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26.33% Taboo Incest sex stories / Chapter 1092: प्रीति-मेरी बहन

Capítulo 1092: प्रीति-मेरी बहन

यह कहानी मेरे एक मित्र सुजीत ने मुझे भेेजी है, जो कि उनकी जीवनी पर आधारित है आशा करता हूं कि आपको इसमें मजा आएगा।

हेल्लो साथियो, मेरा नाम सुजीत है और में मध्य प्रदेश के एक छोटे शहर का रहने वाला हूँ। मुझे 19 साल की उम्र से ही सेक्स के प्रति बहुत ज़्यादा आकर्षण हो गया था और मैंने पोर्न विडियो देखना और अंतर्वासना वेबसाइट की कहानियाँ पढ़ना शुरू कर दिया था जिसके कारण मुझे बहुत ज़्यादा मूठ मरने की आदत पड़ गई। इसका मुझ पर सकारात्मक परिणाम रहा और मेरे लिंग का साइज 9 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा हो गया और सेक्स का टाइम भी बढ़ गया। हालाँकि लडकियों से बात करने में मुझे बहुत शर्म आती थी इस कारण मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं थी जिससे मैं सेक्स कर सकूं। पर शहर से कुछ दूरी पर देह व्यापार होता था वहाँ जाकर एक बार मैंने खूबसूरत सेक्स वर्कर से सम्बंध बनाए। उस वक्त मेरी उम्र 22 वर्ष थी।

सेक्स करने से पहले ही जब उस लड़की ने मेरे लिंग को देखा तो उसने मना कर दिया और बोली "मैं तेरे साथ सेक्स नहीं करूंगी तेरा लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है।" तब मुझे भी एहसास हुआ कि मेरा लंड सच में बहुत बड़ा है, पर मुझे सेक्स तो करना ही था इसलिए मैंने उसे आश्वासन दिया कि मैं पूरा लंड अंदर नहीं डालूंगा प्लीज मुझे सेक्स करने दो। यह सुनते ही वह समझ गई कि मेरा यह पहली बार है और वह मान गई। पहली बार ही मैं उसे केवल आधे घंटे तक चोद सका, पर बड़ी मुश्किल से केवल आधा लंड ही डाल सका क्योंकि लम्बा होने के साथ तीन इंच मोटा भी था और मुझे सेक्स करने का अनुभव भी नहीं था। आधे लंड से चुदने से ही वह लड़की आधे घंटे में तीन बार स्खलित हुई। जाते वक्त उसने मुझे धन्यवाद् कहा और बोली तुम को एक सलाह देती हूँ कि जब किसी लड़की के साथ सेक्स करना तो बहुत ध्यान से करना वरना जान ले लोगे तुम उसकी। मेने भी उसे धन्यवाद दिया और घर आ गया।

अब यहाँ मेरी कहानी की शुरुआत होती है...

ये मेरा सेक्स का दूसरा और सबसे यादगार अनुभव है जिसे पहली बार में आप लोगों से साझा कर रहा हूँ।

बात उस समय की है जब मैं 23 वर्ष का था। मेरे परिवार में मेरे माता पिता और मेरी छोटी बहन प्रीति जो 19 वर्ष की थी। मेरी बहन के बारे में आपको थोड़ा डिटेल में बता देता हूँ जिससे आपको मेरी कहानी का लुप्त लेने में ज़्यादा आनंद आएगा।

प्रीति का बदन 19 साल की उम्र में ही किसी शादी शुदा महिला कि तरह गदराया हुआ था, उसके मांसल बदन पर उभार वही अधिक थे जहाँ होना चाहिए। कमर और पेट तो स्लिम ही थे पर स्तन और कूल्हे बहुत ही बड़े, गोलमटोल कसे हुए और आकर्षक थे, रंग दूध की तरह गोरा, त्वचा इतनी चिकनी की संगेमरमर भी शरमा जाए और चेहरा बिल्कुल मासूम था और बाल बहुत ही घने और कमर तक लंबे थे, पर उसका स्वभाव बहुत ही शालीन और सरल था और वह हमेशा घर में ही रहती थी और पढ़ती रहती थी और न ही उसका कोई बॉयफ्रेंड था मतलब वह पूरी तरह वर्जिन थी। अब चूंकि मेने अंतर्वासना कि कहानियाँ पढ़ी थी और उसमे भाई बहन के बीच की सेक्स की कहानियाँ भी, तो निश्चित ही मेरा भी ध्यान बहन की और अकर्षित रहता था। हमेशा सोचता था कि काश प्रीति के साथ सेक्स कर सकूं तो जीवन धन्य हो जाए। पर यह सब तो सपने की तरह था। पर मेने सोचा नहीं था कि ऊपर वाला मेरा सपना सच का देगा।

अब इस सपने के सच होने की शुरुआत केसे हुई, यह बताता हूँ... एक दिन मेरे महाराष्ट्र के रिश्तेदार का फोन आया कि मेरे नाना जी की तबीयत ज़्यादा खराब है तो मेरे मम्मी पापा ने अचानक महाराष्ट्र जाने का निर्णय लिया। चूंकि मेरा और प्रीति का पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए हम दोनों को छोड़कर पहली ट्रेन से वह 6-7 दिन के लिए महाराष्ट्र चले गए। मुझे लगा कि इससे अच्छा मौका मुझे नहीं मिल सकता इसलिए उस रात मेने सोचा कि एक रात तो केवल यही प्लान बनाना है कि प्रीति से मन भरकर सेक्स भी कर लूं और वह किसी को बताए भी ना और राज हम दोनों के बीच में ही रह जाए। प्रीति और मेरा बेडरूम अलग था, यह भी एक समस्या थी मेरे लिए। पर उस रात मैं रात भर सोचता रहा और सुबह तक एक बहुत ही अच्छा प्लान रेडी कर लिया मैंने। प्लान क्या था यह आपको मेरी कहानी में ही मालूम पड़ जाएगा।

रात भर जागने के कारण अगली दोपहर तक मैं सोता रहा। दोपहर में जब मैं जागा नहीं तो प्रीति मेरे लिए चाय बनाकर मेरे बेडरूम में आ गई।

