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हमारी अधूरी कहानी (एक नई दास्ताँ) हमारी अधूरी कहानी (एक नई दास्ताँ) original

हमारी अधूरी कहानी (एक नई दास्ताँ)

Autor: shoheb_aamin_0

© WebNovel

Capítulo 1: मासूम प्यार

साहील (एक लड़का जो सिर्फ 12वी कक्षा में पढ़ता है ओर साथ ही एक टीचर भी हैं।)

फ़रीन आमीना(एक लड़की जो साहिल का प्यार था)

परवीना खान ( एक लड़की जो साहील को पसंद करने लगी थी, और फ़रीन आमीना की मौसी की लड़की हैं)

साहिल फ़रीन को बेइंतेहा मुहब्बत करता था। उसके सिवा वो कुछ देखता ही नही था। उसकी सीरत ऐसी थी कि किसी को न तकलीफ देता न ही किसी को तकलीफ में देखता। उसे मासूम कहना गलत नही होगा।

वो रोज़ स्कूल जाता स्कूल के बाद अपने students को पढ़ाता, फिर खुद पढ़ता और उसके बाद निकल पड़ता अपनी मुहब्बत की गलियों में। सच बताऊं तो वो गालियां उसे इतनी खुशी देती मानो जन्नत में आ गया हो। वो किसी गम को नही जानता था। वो तो बस अपनी जेब मे खुशिया भर के निकल पड़ता उन गलियों में जहां उसे जन्नत वाली फीलिंग आति।

फ़रीन और साहिल जब एक दूसरे को देखते तो ऐसे खो जाते मानो किसी और ही दुनिया खो गए हो। एक दूसरे की आंखों में इस तरह डूब जाते मानो एक गहरे दरिया की गहराई में चले गए हो।

उन्हें एक दूसरे पर इतना यकीन था कि साहिल के दोस्त एक दूसरे के बारे में कितना भी भड़काए लेकिन दोनों के कान पर जूं नही रेंगती थी। दोनों एक दूसरे पर खुद से ज्यादा यकीन रखते थे। वो एक दूसरे को इतना जानते कि आंखों से दिलोदिमाग पढ़ लेते।

एक दिन मेरा दोस्त मुझसे बोला की इन दोनों को चैक करते हैं क्या ये सच मे एक दूसरे पर यकीन रखते हैं

मेने उनसे कहा...

ये तो मुहब्बत हैं, इसमें आजमाइश कैसी

बस अब वो उसे मिल जाये, इसके सिवा कोई ख़्वाहिश कैसी....

दोस्तों को मेरी बात समझ मे आ गयी उन्होंने शोहेब को सताना छोड़ दिया।

एक दिन में और साहिल अपने सभी दोस्तों के साथ फ़रीन के घर के सामने बैठा हुआ था। सभी दोस्त मस्ती मजाक में लगे हुए थे।

फ़रीन के अब्बू बाहर आते हैं और साहील को कहते हैं "बेटा आज फ़रीन की खालाजान आ रही है और वो यही पर शिफ्ट होने आए हैं। तो उन्हें कोई भी हेल्प चाहिए तो कर देना" साहील कहता हैं "अंकल आप फिक्र न करे उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत नही होगी"

दिन के दो बजे थे तभी एक कार आकर रुकती हैं। साहील वही मौजूद था। फ़रीन साथ मे थी।

एक औरत कार से निकलती हैं। फ़रीन उठती हैं और सलाम करती हैं। साहील समझ गया था कि यही खालाजान हैं। वो भी सलाम करता हैं। और उसके सलाम करते ही सारे दोस्त एक साथ सलाम करते हैं। साहील उनसे उनके हालचाल पुछता हैं। वो औरत बात करती हुई अपने बैग निकलने लगती हैं।

