वह छोटा सा लड़का निंग से काफी डर गया था, उसका चेहरा डर से पीला पड़ गया था। निंग उसे ओर डराना नहीं चाहती थी इसलिए वह उसके पास जाकर बैठ गयी, चांग ली ने उसे पियक्कड़ों के बीच धकेल दिया था, स्वाभाविक था कि निग क्षी ने काफी पी रखी थी और ऐसे में उसका सिर दर्द न करने लगे तो उसमें ही आश्चर्य की बात होती| और ऐसे में ही न जाने कब उसकी आँख लग गई। एक झपकी के बाद जब उसकी आँख खुली तो उसने देखा कि वह छोटा सा बच्चा उसके पैरों से लिपटकर सोया हुआ है, उसे बहुत ही दया आ रही थी इस बच्चे पर| न जाने किसका बच्चा है, यहाँ कैसे आ गया...उसने प्यार से उस बच्चे के सिर पर हाथ फेरा पर ये क्या? उसका सिर तो बुखार से तप रहा था, अब निंग क्षी वाकई घबरा गई| उसे अपनी तो कोई फिकर नहीं है, पर इस बच्चे का क्या?? उसे मालूम है कि जब तक ऑडिशन खत्म नहीं हो जाते, तब तक उसे यहीं रखा जाएगा, ये दरवाजा ऑडिशन ख़त्म होने के बाद ही खुलने वाला था, या शायद उसके भी कई दिन बाद तक भी न खुले। तब तक वह इस मासूम से बच्चे को यहाँ नहीं रहने दे सकती| ऊपर से इसे बुखार भी है...बुखार ज्यादा हो गया तो?? सोचकर ही निंग क्षी के दिल की धड़कनें बढ़ गई|
उसने सोचा कैसे भी करके इस बच्चे को बाहर निकाला जाए।
उसने इधर-उधर देखा तो ऊपर की तरफ उसे एक छोटा सा रोशनदान दिखा, उसने कमरे में अपनी नज़र घुमाई तो उसे लकड़ी की सीढ़ियाँ दिखाई दे गई| उसने सीढ़ियाँ उठाकर रोशनदान के पास रखी और बच्चे से कहा, "बेटा आप यहाँ से बाहर चले जाओ।" यह सुनकर बच्चा और डर गया और पीछे की तरफ खिसक गया। निंग क्षी ने उसे समझाया, "जाओ बेटा, बाहर जाओ| देखो तुम्हें कितना बुखार हो रहा है, प्लीज जाओ यहाँ से। बच्चे ने मासूमियत से ना में सिर हिला दिया| निंग क्षी समझ गई कि वह क्यों नहीं जाना चाह रहा है| उसने उसे फिर समझाया, " देखो ये रोशनदान काफी छोटा है, मै इसमें से निकल नहीं पाऊँगी वरना मै भी आती आपके साथ| आप मेरी फिकर मत करो, आप यहाँ से बाहर जाओ| मेरी मदद के लिए किसी को लेकर आ जाओ और मुझे भी यहा से आजाद करवा देना।"
यह सुनकर बच्चा जाने को राजी तो हो गया, पर सीढ़ियो पर चढ़ने के बाद उसको दूसरी ओर कूदने कूदने में डर लग रहा था| उसने निंग क्षी की तरफ पलटकर देखा| निंग क्षी चंद्रमा की रोशनी मे काफी खूबसूरत नज़र आ रही थी, पर उसका शरीर बुरी तरह से थक चुका था| वह बच्चे को आखिरी बार धक्का देते हुए बोली, "प्लीज जाओ... और इसी के साथ वह ज़मीन पर गिर गई| वह शारीरिक और मानसिक रूप से इस कदर थक चुकी है, उसे लग रहा था कि अब वह मर ही जाएगी...पर मन को संतोष था कि चलो मरने से पहले कुछ अच्छा काम तो किया, उस नन्ही सी जान को यहा से बाहर निकालकर उसने पुण्य का काम किया है ।
उस घटना मे उसका बच्चा उस दिन नहीं मरा होता तो शायद आज इसी उम्र का होता ।
5 साल पहले हुए उस कार दुर्घटना के बाद निंग परिवार निंग क्षी के कारण शर्मिंदा था, उन्होने निंग क्षी को किसी अंजान विश्व विध्याल्य मे पढ़ने के लिए अन्य देश मे भेज दिया था, जहां दूसरी पीढ़ी के राइस बच्चे पैसा उड़ाने को आते थे, निंग परिवार ने फिर निंग क्षी से दूरिया बना ली थी ।
निंग क्षी ने अपना दाखिला इस विश्व विध्यालय से निकाल के नानजिया कॉलेज मे प्रवेश ले लिया , वहाँ उसने पूरी मेहनत से ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिश की।
क्यूकी वो निंग क्षुएलुओ को हराना चाहती थी, ओर वह सब जो क्षुएलुओ ने उससे छिन लिया था , निंग क्षी उसे वापस पाना चाहती थी ।
सबसे महत्व पूर्ण था अभिनय मे खुद को साबित करना । अभिनय करना उसका सबसे बड़ा सपना था ।
विदेश से लोटने के बाद निंग क्षी , अपनी खूबसूरती ओर अभिनय कोशल के दम पर चंगी ली का ध्यान अपनी तरफ खिचने मे कामयाब हो गयी थी , उसके बाद वो मनोरंजन की सबसे बड़ी कंपनी स्टार लाइट मे प्रवेश पाने मे कामयाब हो गयी ।
स्टार लाइट मे उसके लिए असीमित समभावनए थी, पर निंग क्षुएलुओ ने भी इसी कंपनी मे काम करना शुरू कर दिया , ओर चांग ली को रिश्वत दे दे के अपने तरफ कर लिया ताकि निंग क्षी को दबा कर रख सके ।