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58.33% यंग मास्टर मो, आर यू डन किसिंग? / Chapter 35: उन्होंने कल रात उसे बहुत तंग किया

Chapitre 35: उन्होंने कल रात उसे बहुत तंग किया

Éditeur: Providentia Translations

अगले दिन, जब दिन सूरज उगने लगा, जी नुआन के दरवाजे को जोर से खटकाया गया जिससे वह उठ गयी।

उसने अपनी भौंहों को सिकोड़ लिया और पलटने की कोशिश की, लेकिन पलट नहीं सकी। उसका पूरा शरीर मो जिंगशेन की बाहों में था।

कल रात के बारे में सोचकर ... जो भी हो उसके चेहरे पर कोई शर्म नहीं थी। इसके बजाय, उसे ऐसा लग रहा था कि वह आक्रोश में कई बार उन्हें मारे।

उन्होंने उससे कहा था कि वह सोने के बारे में बिल्कुल न सोचे, और उसे वास्तव में नींद नहीं आई!

मो जिंगशेन असंतोष जताने में बहुत आगे थे। चूँकि जब वे एक-दूसरे को चिढ़ा रहे थे, तभी जी मेंगरान की बातों के कारण उसने अचानक उन्हें एक तरफ धकेल दिया था तो उन्होंने उसके इस बर्ताव पर नाराजगी जताई थी !

उसे बाथरूम में लाने के बाद, उन्होंने उसे तब तक चूमा जब तक कि वह कमजोर नहीं हो गयी थी। उन्होंने तब तक उसे छेड़ा और तब तक छुआ, जब तक वह और सहन नहीं कर पाई थी। बस जैसे ही वह उनके चिढ़ाने के वजह से चरम सीमा पर पहुंचने वाली थी कि ...

उन्होंने वास्तव में ऐसा अभिनय किया जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। उसे साफ करने के बाद, वह उसे बाहर ले आये और उसे बिस्तर पर फेंक दिया, उसे सोने के लिए पकड़ लिया। उन्होंने और कुछ नहीं किया!

इसकी वजह से वास्तव में उसका शरीर लंबे समय तक जल रहा था और सोते वक़्त उनके द्वारा पकड़े जाने के कारण यह सब हो गया। कोई फर्क नहीं पड़ा कि वह उनकी बाहों में कैसे संघर्ष कर रही थी, उन्होंने ऐसा अभिनय किया जैसे वह कुछ देख नहीं पा रहे थे, उसे कसकर पकड़कर उसे हिलने से रोकते रहे।

इस हद तक चिढ़ाने के बाद जहाँ कि उसके पूरे शरीर में आग लगी हुई थी, उन्होंने उसके लिए इस आग को बुझाने के लिए कोई रास्ता नहीं छोड़ा था। यह उस तरह की दवा के साथ नशा करने से भी बदतर था ...

जी नुआन का चेहरा निराशा और गुस्से से भर गया था। दरवाजे को जोरदार खटकाने कारण वह उनकी बाहों में आराम से सोने में असमर्थ हो गयी थी। उसने बैठने की कोशिश की, लेकिन तुरंत ही उसे वापिस पीछे धकेल दिया गया था।

उस आदमी की आँखें नहीं खुलीं थी। उनका सुंदर चेहरा सुबह के समय वाली उनींदापन से मुरझाया हुआ था। जैसे ही वह गुस्से में एक बार फिर उठने वाली थी, उन्होंने उसे पकड़ लिया और कर्कश आवाज़ में बोला, "यह सुबह के साढ़े पाँच बजे हैं? ऐसे समय में क्या कोई सामान्य व्यक्ति दस्तक देगा?"

यही उसने भी सोचा था। केवल बिना दिल वाला कोई व्यक्ति ही ऐसे समय में लोगों के सपनों में बाधा डालने के लिए आएगा।

जिस क्षण उसने इस तरह सोचा, वह तुरंत अनुमान लगा सकती थी कि यह कौन होगा।

उसका यहाँ से भगाना वाकई बहुत मुश्किल था।

सबसे अधिक संभावना है कि जी मेंगरान पिछली रात को सोई नहीं थी।

जी नुआन का मन और अधिक सावधान हो गया। वह उनके आलिंगन में सिकुड़ गई, लेकिन कल रात की प्रज्वलित यातना के कारण, उसने अपना मुंह खोला और उनकी छाती को थोड़ा सा काट दिया।

मो जिंगशेन ने घुरघुराते हुए, अपनी भौंहों को सिकोड़ कर उसके चारों ओर अपनी बाहों को कस दिया।

"आज्ञाकारी बनो। तुम जैसा चाहती हो, वैसा कुछ न करो। उनकी आवाज और भी कर्कश हो गई।

उसने यह मानने से इनकार कर दिया। कल रात उसे उस दयनीय अवस्था में प्रताड़ित करने के बाद, यह कैसे हो सकता है कि वह कोई संघर्ष नहीं करेगा?