जैसे ही वो बैग उठाने लगती हैं साहील उनसे ये कहते हुए बैग ले लेता हैं कि "आप रहने दे में उठा लेता हूं" खालाजान कहती हैं। "अरे नही बेटा आप क्यों तकलीफ कर रहे हो में कर लुंगी" साहील उनकी नही सुनता और बेग को उठाकर अंदर रखवा देता हैं, फिर वापस बाहर आता हैं। खालाजान अपनी बेटी जो अभी कार में ही थी' को उतरने की बोलती हैं । कार से एक लड़की निकलती हैं और इधर उधर देखने लगती हैं तभी उसकी नज़र साहील पर पड़ती हैं। वो बस देखती रहती हैं। और उसी में खो जाती हैं। तभी खालाजान अंदर जाने को बोलती हैं और आमीन को thanks बोलती हैं। साहील reply में कहता हैं "अरे खालाजान ये तो मेरा फ़र्ज़ था।

वो लड़की अभी भी सहील को देखे जा रही थी। साहील ने अपनी नज़रे निचे कर ली। क्योकि वो तो फ़रीन के सिवा किसी और लड़की की तरफ आंख उठाकर न देखता था।

लड़की बोलने लगी "आपका नाम जान सकती हूं"

साहिल ने जवाब दिया "मेरा नाम साहील हैं में यहीं पास ही में रहता हूँ" पता नही क्यों पर वो लड़की खुश हो गयी

साहील बोलता है "आपका नाम क्या हैं"

लड़की ने जवाब दिया " परवीना खान "

साहील ने कहा " अच्छा नाम हैं। वेसे आप कहाँ से हो "

"में नागपुर से हूँ " लड़की जवाब देती हैं।

सब घर के अंदर जाते हैं। वो लड़की पहली नज़र में साहील को पसंद करने लगी थी। लेकिन साहील को ये पसंद न आया। उसने फ़रीन से कहा "मुझे ये लड़की ठीक नही लग रही। में चलता हूँ।"

ये बोलकर साहील चला जाता हैं। फ़रीन उस लड़की को अपने पास बुलाती हैं और बात करने लगती है बातों बातों में वो ये भी कह देती हैं कि साहील से वो बहुत प्यार करती हैं और साहील भी उस से बहुत प्यार करता हैं। परवीना बात को बीच मे ही काटती हुई कहती हैं। "अब तू इसे भूल जा क्योकि में आ गयी हूँ।"

इतना कहकर वो बाहर चली जाती हैं।

ये बात फ़रीन को बहुत बुरी लगती हैं| वो ये बात सहीं को बताती हैं| साहील ये बात सुनकर उससे बोलता हैं "तुम टेंशन न लो इस कुछ नही होने वाला| अब अगले ही दिन परवीना के अब्बू भी आ जाते है| उन्हे साहील की बहुत सी बातें अच्छी लगती हैं| वो रोज उसकी तारीफ करते रहते | वो चाहे कोई भी काम करे वो उनके लिए पानी का गिलास भी देता तो वो उसकी तारीफ करने से न चूकते थे| एक दिन साहील उनके घर नही आया तो उनका मन भी न लगा वो सोच रहे थे कि वो आएगा| इसी तरह रात हो जाती हैं| रात के 7: 30 हो चुके थे तभी सत्तार अंकल अपनी बेटी परवीना से बोलते हैं| की "जाओ बाहर साहील आया हैं या नही देखो " परवीना बाहर जाकर देखती है की वो बाहर ही खड़ा हुआ था और फ़रीन कि अम्मी से बात कर रहा था| वो उसे बुला लेती हैं| सत्तार अंकल से सलाम करता हैं और बात करने लगता हैं| वो उससे पूछने लगते हैं " आज सुबह से आये नही तबियत खराब थी क्या आपकी?

साहील जवाब देता हैं "नही अंकल आज क्लास को दो शिफ्ट में पढ़ाया तो टाइम नही मिला" अंकल को ये नही पता था कि वो टीचर भी हैं| लेकिन जब उन्हें पता चलता है तो वो ओर खुश हो जाते हैं | इसी तरह रोज बातों का सिलसिला चलता रहा

लेकिन कहते हैं ना

Everything in life is temporary

उसकी लाइफ भी शायद ऐसी ही |

ये बात हम जानेंगे अगले पार्ट में...

■■■


REFLEXIONES DE LOS CREADORES
shoheb_aamin_0 shoheb_aamin_0

इस कहानी को अगर फ़ील कर के पढ़ा जाए तो आप पाएंगे जैसे सब आपकी आंखों के सामने हो रहा हैं। तो फीलिंग्स के साथ पढ़े।

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