१४, साल बाद.....
ट्रेन जो की तेज रफ्तार के साथ पटरी पर भागी जा रही थी ठीक उस तरह जिस तरह हमारी जिन्दगी भागती है। फर्क इतना है ट्रेन स्टेशन आने पर रूकती है पर हमारी जिन्दगी कभी नहीं रूकती है; जब तक हमारी साँसे ना रूक जाए।
देव जिसकी उम्र २१ साल, गोरा रंग, चेक शर्ट ब्लैक पेंट पहनकर विंडो सीट पर बैठा हुआ था और अपने कानों में हेडफोन डालकर रोमेटिक song सुन रहा था। गाने सुनते हुए ही देव विंडो के बाहर दिख रहे अयोध्या के जंगलों की हसीन वादियों का मजा ले रहा था। तभी बाहर बारिस होने लगी। या देख कर देव मुस्कराते हुआ क्या रोमिटिक जगा है कास की वो मेरे साथ होती, क्या देव अभी tk उसे नही भुला वो तोह उसके साथ कुछ होगी इतना करते ही देव के आंख में आसू आ गया। वही बाहर बरिस की बूंद को देखते-देखते देव कि आंख लग जाती है।
अभी थोड़ी देर पहले देव कि आंख लगी ही थी कि तभी उसे एहसास होता है कि कोई उसका हाथ छू रहा था। कोई बार-बार देव का हाथ पकड़ कर हिला रहा था। देव बौखलाहट के साथ उठ जाता है और जब अपनी आँखें खोलता है तो देखता है कि उसके चेहरे के जस्ट सामने एक बुड्ढे का चेहरा था, जो बड़ी-बड़ी आँखें करके उसे घूर रहा था।
उस बूढ़े ने सफेद मटमैली सी धोती पहनी हुई थी। उसके हाथ-पैंर कंपकंपा रहे थे।
देव सोचने लग जाता है पहले तो यह बूढ़ा मेरे सामने नहीं बैठा था ये पूरी सीटे खाली थी अचानक कहाँ से आ गया। अगले हि पल देव खुद ही इस सवाल का जवाब ढूँढ़ लेता है और मन ही मन सोचता है लगता है जब मेरी आँख लग गयी थी तब ही आकर बैठ गया था।
देव गुस्सा करते हुए कहता है – "ये क्या हरकत है बाबा?"
वो बुढ़ा खाँसतें हुए कहता है – "माफ करना बिटुआ पर क्या करूँ तुमसे कुछ काम था तुमसे इसलिए तुम्हें उठाना पड़ा।"
देव हैरानी के साथ कहता है – "क्या कहा काम था आपको मुझसे! क्या काम था?"
"वो बेटा मुझे जानना था कि वक्त क्या हुआ है?"
यह बात सुनकर देव का दिमाग घुमने लग जाता है और वो गुस्से के साथ अपनी घड़ी में देखते हुए कहता है – "ग्यारह बजने वाले है।"
"अच्छा, मतलब एक घटें बाद मेरा स्टेशन आ जाएगा।"
देव कुछ जवाब नहीं देता और उस बूढ़े को घूरने लग जाता है।
"वैसे बिटुआ तुम कहाँ पर जा रहे हो?"
"देव उस बूढ़े के सवाल का जवाब देते हुए कहता है – "वो अयोध्या जा रहा हूँ।"
"मतलब तुम भी अयोध्या जा रहे हो।"
देव उस बूढ़े के सामने उंगली करते हुए कहती है – "मतलब आप भी।"
"हाँ बिटुआ, चलो अब सफर आसान हो जाएगा जब कोई बात करने वाला मिल जाता है तो सफर जल्दी कट जाता है...तुम अयोध्या में कहाँ पर जा रहे हो?"
"अयोध्या से पाँच किलोमीटर दूर ही मकराहि गाँव है ना वहीं पर जा रहा हूँ।"
"मकरही में तुम्हारे रिश्तेदार रहते है क्या?"
