Télécharger l’application
100% RAMYA YUDDH (राम्या युद्ध-रामायण श्रोत) / Chapter 31: नही बाबा मैं जा रही हूं no baba i am going

Chapitre 31: नही बाबा मैं जा रही हूं no baba i am going

देखा तो अंजन के पीछे वो दोनो लड़का एक महाराजा के रूप में आ गया था, अंजन देख के आश्चर्य से पूछी," आप कौन और ऐसे क्यू हस रहे हो!." महाराजा अंजन से कहा," तुम्हे नही मालूम की में कौन हूं, तो सुन लो मैं तेरा यमदूत बन के आया हूं अर्थात अब हम तुम्हे उठा कर ले जायेंगे फिर तुम्हारा पुत्र खुद तुम्हे ढूंढते हुए मेरे पास आयेगा ! हा हा हा हा हा हा हा हा... अब आएगा मजा किसके पास कितना शक्ति है आज पता चल जायेगा!." अंजन ये बात सुन कर अंदर से और डर गई और चारो तरफ देखते हुए काही," कृपया आप मुझे क्यू प्रेषाण कर रहे है अर्थात मेरा पुत्र ने ऐसा क्या किया है जिसे आप मुझे तकलीफ देना उचित समझा है!." वो महाराजा अंजन की वाक्य सुन कर इतमीनान से कहा," तुम्हारा पुत्र ने जो किया है तुमको अच्छी तरह से खबर है परंतु कोई माते अपने पुत्र को दोष नही ठहराती है!." अंजन आश्चर्य से कही," ये आप क्या कह रहे है, मुझे सच में कुछ पता नहीं है!" वो महाराजा अंजन को आक्रोश में कहा," मूर्ख मत बनो, तुम्हे अच्छी तरह से पाता है की तुमने अपने पुत्र के साथ कितने शिष्य को छल कपट के वजह से शिकस्त किया है!." अंजन महाराजा की वाक्य सुन कर आश्चर्य से कही," परंतु उसमे में तो दोष किसी की नही थी ये तो श्री राम यों बजरंग बल्ली के साथ सारे भगवान को भी पता था की मेरा पुत्र राम्या ही उस बाण यों परीक्षण को जीत सकता था, फिर इसमें छल और कपट की कैसी वाक्य है!." महाराजा अंजन से कहे," नही तुम मुझे मूढ़ नही समझो, मुझे अच्छी तरह से पाता है की नारी अपने पुत्र के खुशी के आगे जग की पुत्र पे सांत्वना नही होता है!." अंजन महाराजा की वाक्य सुन कर इतमीनान से कही," ऐसा कुछ नही है, हर नारी एक जैसा नही होती है अर्थात नारी से तो घर का प्यार बनता है परंतु जब नारी ही त्रुटि करने लगी तो फिर वो नारी नही कहलाती है, परंतु मैं वैसा नही हूं!." महाराजा अंजन की शब्द सुन कर ," बात तो अच्छी कर लेती हो परंतु ऐसे पुत्र पे भरोसा नहीं करती हो क्यू !." अंजन महाराजा से कही," कृपया आप वजह तो बताने की प्रतिक्रिया कीजिए!." महाराजा अंजन की वाक्य सुन कर कहे," ठीक है मैं तुम्हे हर शब्द का बेयाख्य करेंगे परंतु तुम्हे मेरे साथ चलना होगा!." अंजन उस महाराजा की वाक्य सुन कर आश्चर्य एक कहीं," आप मुझे उठाना चाहते है, परंतु मेरे बालक का क्या होगा जब हम आपके साथ चले जायेंगे!." महाराजा अंजन की वाक्य सुन कर क्रोध में कहा," तुम ये बकवास की वाक्य कहना निशब्द करो और मुझे काम्या के बारे में बताओ वो कहा है!." अंजन आश्चर्य से पूछी," काम्या परंतु वो कौन लड़की है मुझे उसके बारे में कुछ खबर नही है!." वो महाराजा अंजन की वाक्य सुन कर क्रोध हो कर कहे," तुम ऐसे नही मानोगी, मुझे अब हथकंड अपनाना परेगा!." इतना कह कर महाराजा अपने हाथ को अंजन की तरफ बढ़ा दिया, और अंजन वहा से जान बचा कर भागने लगी, फिर भी महाराजा अंजन को अपने शक्ति से भागते हुए पकर लिया और अपने राजदूत पे बैठा लिया और अपने राजदूत को उड़ा कर वहा से लेकर वापस अपने लोक चल दिया, अंजन बहुत रो रही थी गिड़गिड़ा रही थी," ये मुझे छोड़ दो मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था, मेरा पुत्र अकेला कैसे होगा ये किसी को पता नही! मुझे छोड़ो... मुझे छोड़ो !." अपना हाथ महाराजा के आसन पे मरते हुए कह रही थी, तभी अंजन के हाथ से एक चूड़ी और लहठी का टुडका टूट कर वही मंदिर के दरवाजा पे गिर गया था, और वो दोनो टुकड़ा जैसे इस मंदिर के दरवाजा पे गिरा था वो दोनो जमीन में हल गया था ऐसा लग रहा था जैसे पूरा सत्य था वो चूड़ी और लहठी दोनो बिलकुल नहीं टूटा था, अंजन प्रेषाण हो कर महाराजा के रथ पे बैठ कर रोने लगी थी, बाबा कबीर फिर से हवन कुंड के आगे बैठे हुए थे और अपना आंख बंद कर के ये महाराजा और अंजन की एक दृस्य देख रहे थे, कबीर बाबा आक्रोश में अपना आंख खोला तो अगल बगल बैठे एक ऋषिमुनी कहा," क्या हुआ बाबा आप ऐसे गुस्सा क्यों हो गाय, कहीं फिर से राम्या का... !." तभी कबीर बाबा आक्रोश में कहे," वो जल दो!." वो ऋषिमुनी कबीर बाबा की वाक्य सुन कर अपने बगल से एक लोटीय उठा का बाबा के आगे रख दिया, कबीर बाबा मंत्र पढ़ कर जल को हवन में डाल दिए, तभी उस हवन में जलती हुई आग पूरा लाल दिख रहा था परंतु उसी आग में चिड़िया रानी का अक्स दिख रहा था, वो चिड़िया रानी कबीर बाबा से कही," कहिए बाबा मैं आपके के लिए क्या कर सकती हूं!." वो कबीर बाबा आक्रोश में कहे," राम्या की मां को महाराजा राक्षस लोक लेकर जा रहा है उसे जल्द रोकना होगा!." वो चिड़िया रानी इतमीनान से कही," बाबा परंतु वो बहुत शक्ति शाली है उसे जीतना नामुमकिन है!." ये चिड़िया रानी की जवाब सुन कर कबीर बाबा आक्रोश में कहे," ये क्या कह रही हो... तुम एक राक्षस से नही जीत पाएगी, ये तुम पहले ही हार मान ली!." वो चिड़िया रानी इतमीनान से कही," नही बाबा ऐसा बात नही है, वो बाबा शंकर जी का वरदान से घिरा हुआ राक्षस है अर्थात उसको सारे प्रभु ने एक न एक शक्ति दिए हुए है, बल्कि आपकी इच्छा है तो मैं जाऊंगी और उसे लड़कर कोशिश करूंगी वापस आने के लिए!." कबीर बाबा उस चिड़िया रानी की वाक्य सुन कर आक्रोश में कहा," ये कैसी बेवकूफी की बात कर रही हो, यदि तुम कायर हो तो मत जाओ हम खुद चले जाते है!." इतना कह कर कबीर बाबा जैसे उठने को चाहे तभी वो चिड़िया रानी बेचैनी से कही," नही बाबा मैं जा रही हूं!." कबीर बाबा उस चिड़िया रानी की आवाज सुन कर वही पे बैठे रहे और फिर अपने हाथ में जल लेकर कहे," ठीक है जाओ!." इतना कह कर जल को हवन में छोड़ दिए, वो चिड़िया रानी वहा से लुप्त हो गई,

