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96.77% RAMYA YUDDH (राम्या युद्ध-रामायण श्रोत) / Chapter 30: क्या वो चले गय होंगे या फिर इधर ही होंगे!will he be gone or will he still be here

Capítulo 30: क्या वो चले गय होंगे या फिर इधर ही होंगे!will he be gone or will he still be here

राम्या सूर्य की आवाज सुन कर पीछे तेजी से देखा और अपने हाथ आगे कर के शक्ति से रोकने की कोशिश की, वो भैंस को जैसे राम्या का शक्ति लगा वो भैंस वहा से वापस मुड़ कर जाने लगा था राम्या को कुछ शंका हुआ और सूर्य से कह कर उस भैंस के पीछे भागने ," सूर्य माते को अंदर ले जाओ हम आते है!." अंजन तेजी से राम्या को देख कर जोर से कही," नही राम्या तुम रुक जाओ!." परंतु राम्या अंजन की वाक्य नही सुना और उस भैंस के पीछा भागने लगा था, राम्या उस भैंस के पीछे काफ़ी दूर जाने के बाद राम्या को वो भैंस नजर नही आया राम्या आश्चर्य चकीत हो कर चारो तरफ देखने लगा, परंतु वो भैंस राम्या को नही दिखा, तो राम्या वही से मुड़ कर अपने मां अंजन के पास चल दिया, तभी सूर्य अंजन को अपने हाथ से उठा कर उस मंदिर के अंदर चला गया, बारिश की वजह से सब भीग गय थे, अंजन जैसे अंदर गई तभी आवाज एक आवाज सुनाई दिया," माते.. !." अंजन ये आवाज सुन कर जब पीछे घूम कर देखी तो राम्या बारिश में भीग रहा था, अंजन राम्या को रोते हुए देख रही थी, तभी राम्या धीरे धीरे अंदर चला गया और उस बालक के शरीर पे पाना हाथ फेरते हुए कहा," मां ये बालक किसका हो सकता है!." अंजन रोते हुए कही," पुत्र ये बालक हस्तीपुर के राजा दशरथ के भाई का पुत्र है, अर्थात तुम इसे अभी की अभी ले जाओ और उन्हे ये बालक अर्पित कर दो, और हा उनसे माफ़ी मांग लेना ,यदि माफ कर दिए तो सही यदि नही किए तो अपना दोष उतर जायेगा!." राम्या अंजन की वाक्य सुन कर आचार्य से पूछा," हस्तीपुर के राजा दशरथ लेकिन इन्हें तो हम नही जानते है अर्थात अभी इतनी बारिश में कैसे जा सकते है! यदि आपको कोप न हो तो मैं कल सुबह ही ले कर चलें जायेंगे!." ये बात सुन कर अंजन राम्या को एक जोर का थापड़ लगा दी, राम्या मायूस होकर अपने मां के चेहरा ले गौर से देखने लगा, फिर से आगे आक्रोश में अंजन कही," एक तो गलती करते हो और बोलती हूं की जाकर स्वीकार करो तो नकार देते हो, तुम्हारी झूठी वचन और चल कपट की वजह से आज एक बालक की मां का जान चला गया, सोचो यदि तुम्हारे साथ हुआ रहता तो तुम क्या करता !." राम्या अंजन की शब्द सुन कर अपना सर नीचे कर लिया और अपने मां की डांट सुनने लगा, अंजन आक्रोश में कह रही थी," अभी की अभी इसे ले जा कर समर्पित करके आओ नही तो आज से तुम्हारे लिए ये दरवाजा बंद हो जाएगी हमेशा के लिए!." इतना कह कर अंजन राम्या को बाहर कर दी और उस बालक को राम्या के हाथ में थमा दी और खुद जाकर अंदर दरवाजा बंद कर दी, परंतु सूर्य भी उस समय राम्या के साथ बाहर खड़ा था, और जोर से बारिश हो रही थी, राम्या अंदर बिस्तर पे लेट कर रो रही थी, राम्या बाहर बारिश में उस बालक को लेकर खड़ा था और कुछ सोच रहा था, तभी सूर्य पास कर कहा," मुझे माफ कर दो राम्या, मुझे नही पता था की माते इतना क्रोध ही जायेगी, अर्थात चलो फिर से चलते है गुरु जी के