Télécharger l’application
36% The passion of love / Chapter 18: Flash back -7

Chapitre 18: Flash back -7

अब तक 

 ऐसे ही एक हफ्ता बीत गया, सिद्धार्थ और श्रद्धा ने शादी कर ली थी उन दोनों ने शादी कोर्ट में की थी, जिस दिन सुबह में उन दोनों शादी की उसी दिन शाम को उनके रिसेप्शन पार्टी थी, श्रद्धा बहुत ही खुश थी उस दिन उसने एक लाल रंग का लहंगा पहन रखा था जिसमें वह बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही थी, थोड़ी देर बाद दादा जी ने सिद्धार्थ और श्रद्धा का स्टेज पर बुलाया और उन्हें सबसे इंट्रोड्यूस करवाने लगा, लेकिन जैसे ही सब ने उन दोनों को डांस करने के लिए कहा श्रद्धा प्यार भरी नजर से सिद्धार्थ को देख रही थी अचानक से सिद्धार्थ के फोन पर एक कॉल आया और वह भाग कर पार्टी से चला गया उसके बाद एक महीने तक सिद्धार्थ का कुछ भी आता पता नहीं था वह कहां है कहां गया किसी को भी पता नहीं था श्रद्धा इस बीच बहुत ज्यादा अपसेट हो गई थी लेकिन दादरी से अपनी बातों से संभाल रहे थे।

अब आगे

 सिद्धार्थ को गए हुए लगभग ढाई से 3 महीने हो चुके थे अभी तक ना तो उसका कोई फोन कॉल आया था ना ही कोई मैसेज किसी को भी पता नहीं था कि आखिर वह गया कहां उसके असिस्टेंट इस बारे में कुछ नहीं पता था, श्रद्धा ने किसी से कुछ नहीं कहा था लेकिन वह अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा दुखी थी उसे तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि आखिर सिद्धार्थ चला कहां गया है अगर उसे उसे शादी नहीं करनी थी वह शायद कुछ नहीं था तो वह उसे पहले ही मना कर सकता था लेकिन इस तरह से जाना इसका क्या मतलब है श्रद्धा के दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थी लेकिन वह किसी से भी यह बातें शेयर नहीं कर सकती थी वह पूरे टाइम दादाजी के साथ ही रहती थी और जब समय मिलता था तो अपने कमरे में बैठकर अपना काम किया करती थी।

ऐसे ही एक दिन श्रद्धा अपने कमरे में बैठे सोनम से बातें कर रही थी, तभी उसे बाहर से बैठकर चिल्लाने की आवाज आती है श्रद्धा जल्दी से भाग के बाहर जाती है तो उसका ध्यान दादाजी की हो जाता है जो अपने सीने पर हाथ रखे जोर-जोर से सांस ले रहे थे श्रद्धां समझ जाती है कि दादाजी को हार्ट अटैक आया है, उसने दादाजी की लास्ट वीक की रिपोर्ट देखी थी इसमें डॉक्टर ने बताया था कि उनकी हार्ट की कंडीशन ठीक नहीं है और इन दोनों सिद्धार्थ की टेंशन लेने की वजह से उनका हार्ट और भी ज्यादा कमजोर हो चुका था।

श्रद्धा तुरंत कुछ नौकरों की मदद से दादाजी को अस्पताल लेकर गई, दादाजी का अस्पताल में इलाज चलाया था श्रद्धा बैठी रो रही थी उसकी आंखों से आंसू ही नहीं रुक रहे थे, तभी उसको किसी की कदमों की आवाज आती है जब वह उसे और देखते हैं तो उसके चेहरे पर एक चमक आ जाती है क्योंकि सामने से सिद्धांर्थ चला आ रहा था सिद्धार्थ उसे देखा है और पूछता है कि दादाजी को क्या हो गया है सिद्धार्थ की आवाज सुनते ही श्रद्धा को याद आ जाता है कि सिद्धार्थ ने इतने दिनों से उसे ना तो बात की ना ही खबर ली उससे ना सही उसने तो दादा जी की भी कोई खबर नहीं ली और आज उसी की टेंशन की वजह से दादाजी की यह हालत हो चुकी है उसने सिद्धार्थ के हाथ जिसे जिसे उसने श्रद्धा को पकड़ रखा था उसे अपने बाजू से हटाया और कहां तुम्हें क्या फर्क पड़ता है।