अब मैंने प्लान का पहला पार्ट लागू किया। बिस्तर में मेरा लिंग पूरी तरह तना हुआ था और मेने लोअर और अंडरवियर भी नहीं पहना था। बस अत्यधिक ठंड के दिन होने के कारण मैंने रजाई ओढ़ रखी थी। जैसे ही प्रीति मेरे बेडरूम में आई तो मैंने नींद में होने का बहाना करते हुए पेरों से रजाई को हटा दिया और आंखों को बंद करके लेटा रहा। अब यह नजारा मेरी बहन के लिए अप्रत्याशित व चौका देने वाला था। 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड देख कर उसकी आँखो के आगे सितारे नाचने लगे। मैं भी हल्की-सी आँखे खोलकर उसके चेहरे के एक्सप्रेशन देख रहा था। उसकी आँखे बड़ी हो गई थी और मुह खुला का खुला रह गया था। लगभग 2-3 मिनट तक निहारने के बाद अचानक उसे कुछ रियलाईज हुआ कि यह सही नहीं है इसलिए धीरे से वह उल्टे पैर बेडरूम से बाहर चली गई और दरवाजा धीरे से लगाकर आवाज दी "भईया उठ जाओ अब... क्या दिन भर सोते ही रहोगे?"

मैंने तुरंत उठ अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोला और बोला "मेरी प्यारी बहन मेरा कितना ध्यान रखती है।"

प्रीति "क्या भईया, क्या कर रहे थे रात भर जो इतनी देर तक सोते रहे?"

मैं बोला "मैं तेरे बारे में ही सोच रहा था।"

"क्यों? मेरे बारे में क्यों" प्रीति बोली

"कितना काम का बोझ है तेरे ऊपर, है ना, अब जब तक मम्मी पापा नहीं आ जाते तेरे सभी काम में मैं मदद करूंगा आज से।"

प्रीति बोली "अच्छा यह बात है, तो ठीक है फिर आज शाम का खाना तुम बनाओगे और जो मैं बोलूंगी वह काम भी करोगे।"

यही तो मैं चाहता था। मैंने कहा ठीक है "डन"

अब मैं प्लान के मुताबिक रात की तैयारी के लिए मार्केट गया और एक मेडिकल स्टोर पर गया जिसे मेरा दोस्त चलाता था और उससे बोला कि मुझे कुछ वियाग्रा की गोली और कुछ नींद की गोलीया दो। दोस्त बोला "तुम्हें इसकी क्या ज़रूरत?" तो मैंने कहा कि यार वियाग्रा तो एक पड़ोस के बुजुर्ग व्यक्ति ने मंगाई है और नींद की गोली मेरे लिये चाहिए यार नींद नहीं आती आज कल। उसने हाई पावर वाली टेबलेट्स मुझे दे दी और कहा कि भाई इस वियाग्रा कि गोली का असर 8-10 घंटे तक रहता है और सेक्स से एक घंटे पहले खाना है और यह नींद की गोली खाने के बाद तुम एक घंटे तक बहुत गहरी नींद में रहोगे। मैंने उससे धन्यवाद् कहा और घर आ गया।

अब ऊपर वाला भी मेरी मदद कर रहा था और जुलाई का महीना होने के कारण बहुत तेज बारिश शुरू हो गई और साथ में बिजलियाँ भी जोर-जोर से कड़कने लगी, जिससे मेरी बहन प्रीति बहुत डरती थी। मोसम विभाग ने भी 8-10 दिन की मूसलाधार बारिश की भविष्यवाणी कर दी। सब कुछ मेरे पक्ष में हो रहा था। घर पहुच कर मैंने बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया और हम दोनों ने साथ खाया। चूंकि वियाग्रा कि गोली मैंने भोजन से पहले ही खा ली थी ताकि वह अपना असर अच्छी तरह करे।

खाना खाने के बाद प्रीति मुझसे बोली "भइया बाहर बिजली कड़क रही है और मूसलाधार बारिश भी हो रही है, मुझे बहुत डर लग रहा है। क्या मैं तुम्हारे साथ बेडरूम में सो जाऊ? मैं यही तुम्हारे बेड के पास नीचे बिस्तर बिछा कर सो जाऊँगी।" यह सुनकर मेरी तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

मैं बोला "कैसी बात कर रही है प्रीति, तू ऊपर बेड पर सो जाना मैं बेड से नीचे सो जाऊंगा।" प्रीति बोली "थैंक्स भईया और एक बात, आपने कहा था आप मेरी सेवा करोगे तो एक काम करना कि सोने से पहले मेरे बालो मैं तेल लगा कर मेरे सर की मालिश कर देना, आज मेरा सिर बहुत दर्द कर रहा है।"

मैने कहा "ठीक है, तू जो बोलेगी वह करूँगा, तू भी तो मेरा कितना ध्यान रखती है।" प्रीति की एक आदत थी कि रोज सोने से पहले वह नहाती थी, इसलिए वह नहाने चली गई। इस बीच मेने दो ग्लास दूध तैयार किया, एक प्रीति के लिए जिसमे नींद की गोली मिला चुका था और एक मेरे लिए ताकि सेक्स के लिए और शक्ति मिल सके। अब चुनौती थी कि सेक्स केसे हो, अभी तक तो सब प्लान के मुताबिक हो रहा था पर प्रीति अब तक राजी नहीं हुई थी। रात के नौ बज रहे थे, बाहर मूसलाधार बारिश हो रही और मेरे मन में भी सेक्स के लिए तड़प बढ़ती जा रही थी। इधर जैसे ही प्रीति बाथरूम से नहाकर बाहर निकली, मेरी आँखे उसे देखती रह गई। उसने लाल सुर्ख रंग का फूल लेंथ सिल्की चमकीला गाउन पहना था और वह अपने हाथों को ऊंचा करके अपने बालों को बाँध रही थी जिससे उसके बड़े-बड़े बूब्स अपनी अधिकतम ऊंचाई पर थे और उसकी निप्पल साफ उभरी हुई दिखाई दे रही थी और उसके गाउन में उसके स्तन और कूल्हों के उतार चढ़ाव गजब के कातिलाना दिख रहे थे।

कहीं ना कहीं मुझे भी लगा कि शायद प्रीति मुझे जानबूझ कर उकसा रही है, पर विश्वास से नहीं कह सकता। मुझे इस तरह देखता हुआ पाकर प्रीति ने एक कुटिल मुस्कान देते हुए मुझसे पूछा "क्या हुआ भईया?" मैंने कहा "कुछ नहीं, तुम्हारा गाउन देख रहा था, तुमने इसे पहले तो कभी नहीं पहना?"