अगर यह जी परिवार का घर नहीं होता, तो कल रात को वह सीधे उन्हें बिस्तर पर दबा लेती और उनके साथ जबरदस्ती करती।

कमरे के दरवाजे पर खटखटाने की आवाज और भी तेज हो गई। जी मेंगरान ने दरवाजे के बाहर आवाज लगाई, "बड़ी बहन! उठो, आह! आज धूप विशेष रूप से अच्छी है! चलो सुबह की सैर पर जाते हैं!"

जी मेंगरान पहले कभी इतनी मेहनती नहीं थी, न ही उन्होंने कभी सुबह की दौड़ में जाने की पहल की थी।

उसे नींद नहीं आ रही थी, वह सो नहीं सकती थी, लेकिन क्या उसने इस बात पर विचार किया या नहीं कि अन्य लोग थके हुए होंगे या नहीं?

जी नुआन अचानक उठकर बैठी। उसकी चाल बहुत आकस्मिक थीं जिससे मो जिंगशेन को हैरत हुई और उनकी आंखें खुल गयीं।

उनकी आवाज़ धीमी और शांत थी, "ऐसा लगता है कि जैसे भविष्य में मुझे तुम्हें इस जी परिवार में कम आने देना चाहिए होगा।"

जी नुआन ने दरवाजे की तरफ देखा। भले ही अगर उसे बिस्तर से उतरने की इच्छा नहीं थी तो इस कदर खटखटाने से, वह इतनी नाराज़ हो जाती कि जी मेंगरान के चेहरे पर दरवाजा मार देती।

"बड़ी बहन ... क्या तुम जाग रही हो ..." हालांकि, जानने के लिए, जी मेंगरान की आवाज़ दरवाजे के बाहर फिर से सुनाई दी।

जी नुआन ने लेट जाने का फैसला किया और अभिनय किया, जैसे उसने कुछ भी नहीं सुना। उसने यह मानने से इंकार कर दिया कि जी मेंगरान इस कदर ढीठ हो सकती है कि इस समय पे परिवार के अन्य सदस्यों की भावनाओं को नजरअंदाज करके वह दरवाजा खटकाये जा रही थी।

वास्तव में, कुछ और देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद, जी मेंगरान- जो अंदर से कोई आवाज नहीं सुन सकती थी- उसने अनुमान लगाया कि उसे नजरअंदाज किया जा रहा है। हालाँकि वह और नहीं खटका सकती क्योंकि उसके पिता और आंटी शेन दोनों जाग चुके थे!

"तुम इतनी सुबह क्या कर रहे हैं? क्या तुम नहीं जानती कि हर कोई आराम कर रहा है?" तीसरी मंजिल से नीचे जाते हुए जी हॉन्गवेन की भौंहे सिकुड़ गयीं। जिस क्षण उन्होंने जी मेंगरान को देखा, उनका चेहरा भावहीन हो गया।

जी मेंगरान ने तुरंत एक कदम पीछे रख लिया, सावधानी से अपनी आवाज़ में नरमी बरतते हुए कहा, "पिताजी, क्या अभी-अभी बड़ी बहन का जुकाम ठीक नहीं हुआ था? मैंने सोचा कि सुबह उनके साथ दौड़ने जाऊंगी ताकि उनका शरीर मजबूत हो सके..."

"मैं सामान्य रूप से तुम्हें इतनी जल्दी जागते हुए क्यों नहीं देखता हूं? क्या तुम नहीं जानती कि तुम्हारे बहनोई यहाँ अंदर है? तुम शोर क्यों मचा रही हो?" उसे डांटने के बाद, जी हॉन्गवेन को अब ऐसा महसूस हुआ कि वह अब सो नहीं सकता है। उन्होंने उसे एक बार फिर चेतावनी दी और नीचे जाने के लिए मुड़ गए।

उनके कमरे के बाहर शांति हो गयी थी। जी नुआन विशेष रूप से बहुत नींद में थी। स्थिर होने के बाद, उसने मो जिंगशेन के कोमल आलिंगन में अपना सिर घुसा लिया और वापिस फिर से सोने के लिए एक आरामदायक स्थिति पा ली।

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सुबह सात बजे के बाद, जी नुआन ने सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए खुद को तरोताजा महसूस किया। नीचे लोगों को देखकर, वह मुस्कुराई और ऊपर की ओर चिल्लाने लगी, "जिंगशेन, मैं अपना फोन लाना भूल गई। जाओ मेरे लिए फ़ोन ला दो।"

जी मेंगरान डाइनिंग टेबल पर बैठी थी। जब वह जी नुआन को डांटने के लिए शब्द ढूंढ रही थी, जो इतनी देर से सो के उठी थी, जी नुआन की हरकतों से उसके शब्द वापस उसके गले में ही अटक गए थे।

न केवल वह मो जिंगशेन की एक झलक को नहीं देख पाई थी, बल्कि जी नुआन के बोलने के बाद, वह नियमित नक्शेकदम को वापस कमरे में जाते हुए सुन सकती थी। वह स्पष्ट रूप से जी नुआन को उसका फोन लाकर देने के लिए चला गया था।

यह जी नुआन, उसने वास्तव में मो जिंगशेन को यहाँ और वहाँ आदेश दिया! उसने क्या सोचा था कि वह कौन थी!