"नहीं मकरही गाँव में तो नहीं पर धनुकारा गाँव में रहते है।"
"अरे ये क्या बात हुई बेटा, जब तुम्हारे रिश्तेदार धनुकार गाँव में रहते है तो फिर तुम मकराहि गाँव क्यों जा रहे हो?"
इस सवाल को सुनकर देव खामोश हो जाता है, ऐसा लग रहा था जैसे उस बूढ़े ने युग कि दुखती नब्ज पर हाथ रख दिया था, कुछ ऐसा पूछ लिया हो जिसका जवाब वो शायद अपने आप को भी नहीं देना चाहता था।
बूढ़ा अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है – "चलो नहीं बताना तो मत बताओ, मकरही में कहाँ पर रुकने वाले हो?"
"मकराकी गाँव के बाहर जो हवेली पड़ती है ना उस में ही रुकने वाला हूँ।"
वो बूढ़ा हैरानी के साथ कहता है – "वो अंग्रेजों के जमाने की हवेली जिसे कब्रिस्तान पर बनाया गया था।"
"हाँ वही मकरही हवेली।"
"पर वो तो पिछले बीस साल से बंद है ना।"
"हाँ बंद है पर अब नहीं रहेगी, मैं आज रात ही उस हवेली को खोल दूँगा।"
"नहीं बिटुआ ऐसा मत करना, तुम्हें उस हवेली के बारे में नहीं पता क्या?"
"क्या नहीं पता, आप साफ-साफ कहेंगे कहना क्या चाहते है?"
"अगर तुम बचपन में उस गाँव में रहे हो तो यह तो पता ही होगा कि पिशाचिनी गरारा नदी के पास भटका करती थी।"
देव उस बूढ़े की बात का कुछ जवाब नहीं देता है। वो गौर से उसकी बाते सुन रहा था।
वो बूढ़ा अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है – "तुम्हे पता है उस पिशाचिनी के एक नहीं दो ठिकाने थे, पहला घरारा नदी और दूसरा हवेली।"
देव हैरानी के साथ कहता है – "क्या कहा हवेली!"
"हाँ हवेली, गाँव के लोगों ने कई बार पिशाचिनी को मकरही हवेली के पास भी भटकते देखा था। पिशाचिनी हर पूर्णिमा और अमावस्या की रात मर्दों के साथ संभोग करके, उनके दिल का खून चुसकर उन्हें मार दिया करती थी।"
"इसका मतलब चाचू ने बचपन में जो कहानी मुझे सुनाई थी वो कोई कहानी नहीं बल्कि हकिक्त थी!"
"बिटुआ किस कहानी की बात कर रहे हो तुम?"
बूढ़े कि बात सुनकर देव अपने अतीत की यादों में खो जाता है। उसको याद आता है वह पल जब वो छे साल का था और अपने चाचू से बाते कर रहा था।
"चाचू-चाचू, क्या कर रहे हो आप? और दीदी कहा है" देव ने प्यार से पूछा।
"कुछ नहीं बेटा, कहानी लिख रहा हूँ। और तुम्ही स्कूल गई है" देव के चाचू ने टाईप राईटर पर कहानी टाईप करते हुए कहा।
"क्या कहा चाचू कहानी,कौ न सी कहानी लिख रहे है चाचू आप?"
