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100% the obession to intimate / Chapter 2: I like That Strenger

Capítulo 2: I like That Strenger

" क्या जानना है ,,,पूछो " उसने मुस्कुराते हुए कहा ,वह अपनी जींस की दोनो पॉकेट में हाथ डाले चल रहा था ।

" वैसे आप यहां करने क्या आए थे ,,, क्योंकि अकेले तो कोई पार्क में घूमने नही आता " मैंने सवाल किया

" मैं एक दोस्त के साथ आया था ,,,वो अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने आया था ,,, वो उसको लेकर चला गया तो मैं थोड़ी देर के लिए पार्क में ही रुक गया ,,,सोचा की थोड़ा अकेले घुमा जाए ,,और देखो की आप जैसा दोस्त मिल गया " उसने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा,

" गर्लफ्रेंड तो आपकी भी होगी कोई ,,ना कोई ,,आप उसको साथ ले आते " मैंने उसे जानने के लिए सवाल किया

" गर्लफ्रेंड नही है मुझे गर्लफ्रेंड के चोंचले बर्दाश्त नहीं होते ,,, काम कुछ बनता नही पूरा टाइम चूतिया काटती रहती है ,,,और गर्लफ्रेंड में वो बात नही जो आप में है " आखिरी वाली लाइन बोलते हुए उसने आंख मारी तो बदले में मैं भी मुस्कुराया

" कभी रही ना या फिर कोई बनाई ही नही क्योंकि देख के लगता तो नही " मैने फिर से पूछा

" रही तो काफी मगर अपना असूल है की काम करो और खत्म ,,,फालतू की टेंशन नहीं संभालती मुझसे " उसने कहा तो मैंने उसकी बात को समझते हुए कहा

" यानी की सिर्फ सेक्स ,,," मैने नजरे झुकाते हुए कहा

" हा ,,,, मुझे चुदायी में इंट्रेस्ट है ,, अब चाहे चूत मिले या,,," उसने बात अधूरी छोड़ते हुए मुस्कुराया , उसके कहने का मतलब मैं समझ चुका था

" लगता है फिर तो आप इस काम में काफी एक्सपर्ट हो " मैने उससे खुलते हुए कहा

" एक्सपर्ट का तो आजमा कर पता चलता है ,,कभी मौका मिले तो खुद ही पता चल जायेगा " उसने डायरेक्टली न कह कर बात को घुमाया तो मैं उसकी बात पर मुस्कुराया

बाते करते करते कब हम करोल बाग पहुंचे पता ही नही चला , फिर हम होटल में पहुंचे , बुकिंग हम ऑनलाइन रास्ते में कर चुके थे तो हम खाली कमरे के लिए इधर उधर घूमना नही पड़ा ,हम सीधा होटल में पहुंचे ,

होटल रिसेप्शन पर सामने एक उसी का हमउम्र लड़का बैठा था , दिखने वो गुड लुकिंग था ,उसकी बॉडी को देख कर लगता था की वह जिम में वर्कआउट करता है , हम दोनो रिसेप्शन पर पहुंचे तो उसने बैठने का इशारा किया , और दोनो की आईडी मांगी , हमने उसे आईडी दी तो मेने नोटिस किया की वह लड़का मुझे बार बार देखे जा रहा था , उसने समीर की तरफ देखा और मुस्कुराया तो बदले में समीर ने एक अलग ही इशारे में उसकी तरफ आंख मारी । मैं इतना तो समझ चुका था की वे लोग इशारे में मेरे बारे में ही बात कर रहे थे , उसने फिर समीर से बात की और जरूरी कागजी काम किया , मैने रजिस्टर पर साइन किया और जैसे उसकी तरफ रजिस्टर घुमाया तो उसने मेरे हाथ को टच किया मेरे पूरे बदन में सिरहन सी दौड़ गई और फिर वो खुद हमे कमरा दिखाने साथ आया ,

कमरे के सामने पहुंचे तो उसने दरवाजे का लॉक ओपन किया और मैं अंदर कमरे मे घुसा जबकि समीर उस लड़के से वही दरवाजे पर खड़ा कुछ बात कर रहा था , मैं उसे देखने लगा तो उस लड़के ने समीर को आंख मारी और स्माइल दे कर चला गया ।