प्रीति ने जवाब दिया "कल ही खरीदा है, अच्छा है ना।"

अब मैं उसे केसे बताता कि कोई भी कमजोर दिल का व्यक्ति उसे उस वक्त देखते ही अपना वीर्य स्खलित कर देता।

मैं बोला "बहुत अच्छा है, अब आ जाओ यह दूध पियो और आओ बेड पर मैं तुम्हारे सर की मालिश कर देता हूँ।"

मेरे बैड पर बैठते ही वह बोली "भईया तुम्हारा बैड तो बहुत स्पंजी और मुलायम है।" मैंने कहा हाँ, पर आज रात ये तुम्हारा है। मुझे तो नीचे ही सोना है ना। "

प्रीति बोली "सो तो है।" अब तुम्हें साथ में तो सुला नहीं सकती। यह कह कर वह हंसने लगी और मैं भी। पर इस मजाक से भी मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई।

प्रीति और मैंने ने दूध पिया और मैं बेड पर बैठ गया और प्रीति बेड पर सर टिका कर नीचे बैठ गई। अब मेने उसके बालों में तेल लगाया और उसके सर की मसाज शुरू की और अपने प्लान का अगला पार्ट लागू किया।

मैं बोला "प्रीति एक सवाल पूछूँ तुमसे।"

"बोलो" प्रीति बोली

मुझे गर्लफ्रेंड बनानी है, कुछ मदद कर ना मेरी।

प्रीति बोली "अरे, तू तो बहुत स्मार्ट है कोई भी लड़की पटा सकता है। क्या कमी है तुझमें।"

वो तो है पर मुझे तुझ जेसी लड़की चाहिये, बिल्कुल तेरी डुप्लिकेट चाहिए। सेम तू सेम तेरे जैसी।

वो हंस कर मजाक में बोली "तो मुझे ही पटा ले ना। मैं तेरी बहन होने के साथ तेरी दोस्त भी तो हूँ।"

मैं हँस कर बोला तो ठीक है आज से हम दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड।

इस पर प्रीति बोली "पर मैं तुम्हें वह खुशी नहीं दे सकती जो एक रीयल गर्लफ्रेंड दे सकती है।"

मेने कहा "यही तो मेरा परेशानी है कि वह खुशी भी मुझे तेरी जेसी लड़की से ही चाहिए और तेरे जैसी लड़की भगवान ने दूसरी कोई बनाई ही नहीं।"

इस पर प्रीति हँस कर बोली "हाँ यह समस्या तो है। पर ऊपर वाला इसका कुछ समाधान तो निकाल ही लेगा, चलो अब सो जाते है मुझे बहुत नींद आज रही है। आओ मुझे बेड पर आने दो और तुम नीचे आ जाओ और हाँ एक डबल बेड साइज़ की रजाई भी दे दो, बाहर बहुत बारिश हो रही है इस कारण मुझे बहुत ठंड लग रही है।" मैं समझ गया कि नींद की गोली का असर होना शुरू हो गया है और मुझ पर भी वियाग्रा का असर होने लगा था। रात के 10 बजे थे और मेरा प्लान सही काम कर रहा था। मैंने उसे रजाई दी और अपने बिस्तर पर आ गया और प्रीति के गहरी नींद में जाने का इंतजार करने लगा।

लगभग आधे घंटे बाद ही प्रीति हल्के खर्राटे लेने लगी। नींद की गोली ने असर कर दिया था। अब मेरे प्लान का अगला पार्ट शुरू हुआ।

मैं आहिस्ता से प्रीति के बेड पर गया और उसके पास जाकर धीरे से बैठ गया। धीरे-धीरे उसको हिलाना शुरू किया पर वह नहीं उठी। अब उसको दो तीन बार नाम पुकार कर उठाया और उसके मुलायम गाल पर चार पांच थपकिया देने पर भी वह नहीं उठी। अब मुझे विश्वास हो गया कि लगभग अगले एक घंटे तक वह नहीं उठने वाली।

अब मुझसे रहा नहीं गया और मेने उसके शरीर से रजाई को हटा दी। उसके सुर्ख लाल गाउन में दमकता गोरा बदन और उसका प्यारा चेहरा देख कर मैं तो पागल हुआ जा रहा था, पर मुझे सब्र रखना था जिसका बहुत ही शानदार फल मुझे मिलना था।

मैंने घर के सारे खिड़की दरवाजे मजबूती से बंद किए और अपने बेडरूम का दरवाजा भी अच्छी तरह बंद कर दिया। वेसे मेरा बेडरूम घर के बीच में बना था और किसी भी प्रकार की आवाज ना तो अंदर आ सकती थी और ना ही बाहर जा सकती थी। वेसे बाहर बारिश भी इतनी जोर से हो रही थी कि कोई दूसरी आवाज उसमें सुनाई ही नहीं देगी। अब मैं और मेरी बहन प्रीति दोनों बेडरूम में थे और दूर-दूर तक हम दोनों को डिस्टर्ब करने वाला कोई भी नहीं था। बस प्रीति की रजामंदी चाहिए थी।

वह इस समय सीधे पीठ के बल लेटी थी और रजाई हटाने से ठंड के कारण उसने अपना शरीर थोड़ा सिकोड़ लिया था। ठंड तो मुझे भी बहुत ज़्यादा लग रही थी पर इसी ठंड का ही तो मुझे इलाज करना था।

मैंने उसके शरीर को सीधा किया और उसके हाथों को सावधानी से उठकर उसके सिर के ऊपर कर दिए, जिससे उसके बड़े-बड़े बूब्‍स ने फिर से अपनी अधिकतम ऊंचाई को प्राप्त कर लिया। अब सबसे मुख्य चुनौती थी प्रीति को नींद में ही नंगा करने की जो मेरे प्लान जा अगला चरण था। बिना प्रीति की नींद खुले यह करना बहुत मुश्किल था। पर इसका तरीका भी मेरे पास था। मैंने एक कैंची ली और प्रीति के नए गाउन को नीचे पैरों के बीच से काटना शुरू किया और कैंची उसके पेट और बूब्‍स के बीच से काटती हुई गले के पास आकर रुकी। अब

प्रीति का सुंदर गाउन बीच से दो हिस्सों में बंट गया था और उसके संगेमरमर से बदन को छुपाने में असमर्थ था। बस ब्रा और पेंटी ही उसके बदन को मेरी नजर से बचा पा रही थी। मैंने कटे हुए गाउन को आहिस्ता-आहिस्ता खींच कर उसके बदन के नीचे से निकाल लिया और एक कोने में फैंक दिया। अब बारी ब्रा और पेंटी की थी।

