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70% aawara ashiq / Chapter 7: मजबूरियां-2

Capítulo 7: मजबूरियां-2

इस कहानी के सभी पात्र एवं घटनाएं काल्पनिक है उनका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है अगर ऐसा होता है तो यह केवल एक संयोग मात्र है

सुशीला 21 साल की छरहरी काया की मालकिन थी अभी साल भर पहले उसका विवाह अनुज से हुआ था दोनों कॉलेज टाइम से ही एक दूसरे से प्रेम करते थे कॉलेज के बाद अनुज की नौकरी एक प्राइवेट कंपनी में बतौर मैनेजर लग गई थी दोनों के परिवार वालों को उनके प्रेम संबंध के बारे में पता था इसलिए उन्होंने उनकी शादी करवा दी दोनों का जीवन बड़ी खुशी खुशी व्यतीत हो रहा था अनुज अपने परिवार का इकलौता लड़का था उसके पिताजी बैंक से रिटायर हुए थे घर पर माताजी पिताजी अनुज और सुशीला थे

सुशीला के मानो मन की मुराद पूरी हो गई थी उसके सास ससुर सुशीला को बहुत प्यार करते थे परिवार में हंसी खुशी का माहौल था मगर एक दिन उनकी खुशी को किसी की नजर लग गई पूरा परिवार गर्मियों की छुट्टी में घूमने के लिए जा रहा था अनुज गाड़ी चला रहा था उसके पिताजी उसकी बगल वाली सीट पर बैठे थे पीछे की सीट पर सुशीला की सास और सुशिला बैठे थे चारों हंसी खुशी घूमने के लिए जा रहे थे तभी अचानक सामने से आते एक ट्रक का टायर फट गया और मैं बेकाबू होकर इनकी गाड़ी पर चढ़ गया टक्कर इतनी भीषण थी अनुज और उसकी मां की मौके पर ही मृत्यु हो गई सुशीला और उसके ससुर को भी चोटे आई थी 2 महीने अस्पताल में रहने के बाद उन दोनों को छुट्टी दे दी गई हंसता खेलता परिवार बर्बाद हो चुका था सुशीला जो हर दम हंसती खिलखिलाती रहती थी एकदम शांत हो गई थी पूरा दिन अपने कमरे में बैठ कर रोती रहती थी उसके ससुर जी भी अपने कमरे में बैठे रहते थे कुछ दिन तक मोहल्ले पड़ोस वाले आकर सांत्वना दे जाते थे फिर थोड़े दिन बाद उनका भी आना जाना बंद हो गया अब तो घर में सन्नाटा पसर गया एक दिन सुशीला के ससुर ने सुशीला को समझाया बेटा अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है क्यों ना तुम दूसरी शादी कर लो यह सुनकर सुशीला बहुत रोई थी और उस पर रोते हुए अपने ससुर से कहा पिताजी आज के बाद आप यह बात दोबारा नहीं करेंगे मेरा अब इस दुनिया में आपके सिवाय और कौन है अब मैं अपनी सारी जिंदगी आपकी सेवा में लगा दूंगी उन्होंने कहा बेटा जब तक मैं हूं तब तक तो कोई चिंता नहीं है मगर मेरे जाने के बाद तुम्हारा क्या होगा यह सुनकर सुशीला बहुत रोई थी उसके ससुर भी अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए और दोनों काफी देर तक रोते रहे शाम हो गई थी दोनों में सुबह से कुछ भी खाया पिया नहीं था सुशीला उठी और किचन में जाकर चाय बना लाई उसने अपने ससुर को चाय दी तो उन्होंने मना कर दिया बोले बेटा मेरा मन नहीं सुशीला हैरान थी आज पहली दफा उन्होंने चाय को मना किया था सुशीला को पुराने दिन याद आने लगे जब वह शादी करके इस घर