"पिशाचिनी की कहानी बेटा।"
"चाचू मुझे भी पिशाचिनी की कहानी सुनाईए ना।"
"नहीं बेटा तुम अभी छोटे हो तुम डर जाओगे, जब बड़े हो जाओगे तब सुनना ठीक है।"
देव उदास हो जाता है और मुँह बनाते हुए कहता है "प्लीज चाचू सुनाईए ना मैं नहीं डरूँगा प्रोमिस और आप ही कहते है ना कि अब तो मैं बड़ा हो गया हूँ और बड़े बच्चे डरते नहीं है बल्कि डराते है तो प्लीज चाचू मुझे पिशाचिनी की कहानी सुनाईए ना।"
देव जिद करने लग जाता है और देव की जिद के आगे उसके चाचू हार मान जाते है और उसे पिशाचिनी की कहानी सुनाने लग जाते है।
"कहते है ये जो अपनी गरारा नदी है ना बहुत सालो से वहाँ पर पिशाचिनी डायन रहा करती थी।"
देव हैरानी के साथ कहता है – "ये मकरही और धनुकरा गाँव के बीच में जो नदी पड़ती है वहीं पर चाचू?"
"हाँ बेटा वहीं पर, ये जो पिशाचिनी होती है ये जंगलों में या पानी वाली जगहों के पास पाई जाती है, हर पूर्णिमा और अमावस्या के दिन आने-जाने वाले मुसाफिरों को जो रात में नदी पार किया करते थे उन्हें ये लुभाती थी और अपने रूप जाल में फँसाकर अपना शिकार बनाया करती थी। कहते है पिशाचिनी को कमल और चमेली के फूल बहुत पसंद होते है वो हमेशा उसे अपने पास रखा करती थी, जिन पुरुषों को पिशाचिनी अपना शिकार बनाती थी उन्हें वो सबसे पहले कुछ खाने का दिया करती थी।"
"खाने का पर क्यों चाचू?"
"वो इसलिए बेटा क्योंकि वो उस खाने में ऐसा मंत्र फुकती थी कि जो भी पुरूष उसे खाता था वो उसके वश में हो जाता था, ऐसे ही एक बार पिशाचिनी ने एक पुरूष को अपना शिकार बना लिया और उसे अपने वश में करने के बाद उसके साथ संभोग करने लग...."
देव बीच में ही बोल पड़ता है – "ये संभोग क्या होता है चाचू?"
देव का सवाल सुनकर देव के चाचू चुप हो जाते है और वो बात को घुमाते हुए कहते है – "ये आपके मतलब की चीज नहीं है बेटा आप अभी छोटे हो ना जब आप बड़े हो जाओगे तब हम इसका मतलब बताएंगे अभी आप कहानी पर ध्यान दो।"
"ठीक है चाचू, फिर आगे क्या हुआ?"
"संभोग करने के बाद पिशाचिनी अपने असली रूप में आ जाती थी, पिशाचिनी का असली रूप बेहद डरावना होता है इतना डरावना कि जिसे देखकर किसी की भी दिल की धड़कने थम जाए। अपने असली रूप में आने के बाद पिशाचिनी अपने शिकार के दिल का खून चूस लेती थी।"
"पर वो ऐसा क्यों करती थी चाचू, क्या वो बुरी औरत थी?"
"नहीं बेटा, पिशाचिनी बुरी औरत नहीं थी बल्कि वो तो बहुत अच्छी औरत थी दूसरे लोक से आई हुई एक अप्सरा की तरह थी।"
"तो फिर चाचू वो आदमियों के साथ, वो क्या बोला था आपने स स हाँ याद आया, संभोग करके क्यों मार देती थी?"
देव के चाचू कुछ याद करते हुए कहते है – "अभिशाप के कारण बेटा।"
"कैसा अभिशाप चाचू।"
"बेटा वो अभिशाप यह था कि..."