पर इससे पहले मैंने अपने आप को पूरी तरह नंगा किया। मैंने देखा कि मेरा लिंग वियाग्रा के असर के कारण लोहे की तरह कठोर हो गया है और उसकी मोटाई और लंबाई में भी कुछ बढ़त है। एक बार तो लगा कि पता नहीं प्रीति का क्या होगा, पर मैंने सोचा उस कॉल गर्ल की तरह आज भी आधे लिंग से ही काम चला लेंगे। अब मैं बेड पर गया और प्रीति की दोनों जांघों को चिपका कर जांघों के दोनों और अपने घुटनों के बल खड़ा हो गया और पहले पैंटी को कैंची से काट कर उसके शरीर से अलग किया। पैंटी हटने पर मैं अचंभित रह गया। उसकी योनि पर बिल्कुल बाल नहीं थे। लगता था कि जैसे हाल ही में वीट से बाल साफ किए है। मेरे लिए तो अच्छा ही था। अब बारी उसकी ब्रा कि थी। सबसे शानदार नजारा अब दिखना था। जैसे ही मैंने उसकी ब्रा को दोनों बूब्‍स के बीच से काटा, मानो किसी बाँध के टूटने पर जो तबाही होती ही वेसी ही तबाही उस नजारे में थी। मैंने अपने आप को संभाला और आगे की कार्यवाही शुरू की। अपने लिंग पर ढेर सारा नारियल का तेल लगाया ताकि आगे की कार्यवाही में असानी हो। इन सब गतिविधियों में आधा घंटा बीत चुका था और मेरे अनुमान से आधे घंटे बाद नींद की गोली का असर ख़त्म होने वाला था। अब मैंने हम दोनों के बदन पर रजाई ओढ़ ली और अपने शरीर का वजन अपनी कोहनी और घुटनों पर बांटते हुए उसके ऊपर मिशिनरी पोजिशन में आ गया और दोनों के शरीर पर रजाई ओढ़ ली। अब हिम्मत करके मेने उसके होंठों को चूसना शुरू किया। उसके होंठों को मेरे होंठों से पहला टच जैसे ही हुआ, मेरा बदन काँपने लगा। खुशी और डर एक साथ झलक रहे थे। पर उसके शरीर में कोई हलचल ना पाकर मुझमे हिम्मत बढ़ी और होंठों को अहिस्ता आहिस्ता चूसता रहा। इस बीच प्रीति के बूब्‍स की अधिक ऊंचाई के कारण मेरे सीने और प्रीति के बूब्‍स के बीच में दूरी बनाए रखना मेरे लिए मुश्किल साबित हो रहा था। जेसे ही मैं प्रीति के होंठों के चूसने लगता बूब्‍स के निप्पल मेरे सीने से टच होते और मुझे चरम सुख का एहसास होता। पर यह तो शुरुआत थी चरम सुख तो आना अभी बाकी था।

आधा घंटा इस प्रक्रिया में कैसे गुजरा पता ही नहीं चला। लगभग रात 11 बजे का समय था और प्रीति के शरीर में कुछ हलचल शुरू हो गई थी और उसके चेहरे और माथे पर कुछ शिकन आने लगी थी। इस बीच मेरे लिंग और प्रीति की चूत के बीच मैंने आधे से एक इंच की दूरी मैंटेन रखी थी। पर मेरे अधिक कामुक होने के कारण लिंग से ढेर सारा प्री-कम निकल कर प्रीति की चूत की दरार में एकत्रित हो गया था जिससे मेरा काम और असान होने वाला था। वेसे मोसम बहुत ठंडा था। लगभग 10-12 डिग्री बेडरूम का तापमान होगा पर एक ही रजाई में मेरा प्रीति का नंगा बदन था, हालाकि मैंने बड़ी मुश्किल से दोनों के बदन के बीच थोड़ी दूरी बना के रखी थी इसके बाद भी रजाई के अंदर गर्मी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हो कि मेरा बदन पर पसीने की बूँदे एकत्रित होने लगी थी और प्रीति के बदन की गर्मी थोड़ी दूरी होने के बाद भी मैं मेरे शरीर पर महसूस कर पा रहा था, शायद इसी गर्मी के कारण प्रीति के माथे पर भी पसीने की बूँदे जमा होने लगी थी और इस कारण वह थोड़ी हिलने लगी थी और उसके चेहरे पर थोड़ी परेशानी दिखने लगी थी। अब समय आ गया था अंतिम संघर्ष का।

मैंने मोर्चा संभालते हुए अपने पैरों के घुटनों और जांघों के बीच प्रीति के पैरों को अच्छी तरह से जकड़ लिया और उसके दोनों हाथों को उसके सिर के ऊपर ही अपने एक हाथ से मजबूती से जकड़ लिया और दूसरे हाथ की कोहनी से दोनों के बदन की दूरी बनाने के लिए उपयोग में रखा। इस जकड़न के कारण प्रीति की नींद पूरी तरफ़ खुल गई। उसने जैसे ही आँखे खोली और अपने खूबसूरत चेहरे के बिल्कुल नजदीक मेरे चेहरे को पाया वह घबरा गई। वह चिल्लाती या मुझे कुछ बोल पाती उससे पहले ही मैंने अपने हाथ से उसके मुह को दबा दिया। मेरी एसी हरकत देखकर उसकी आँखें बड़ी हो गई और शरीर मेरे द्वारा बनाई जकड़ से छूटने के लिए वह पुरजोर ताकत लगाने लगी। पर ताकत में तो मैं ही मजबूत था इस कारण 2-3 मिनट की झटपटाहट के बाद उसने शरीर ढीला कर दिया और उसकी बड़ी आँखो से आँसू आने लगे।