में आईं अगले दिन सुबह से शाम तक उसने अपने ससुर को कई बार चाय बना कर दी थी उन्हें चाय पीने का बहुत शौक था और उसकी सास और ससुर ने अक्सर चाय को लेकर नोकझोंक हो जाती थी और आज उन्होंने चाय को ही मना कर दिया था तभी इत्तेफाक से पड़ोस वाले शर्मा जी उनके घर आ गए उन दोनों को रोता देख कर उन्होंने समझाया कि ऐसे रोने से काम नहीं चलेगा आप दोनों को अपने आप को संभालना होगा उन्होंने काफी देर तक दोनों को समझाया बुझाया और फिर चाय पीकर अपने घर चले गए उनकी बातें बहुत देर तक सुशीला और उसके ससुर जी के दिमाग में घूमती रही दोनों काफी देर तक शांत बैठे रहने के बाद उठकर अपने-अपने कमरों में सोने के लिए चले गए दोनों अपने बिस्तर पर लेटे हुए करवट बदल रहे थे नींद उनकी आंखों से कोसों दूर थी काफी देर तक जागते रहने के बाद सुशीला की आंख लग गई सुबह जब उसकी आंख खुली और वह कमरे से बाहर है तो देखा ससुर जी गार्डन में पौधों की देखभाल कर रहे थे उन्हें पेड़ पौधों का बहुत शौक था मगर अनुज के जाने के बाद उन्होंने पेड़ों को देखा भी नहीं था मगर आज अचानक वह पहले की तरह उनकी देखभाल करते हुए उनसे बातें कर रहे थे यह देखकर सुशीला बहुत खुश हुई और किचन में जाकर चाय बना लाई तब तक उसके ससुर जी भी अंदर आ गए थे उसने उन्हें चाय दी और बोली पिताजी आज आप अच्छे लग रहे हो उन्होंने कहा बेटा मैं कल रात शर्मा जी की बात को सोचता रहा और फिर इस निर्णय पर पहुंचा उन्होंने बिल्कुल सही कहा जाने वाले तो चले गए मगर हम दोनों को अभी अपनी जिंदगी गुजारनी है और अगर ऐसे घुट-घुट कर जीते रहेंगे तो शायद उन्हें भी दुख होगा इसलिए मैंने फैसला किया है अब से हम दोनों पहले की तरह खुश रहेंगे और एक दूसरे का सहारा बनेंगे उनकी बातें सुनकर सुशीला बहुत खुश हुई चाय पीने के बाद ससुर जी ने पूछा बेटा कुछ सामान लाना है तो बता देना मैं बाजार जा रहा हूं सुशीला ने उन्हें सामान की लिस्ट दे दी उनके जाने के बाद वह घर की साफ सफाई में लग गई जब तक ससुर जी बाजार से आये सुशीला घर की साफ सफाई करके नहाने चली गई

दोनों ने एक दूसरे के सामने खुश रहने का नाटक शुरू कर दिया था मगर अंदर ही अंदर दोनों बहुत उदास है और जब भी कमरे में अकेले होते थे तो पुरानी बातों को याद करके रोते रहते थे धीरे-धीरे समय गुजरने लगा और एक दिन जब सुशीला सो कर उठी तो तो उसने देखा उसके ससुर जी अभी तक सो रहे हैं उसको लगा शायद रात में देर से सोए होंगे इसलिए आंख नहीं खुली वह अपने घर के कामों में लग गई मगर जब 2 घंटे बाद भी उसके ससुर नहीं उठे तो उसे चिंता होने लगी उसने ससुर जी को आवाज लगाई मगर जब कोई जवाब नहीं आया तो वह दरवाजा खोल कर कमरे में चली गई पिताजी बिस्तर पर लेटे हुए थे उसने पास जाकर उन्हें जगाना चाहा जैसे ही उसने उन्हें छुआ तो वह चौक पड़ी पिताजी का बदन तप रहा था उन्हें बहुत तेज बुखार था उसने तुरंत डॉक्टर को फ़ोन करके बुलाया थोड़ी देर बाद डॉक्टर आ गया उसने जांच करके दवाइयां लिख दी और थोड़ी