एक मिनट से भी कम समय के बाद, मो जिंगशेन सीढ़ी पर वापस आ गए। जी नुआन अभी भी वहाँ खड़ी उनका इंतजार कर रही थी। उसने उनसे फोन लिया और अपनी पलकों को फड़फड़ाया। "शुक्रिया, पति!"

मो जिंगशेन की स्पष्ट काली आँखें उसकी निगाहों से मिलीं। उन्होंने शांति से अपने होंठों को मोड़ लिया। "चलो चल कर नाश्ता करते हैं। पिताजी पहले से ही इंतजार कर रहे हैं।"

उन दोनों को -एक ताज़गी से भरपूर और शिष्ट, जिससे लोगों का दिल घबरा जाता है, जबकि दूसरा उस हद तक शांत और सुंदर कि जहाँ दूसरे अपनी आँखें उनसे नहीं हटा सकते हैं एक साथ आते हुए देखकर - जी हॉन्गवेन भी परेशान नहीं हुए थे हालाँकि वे देर से उठे थे। इसके बजाय, वह मुस्कुराये और आंटी किन को उनका नाश्ता लेन के लिया कहा।

"पिताजी, सुप्रभात!" जी नुआन के भाव अच्छे थे, वह जी हॉन्गवेन के निकटतम कुर्सी पर बैठने के लिए चली गई थी।

उसे उस सीट पर जाते देखकर, शेन हेरु का चेहरा थोड़ा दुखी हो गया। वह कुछ व्यंग्यात्मक कहने वाली थी, लेकिन जिस क्षण मो जिंगशेन आये, उसने उनकी आभा और प्रतिष्ठा पर विचार किया और कुछ न बोलने का फैसला किया।

"अच्छा। तुम्हें नींद किसी आयी?" जी हॉन्गवेन का मिजाज अच्छा था जैसे उन्होंने जी नुआन को देखा। उन्होंने फिर मो जिंगशेन की ओर देखा। "यह पहली बार है जब आप दोनों अपनी शादी के बाद रहने के लिए जी घर वापस आए हैं। अगर ऐसा कुछ है जिसकी आपको आदत नहीं है, तो कहिए।"

मो जिंगशेन ने शांतिपूर्वक और विनम्रता से सिर हिलाया, अपने शिष्टाचार दिखाते हुए। "सब ठीक है। बेडरूम की ध्वनिरोधी दीवारें ज्यादा अच्छी नहीं हैं। हम ज्यादा शोर नहीं सुन पाए और पूरी रात अच्छी तरह सोये थे।"

ध्वनिरहित?

जी नुआन ने उन्हें एक लक्ष्यवेधी नज़र से देखा।

वास्तव में इस व्यक्ति की नीयत बहुत ख़राब थी। कल रात उसे उस हद पर तंग करने के बाद, ये शब्द स्पष्ट रूप से उसका मजाक उड़ाने के लिए थे।

उसने उदासी से उनकी ओर तीव्र नज़रो से देखा, लेकिन मो जिंगशेन केवल धीरे से हँसते रहे।

जी मेंगरान उनके ठीक सामने बैठी थी। मो जिंगशेन को देखने के लिए उसने अपना सिर उठाया।

जैसा कि वे जी परिवार में थे, मो जिंगशेन उतने कठोर और उदासीन नहीं दिखे जितने कि वो आमतौर पर दिखते थे। यद्यपि वह उदासीन लग रहे थे, उन्होंने जी नुआन के परिवार वालों के सामने ऐसा बिलकुल भी नहीं दिखाया जैसे कि वह उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं या फिर उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं।

उनके व्यवहार में निर्मलता और स्पष्टता थी जो एक नई सुबह के जैसी थी। यह देखकर वाकई अच्छा लगा।

हालाँकि, उनके हाथ जी नुआन की कुर्सी खींचने में व्यस्त थे। उनका ध्यान वहाँ बैठे ओर लोगों पर बिलकुल भी नहीं गया था।

जी मेंगरान ने चुपके से अपने हाथ के पास मेज़ की चादर को पकड़ लिया, उसे उस हद तक दबाया जहाँ कि उसका आकार विकृत हो गया।


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