प्लान के मुताबिक अब बारी मेरी थी।

मैंने अपनी इमोशनल स्पीच शुरू की "प्रीति मेरी प्यारी बहन, प्लीज मुझे माफ कर देना। तेरे जैसी लड़की पाने की लालसा में मुझसे कितनी बड़ी गलती हो गई। मुझे पता है कि तेरे जैसी कोई भी लड़की मुझे इस जन्म में तो क्या अगले कई जन्मों में नहीं मिल सकती। एक तू ही है जिसे भी भगवान ने मेरी बहन बना दिया। तुझे नहीं पता कि तेरे लिए ना जाने कितनी रातें तड़पा हूँ मैं, इसलिए आज एसी हरकत करने को मजबूर हो गया। क्या करूँ तुझसे दूरी सहन ही नहीं कर पा रहा था। मर जाऊँगा मैं अगर तू नहीं मिली मुझे तो। पर तू आंसू मत बहा, तुझे रोता भी नहीं देख सकता मैं। तेरी इच्छा के बिना मैं तुझसे कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा। अब तक मुझसे जो भी हरकत हुई उसके लिए मुझे माफ कर देना और मम्मी पापा को कुछ मत बताना वरना मुझे जान देना पड़ेगी। अब अगर तू हाँ करती है तो ही मैं तुझे हासिल करूंगा और अगर तू अभी ना कर देती है तो मैं हट जाऊँगा यहाँ से।"

मैने लड़खड़ाते स्वर में बोला "बोल... हाँ... या... ना..."

ऐसा कह कर मैंने उसके मुह से हाथ हटा लिया और उसके शरीर से पकड़ भी ढीली कर दी पर अभी भी उसी मीशिनरी पोजिशन में उसके ऊपर बना रहा और मेरे शरीर का वजन घुटनों और कोहनीयों पर उठा के रखा था।

अब प्रीति बड़े ही आश्चर्य और गुस्से से मेरे चेहरे की और देख रही थी और ना जाने क्या-क्या सोच रही थी। मैंरा दिल बड़े ही जोर-जोर से धड़क रहा था और प्रीति का भी, यह एक ही रजाई में होने के कारण मुझे साफ पता चल रहा था।

लगभग 15 मिनट तक प्रीति मुझे यूँ ही देखती रही। मेने भी सोच लिया था कि उसकी ना होने पर मैं उसके साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा। पर इतना समय बीतने के बाद भी वह न तो ना कर रही थी और न ही हाँ।

अचानक उसके चेहरे से गुस्सा और आश्चर्य गायब हो गया और वह नॉर्मल हो गई। पर उसने अब तक हाँ नहीं बोला था। तभी मुझे मेरे पेरों में एहसास हुआ कि वह अपने पैरों को दूर करना चाहती है। मैंने अभी अपने घुटनों को एक-एक करके उसके दोनों पैरों के बीच में कर लिया। अब मेरे दोनों पैर उसके दोनों पैरों के बीच थे और वह अपनी जांघों के बीच लगभग दो फीट की जगह बना चुकी थी। अब मैंने आश्चर्य से प्रीति के चेहरे की और देखा तो वह हल्की मुस्कुरा रही थी। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैं मानो सातवें असमान पर चला गया। बिना कुछ कहे ही प्रीति ने सब कुछ कह दिया। मैंने तुरंत अपना सारा वजन प्रीति पर डाल दिया और बाहों में भर कर उसको चूमने लगा। उसने भी अपने हाथों और पेरों की जकड़ से मेरा भरपूर स्वागत किया। लगभग 15 मिनट चूमा चाटी के बाद प्रीति ने मेरा चेहरा पकड़ा और अपने चेहरे से थोड़ी दूरी पर रोक कर बोली "मेरे प्यारे भइया बस करो और मेरी बात ध्यान से सुनो।" मैं भी बड़े ध्यान से उसकी बात सुनने लगा।

प्रीति "एक तो यह राज केवल हम दोनों भाई बहन के बीच रहना चाहिए और दूसरी बात यह कि तुम्हारी प्यारी बहन अभी पूरी तरह से कुँवारी है। थोड़ा ध्यान रखना मेरा, क्योंकि तुम्हारा वह देखा है आज सुबह मैंने। कितना बड़ा और मोटा है। तुम इंसान हो या राक्षस।"

यह सुन कर मुझे हंसी आ गई और में प्रीति से बोला "तुम्हारे भाई की खुशी के लिए तुम कितना दर्द सहन कर सकती हो?"

प्रीति कुछ समय खामोश रही फिर बोली "आज रात जान दे सकती हूँ तुम्हारे लिए।"

बस इतना सुनते ही मैंने सोचा कि आज तो चुनौती है मेरे लिए।

बस अब असली काम शुरू करके का समय आ चुका था। रात के लगभग 12 बजे थे।

मेरा लिंग अपने अधिकतम आकार और कठोरता में था।

मैंने लिंग के मुहाने को प्रीति की योनि के मुह पर जैसे ही रखा प्रीति और मेरे मुह से एक साथ कामुक और संतुष्टि की सिसकारी निकली। प्रीति ने अपनी बाहों में मुझे इस कदर कस कर जकड़ा कि मानो उसकी जान लेने वाला था मैं। प्रीति ने अपने पेरों की कैंची बना कर मेरे पेरों पर कसना शुरू कर दी, क्योंकि उसको होने वाले दर्द का एहसास बहुत अच्छी तरह से था।

अब मैंने अपनी कमर और लिंग का दबाव उसकी योनि पर डालना शुरू किया। पर जहाँ मेरे लिंग की मोटाई तीन इंच थी वही प्रीति की योनि पैरों को पूरी तरह दूर करने के बाद भी बमुश्किल एक इंच खुल पा रही थी।

प्रीति भी थोड़ी नर्वस थी और डर भी रही थी।

अब यहाँ मेरी परीक्षा थी। मेने ठान लिया कि अंदर करना है तो प्रीति को दर्द तो देना ही होगा। मैंने महसूस किया कि लिंग पर तेल तो लगा था और मेरा प्री-कम भी योनि पर बहुत सारा है पर जब तक प्रीति का प्री-कम आना शुरू नहीं होगा तब तक काम नहीं बनेगा।

मैंने लिंग का दबाव कम किया और प्रीति के बूब्‍स को जोर-जोर से दबाने और चूसने लगा और एक हाथ की उंगलियों से योनि पर मसाज करने लगा। 5-10 मिनट में ही योनि पूरी तरह पनिया गई। इस बीच बेडरूम प्रीति की सिसकारीयों से गूंजता रहा।

अब मैंने प्रीति के चेहरे को करीब से देखकर उसकी आँखों में आँखे मिला कर उससे पूछा "अपने भाई के लिए बेतहाशा दर्द के लिए तैयार हो?"