थोड़ी देर बाद उनके माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रखने को कहा पिताजी को शाम तक भी होश नहीं आया था सुशीला को चिंता हो रही थी उसने डॉक्टर को फोन किया तो थोड़ी देर बाद डॉक्टर आ गया उसने इंजेक्शन लगाया और सुशीला को उनकी देखभाल करने के लिए समझाया अगर रात में इनका बुखार नहीं उतरता है तो कल इन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवा देंगे रात में यदि बुखार बढ़ जाए तो इन के माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रख देना सुशीला को सारी दवाइयां समझा कर डॉक्टर चला गया सुशीला वही कमरे में पिताजी के पास बैठी थी और थोड़ी थोड़ी देर में उनका बुखार नाप रही थी सुबह 6:00 बजे घड़ी के अलार्म से उसकी आंख खुली वह सारी रात कुर्सी पर ही बैठे हुए सो गई थी उसने उठकर बुखार देखा तो अब बुखार नहीं था उसे सुकून हुआ और मैं उठकर अपने कमरे में आकर नहाने चली गई धीरे धीरे उनकी जिंदगी अब वापस पटरी पर लौटने लगी थी दोनों ने ही हालात से समझौता कर लिया था दोनों दिन भर एक दूसरे की मदद करते हुए अपनी जिंदगी काट रहे थे अनुज की मौत को 1 साल से ज्यादा हो गया था एक दिन बाजार से लौटते हुए पिताजी अपने साथ एक 28 साल की भरे पूरे बदन की औरत को साथ ले आए देखने में भिखारी लग रही थी उसके कपड़े बहुत गंदे थे उसे देखकर सुशीला को बड़ी हैरानी हुई उसने पिताजी की तरफ देखा तो वह बोले यह बिचारी बाजार में भीख मांग रही थी मुझे इस पर तरस आ गया इसका दुनिया में और कोई नहीं है बेचारी का घर और परिवार बाढ़ में बह गया अब अकेली असहाय हैं तो मैं इसे अपने साथ ले आया सोचा इसकी कुछ मदद हो जाएगी और तुम्हारे साथ घर के काम में हाथ भी बंटा देगी सुशीला को पिताजी का यह परोपकार पसंद तो नहीं आया मगर उसने कुछ कहा नहीं सुशीला ने उसको एक गिलास पानी ला कर दिया फिर उसके बारे में जानने की इच्छा से उससे बातें करने लगी उसने बताया उसका नाम माया है और वह बिहार की रहने वाली है गांव में उसका ससुर और सास थे उसके भी पति का देहांत हो गया था यह सुनकर सुशीला के मन में उसके प्रति दया भाव उत्पन्न हो गए उसने माया को नहा कर साफ होने के लिए कहा और उसके लिए कुछ पुराने कपड़े ले आई माया नहाने चली गई और सुशीला किचन में चली गई सुशीला जब खाना बना रही थी तो माया नहा कर सीधे किचन में पहुंच गई और सुशीला को काम करने के लिए मना करने लगी बोली दीदी आप रहने दो अब से घर का सारा काम मैं कर लूंगी सुशीला ने उसे देखा तू देखते ही रह गई नहा धोकर और अच्छे कपड़े पहन कर उसका तो रंग रूप ही निखर आया था जो माया अभी कुछ देर पहले तक भिखारी लग रही थी उसका तो हूलिया ही बदल गया था उसका गोल सावला चेहरा भरा पूरा शरीर मोटी मोटी चूची और गोल भारी नितंब देखकर सुशीला खो सी गई थी उसका जवानी से भरा हुआ सुडौल बदन अब खील कर बाहर आ गया था सुशीला तो उसे एकटक निहार रही थी तभी माया की आवाज में उसका ध्यान अपनी ओर खींचा माया हंस कर बोली दीदी आपके कपड़े बहुत अच्छे हैं मैंने आज तक इतने महंगे कपड़े कभी देखी भी नहीं पहनना तो बहुत दूर की बात है आप और बाबूजी बहुत अच्छे हैं वरना एक अनजान असहाय अबला को कौन शरण देता है अब आप देखना मैं आपको एक भी काम करने नहीं दूंगी