" वो क्या बाते कर रहा था " मैने उसको अंदर आते ही सवाल किया तो वो आकर बेड पर बैठ गया

" अरे कुछ नही तुम्हारी तारीफ कर रहा था " वह बेड पर पीछे की तरफ लेटते हुए बोला " कह रहा था की तुम्हारी गान्ड बहुत मस्त है एक बार चोद ने के लिए मिल जाए तो मजा आ जाए " उसने मेरी तरफ आंख मारी और स्माइल की

" ऐसी भी कोई तारीफ करता है ,,, " मैने अनजान बनते हुए सवाल किया

" अरे बाबा ये मर्दों का स्टाइल होता है ,,,समझे "उसने फिर से अपने लन्ड को सहलाया तो मेरी नजर फिर उसकी जिप पर जा रुकी , उसने मुझे जींस की ज़िप को गौर से देखते हुए देखा और मुस्कुराने लगा , अब हमारे बीच बाते थोड़ी खुल कर होने लगी थी , हम काफी क्लोज होने लगे थे तो मैंने खुल कर बोलना ही सही समझा और उसकी ही लैंग्वेज में बोला

" मर्दों का क्या है गांड़ देखते ही उनके अंडरवियर में झटके लगने लगते है " मैने पहली बार उसे इतने खुल कर कहा तो वो भी कॉम्फ्टेबल हो गया की मैं भी उससे खुलने लगा हूं

" जब गांड़ ही इतनी सेक्सी हो तो लन्ड का क्या कसूर " उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी जिप पर रख दिया ,मेरे हाथ को महसूस हुआ की उसका लन्ड पेंट के अंदर से उछल रहा था , मैने हाथ हटाने की कोशिश की तो उसने अपने हाथ से मेरा हाथ अपनी जिप के ऊपर दबाया , मेरे हाथ को उसके लन्ड की गर्मी महसूस हुई ।

" पार्क में बैठ कर इसे ही निहार रहा था ना तू भोसडी के " उसका अंदाज एक दम से बदल गया , उसने पहली गाली दी तो कानो मे उसकी मर्दाना आवाज घुलती चली गई , और दूसरी तरफ उसके लन्ड की गर्मी से मेरी गांड़ मचलने लगी ।

" नही ऐसी कोई बात नही थी ,,," मैने फिर थोड़ी शराफत दिखाई तो उसने हंसते हुए कहा

" बहन चोद इतना शरीफ तो है नही तू ,,तो भोसडी के सच सच जवाब दे" उसने जोर देकर पूछा , मुझे भी लगा की अब शराफत दिखाने का क्या फायदा , क्यों नही खुल कर बात की जाए

" निहारने वाली चीज निहारी ही जाती है " मैने थोड़ा शरमाते हुए कहा , तो उसने मेरे गाल को चूमा और अपने हाथ से मेरा हाथ लन्ड पर दबाते हुए बोला

" ये हुई न बात ,,,भोसडी के ,,,,,गाँडू तुझे वहां बैठा देख कर ही मैं समझ गया था की तू गान्डू है "

उसके मुंह से बात बात पर खुद को गान्डू सुन कर मेरी गान्ड उसके लन्ड से चुदने के लिए मचलने लगी थी । मेरा मन हुआ की ये अभी मुझको बिस्तर पर पटक कर अपने लन्ड से चोद दे ,,,और चोद चोद के मेरी गान्ड फाड़ डाले , मगर मैं खामोश रहा , जो हो रहा था उसे होने देना ही सही था ।

" वैसे तुझ से एक सवाल पूछूं अगर बुरा ना माने तो " उसने फिर थोड़ी शराफत से सवाल किया

" हूं पूछो "

" तेरा कोई बॉयफ्रेंड है " उसने साफ साफ लफ्जों में सवाल किया तो मुझे अच्छा लगा , मुझे अक्सर ओपन माइंड इंसान पसंद है जो उनके दिल में हो वही उनकी जबान पर भी हो , समीर में मुझे ये बात अच्छी लगी की उसके अंदर बनावट या दिखावा नहीं था । उसके जो दिल में था वह उसे साफ बोल रहा था , उसी वजह से मैं उसकी तरफ खींचता जा रहा था ।


REFLEXIONES DE LOS CREADORES
TriShiv TriShiv

Somtime strenger man atrect for talking, and feel like that's man is our dream man , when show him you feel like sexy

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