प्रीति ने अपनी आँखे बन्द की और अपना सिर हिला कर स्वीकृति दी।

मैंने तुरंत मोर्चा संभाला और अपने हाथों से उसके पेरों की दोनों जांघों के नीचे से घुमा कर ऊपर की और खींच लिया और उसकी बाहों को मजबूती से पकड़ लिया जिससे उसके दोनों पैर मेरे कंधे तक आ गए और योनि का मुह थोड़ा और खुल गया। अब होंठों को चूसते हुए अपना लिंग की मुह उसकी योनि के छेद पर टिका दिया पर कुछ देर तक दबाव नहीं डाला। 15मिनट तक उसके होठों को चूसा और अपनी जबान को प्रीति के मुह में डाल कर पूरे मुह में घुमा-घुमा कर मुह के हर हिस्से को महसूस किया और उसका लाजवाब स्वाद भी लिया। अब मेरी इस हरकत का प्रीति भी बिल्कुल वैसा ही जवाब देने में लगी हुई थी और इस किसिंग का भरपूर लुफ्त उठा रही थी।

अब जैसे ही मैंने पाया कि प्रीति का सारा ध्यान मेरे होठों को चूसने में लगा है तो मैंने मोके का फायदा उठाकर अपनी सारी ताकत लगाकर लिंग का एक जोरदार झटका प्रीति योनि में दिया।

उस पल में क्या हालत थे मैं शब्दो में नहीं बता सकता। प्रीति की जोरदार चीख मुझसे चुंबन लेने के कारण मेरे मुह में दब गई पर उसका शरीर दर्द के मारे झटपटा रहा था। उसकी आंखो में आंसू आ रहे थे और नीचे के जो हालात थे उसके बारे में क्या बताऊँ दोस्तों। लगभग 2-3 तीन इंच लिंग ही अंदर जा सका था पर योनि कि झिल्ली फटने के कारण बहुत सारा खून मेरे लिंग पर लगा था और उसकी कूल्हों की दरार में से होता हुआ बेडशीट पर आ गया था। मैंने अपनी बहन का कुंवारापन भंग कर दिया था। कुछ देर तक मैने कोई हरकत नहीं की और प्रीति के शांत होने का इंतजार किया। प्रीति दर्द से बहुत देर तक झटपटाती रही और फिर उसका शरीर थोड़ा शांत होने लगा। अब मेने लिंग को प्रीति की योनि से बाहर निकाला और लिंग से और योनि से खून को अच्छी तरह से साफ किया। प्रीति बोली भईया अखिर हासिल कर ही लिया तुमने मुझे, हो गई तुम्हारी इच्छा पूरी। ऎसा कह कर वह रोने लगी। यह सुन कर मैं भी उसको बाहों में भर कर रोने लगा और उससे कहा मेरी जान हो तुम प्रीति। तुमने बहुत बड़ा एहसान कर दिया मुझ पर आज। अगर तुम आज "ना" कर देती तो शर्मिंदगी के कारण मुझे कल जान देना पड़ती अपनी। बोलो क्या चाहिए तुम्हें मुझसे, मैं तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूंगा। ऎसा सुन कर प्रीति ने कहा पहली इच्छा तो यह है कि आज के बाद कभी जान देने की बात मत करना और दूसरी यह कि आज रात तुम्हें अपना पूरा लिंग मेरी योनि में डालना है, चाहे मेरी जान क्यों ना चली जाए। मैं बोला "पागल हो गई है क्या तू? सहन नहीं कर सकेगी इस दर्द को मेरी।"प्रीति बोली "तुम मेरे दर्द और रोने की चिंता बिल्कुल मत करो। बिना चिंता आगे का काम शुरू करो। तुम्हारी बहन भी आज तुम्हें पूरी तरह से संतुष्ट करेगी, समझे? आज रात भले ही मेरी जान चली जाए पर मेरे भाई को जीवन की सबसे बड़ी खुशी देना है मुझे। यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ।"

मैंने जोश में आकार तुरंत प्रीति को पुरानी पोजीशन में लिया और दोनों के शरीर पर रजाई औढ ली।

