो गया था की राम्या का नजर सिर्फ उन सजावट पे ही टिका रहा। उस समय उस मंदिर में बजरंग बल्ली का पूजा हो रहा था। राम्या को ये बात नही पता था की आज हमारे प्रभु का आगमन है। राम्या वहा पे खड़ा होकर आश्चर्य से अपना नजर घुमा कर चारो तरफ देख रहा था। तभी वो बाबा अपना संगीत कला को छोड़ कर राम्या की तरफ नजर घुमा दिए। वो बाबा मंदिर के अंदर बैठे थे लेकिन बाबा को पता चल गया था की ये मामूली बालक नही है। तभी वो औरत राम्या के पास आकर कही," पुत्र, चलो मेरे साथ मैं तुमको उनसे मिलाती हूं जिसके लिए तुम अपना घर इतना रात को छोड़ कर आए हो!." राम्या उस औरत का बात सुन कर कहा," जी माते, परंतु यहां पे क्या हो रहा है माते!." वो औरत राम्या के बात सुन कर जवाब दिया," पुत्र, यहां पे तुम्हारे प्रभु बजरंग बल्ली का आगमन है आज!." राम्या उस औरत का बात सुन कर पूछा," ये आप क्या कह रही है माते, क्या सच में आज मेरे प्रभु आगमन करेंगे!." वो औरत राम्या का बात सुन कर मुस्कुरा दी। फिर वो औरत राम्या को कही," हा पुत्र, अब चलो हम तुमको उन संगीत कला से मिला देती हूं जिसके लिए तुम इतनी रात को आए हो!." राम्या उस औरत का बात सुन कर कहा," जी माते चलिए!." वो औरत राम्या को लेकर मंदिर में चली गई। जहां पे बाबा भजन गा रहे थे। राम्या जैसे जैसे अंदर जा रहा था राम्या का नजर उन सुंदरता पे पड़ते जा रहा था। वो औरत जब बाबा के पास पहुंची। तो बाबा उस औरत से पूछे," पुत्र क्या हुआ, आज तुम बहुत खुश लग रही हो!." वो औरत बाबा से मुस्कुराते हुए कहा," पिता श्री आज आपको मैं एक ऐसे बालक से मिलाऊँगी जिस बालक को आप देखते बहुत प्रशन हो जायेंगे, वो बालक हमारे प्रभु श्री बजरंग बल्ली का भक्त है! आपके इस संगीत को सुन कर काफ़ी दूर से वो बालक आया है!." वो बाबा उस औरत का बात सुन कर पूछा," परंतु वो बालक है कहां!." वो औरत अपना सर घुमा कर राम्या को देखी तो राम्या उस औरत के पीछा नहीं था। वो बाबा समझ गय की," ये बालक जरूर किसी का रूप है!." वो बाबा उस औरत से कहा," पुत्री, वो बालक अभी श्री राम और बजरंग बल्ली के चरणों में है!." वो औरत बाबा का बात सुन कर वहा से दौर कर बाहर निकली। वो औरत वहा से सीधे श्री राम और बजरंग बल्ली के मंदिर में चली गई। राम्या श्री राम और बजरंग बल्ली के मंदिर में पूजा कर रहा था तभी वो औरत पहुंच गई वहा पे। राम्या उस औरत के तरफ देखते हुए कहा," मुझे छमा कर दो माते!." राम्या वहा से उस औरत के पास आकर उस औरत का उंगली पकड़ लिया और वहा से फिर मंदिर के अंदर जाने लगा। वो औरत जब राम्या को लेकर बाबा के पास पहुंची तो बाबा भजन गा रहे थे," हो... गिर्जा पवन आगमन करण... बैठी सब ये ध्यान धरण... राम के भक्त है हनुमान... राम सिया राम.. सिया राम जय जय राम...!." राम्या इस संगीत को सुन कर बहुत प्रसन्न हो गया। और राम्या वही पे चुप चाप बैठ कर सुनने लगा, वो बाबा समझ गया की वो बालक उनके सामने बैठा था। वो बाबा अपना संगीत रोक कर राम्या को देखा तो राम्या बहुत प्रसन्न था। वो बाबा राम्या को देखते हुए पूछा,"पुत्र तुम्हारा नाम क्या है!." राम्या उस बाबा का बात सुन कर जवाब दिया,"पिता श्री मेरा नाम राम्या है!." फिर वो बाबा राम्या से पूछा," पुत्र इतनी रात को यहां क्या कर रहे हो!." राम्या बाबा का बात सुन कर कहा,"पिता श्री मुझे ये संगीत बहुत आकर्षित कर दिया था इस वजह से मुझे यहां तक पहुंचा दिया!." बाबा राम्या