वही दुसरी तरफ अंजन रथ पे बैठ कर रो रही थी और और जोर जोर से चिला रही थी," राम्या... राम्या ... राम्या.... राम्या ... राम्या...!." परंतु वहा पे तो राम्या था नही की सुने, तभी वो चिड़िया रानी वहां पे पहुंच कर बहुत सारे चिड़िया को रूप धारण कर ली और महाराजा और अंजन को चारो तरफ से घेर लिया, और एक चिड़िया ने महाराजा के सर पे अपना ठोड़ ले जा कर जोर से मारी,


Load failed, please RETRY

Un nouveau chapitre arrive bientôt Écrire un avis

État de l’alimentation hebdomadaire

Rank -- Classement Power Stone
Stone -- Power stone

Chapitres de déverrouillage par lots

Table des matières

Options d'affichage

Arrière-plan

Police

Taille

Commentaires sur les chapitres

Écrire un avis État de lecture: C31
Échec de la publication. Veuillez réessayer
  • Qualité de l’écriture
  • Stabilité des mises à jour
  • Développement de l’histoire
  • Conception des personnages
  • Contexte du monde

Le score total 0.0

Avis posté avec succès ! Lire plus d’avis
Votez avec Power Stone
Rank NO.-- Classement de puissance
Stone -- Pierre de Pouvoir
signaler du contenu inapproprié
Astuce d’erreur

Signaler un abus

Commentaires de paragraphe

Connectez-vous