यदि इसमें शक्ति है तो उसे प्रामाणिक होना चाहिए। गु निंग खुश थी लेकिन उसने चेहरे पर खुशी नहीं दिखाई।
गु निंग एक स्टेंड की तरफ गई। स्टेंड के मालिक ने उसे नजरअंदाज कर दिया क्योंकि वह साधारण कपड़ों में एक गरीब किशोर लड़की लग रही थी।
गु निंग ने हालांकि इस बात की परवाह नहीं की। उसने सीधे कंगन की ओर इशारा किया, "ये एक कंगन कितने का हैं, कृपया बताएं ?"
स्टेंड के मालिक ने कंगन पर तिरस्कारपूर्ण एक नजर डाली।
क्यों? क्योंकि उनकी नजर में यह कंगन नकली था। वह तो उसे फेंकने का इरादा भी रखता था।
लेकिन चूंकि उसके लिए एक ग्राहक था इसलिए उसने अपना मुंह खोला, "50 युआन।"
पचास युआन बहुत काफी नहीं थे, लेकिन गु निंग के लिए यह अभी भी बहुत थे। हालांकि, गु निंग पैसे कमाने का कोई मौका चूकने को तैयार नहीं थी।
वह शुरुआत में ही अपना असली इरादा नहीं बताना चाहती थी, इसलिए उसने सौदेबाजी शुरू की, "क्या आप इसे कम कीमत पर बेच सकते हैं? मैं सिर्फ छात्रा हूं ओर वह भी कम पैसे वाली।"
"फिर 40 युआन, बस इससे कम नहीं।" स्टेंड के मालिक ने कहा। वह अभी भी मानता था कि कंगन एक बेकार कबाड़ था।
गु निंग ने एक पल के लिए संकोच करने का नाटक किया, फिर कहा, "ठीक है, मैं इसे लेती हूं।"
फिर उसने स्टेंड के मालिक को पैसे दिए।
स्टेंड के मालिक ने पैसे लिए और गु निंग को कंगन दे दिया।
गु निंग सीधे कंगन को लेकर मूल्यांकन केंद्र की ओर चली गई।
वह कंगन की पहचान करवाने के लिए नहीं, बल्कि पैसे के लिए मूल्यांकन केंद्र गई थी। केवल पैसे से वह अन्य काम कर सकती थी।
प्राचीन बाजार में एक बड़ा मासिक मेला लगा था, जहां कई आगंतुक थे। वहां पर एक सामान्य दिन में कई सौदेबाज आएंगे और सौदा करेंगे, लेकिन कीमत अधिक नहीं होती थी क्योंकि दुकानें पर्याप्त नहीं होती थी।
जब गु निंग मूल्यांकन केंद्र में पहुंची, तो वहां पहले से ही कोई था जो प्राचीन वस्तुओं की पहचान कर रहा था। लोग आसपास चारों ओर खड़े थे। कोई यहां सिर्फ मनोरंजन के लिए था, जबकि कुछ परिणाम के लिए यहां थे। अगर कुछ असली मिलता तो वे बोली लगाते।
वे सभी अनुभवी मूल्यांकनकर्ता थे और मूल्यांकन केंद्र के अपने नियम थे। अगर प्राचीन वस्तु नकली होती तो वे इसके लिए शुल्क नहीं लेते। यदि वह प्राचीन वस्तु असली होती तो आपको इस सेवा के लिए भुगतान करने की आवश्यकता होती। यदि वही मौके पर उसे बेचा जाता तो सेवा की कीमत अधिक होगी।
नियम स्वीकार्य योग्य थे।
गु निंग मूल्यांकनकर्ता की मेज पर चली गई। वहां एक मूल्यांकनकर्ता वस्तु की पहचान कर रहा था। यह एक नाजुक सूंघने की बोतल थी और प्राचीन दिख रही थी।
गु निंग ने अपनी प्रभावी आंखों का इस्तेमाल करा ओर उसको इसके आसपास कोई कोहरा नहीं दिखा। ये नकली था।
"ये नकली है।" परिणाम आने में लगभग 10 मिनट ही लगे।
"क्या? यह नकली है?" भीड़ के बीच एक पुरुष की सदमे से भरी आवाज आई। आदमी के चेहरे पर हैरानी थी, "यह असंभव है! यह नकली कैसे हो सकता है!"
"क्या आप अब मुझसे सवाल कर रहे हो?"मूल्यांकनकर्ता को सवालों से खुशी नहीं हुई।
उस आदमी ने तुरंत समझाते हुए कहा, "नहीं, नहीं, लेकिन यह मेरे दादा से लेकर मेरे पिता और मेरे लिए एक विरासत है। मैं इसे नकली नहीं मान सकता।"
मूल्यांकन केंद्र में उपस्थित बाकी लोगों ने अपनी सहानुभूति दिखाई।
"भाई, भले ही यह एक विरासत है, यह नकली हो सकता है।"
"सच!"
