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40% aawara ashiq / Chapter 4: सुहानी यादें-4

Capítulo 4: सुहानी यादें-4

अब मेरे दोनों हाथों में लड्डू था एक तरफ सुषमा और दूसरी तरफ अनछुई कमसिन कली ज्योति जो कली से फूल बनने के लिए उतावली थी ज्योति अब रोज पढ़ाई के बहाने देर तक मेरे कमरे में रूकती थीं ज्यादा से ज्यादा समय मेरे साथ बिताना चाहती थी एक दिन जब मैं उसे पढ़ा रहा था तो काफी देर हो चुकी थी सुषमा जी अपने कमरे में सोने चली गई थी बरसातों के दिन थे और बाहर आंगन में बहुत तेज बारिश हो रही थी तभी ज्योति में मुझसे कहा मुझे बाथरूम जाना है मगर कैसे जाऊं बाहर बहुत बारिश हो रही है मैं छाता लेकर उसके साथ बाथरूम चला गया उसने बाथरूम में जाकर दरवाजा बंद नहीं किया और अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गई और मेरे सामने बैठकर बाथरूम करने लगी उसे बाथरूम करते देखकर मुझे भी बाथरूम आ गया और मैं भी अपना लौड़ा निकाल कर उसके सामने खड़े होकर मूतने लगा वह उठकर मेरे पास आई मेरा लौड़ा चूसने लगी अब तक उसे काफी प्रैक्टिस हो गई थी अब वह आसानी से मेरा लौड़ा मुंह में ले लेती थी थोड़ी देर चूसने के बाद जैसे ही मेरा लौड़ा तन गया तो उसने अपनी योनि को मेरे लोड़े पर रगड़ना शुरु कर दिया तभी मैंने छतरी को एक तरफ फेंक कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और आंगन में ले आया एक तरफ हम दोनों के जिस्म बारिश में भीग रहे थे मगर दूसरी तरफ अंदर ही अंदर कामवासना से जले जा रहे थे हम एक दूसरे को बेतहाशा चुमते हुए एक दूसरे में समाने के लिए बेताब हो गए ज्योति अब कामाग्नि में तड़प रही थी और मुझे अपनी बाहों में लेकर मचल रही थी तभी मैंने घुटने मोड़ कर नीचे बैठते हुए उसकी योनि पर अपने होंठ रख दिए वह तो एकदम से मचल उठी और अपनी टांगे फैलाकर दोनों हाथों से मेरे बालों को जकड़ कर अपनी योनी मेरे होठों पर रगड़ने लगी थोड़ी देर बाद ही वह छटपटाते हुए मेरे मुंह पर झड़ गई उसकी योनि से निकलते स्वादिष्ट रस को मैं अपनी जीभ से चाटने लगा उसे बहुत मजा आ रहा था और वह मुझे और ज्यादा करने के लिए कह रही थीं मैं उसे बाहों में उठा कर कमरे में ले आया अंदर आते ही उसने मेरा लौड़ा अपने हाथों में ले लिया और उसे चूसने लगी थोड़ी देर चूसने के बाद वह उठकर मेरे करीब आई मेरे कानों में बोली आज तो मेरी योनि में आग लग रही हैं जल्दी से इसमें अपना लौड़ा घुसा दो मैं हंसने लगा और अपने लोड़े को उसकी योनि से सटाकर बोला यह अभी बहुत छोटी है इसे झेल नहीं पाएगी जो कि नाराज हो गई बोली एक बार कोशिश तो करो क्या पता झेल ले और इतना कहकर मेरा लौड़ा पकड़ कर अपनी योनि में घुसाने की कोशिश करने लगी मुझे सिगरेट पीने की तलब हुई तो मैं सिगरेट लेकर लेट गया ज्योति मेरे पास बैठकर मेरा लौड़ा सहलाने लगी मैं आराम से लेटा हुआ सिगरेट पी रहा था तभी ज्योति उठी और तेल की शीशी लेकर मेरे लोड़े पर तेल मलने लगी उसके बाद वह आकर मेरे लोड़े पर बैठ गई और अपनी योनि को मेरे लोड़े पर रगड़ने लगी उसकी तपती हुई योनि के स्पर्श से मेरे लोड़े में भी वासना की आग जल उठी और मैं भी नीचे से उसे सहयोग करते हुए अपना