उसके बाद का सिद्धार्थ ने गुस्से से कहा तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया क्या बोल रही हो तुम मुझे क्यों नहीं फर्क पड़ता दादा जी को कुछ हो जाए वह मेरे दादाजी हैं, उसके बाद पर श्रद्धा ने एक सारकास्टिक स्माइल दी और कहां अच्छा तो तुम्हें याद आ गया कि तुम्हारे वह दादाजी है, क्या तुम्हें नहीं पता है कि तुम्हें दादाजी के हाथ की कंडीशन क्या है लास्ट वीक उनकी रिपोर्ट से डॉक्टर ने कहा था कि उनका हाथ बहुत ही ज्यादा कमजोर है उन्हें टेंशन लेने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है लेकिन वह पिछले 3 महीने से तुम्हारी टेंशन लिए हुए बैठे हैं।

और तुम्हारा तो कुछ पता पता ही नहीं है और तुम कहते तुम्हें दादाजी की टेंशन है श्रद्धा की बातें सिद्धार्थ के दिल में तीर की तरह चुभ रही थी वह उसे बात नहीं सकता था कि वह जिस काम से गया था वह काम उसके लिए कितना इंपॉर्टेंट था उसके लिए श्रद्धा और दादाजी भी इंपॉर्टेंट थे लेकिन वह हमेशा से ही रिजर्व रहने वाला इंसान था वह अपनी इमोशंस किसी से भी नहीं शेयर करता था। वह दोनों कुछ कहते हैं उसके पहले ही डॉक्टर बाहर आए और उन्होंने सिद्धार्थ को देखकर कहा मिस्टर ओबरॉय दादाजी की कंडीशन पहले से ही बिल्कुल सही नहीं थी और इस बीच उन्होंने साथ कुछ ज्यादा ही टेंशन ले ली जिसकी वजह से उन्हें हार्ट अटैक आ गया हम कुछ नहीं कर सकते आप उनसे जाकर मिल लीजिए ज्यादा से ज्यादा उनके पास 15 से 20 मिनट है यह बोलकर डॉक्टर अपना सर झुका के वहां से चले गए।

उनके जाने के बाद सिद्धार्थ ने श्रद्धा को देखा जो वहीं बैठ गई थी और वह फफक फ़फ़क कर रोए जा रही थी वह दादा जी से बहुत ही ज्यादा प्यार करती थी दादाजी ही उसकी जिंदगी में उसकी मां के बाद एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने उसे प्यार दिया था अपनापन का एहसास दिया था और आज वह भी उसे छोड़कर जाने वाले थे श्रद्धा को समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें तभी सिद्धार्थ ने उसके कंधे पर हाथ रखा उसने उसके हाथ को अपने कंधे से झटक दिया और भाग कर अंदर चले गए अंदर जाकर उसने देखा कि उसके दादाजी उसे और ही देख रहे हो वह उनके पास गई और उनके हाथ को पड़कर वहीं बैठ गई और रोने लगी।