माया अब पूरे घर की जिम्मेदारी संभालती थी सुशीला को कुछ भी काम करने नहीं देती थी घर का सब काम फटाफट कर देती थी खाना तो बहुत ही स्वादिष्ट बनाती थी माया अब उनके परिवार का हिस्सा हो गई थी कुछ दिन बाद रात को अचानक सुशीला की आंख खुली उसे प्यास लगी थी उसने उठकर पानी पीने के लिए जग उठाया तो जग खाली था वह पानी लेने किचन में गई बीच में माया का कमरा था जैसे ही खिड़की के पास पहुंची तो उसके कदम ठिठक गए माया कराह रही थी उसकी दबी दबी सिसकारियां निकल रही थी उत्सुकता वश सुशीला ने खिड़की से अंदर झांका कमरे में नाइट बल्ब की मध्यम रोशनी में माया फर्श पर नग्न अवस्था में लेटी हुई थी वह एक हाथ से अपनी मोटी चूचीयो को दबा रही थी और दूसरा हाथ अपने टांगों के बीच में तेजी से हिलाते हुए सिसकारियां ले रही थी एक मोटा लंबा खीरा अपनी योनि में घुसा रहीं थीं सुशीला को शर्म महसूस हुई वह पानी लेकर सीधे अपने कमरे में आ गई उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी बिस्तर पर लेटे हुए करवट बदल रहीं थी अनुज को याद करते हुए पता नहीं कब उसकी आंख लग गई धीरे धीरे माया और सुशीला की दोस्ती हो गई थी अब वह अक्सर एक दूसरे को अपनी पिछली जिंदगी की बातें बताती थी समय गुजरता गया एक दिन दोपहर का समय था सुशीला अपने कमरे में टीवी देख रही थी तभी अचानक दरवाजे पर कोई आया था सुशीला ने माया को आवाज दी मगर जब काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला तो सुशीला ने उठकर दरवाजा खोलो वह कोरियर वाला था कोरियर ले कर सुशीला अंदर आई तो देखा माया घर पर नहीं है बिना बताए पता नहीं कहां चली गई वह उसे देखने छत पर गई यह सोच कर शायद छत पर हो मगर जैसे ही छत पर पहुंची तब एक जानी पहचानी आवाजें सुनाई दी यह माया की सिसकारियां थी जो कमरे से आ रही थी छत पर एक कमरा था जिसमें पुराना सामान रखा रहता था आवाज है वहीं से आ रही थी जैसे ही सुशीला ने हल्का सा दरवाजा खोला तो उसने जो देखा तो उसे अपने आप पर यकीन नहीं हुआ सामने फर्श पर माया बिना कपड़ों के लेटी हुई है और उसके बराबर में पड़ोस के शर्मा जी का कुत्ता मेडी बैठा हुआ है सुशीला एक कटोरी में से शहद लेकर अपनी योनि पर लगा रही है और पैडी उसे अपनी जीभ से चाट रहा है जैसे-जैसे मेडी उसकी योनि चाट रहा था माया के मुंह से सिसकारियां और तेज होती जा रही थी सुशीला बाहर खड़ी बड़ी हैरानी से यह सब देख रही थी सुशीला ने अपनी चुचियों पर भी शहद लगाया तो मेडी ने उन्हें भी बड़े चाव से चाटा माया ने अपना हाथ उसकी पिछली टांगों के बीच ले जाकर उसके लिंग के ऊपर की खाल को पीछे सरका दिया और उसे सहलाने लगी धीरे धीरे उसका आकार बढ़ने लगा उसने एक हाथ से थोड़ा शहद लेकर उसके लिंग पर लपेट दिया मेडी ने घूम कर फिर से उसकी योनि को चाहत ना शुरू कर दिया माया को बहुत मजा आ रहा था उसकी सिसकारियां बता रही थी कि उसकी हालत क्या है माया ने भी अब उसके लिंग को चाटना शुरू कर दिया था दोनों एक दूसरे को चाटते हुए वासना के तूफान में बहे जा रहे थे माया ने जी भर का उसके लिंग को चाट कर तैयार कर दिया था फिर माया उठीं और अपने घुटने मोड़कर घोड़ी बन कर झुक गई पैडी तो मानो इसी की प्रतीक्षा कर रहा था जैसे ही माया के झुक कर मेडी को इशारा किया उसने बिना समय गवाएं अपनी अगली टांगों को उठा कर उसकी कमर पर लपेट कर अपना लौड़ा उसकी योनि में प्रवेश करवा दिया माया की चीख निकल गई उसने एक ही बार में पूरा लिंग अंदर घुसा दिया आप तेज तेज धक्के लगाने लगा कामवासना डूबी माया मेडी को आराम से करने के लिए कहने लगे मानो वह उसकी बात समझता हो आनंद के सागर में डूबते हुए माया बड़बड़ा रही थी हाय मेरी जान मेडी बड़ा मजा आ रहा है जरा धीरे धीरे करो मगर उसकी बात से बे परवाह मेडी चूदाई करने में व्यस्त था उसने अब अपनी गति को और भी बढ़ा दिया था जिसके कारण माया की चीखे निकलने लगी थीं इधर सुशीला कमरे के बाहर खड़ी हैरानी से यह सब देख रही थी तभी उसकी नजर मेडी के लिंग पर गई उसका पिछला फुल कर काफी मोटा गांठ जैसा नजर आ रहा था सुशीला उसे देख कर अंदर तक सहम गई तभी अचानक मेडी ने उछल कर वह फुला हुआ बाकी लोड़ा भी अंदर धकेल दिया जिसके कारण माया चीख पड़ी मेडी माया की परवाह किए बिना ताबड़तोड़ चूदाई करने में लगा हुआ था तभी अचानक मेडी घूम गया अब उन दोनों की पीठ मिली हुई थी और दोनों एक दूसरे से विपरीत दिशा में हो गए थे मेडी अब अपने लिंग को बाहर खींचना चाहता था मगर उसके लिंग की मोटी गांठ माया की योनि में फसी हुई थी जिसे माया ने अपनी योनि में दबा रखा था उधर माया की चीखे निकल रही थी और इधर मेडी अजीब अजीब आवाज निकाल रहा था दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए थे जैसे अक्सर सड़क पर कुत्ता और कुतिया सेक्स के बाद आपस में जुड़े रहते हैं दोनों की हालत देखने लायक थी थोड़ी देर की खींचातानी के बाद मेडी का लोड़ा योनि से बाहर आ गया उसे देख कर सुशीला की आंखें फटी रह गई लंबाई और मोटाई में किसी आदमी के लिंग के आकार के बराबर था और उसकी गांठ लिंग के आकार में दुगनी मोटी थी मेडी एक तरफ बैठकर अपनी टांगे फैलाकर अपने लिंग को चाट रहा था तभी माया उठ कर मेडी के पास आई और उसके लिंग पकड़ कर मुंह में भर लिया और चूसने लगी मेडी अपनी टांगे फैलाकर पीठ के बल लेट गया माया ने चूस कर उसे फिर से उत्तेजित कर दिया था उसने लिंग को पकड़ कर सीधा किया और उसके ऊपर बैठकर अपनी योनि में घुसा दिया अब मेडी नीचे लेटा हुआ था और माया एक हाथ से उसे पकड़ कर उछल उछल कर धक्के लगा रही थी अब मेडी भी कू कू कू की आवाज निकाल रहा था और माया अनाप-शनाप बड़बड़ा रही थी हाय मेरी जान मेडी आज तो पूरे मजा दे दिया सुशीला यह सुनकर बाहर खड़ी हंस रही