पास!." राम्या सूर्य की वाक्य सुन कर कहा, तुम्हारे पास दिमाग नही है, अब वहा जायेंगे तो गुरु जी हमे आश्रम से निकाल देंगे, उसे अच्छा है मैं हस्तीपुर जा रहा हूं!." इतना कह कर राम्या वहा से चल दिया पैदल तभी सूर्य रोक कहा," राम्या मेरी बात सुनो यह से बहुत दूर है कैसे खोजेंगे वहा पे जाकर इसे अच्छा हम गुरु जी को बता देते है!." सूर्य राम्या के पास जाकर कहा परंतु राम्या एक नही सुना और वहा से चल दिया बारिश में भीगते हुए ही, राम्या ढंड से कांप रहा था, सूर्य देखा का कहा," राम्या देखो कितना ठंड लग रहा है यदि गुरु जी के पास नही चलोगे तो चलो मां को मानते है वो मान जायेगी!." राम्या सूर्य की वाक्य सुन कर रुक गया और इतमीनान से कहा," नही मैं अपनी मां की वचन नही तोड़ सकते है, मैं जाऊंगा चाहे कितना भी कष्ट क्यों न हो!." इतना कह कर राम्या वहा से चल दिया तो सूर्य भी साथ चलते हुए कहा," राम्या रुको हम्भी साथ चलेंगे!." फिर दोनो वहा से एक साथ चल दिए हस्तीपूर, अंजन अंदर बिस्तर पे सो कर रो रही थी और सोच रही थी," मेरा पुत्र कहीं सच में चला गया तो मैं कैसे जी पाऊंगी, उसे अभी रोकना होगा!." ये सोच कर दरवाजा खोल कर बाहर निकली कुछ राम्या से कहने के लिए तो राम्या वहा से जा चुका था, अंजन हैरानी से चारो तरफ देखने लगी और फिर आगे उसी बारिश में खोजते हुए चल दी, काफी दूर चली गई खोजती हुए परंतु राम्या नही मिला, तभी अंजन को दो तीन बालक बारिश में नहाते हुए दिखे अंजन उन बालक के पास जाकर पूछी," पुत्र क्या कोई दो बालक इधर से गय है हस्तीपुर की तरफ!." उन दोनो बालक का उम्र राम्या के बराबर था, उन बालक में से एक कहा," नही माते हमने अभी तक किसी को नही देखा है!." फिर अंजन आगे कहती है," वो गोद में एक नन्हा सा बालक लिया हुआ था, और इस रास्ते से जा रहा था!." उन दोनो बालक में से एक बालक कहा," नही माते मुझे नही पता, परंतु हो सकता है की कहीं गय होंगे आप खुद आगे जाकर देख लो!." अंजन उस बालक का वाक्य सुन कर कुछ नही बोल पाई और वहा से चल दी, तभी उनमें से दूसरा बालक अंजन की प्रेषाणी देख कर बोल बैठा," माते वो दोनो बालक किसी बालक को लेकर इधर हस्तीपुर की तरफ जा रहे थे, परंतु उसमे एक बालक था जो बहुत मायूस लग रहा था!." उस बालक ने राम्या के बारे में कहा, अंजन ने तेज तेज सांसों में आगे पूछा," क्या वो चले गय होंगे या फिर इधर ही होंगे!." वोही बालक फिर से आगे कहा," नही माते वो अब तक तो पहुंच चुके होंगे! ऐसे आप इतना प्रेशान क्यू दिख रही है, कहीं वो बालक आपका तो नही था!." अंजन ये बात सुन कर थोड़ा हैरान हो गई लेकिन फिर मुड़ी हिला कर कही," हा पुत्र वो मेरे ही पुत्र था!." इतना कह कर अंजन वहा से वापस जाने के लिए घूमी तभी वो बालक फिर से कहा," माते क्या हुआ, आप वापस जा रही हो!." अंजन रोते हुए कही," हा पुत्र, वैसे वो अब हस्तीपुत चला गया होगा और हम वहा नही जा सकती है इस लिए मैं वापस जा रही हूं!." इतना कह कर अंजन वापस जाने लगी, तभी अंजन को हसने की आवाज सुनाई दिया," हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा.. !." अंजन ये आवाज देख डर गई और पीछे घूम कर

to be continued....

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