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16% The passion of love / Chapter 8: Mohan wadhava

Chapitre 8: Mohan wadhava

अब आगे

          सिद्धार्थ का ऑफिस

                        सिद्धार्थ अभी पक टेंशन में बैठा हुआ था कि आखिर सिग्मा जे कंपनी का श्रद्धा से क्या रिलेशन है कि वह उसकी मां के ट्रीटमेंट के पूरे एक्सपेंस को उठा रही है पिछले 2 सालों से, लेकिन उसके समझ में कुछ नहीं आता है, सिद्धार्थ अपने  असिस्टेंट धीरज को बुलाता है और कहता है तुम किसी भी तरह कोशिश करो और सिग्मा के कंपनी के सीईओ से मेरी मीटिंग फिक्स करो और अगर इसमें मीटिंग फिक्स नहीं हुई तो उनके शेयर्स डाउन हो जाने चाहिए कल तक, उसके बाद सुनकर धीरज यस सर कहकर चला जाता है।

सिद्धार्थ अपनी कुर्सी पर बैठता और कहता है अब पता चलेगा कि आखिर यह है कौन और क्यों श्रद्धा की मदद कर रहा है और श्रद्धा का इससे क्या लेना देना है।

अस्पताल में

            श्रद्धा अभी भी गुस्से से उसे आदमी को घूर रही थी जो बेशर्मी से उसके सामने खड़ा था, श्रद्धा गुस्से में रहती आप यहां क्या कर रहे हैं आपकी हिम्मत कैसे हुई यहां आने की, वह आदमी मक्कारी भाई मुस्कान लेकर कहता है मैं अपनी बीवी से मिलने आया हूं और देखना चाहता हूं कि आखिर कब तक वह जिंदा रहेगी, वह आदमी कोई और नहीं बल्कि श्रद्धा का सौतेला पिता था मोहन वाधवा।

श्रद्धा जब 4 साल के थे तब उसकी मां ने इस इंसान से शादी की थी लेकिन श्रद्धा कि मैं यह नहीं जानती थी कि वह आदमी उसे नहीं बल्कि उसकी दौलत से प्यार करता है, उसने बहुत कोशिश की की उसकी सारी दौलत उसके नाम पर हो जाए, और 7 साल पहले एक्सीडेंट के बाद उसने सारी दौलत अपने नाम पर करवा ली लेकिन अभी भी वह पूरी तरह से उसके नाम पर नहीं थी उसने सिर्फ उस पर जबरदस्ती कब्जा किया हुआ था।

श्रद्धा गुस्से से कहती है मिस्टर मोहन वाधवा आप यहां से चले जाइए यहां पर आपकी बीवी नहीं रहती है आप शायद भूल रहे हैं कि आपने मेरी मां को छोड़ दिया था और अपनी उस मिस्ट्रेस के साथ चले गए थे।  मैं बहुत अच्छे तरीके से जानती हूं क्या आप यहां मेरी मां का हाल-चाल लेने नहीं आए बल्कि यह जानने आए कि मेरी मां कब तक जिंदा रहेगी और जरूर उन्हें कोई ना कोई हर्म पहुंचने हीं आए होंगे।

मैं जल्दी ही  7 साल पहले हुए एक्सीडेंट की  तहकीकात फिर से शुरु करवाने वाली हूं आप शुक्र मनाएगा कहीं आपका उसमें नाम न जाए कैसे सजा दिलवाऊंगी की आपकी रुकाब जाएगी मिस्टर वाधवा।

7 साल पहले हुए एक्सीडेंट का जिक्र सुनकर मिस्टर वाधवा के चेहरे पर कुछ शिकार नजर आने लगती है जिसे श्रद्धा बहुत अच्छे से नोटिस कर लेती है। मिस्टर भादवा अपने चेहरे के भाव को छुपाते हुए कहते हैं मैं यहां सिर्फ तुम्हें यह कहने आया हूं कि तुम जल्दी से जल्दी उन पेपर पर साइन करो ताकि वह लीगली मेरे हाथ में आ सके।

कभी नहीं मैं वह कभी नहीं करने वाली हूं वह सारी प्रॉपर्टी मेरे पापा और मेरे नाना जी के जिस पर आप कब्जा जमाए बैठे हैं।

दूसरी शादी करने के बाद भी श्रद्धा की मां ने कभी भी मिस्टर वाधवा का सरनेम श्रद्धा के लिए उसे नहीं किया उसका सरनेम वही था जो उसके असली पिता का था। उनके हिसाब से श्रद्धा को उसके असली पिता के नाम से ही जाना जाना चाहिए।

मिस्टर वाधवा गुस्से से उसकी और बढ़ते हैं तभी वह कहती है अपने कदम वही रोक लीजिएगा मैं वह पुरानी वाली श्रद्धा नहीं हूं जो आपके थप्पड़ खा लूंगी, अगर आपने मुझे छूने की भी कोशिश की तो आपके लिए बहुत बुरा हो सकता है मिस्टर वाधवा।

मिस्टर वाधवा गुस्से से वहां से चले जाते हैं उनके जाने के बाद श्रद्धा फिर अपनी मां के पास बैठ जाती है उनका हाथ पकड़ कर कहती है, मैं हमेशा से कहती थी मां की मैं आपके जैसी हूं लेकिन  मुझे यह नहीं पता था कि प्यार के मामले अभी मेरी किस्मत आपके जैसी हो जाएगी जैसे आपको मिस्टर बड़वा ने प्यार में धोखा दिया वैसे मुझे भी मेरे पति ने मुझे धोखा दिया।

यह बोलकर वह रोने लगती है इसी तरह रोते हुए काफी देर तक बैठे अपनी मां से शिकायत कर रही होती है।

श्रद्धा ऐसे रो रही होती है कि तभी उसके फोन पर कॉल आता है वह अपने अशोक को पूछ कर कॉल उठाते तो उधर से कुछ कहा जाता है जिसे सुनकर वह कहती है जो हमेशा से  आंसर है वही आंसर दे दो। उधर से फिर कुछ कहा जाता तो श्रद्धा रहती है उन्हें जो करना है करने दो वह कुछ नहीं कर सकते यह बोलकर वह फोन काट देती है।

सिद्धार्थ अपने ऑफिस में बैठा हुआ होता तभी धीरे जाकर तत्सर हमारी मीटिंग कैंसिल हो गई है उन्होंने मिलने से मना कर दिया है। तो सिद्धार्थ गुस्से से कहता है जो मैंने कहा है उसको करो।

उसके असिस्टेंट के जाते उसके फोन पर एक कॉल आता है, वह बातें करने लगता है बातें करते हुए उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस बहुत ज्यादा बनते बिगड़ रहे थे, लास्ट वह कहता है आप अपनी पूरी कोशिश कीजिए मुझे वह सही सलामत चाहिए, आपको चाहे जो करना पड़े आपको करेंगे।

यह बोलकर सिद्धार्थ अपना फोन कट कर देता है अपना सर पकड़ के वहीं बैठा रहता है इस समय उसकी जिंदगी में क्या हो रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आया था चारो तरफ से प्रॉब्लम ही प्रॉब्लम्स ऊपर से श्रद्धा भी अपने डिवोर्स की जीद लिए बैठी हुई थी।

किसका फोन आया था सिद्धार्थ को जानने के लिए

To be continued ♥️♥️♥️

राधे राधे


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