थी तभी अचानक मेडी ने नीचे से अपना लिंग उछाल कर एक बार फिर अपनी गांठ को उसकी योनि में घुसा दिया था माया चीख पड़ी मेडी नीचे से धक्के लगा रहा था थोड़ी देर बाद ही माया कामोत्तेजना के शिखर पर थी और एक हाथ से अपनी चूचियां मसल रही थी तभी माया छटपटा कर झड़ गई थोड़ी देर तक ऐसे ही बैठे रहने के बाद उसने खींच कर मेडी के लिंग को बाहर निकाला उसकी योनि में से खून की बूंदे टपकने लगी मेडी में उठकर उसकी योनि को चाटने लगा माया टांगे फैलाकर लेटे हुए उसका लिंग चूस रही थी काफी देर तक दोनों ऐसे ही लेटे रहे फिर वो उठकर कपड़े पहनने लगी सुशीला घबराकर तेज तेज चलते हुए सीढ़ियों से नीचे आ रही थी कि तभी उसका पैर फिसल गया और वह सीढ़ियों पर लुढ़कते हुए नीचे आ गिरी उसकी आवाज सुनकर माया दौड़ कर उसके पास आई और उसे उठाकर कमरे में ले आई

सुशीला को बहुत दर्द हो रहा था माया ने पिताजी के कमरे से दर्द नाशक तेल की शीशी ली और सुशीला के पास आकर बोलीं लाओ दीदी मैं आपके तेल लगा देती हूं सुशीला पेट के बल बिस्तर पर लेट गई माया ने पूछा कहां-कहां चोट लगी है तो सुशीला ने बताया कमर और चूतड़ों पर माया ने उसका ब्लाउज और ब्रा को उतारा और उसकी पीठ पर तेल मलने लगे फिर उसके पेटिकोट का नाड़ा ढीला करके नीचे सरका दिया जैसे ही उसकी पेंटी को नीचे सरका है सुशीला दर्द से कराह उठी माया ने बड़े हल्के हाथ से उसके चूतड़ों पर तेल मलना शुरू किया उसके गोल मटोल छोटी मटकी जैसे नितंबों को देखकर माया के मुंह में पानी आ गया और उसने शरारती अंदाज में उन्हें सहलाना और दबाना शुरू किया सुशीला को भी मज़ा आने लगा था उसकी कराहे कब आहे बन गई उसे खुद को पता नहीं चला माया भी मजे ले कर उसके चूतड़ों सहला रही थीं अचानक माया को शरारत सूझी उसने थोड़ा सा तेल उसकी गांड पर डाल कर अपने अंगूठे से रगड़ना शुरू कर दिया सुशीला के मन में वासना की आग जलने लगी थी उसने भी सहयोग करना शुरू कर दिया ऊपर कमरे का सीन देखने के बाद उसकी योनि में पहले ही खुजली होने शुरू हो गई थी अब जब माया उसकी गांड को सहला रहीं थीं तो सुशीला कि भावनाओं का भड़कना स्वाभाविक था माया ने अपना हाथ धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया और उसकी योनि को सहलाने लगी सुशीला के मुंह से सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई माया ने उसके कपड़ों को उसके जिस्म से अलग कर दिया और अपनी उंगलियों पर तेल लगा कर उसकी योनि में डाल दिया सुशीला की चीख निकल गई माया में अपना हाथ तेज तेज हिलना शुरू किया तो सुशीला को भी मजा आने लगा उसने सीधे लेट कर अपनी टांगों को फैला दिया माया ने झुककर उसकी योनि पर अपने होठों रख दिए सुशीला बिना पानी की मछली की तरह तड़पने लगी और दोनों हाथों से उसका चेहरा थाम कर अपनी योनि उसके मुंह पर रगड़ने लगी माया भी कम नहीं थी उसने अपना मुंह खोल कर अपने साथ उसकी योनि के ऊपर रगड़ने लगी और अपनी जीभ अंदर डाल दी सुशीला छटपटा रही थी माया ने उसकी चुचियों को दबा कर उसे सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था और फिर सुशीला के बदन में सिहरन दौड़ गई और वह झड़ गई माया अभी भी उसकी योनि को चाटने मैं लगी हुई थी जी भर के उस का रस चाटने के बाद दोनों अलग हो गए