"शायद आपके दादाजी ने गलती की थी। ये बिल्कुल सामान्य बात है।"
दूसरों ने भी वही बात कही।
आदमी चेहरे पर अप्रसन्नता प्रकट करते हुए अपनी वस्तु लेकर तेजी से निकल गया। उसका मानना था कि ये एक असली प्राचीन वस्तु होना चाहिए थी और वह इसे बेचना चाहते थे लेकिन उन्हें आश्चर्य था कि यह नकली निकला।
तब, वहां तो ओर भी अधिक नकली थे, लेकिन किसी को भी निराशा नहीं हुई क्योंकि मालिकों ने उन "प्राचीन वस्तुओं" के लिए ज्यादा भुगतान नहीं किया था।
"नमस्ते, क्या तुम मेरे लिए इस कंगन की पहचान कर सकते हो?" अब गु निंग की बारी थी। उसने अपने द्वारा खरीदे गए कंगन को सौंप दिया।
गु निंग की उपस्थिति ने भीड़ के बीच चर्चा बढ़ा दी।
"जी, उसे ये गंदी चीज कहां से मिली? ये बहुत बदसूरत है।"
"ये छोटी लड़की पैसे के लिए पागल होगी क्योंकि ये स्पष्ट रूप से नकली है।"
दूसरों ने उसी बात को प्रतिध्वनित किया।
गु निंग ने उन सभी को नजरअंदाज कर दिया। चलो देखते हैं। उसने खुद से बोला।
यद्यपि मूल्यांकनकर्ता को भी ये विश्वास नहीं था कि ये असली है किन्तु फिर भी उसने अपना कार्य किया।
जब उसने धूल भरे कंगन को ऊपर लिया तो उसे पहली नजर में लगभग नफरत हो गई। हालांकि, जब वह कपड़े द्वारा दाग साफ कर रहा था तो कंगन का असली रंग दिखाई दिया।
ये यादृच्छिक क्रम में सफेद और नीला था और ये चीनी से बना था।
मूल्यांकनकर्ता थोड़ा भौंचक्का हो गया। उसने सोचा कि ये केवल एक आधुनिक कलाकृति थी। प्राचीन समय में कोई भी चीनी का उपयोग कंगन बनाने के लिए नहीं करता था।
लेकिन मूल्यांकनकर्ता ने जब शुरुआत कर दी थी तो उसने अपना काम खत्म करने का फैसला किया।
उसके बाद वह फिर कंगन साफ करता रहा। थोड़ी देर बाद उन्हें लगा कि कुछ असामान्य है।
दूसरों ने तुरंत पूछा।
"क्या हुआ?"
"क्या ये असली है?"
अपने काम पर ध्यान देते हुए मूल्यांकनकर्ता चुप रहा। थोड़े समय में कंगन साफ और चमकदार हो गया था।
अब सभी को पता चला गया कि कंगन चीनी का बना था। वे सभी निश्चिन्त थे कि ये नकली होना चाहिए क्योंकि किसी ने कभी नहीं सुना था कि प्राचीन समय में एक चीनी कंगन बनाया जा सकता था।
ये एक आधुनिक कलाकृति होनी चाहिए।
जबकि मूल्यांकनकर्ता ने अन्यथा सोचा। अब वह चकित और अति उत्साहित था।
"ये चीनी मिंग और किंग राजवंश से नीले और सफेद चीनी मिट्टी के बर्तन की है।" उसने अचानक कहा।
"क्या?"
"वास्तव में?"
सब लोग चौंक गए।
मिंग और किंग राजवंश से नीले और सफेद चीनी मिट्टी के बर्तन। फिर, ये एक असली था?
हालांकि, मिंग और किंग राजवंश में नीले और सफेद चीनी मिट्टी के बर्तन युआन या तांग राजवंश के समान महंगे नहीं थे पर ये बिल्कुल सस्ता भी नहीं था।
अचानक सभी ने ईर्ष्यापूर्वक गु निंग को देखा। किन्तु गु निंग हमेशा की तरह शांत थी, जिससे कि लोगों को आश्चर्य हुआ कि वह पहले से ही ये बात जानती थी।
असल में गु निंग केवल ये जानती थी कि ये असली था, लेकिन उसे इसका कोई अंदाजा नहीं था कि ये वास्तव में क्या था।
"ये मिंग और किंग राजवंश से नीले और सफेद चीनी मिट्टी के बर्तन का हिस्सा हैं। मुझे लगता है कि मूल बर्तन टूट गया होगा और किसी ने टुकड़े का कंगन बना दिया होगा। क्योंकि कोई भी जानबूझकर एक बहुमूल्य नीले और सफेद चीनी मिट्टी के बरतन को एक कंगन बनाने के लिए नहीं तोड़ेगा।"
"अरे लड़की, तुम्हें ये कंगन कहां से मिला?" किसी ने पूछा।
"मैंने अभी इसे एक सामान्य स्टेंड से खरीदा है," गु निंग ने सच कहा।
"क्या! तुमने अनजाने में इसे दुर्घटनावश ले लिया था?
क्या भाग्यशाली लड़की है?"
सब लोग मान गए।
"भाग्यशाली लड़की, क्या आप इसे बेचना चाहती हैं? मैं आपको 30 हजार दूंगा।" सूट पहने एक मध्यम आयु वर्ग के आदमी ने बिना किसी देरी के बोली लगाई।