लौड़ा रगड़ने लगा तभी अचानक ज्योति ने मेरे लोड़े को पकड़ कर अपनी योनि के मुख पर रख दिया और उसे अंदर लेने की कोशिश करने लगी थोड़ी कोशिश के बाद भी जब मेरा लोड़ा अंदर नहीं गया तो उसने अपने आप से पकड़ कर ज़ोर दिया तो वह थोड़ा अंदर सरक गया मैं उसे मना करता से पहले उसने कुछ उछल कर जोर का झटका दिया जिससे मेरा लिंग मुंड अंदर सरक गया ज्योति दर्द से छटपटा उठी उसकी आंखों से आंसू बहने लगे मुझे भी बहुत तेज पीड़ा हुई मेरा लौड़ा उसकी योनि में फस गया था वह मुझसे लिपटकर रोने लगी बोली बहुत दर्द हो रहा है मम्मी के कैसे घुसा देते हो उन्हें तो कभी दर्द नहीं होता उन्हें तो बहुत मजा आता है मैंने कई बार देखा है आप दोनों मम्मी तो पूरा लौड़ा अपनी चूत में डाल कर मजे ले ले कर धक्के मारती है मेरे भी घुसा दो ना प्लीज मैंने उसे समझाया जब तेरी मम्मी ने पहली बार किया होगा उन्हें भी ईतना ही दर्द हुआ होगा जितना तुम्हें हो रहा है पहली बार में दर्द होता है और थोड़ा खून भी निकलता है मगर फिर कभी दर्द नहीं होता क्योंकि लोड़ा एक बार में अपनी जगह बना लेता है उसके बाद फिर दर्द नहीं होता तो बोली जल्दी से अंदर घुसा दो मैं बर्दाश्त कर लूंगी मैंने कहा ठीक है तुम पहले ऊपर से हटो मैं ऊपर आता हूं तब यह आसानी से घुस जाएगा वह तुरंत खड़ी हो गई और मेरे बगल में आकर लेट गई मैंने उसकी टांगों को फैला कर पहले उसकी योनि को थोड़ी देर जीभ से चाटा फिर तेल की शीशी लेकर थोड़ा सा तेल उसकी योनि में टपका दिया और खूब सारा तेल अपने लोड़े पर मल दिया मेरे लोड़े से तेल टपक रहा था मैंने उसकी टांगों को मोड़ कर अपने कंधों पर रख लिया और जैसे ही अपना लिंग मुंड उसके योनि मुख पर रखा उसके शरीर में सिरहन सी दौड़ गई और उसने अपनी योनि को आगे सरका कर मेरे लिंग मुंड को अपनी योनि में भर लिया मैंने उसके होठों को अपने होठों में भरकर जैसे ही लिंग प्रवेश करवाना शुरू किया वह दर्द से तड़प उठी अभी थोड़ा सा ही लिंग अंदर गया था कि वह छटपटाने लगती है और मुझे रुकने के लिए कहने लगी मैं रुक गया उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे बोली बहुत दर्द हो रहा है मेरी तो जान ही निकल जाएगी मैंने कहा ठीक है मैं बाहर निकाल लेता हूं और जैसे ही मैंने अपने लोड़े को बाहर खींचा उसकी योनि से खून की धारा बहने लगी जिसे देखकर वह घबरा गई बोलि ये क्या हुआ लगता है मेरी चूत फट गई है मैं हंसा और बोला चूत नहीं तुम्हारी झिल्ली फटी है अब इतना दर्द नहीं होगा मैंने थोड़ी देर उसकी चुचियों को सहलाया और फिर उसकी योनि से खून को साफ करके उसे चाटने लगा थोड़ी देर में ही उसकी योनि से चिकना पानी निकलना शुरू हो गया जिसका मतलब था कि वह अब संभोग के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई थी मैंने भी अपने लिंग पर खूब सारा तेल मल के उसकी योनि में प्रवेश करवाना शुरू कर दिया था जैसे-जैसे मेरा लौड़ा उसकी योनि में जा रहा था वह दर्द से छटपटा रही थी मगर मुझे रोक नहीं रही थी जब मेरा लौड़ा आधे से ज्यादा उसकी योनि में प्रवेश कर गया तो मैंने रुक कर उसके होठों को चुम ने लगा उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और होंठ डर से कांप रहे थे मैंने उससे पूछा ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा उसने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और मुझे अपनी बाहों में भर लिया मैंने भी धीरे-धीरे अपने लोड़े को अंदर बाहर करते हुए उसकी चूदाई आरंभ कर दी थी कुछ देर छटपटाने के बाद उसने भी मुझे सहयोग करना शुरू कर दिया था उसकी आहें अब सिसकारियां बन चुकी थी वह भी मेरे होठों को चूसते हुए नीचे से अपनी कमर हिला रही थी धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी उसे भी अब मजा आने लगा था थोड़ी देर की चूदाई के बाद उसने मुझे रुकने को कहा तो मैं रुक गया और उसकी बगल में आकर लेट गया उसने मेरा लौड़ा सहलाते हुए उसे चाटना चूसना शुरू कर दिया मैंने दोबारा चूदाई करनी चाही तो उसने मना कर दिया बोली आज बस इतना ही मुझे बहुत दर्द हो रहा है मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया और लेट कर उसका सहयोग करने लगा काफी देर चूसने के बाद आखिरकार मुझे मेरी मंजिल मिल गई

अगले दिन इतवार था मैं घर पर ही था दोपहर में सुषमा पड़ोस की भाभी के साथ बाजार गई हुई थी मैं और ज्योति घर पर अकेले थे मैं ज्योति के कमरे में गया तो वह लेटी हुई थी सुबह से उसकी शक्ल नहीं देखी थी इसलिए सुषमा के जाते ही मैं उसके कमरे में चला गया वह बेड पर लेटी हुई मूवी देख रही थी मैंने उससे पूछा अब कैसी तबीयत है तुम मुस्कुरा कर बोली बता नहीं सकती कितना दर्द हो रहा है चलने में भी परेशानी हो रही है ऐसा लग रहा है जैसे मेरी योनि सूज गई है मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि मेरे लिए भी यह सब नया था आज से पहले मैंने कभी किसी कुंवारी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था तो मैंने उसे दिखाने के लिए कहा उसने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा कर टांगो को फैलाया तो मैं भी देख कर हैरान हो गया उसकी गुलाबी योनी अब लाल रंग में नजर आ रही थी और काफी फूली हुई भी थी मैंने जैसे ही उसे छुआ तो दर्द और उत्तेजना के कारण वह सिसकारीयां लेने लगी उसकी योनि बहुत गर्म थी और काफी सूजी हुई भी थीं मैं रसोई में गया और तेल गर्म करके ले आया ज्योति को लिटा कर मैंने गर्म तेल उसे उसकी योनि पर मसाज करना शुरू कर दिया उसे भी अब मजा आने लगा था और वो अपनी योनि को ऊपर उठा कर मेरे हथेलियों पर रगड़ने लगी और मुझे चाटने के लिए कहने लगी मैंने भी बिना देर करें उसकी योनि पर अपने होंठ रख दिए और जीभ को अंदर डाल कर चाटने लगा थोड़ी देर में ही उसकी योनि काम रस से भर गई अब वह भी उत्तेजित हो चुकी थी और मेरे लिंग को सहलाना शुरू कर दिया हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर झूमते हुए एक दूसरे को निर्वस्त्र करने लगे उसने तेल लेकर मेरे लोड़े पर मल दिया मैंने उसे डॉगी स्टाइल में झुका कर बैड के किनारे ले आया और उसके पीछे जाकर उसके योनि अधरों को फैलाकर अपना लोड़ा योनि मुख से सटा दिया और एक बेहतरीन धक्के के साथ प्रवेश करा दिया उसकी चीख निकल गई मेरा लौड़ा उसकी योनि में आखिरी छोर तक गया था और अभी भी आधे से ज्यादा बाहर था मैंने दोनों हाथों से उसकी चुचियों