मेरा लिंग तो अभी भी लोहे की रॉड की तरह सख्त था लिंग का मुहाना प्रीति की गीली योनि पर रख कर मैं मिशीनरी पोजिशन में आ गया और अब हम दोनों फिर पुरानी पोजीशन में थे और दोनों ने किसिंग शुरू कर दी थी। बस अन्तर था प्रीति का जोश दिलाने वाली बातों का और उसके अपने भाई के प्रति समर्पण का। रात साढ़े बारह बजे थे इस वक्त। मैंने लिंग पर दबाव बनाते हुए अपनी कमर को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया और प्रीति की चीखे फिर शुरू हो गई। पाँच मिनट में ही मैंने पाया कि लिंग लगभग तीन इंच अंदर जा चुका था और प्रीति का प्री-कम बेतहाशा उसकी योनि से छूट रहा है। अब धीरे-धीरे मैंने इसी पोजीशन में रहते हुए तीन इंच लिंग को ही अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। वियाग्रा कि गोली का हेवी डोज लेने के कारण मेरा जोश सातवें असमान पर था इस कारण इसी पोजीशन में बिना रुके मैं लगातार एक घंटे तक झटके लगाता रहा प्रीति भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी और अपने पेरों और हाथो से मुझे प्रोत्साहित कर रही थी। उसकी चीखें अब मादक सिसकारीयों में बदल गई थी। योनि में अधिक प्री कम होने के कारण फचाक-फ़चाक की जोरदार आवाजें आ रही थी। रजाई के अंदर दोनों के बदन पसीने से इतने भीग गए कि प्रीति के शरीर और बेड शीट मुझे गीली महसूस होने लगी थी। एक घंटे तक लगातार उछलने के कारण मुझे थकान होने लगी थी इस के कारण मैं कुछ देर रुक गया। प्रीति की सांसे बेतहाशा उपर नीचे हो रही थी और मेरी भी। पांच मिनट आराम करने के बाद मैं प्रीति से बोला कैसा लगा रहा है मेरी प्यारी बहन। यह सुन कर उसने मुझे एक प्यारा चुम्बन दिया और बोली "मेरा भाई तो बहुत ही शैतान निकला और ताकतवर भी। इतना जोश कहाँ से आया तुम्हारे अंदर।" मैं बोला "तुम्हारी बातों से मेरी जान, तुम भी कितना साथ दे रही हो मेरा। अभी तक एक बार भी स्खलित नहीं हुई हो तुम।" प्रीति बोली तुम्हारी बहन भी इतनी कमजोर नहीं है भईया पहली बार ज़रूर सेक्स कर रही हूँ पर तुमको बराबरी की टक्कर देने का इरादा है मेरा और मेरे प्यारे भैया क्या आधे ही लिंग का हक है मेरा पूरा क्या अपनी पत्नी के लिए बचा रखा है। "मैं मुस्कुराया और प्रीति से कहा अब तैयार हो जा अपने भाई की असली ताकत देखने के लिए। मैंने लिंग को हाथ से महसूर किया कि लगातार एक घंटे के झटकों से चार से पांच इंच लिंग अंदर जा चुका है अब लगभग आधा और बाकी है। मैंने उसकी पेरों को फिर अपने कंधों पर उलझाया और लिंग को पूरी ताकत लगा कर अंदर दबाने लगा। इस बार मैंने प्रीति का मुह बंद नहीं किया क्योंकि मुझे उसकी चीखें सुनना थी। मैंरी पूरी ताकत लगाने और ढेर सारा प्री कम होने के कारण मुझे चमत्कार होता नजर आया और 15 मिनट तक लगातार दबाव बनाने के कारण लिंग योनि में लगभग 7 इंच तक उतर गया और मुझे महसूस हुआ कि आगे रास्ता बंद है। इस दौरान प्रीति की जोरदार चीखें मुझे उत्साहित करती रही पर बाहर होती मूसलाधार बारिश और बंद दरवाजों में दबकर रह गई और प्रीति ने दर्द सहन करने के लिए मेरी पीठ को नाखून से नोच कर जख्मी कर दिया। इसके बदले में मैं भी कभी उसके गाल पर, कभी कन्धों पर तो कभी उसके बूब्‍स पर दाँतों से काटता रहा। अब प्रीति का शरीर दर्द से थोड़ी देर तक काँपता रहा। जब वह शांत हुई तो उसने लंबी-लंबी साँसे लेते हुए मुझसे पूछा" क्या हुआ भईया गया क्या पूरा अंदर? "मैंने कहा" आगे रास्ता बंद है मेरी बहन। " उसने अपने हाथो से मेरे लिंग का मुआयना किया और पाया कि लगभग दो इंच लिंग अंदर जाना और बाकी था। उसने कहा और थोड़ा जोर लगाओ मेरे भाई, अंदर एग्जस्ट हो जाएगा। यह सुन कर मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। मेने फिर अपनी पूरी ताकत लगाकर दबाव डाला तो प्रीति ने भी अपने हाथो से मेरे कूल्हों को-को अपनी और खींचा। इसका नतीजा यह रहा कि 8 इंच लम्बा और 3 मोटा भीमकाय लिंग मेरी मासूम-सी बहन की छोटी-सी अनछुई योनि में प्रवेश कर चुका था। मेरी बहन दर्द के मारे तड़प रही थी कांप रही थी और में उसके चेहरे बूब्‍स और वालों को सहला कर और उसके चेहरे को चूम कर उसको दिलासा दे रहा था।

प्रीति की योनि मुझे इतनी कसी हुई महसूस हो रही थी मानो किसी-किसी ताकतवर पहलवान ने दोनों हाथों से अपनी मुट्ठीयों में मेरे लिंग को कस रखा है।

कुछ समय बिना किसी हलचल के बीत गया। प्रीति बोली "अब मेरा भाई खुश हैं ना कि कोई तो है जो उसको पूरी खुशी दे सकती है। मेने कहा हाँ मेरी प्यारी बहन मान गया तुझे की तू अपने भाई के लिए जान भी दे सकती है।"

कुछ देर बाद प्रीति बोली "चल अब शुरू हो जा अपनी बहन को जन्नत में पहुचाने के लिए।" मैंने कहा तू अकेली थोड़े ही है मैं भी तो आऊंगा तेरे साथ। यह कहकर मेने उसके पैरों को आजाद कर दिया जिससे प्रीति के पैर सीधे हो गए और अराम की मुद्रा में आ गई। अब मैंने झटके प्रारम्भ करने के लिए जैसे ही अपनी कमर को उठाने की कोशिश की मैंने पाया के मेरे लिंग में बुरी तरह से फंस कर प्रीति के शरीर का निचला हिस्सा भी उपर उठ रहा है। मेने महसूस किया कि प्रीति की योनि से मेरा लिंग बाहर नहीं आ पा रहा था। योनि के अंदर हवा वेक्युम बनने के कारण शायद ऎसा हो रहा था। ऎसा मेरे अत्यधिक मोटे और लंबे लिंग और प्रीति की कुछ ज़्यादा ही टाइट योनि के कारण हुआ था। यह स्थिति वेसी ही थी जैसी कुत्ते और कुतिया के सेक्स के बाद होती है। हम दोनों ने एक दूसरे को आश्चर्य से देखा। मैंने प्रीति से मजाक में कहा कि अब तो हम हमेशा के लिए जुड़ गए हैं, अब मेरी जान मुझसे कभी भी दूर नहीं हो सकती। ऎसा सुनकर प्रीति अपनी मुट्ठीयों से मेरे सीने पर मारने लगी और बोली "अब क्या होगा भैया, ये कैसे बाहर आएगा?"

मेरी हँसी नहीं रुक रही थी यह देख कर प्रीति को भी हंसी आने लगी। मैंने कहा रुको कुछ करता हूँ।

मैंने दोनों हाथों से प्रीति की कमर के निचले हिस्से को पकड़ कर प्रीति की शरीर को नीचे बेड की और दबाया और साथ ही अपनी कमर को ऊपर खींचा। इससे लिंग का कुछ हिस्सा योनि के बाहर आ गया। अब मेने अपने दोनों हाथों से प्रीति के दोनों हाथों को उसके सिर के ऊपर खींचा और उभरे हुए बड़े-बड़े बूब्‍स को चूसते हुए कमर के झटके प्रारम्भ किए। मैंने जैसे ही पहला झटका नीचे की और दिया निकला हुआ लिंग फिर अंदर चला गया। अब मेने बिना रुके झटके देना शुरू कर दिए। मैं जितनी बार मेरी कमर को ऊपर खीचता प्रीति का शरीर लिंग में फँस कर ऊपर उठ आता और जैसे ही नीचे झटका देता प्रीति के कूल्हे बेड से टकराते जिससे मेरा लिंग किसी कील की भांति प्रीति की योनि में धंस जाता। यह बिल्कुल वैसा ही थे जैसे हम किसी कुल्हाड़ी के अंदर लकड़ी का हत्था ठोकते हैं। इस प्रक्रिया में मेरे लिंग दो इंच बाहर आकर ढाई इंच अंदर चले जाता था। 10-15 मिनट के झटकों में ही मेने किला फतह कर लिया था और पूरा का पूरा लिंग योनि में प्रवेश कर गया था और प्रीति चीखते सिसकारते हुए पहली बार स्खलित हुई और बेसुध हो गई थी। मुझे उस पर दया आ गई और मैं रुक गया। लगभग 5-10 मिनट उसकी बेहोशी की अवस्था में उसे प्यार करता रहा, उसके होठों को चूसा और बालों को सहलाता रहा। कुछ देर बाद उसने आँखें खोली और बोली भैया तुमने तो सच में मुझे जन्नत के दर्शन करा दिए। मैंने कहा "एक खुश खबरी और है" , वह बोली "क्या?"