देव के चाचू ने इतना ही कहा था कि बाहर के कमरे से देव की एक आवाज सुनाई देती है उसकी बहन मिला की थी मिला देव के चाचा की बेटी थी
"देव भाई ओ देव भाई, चलो आओ खाना खाते है फिर खेलने चलेंगे।
देव वहा से उठकर जाकर अपने बहन के गले लग जाता और कहता दीदी आप रोज रोज कहा चली जाती हो में घर में बोल होता हूं इतना कहता ही देव के आखों में, आसू आ जाता है ।
नही भाई ऐसे रोते नही, में तोह स्कूल गई थी बस आप भी बड़े हो जाओ तोह तुम भी स्कूल जाओ गए, इनता कहते ही अपने हाथो से देव आखों से आसू पोछ देती है
चलो फिर में कल स्कूल नही जाऊंगी और कल कुब खेलेंगे मिला मुस्कराते हुए बोली
मिला दरवाजे के तरफ भागती है।
पायल की बजने की आवाज सुनाई देने लग जाती है, ऐसा लग रहा था जैसे देव की बहन मिला देव को लेकर खेलने चली जाती है
देव का हाथ मिला के हाथ से छूट जाता है ।
देव चिल्लाते हुए मिला दी रूक जाओ में आता हूं
मिला दी रुको कहते हुए ही देव अपनी अतीत कि यादों में से बाहर आ जाता है जब देव अपनी आँखें खोलता है तो देखता है कि उस बूढ़े ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था और उसे हिला-हिला कर पूछ रहा था
"अरे ओ बिटुआ कहा खो गए ठीक तो हो तुम और ये मिला दी मिला दी क्यो बोल रहे हो...अरे बिटुआ।"
देव बूढ़े कि बात का जवाब देते हुए कहता है – "कुछ नहीं बाबा ठीक हूँ मैं।"
"मैं तो डर हि गया था।"
देव बूढ़े की आँखों में देखते हुए कहता है – "बाबा एक बात पूछनी थी आपसे, क्या वो पिशाचिनी अभी भी मर्दों को अपना शिकार बनाया करती है?"
एक तरफ जहा देव बाबा से एक बात पूछ रहा था वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा नौजवान भी था जो इस वक्त खुद के हाथों अपनी जान की भेंट देने को तैयार खड़ा था!
लेकिन यह २२ साल का ये नौजवान अयोध्या में नहीं बल्कि वहाँ से बहुत दूर दिल्ली में था और इस वक्त रेल की पटरियों के बीचों-बीच खड़ा हुआ ट्रेन के आने का इंतज़ार कर रहा था। यानि साफ-साफ लफ्जों में कहा जाये तो यह नौजावान यहाँ सुसाइड करने आया था।
ट्रेन की पटरियों के बीचों बीच खड़ा वो खुद में ही बड़बड़ाए जा रहा था -"बेटा आमन बस! अब इस ज़ालिम दुनिया को हमेशा के लिए बाय-बाय बोल दे! यहाँ किसी ने तेरी कोई कदर नहीं की, हर बार सिर्फ और सिर्फ रिजेक्शन के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ है तुझे! अब बस यही एक ऑप्शन है तेरे सामने! मौत को गले लगा ले – क्योंकि मौत तुझे कभी रिजेक्ट नहीं करेगी!"
आमन नाम का यह नौजवान – ट्रैन की पटरी पर सचमुच अपनी बाहें फैला कर ऐसे खड़ा हो गया – जैसे मौत को गले लगाने वाली कहावत को एकदम सच साबित कर देना चाहता हो!
पर अचानक उसके मन में कुछ कौंधा और वो खुद से बोल पड़ा, "बेटा आमन – ऐसे यूं ही चुपचाप अपनी जान देना तो बेवकूफी होगी ना। तुझे कम से कम दुनिया वालों को सोशल मीडिया पर एक आखिरी मैसेज तो ज़रूर देना चाहिए ताकि उन सबको तेरी सच्चाई तो पता चले...।"
यह ख्याल आते ही आमन ने तेजी से अपने फोन का कैमरा ऑन किया और खुद की वीडियो बनाने लगा –
"हेल्लो guys – मैं आमन एक सच्चा और ईमानदार रिपोर्टर जिसने न जाने कितने ही छोटे-बड़े क्राइम्स के पीछे की सच्चाई पर से पर्दा उठाने की कोशिश की लेकिन हर बार मेरी उस कोशिश को दबा दिया गया। किसी भी मीडिया हाउस ने मेरी उन रिपोर्ट्स को पब्लिश करने से इंकार कर दिया| न्यूज़ चैनल वालों ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया ये कह कर कि मेरी ये सब स्टोरीज़, मेरे ये इन्वेस्टीगेशनस, कचरे के डिब्बे में फेंकने लायक हैं| इसलिए इन बार-बार की नाकामयाबियों ने मुझे बुरी तरह से तोड़ कर रख दिया है और ऐसी टूटी हुई ज़िंदगी जीने से बेहतर है कि मैं खुद ही इस ज़िंदगी को खत्म कर डालूँ..."