अब माया और सुशीला मे एक गहरी दोस्ती हो गई दोनों एक दूसरे की अकेलेपन को दूर करने का साधन बन चुकी थीं समय धीरे-धीरे गुजरता गया एक दिन माया और सुशीला काम क्रीडा में व्यस्त एक दूसरे की योनि को चाट रही थी तभी अचानक मेडी वहां आ गया और सुशीला की योनि को चाटने लगा सुशीला चौंक कर उछल पड़ी सुशीला को बहुत डर लग रहा है माया यह देखकर हैरान थी कि मेडी बिना शहद के सुशीला की योनि चाट रहा है वह बोली दीदी आपकी योनि का स्वाद इसे पसंद आ गया मेरी योनि को तो बिना शहद लगाए चाटता ही नहीं सुशीला की हवा खराब थी उसे मेडी से बहुत डर लग रहा था माया ने मेडी को अपने पास बुला लिया और अपनी योनि खोल कर उसके मुंह के पास लेगी मगर मेडी माया में इंटरेस्टेड नहीं था उसे तो सुशीला की योनि चाटनी है माया उठकर रसोई से शहद ले आई और अपनी योनि पर लगाने लगी शहद की खुशबू से मेडी माया की तरफ आ गया और उसकी योनि को चाटने लगा माया को मजा आने लगा अब वह सिसकारियां लेने लगी थी सुशीला बैठी हुई यह सब देख रही थी उसका भी मन अपनी योनि को चटवाने के लिए करने लगा मेडी को माया की योनि चाटते हुए देखकर सुशीला भी उत्तेजित हो गई और अपनी टांगे फैलाकर माया के पास लेट गई मेडी माया को छोड़कर सुशीला के पास आ गया और जैसे ही उसने अपनी लंबी जीभ निकालकर उसकी की योनि पर फिराई वह वासना से भर उठी माया ने दोनों हाथों से उसकी योनि मुख को फैला दिया तो मेडी की जीभ सुशीला की योनि में प्रवेश कर गई और उसने अपनी लंबी जीभ से सुशीला की योनि को रोमांच से भर दिया थोड़ी देर में ही सुशीला सातवें आसमान पर घूम रही थी उसकी योनि के सब्र का बांध टूट गया और वो छटपटाते हुए झड़ गई सुशीला की योनि से निकलता योनि रस फर्श पर टपकने लगा जिसे मेडी ने चाट कर साफ कर दिया अब मजे लेने की बारी माया की थी और वह पूरी तरह तैयार थी उसने मेडी लिंग को हाथ में पकड़ कर चलाना शुरु कर दिया बीच-बीच में उसे मुंह में भर कर चूसने लगी सुशीला का भी मन लिंग को चाटने का कर रहा था वह उठकर उनके पास पहुंची और लिंग को चाटने लगी सुशीला की आंखों में वासना के लाल डोरे साफ नजर आ रहे थे माया की भी हालत जुदा नहीं थी माया ने अपनी टांगे मोड कर आगे को झुक गई मेडी तो मानो इसी प्रतीक्षा में था उसने बिना समय गवाएं अपनी अगली टांगे उठा कर उसकी कमर मे लपेट कर जोरदार धक्के के साथ अपना लौड़ा उसकी योनि में घुसा कर ताबड़-तोड़ चोदने लगा मैं के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं उसकी योनि में लोड़े को कसकर जकड़ रखा था मेडी भी पूरी ताकत के साथ उसे चोद रहा था थोड़ी देर में ही माया चरमोत्कर्ष पर पहुंच कर झड़ गई


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