को थामा और धक्के लगाने शुरू कर दी है उसके मुंह से और योनि से अजीब अजीब आवाज निकाल रही थी मैंने थोड़ा सा तेल लेकर उसके चूतड़ों के बीच से टपका दिया तेल बह कर मेरे लोड़े पर पहुंच गया और हर धक्के के साथ उसकी योनि को चिकनी करने लगा उसे भी अब मजा आना शुरु हो गया था और एक जबरदस्त डेढ़ घंटे की चूदाई के बाद हम दोनों अलग हुए दोनों के मुंह पर पूर्ण संतुष्टि का भाव था ज्योति अभी भी मेरे लोड़े पर लगे हुए अपनी योनि के रस और मेरे वीर्य को बड़े मजे लेकर चाट रही थी उस दिन रात में हमने दो बार और सेक्स किया अब ज्योति को बड़ा मजा आने लगा था क्योंकि उसकी योनि में अब दर्द नहीं होता था धीरे धीरे समय गुजरने लगा अब मैं लगभग रोज सेक्स का मजा लेता था 1 दिन ज्योति और एक दिन सुषमा के साथ दोनों का अपना अलग ही मजा था एक्सपीरियंस सुषमा और नई खिलाड़ी ज्योति के साथ अलग मजा आता था दिन बड़े मजे से गुजर रहे थे और रातें सेक्स से भरपूर हुआ करती थी

एक दिन संडे का दिन था मैं किसी काम से बाजार गया था जब लौटकर आया तो ज्योति की फ्रेंड नीलम आई हुई थी उसको देखते ही मेरे लोड़े में चीटियां से काटने लगी कसम से आज भी उसे याद करके लोड़ा तन जाता है आप भी सोच रहे होंगे कि ऐसा फिर उसमें था क्या तो चलो आपको भी उसकी खूबसूरती का दीदार करा देते हैं उसका रंग दूध से भी सफेद था खूबसूरत गोल चेहरा बड़ी बड़ी नीली आंखें केले के तने जैसी चिकनी टांगें पतली कमर गोल मटोल नितम्बों का तो क्या ही कहना उसकी चूचियां एकदम गोल जैसे सांचे में ढली हो बिना ब्रा के भी हमेशा सीधी तनी खड़ी रहती थी और उसका वह मोटे मोटे निप्पल वाइट टी शर्ट में कमाल लग रही और उसके नीचे नेवी ब्लू कलर की जींस एकदम टाइट थी किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी उसे देखते हैं मेरा लौड़ा उछलने लगा था और मैं मन ही मन उसे चोदने की तरकीबे सोचने लगा था तभी अचानक ज्योति की आवाज ने मानो मुझे नींद से जगा दिया ज्योति ने उसका इंट्रोडक्शन करा और मुझे बताया कि वह उसकी बेस्ट फ्रेंड है उसको गणित के कुछ सवालों में परेशानी हो रही है क्या मैं उसकी मदद कर दूंगा मैंने तुरंत हां कर दी और अपने कमरे में आ गया मेरे पीछे पीछे ज्योति और नीलम भी कमरे में आ गए हम तीनों बेड पर बैठ गए मैं बीच में बैठा था और मेरे दाएं तरफ नीलम और बाएं तरफ ज्योति बैठी हुई थी मैं उन्हें सवाल समझा रहा था मगर मेरा ध्यान बार-बार उसकी टाइट टीशर्ट में से उभरे हुए उसके निप्पल की तरफ जा रहा था तभी उसने अपनी चूचियों को मेरे कंधे से लगा दिया मेरे तो शरीर में मानो 440 वोल्ट का करंट दौड़ गया मैंने भी अपने कंधों को उसकी चुचियों से मिला दिया ताकि उनको ज्यादा से ज्यादा स्पर्श महसूस कर सकूं थोड़ी देर के बाद नीलम अपने घर चली गई मगर जाते-जाते मेरे गले लग कर जो उसने बाय बोला कसम से उस पूरी रात मेरा लौड़ा तना खड़ा रहा अब मैं अकसर ज्योति से नीलम के बारे में पूछने लगा जब भी मैं नीलम की बात करता तो ज्योति मुझे देख कर मुस्कुरा जाती थी उसकी आंखों में कुछ शरारत नजर आ रही थी और फिर 1 दिन उनके नाटक से पर्दा हट गया


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