आमन की बात पूरी नहीं हुई थी वो कुछ और भी कहना चाहता था कि तभी उसके फोन पर एक अननोन नंबर से मैसेज आया। आमन का ध्यान एकाएक मैसेज पर गया ये एक फोटो मैसेज था।
आमन ने जब फोटो को देखा तोह वो हैरान हो गया। एक निसान की थी जो हूबहू उसके हाथ पर भी बना है और उसे थोड़ा अजीब महसूस हुआ क्योंकि उस फोटो के साथ एक मैसेज भी था जब आमन पड़ा क्या लिखा है मैसेज में "अपनी सचाई जाननी हों तोह मकरकी गांव में आ जाओ ।
आमन हंसते हुए बोला–" मेरी कोन सी सचाई " इतना ही बोला एक मैसेज आने की नोटिफिकेशन की आवाज सुनाई दी।
नोटिफिकेशन देखते आमन पटरियों के बीचों बीच में बैठ लया और –"में...पिशाचिनी.. तेरी मौत...
ये मैसेज देखते ही आमन ने तेजी से उस नंबर पर फोन लगाया जिससे से वो मैसेज आया था, तो उसे ऑटो जेनरेटेड आवाज़ में मैसेज सुनाई दिया "ये नंबर नेटवर्क क्षेत्र से बाहर है।"
आमन तेज़ी से दोबारा नंबर ट्राय कर ही रहा था कि तभी आमन को ट्रेन की आवाज़ सुनाई दी।
आमन ने देखा कि फुल स्पीड में दौड़ती हुई ट्रेन उसी की तरफ चली आ रही है! और वह भी बहुत कम फासले पर इसे देखकर आमन के रौंगटे खड़े हो गए और उसे अचानक याद आया कि वो इस वक्त ट्रेन की पटरियो के बीचों-बीच खड़ा हुआ है!
उसने फौरन एक तरफ छ्लांग लगा दी, और तेजी से दूसरी ओर कूद गया हालांकि इस आपाधापी में उसके हाथ से फोन वहीं छूट गया और धड़धड़ाती हुई ट्रेन आमन के सामने से उसके फोन पर से गुजर गई!
अपनी जगह पर खड़ा हुआ आमन फटी-फटी आंखो से यह देखता रहा और मन ही मन सोचने लगा "अगर एक पल की भी देरी हो जाती तो वह इस दुनिया में नहीं होता…हे इश्वर बचा लिया तूने। "
ट्रेन गुजर जाने के बाद वो तेजी से फोन की ओर लपका तो देखा कि फोन बुरी तरह चकनाचूर हो चुका था।
फोन को हाथ में लिए वो झल्लाते हुए बोला -"शिट यार! आज का दिन ही खराब है….पता नहीं किसने वो मैसेज भेजा था…कौन है पिशाचिनी और क्या है इस निशान वाले फोटो का राज़….क्या करूं!!! अब कैसे पता करूं??"
कौन थी पिशाचिनी? और किसने भेजा था आमन को वो फोटो और क्या थी भेजने वाले की मंशा? क्या आमन मकरही जाएगा और क्या अर्थ है उस निसान का....जानने के लिए पड़िए अगला अंश।....पिशाचिनी...एक पुनर्जन्म।"का अगला चैप्टर
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