दादा जी उसे रोता हुआ देखकर अपनी अटकती हुई आवाज में क्या है मेरी बेटी रोती हुई बिल्कुल अच्छी नहीं लगती। उसकी बात उनकी बात पर श्रद्धा ने कहा आप ऐसा नहीं कर सकते दादाजी आप मुझे छोड़कर नहीं जा सकते एक आप ही तो है मेरे पास जिससे मैं अपने दिल की सारी बातें कह सकती हूं जो मुझे प्यार करते हैं आप ऐसे नहीं जा सकते दादाजी प्लीज डोंट गो। दादा जी ने अपना हाथ बढ़ाकर उसके सर पर रखा और कहा बेटा जाना तो सबको एक दिन है आज मैं जा रहा हूं कल कोई और जाएगा किसी के जाने से जिंदगी नहीं रुकती है बेटा। तभी दादाजी देखते हैं कि सिद्धार्थ दरवाजे पर खड़ा है वह आंखों के इशारे से उसे बुलाते हैं और कहते हैं, मैं यह तो नहीं जानता कि तू इतने दिन तक कहां था किस लिए था लेकिन एक बार ध्यान रखना श्रद्धा की जिम्मेदारी तेरे ऊपर है उसे कभी भी अपनी वजह से हर्ट नहीं होने देना, सिद्धार्थ ने दादाजी का हाथ पकड़ कहा दादा जी आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं आपको कुछ नहीं होगा।

दादाजी ने एक स्माइल की और श्रद्धा के सर पर हाथ फेरा अचानक से उसने उनका हाथ श्रद्धा के सर से नीचे गिर गया श्रद्धा ने उन्हें देखा तो दादाजी अपनी आखिरी सांस ले चुके थे उन्हें इस तरह से देखकर श्रद्धा का दिल बुरी तरह से टूट गया वह वहीं उन्हें पकड़े जोर-जोर से रो रही थी। सिद्धार्थ का भी हाल कुछ ऐसा ही था लेकिन वह सिर्फ अंदर ही अंदर रो रहा था वह बाहर से अपने आंसू नहीं दिखा सकता था हालांकि उसकी आंखें भी नम थी।

दादा जी को गए हुए 15 दिन हो चुके थे, इस बीच उनके अंतिम क्रिया की सारी विधियां हो चुकी थी सिद्धार्थ और श्रद्धा 15 दिन से एक साथ ही थे लेकिन श्रद्धा ने एक बार भी सिद्धार्थ से कुछ भी नहीं कहा था। सिद्धार्थ जानता था कि श्रद्धा कितनी ज्यादा हर्ट है दादरी से उसका अटैचमेंट कैसा था, इस तरह से दादरी का उन दोनों की जिंदगी से चले जाना उसके लिए कितना पेनफुल था लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता था एक दिन श्रद्धा अपने कमरे के बालकनी में बैठी हुई थी तभी सिद्धार्थ आया। उसने श्रद्धा की और देखा और उसका नाम पुकारा श्रद्धा।

सिद्धार्थ अपने मन में बस यही सोच जा रहा था कि वह कैसे बातें स्टार्ट करें हालांकि उसने उसे पुकार दिया था लेकिन श्रद्धा ने उसकी बात का कोई रिस्पांस नहीं दिया था वह अभी भी वैसे ही बैठी हुई थी।

 

आखिर किस मोड़ तक जाएगी इन दोनों की जिंदगी जानने के लिए

To be continued ♥️♥️♥️♥️♥️

राधे राधे

 


Load failed, please RETRY

État de l’alimentation hebdomadaire

Rank -- Classement Power Stone
Stone -- Power stone

Chapitres de déverrouillage par lots

Table des matières

Options d'affichage

Arrière-plan

Police

Taille

Commentaires sur les chapitres

Écrire un avis État de lecture: C18
Échec de la publication. Veuillez réessayer
  • Qualité de l’écriture
  • Stabilité des mises à jour
  • Développement de l’histoire
  • Conception des personnages
  • Contexte du monde

Le score total 0.0

Avis posté avec succès ! Lire plus d’avis
Votez avec Power Stone
Rank NO.-- Classement de puissance
Stone -- Pierre de Pouvoir
signaler du contenu inapproprié
Astuce d’erreur

Signaler un abus

Commentaires de paragraphe

Connectez-vous