का बात सुन कर पूछा," मुझे पता है पुत्र तुम हनुमान जी का भक्त हो, मुझे सब पता है तुम यहां तक कैसे आए हो!." राम्या बाबा का बात सुन कर पूछा," पिता श्री आपको कैसे पता!." बाबा राम्या का बात सुन कर कहा," पुत्र तुम एक फल की वजह से यह तक आय हो!." राम्या बाबा का बात सुन कर आश्चर्य से कहा," पिता श्री आपके पास इतना ज्ञान कहा से आया!." वो बाबा कहा," पुत्र ये तो हमारे प्रभु श्री राम चंद्र यों बजरंग बल्ली का आशीर्वाद हैं!." बाबा अपना आंख बंद कर के खोला और राम्या को कहा," पुत्र तुम्हारे माता प्रसान है।!." राम्या बाबा का बात सुन कर आश्चर्य से पूछा," क्या मेरी माता उठ गई है!." वो बाबा कहा," हां पुत्र, तुम्हारे माता अब उठ चुकी है! और तुम्हे वो ढूंढते हुए चारो तरफ भटक रही है!." राम्या बाबा का बात सुन कर कहा," पिता श्री मुझे जाना होगा जल्द नही तो मेरी माता मुझसे नाराज़ हो जायेगी!." वो बाबा राम्या का बात सुन कर कहा," परंतु, तुम्हारे प्राण का संकट है बालक, तुम इतनी रजनी में नही जा सकते तुम यही ठहर जाओ!." राम्या बाबा का बात सुन कर कहा," परंतु,मेरी माता मुझे ढूंढ रही है!." बाबा राम्या से कहा," पुत्र, इसमें चिंता करने की क्या जरूरत है। मैं उनको एक संदेश भेज देता हूं जिसे उन्हें खेद नही होगा। और वो सो जायेगी!." राम्या बाबा से कहा," परंतु, मेरी माता मुझे देखे बीन किसी पे भरोषा नही करती है!." बाबा राम्या से कहा," पुत्र, ये तो हर नारी का वेहम होता है, अर्थात कोशिश तो करना चाहिए!." राम्या बाबा का बात रोक कर कहा," पिता श्री, कृपया आप मुझे ना रोके! तो बेहद अच्छा रहेगा!." बाबा राम्या का बात सुन कर कुछ नही कहा, क्यू की बाबा को पता था राम्या कोई साधारण बालक नही था। परंतु राम्या के उप्पर संकट तो आने वाला था ही। बाबा राम्या को इस लिए माना कर रहे थे क्यों की बाबा को पता करना था की राम्या अपने शब्द से वाकिफ है या वंचित है। राम्या वहा से खड़ा हुआ और बाबा से कहा," पिता श्री, अब मैं जा सकता हूं!." बाबा राम्या से कहा," परंतु, बजरंग बल्ली का प्रसाद तो खा के जाओ पुत्र!." राम्या बाबा से कहा," परंतु, उसमे तो अभी बहुत वक्त लगेगा! अर्थात मेरी माता मुझे ढूंढ रही है यदि मैं नही गया तो मेरी माता मुझसे नाराज़ हो जायेगी!." वो बाबा कुछ नही कहा, तभी वो औरत बोली," पुत्र थोड़ी वक्त का तो बात है रुक जाते तो अच्छा होता!." राम्या उस औरत का बात सुन कर कहा," नही माते मुझे जाना होगा, मेरी माता प्रशान होगी!." वो औरत कुछ नही कही, तो बाबा कहा," ठीक है पुत्र तुम जा सकते हो,!." राम्या बाबा का आज्ञा पा कर वहा से चल दिया अपने माता के पास। वो औरत बाबा से पूछी," पिता श्री, ये बालक कौन था। जो आपका संगीत सुन कर इतना निसा में यहां तक सफर किया था। ना कोई डर ना कोई भय!." वो बाबा उस औरत से कहा," ये बालक कोई बालक नही है, समय आने पे तुम्हे सब पता चल जायेगा! जाओ वो कलश का जल लेकर आओ!." वो औरत वहा से चल दी जल लाने जिस कलश में राम्या के साथ लेकर आई थी। राम्या वहा से रात को ही अपने घर चल दिया था।

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to be continued....

आपको क्या लगता है की राम्या को रास्ता में संकट आयेगा तो कौन बचाएगा। राम्या का माता राम्या को ढूढते हुए यहां तक आयेगी जानने के लिए पढ़े" RAMYA YUDDH!."


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