मैं बोला तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई, पूरा लिंग अंदर ले ही लिया अखिर तुमने और तुमसे जीत भी गया मैं। तुम पहली बार झड़ चुकी हो और मैं नहीं झड़ा हूँ अभी।

प्रीति बोली "क्या सच में? पूरा चला गया अंदर? मुझे यकीन नहीं हो रहा है।"

प्रीति ने राहत की साँस लेते हुए कहा "मतलब अब इससे ज़्यादा दर्द नहीं सहना है मुझे।"

मैंने कहा "मेरा भी स्पर्म बाहर आने में योगदान करो मेरी बहन तुम्हारा भाई भी जन्नत के मजे लेना चाहता है।"

प्रीति ने अपने पैरों को दूर करते हुए और मेरे मुँह को पकड़ कर एक प्यारा चुंबन लिया और मेरी आँखो में झाँकते हुए बोली "तो आओ मेरे प्यारे भईया, देखते हैं अपनी बहन को पहली बार झड़ने से पहले कितनी बार जन्नत दिखा पाते हो।" ऎसा कहकर वह मेरे चेहरे को अपने बूब्‍स पर ले गई अपने निप्पल को मेरे मुँह में पिलाकर अपने हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर कामुकता भारी अंगड़ाई लेने लगी।

मैं तो इसी बात का इंतजार कर रहा था। रात के दो लगभग दो बज चुके थे और मेरा जोश अब भी अपने चरम पर था। अब मैंने प्रीति की टांगों को ऊपर उठकर फिर से उसे चोदना शुरु किया। इस बार मैं मेरा लिंग प्रीति के स्खलन के कारण असानी से अंदर बाहर कर पा रहा था। जैसे ही मैंने पहली बार लिंग को पूरा बाहर किया प्रीति ने मुझे इस तरह जकड़ा कि मैं कही भाग रहा हूँ। यह देख कर मुझे हंसी आ गई तो प्रीति बोली "उसे अंदर करो जल्दी भईया वर्ना मेरी जान निकल जाएगी।" मैंने भी गपाक से पूरा 9 इंच लिंग उसकी योनि में डाल दिया और प्रीति ने कामुक सिसकारी के साथ राहत की साँस ली। अब शुरू हुआ मेरा तांडव। मेरे झटकों का सैलाब जो शुरू हुआ तो लगातार चलता ही रहा। किसी पिस्टन की भांति मेरा भीमकाय लिंग प्रीति की कामसीन योनि में 9 इंच का लंबा रास्ता तय कर रहा था। कई हजारों बार मैंने लिंग से प्रीति को बिना रुके और बिना अपनी झटकों की रफ्तार कम किए ना जाने कितनी देर तक चौदता रहा। प्रीति की मादक सिसकारीयाँ मेरे कानो में आती रही और मेरा जोश बढ़ता रहा। लगभग हर 15 मिनट में-में मुझे महसूस होता रहा कि प्रीति झड़ गई है पर मैं रुका नहीं। अचानक मुझे लगने लगा कि अब मैं झाड़ सकता हूँ तो मैंने प्रीति के कान में कहा कि क्या करना है बाहर निकलना है कि अन्दर ही झड़ जाऊँ। पर प्रीति तो पूरी तरह से बेसुध हो चुकी थी, मेरी बात सुनते ही वह बोली नहीं बाहर नहीं पागल अंदर ही चाहिए मुझे तेरा प्यार, प्लीज।

यह सुनकर मैंने प्रीति को पूरी शक्ति लगाकर बाहों में जकड़ा और अपने लिंग के झटकों की रफ्तार को अलग ही लेवल पर ले गया और अखिर एक तेज वीर्य की पिचकारी मेने प्रीति की योनि की अंतिम गहराई में छोड़ दी और लगभग उसी समय प्रीति भी अंतिम बार झड़ी।हेल्लो दोस्तों, मैं आपका दोस्त आपके लिए लेकर आया हूँ प्रीति-मेरी बहन कहानी का दूसरा पार्ट।

पिछला भाग आप पढ़ ले इस कहानी को पड़ने के पहले।

अब कहानी में आगे पढ़े।

भीमकाय लिंग प्रीति की कामसीन योनि में 9 इंच का लंबा रास्ता तय कर रहा था। कई हजारों बार मैंने लिंग से प्रीति को बिना रुके और बिना अपनी झटकों की रफ़्तार कम किए ना जाने कितनी देर तक चौदता रहा।

प्रीति की मादक सिसकारीयाँ मेरे कानो में आती रही और मेरा जोश बढ़ता रहा। लगभग हर 15 मिनट में मुझे महसूस होता रहा कि प्रीति झड़ गई है, पर मैं रुका नहीं। अचानक मुझे लगने लगा कि अब मैं झड़ सकता हूँ तो मैंने प्रीति के कान में कहा कि क्या करना है? बाहर निकलना है कि अन्दर ही झड़ जाऊँ?

पर प्रीति तो पूरी तरह से बेसुध हो चुकी थी। मेरी आवाज़ सुनते ही वह होश मैं आई और पूछा "क्या बोल रहे हो भईया?"

मैंने दोबारा पूछा "तेरे अंदर ही डिस्चार्ज होना है या बाहर?"

यह सुन कर प्रीति बोली "नहीं बाहर नहीं निकालना है मेरे भोले भैया, अंदर ही चाहिए मुझे तुम्हारा प्यार, इस पल को इतना यादगार बना दो की हम कभी इसे ना भूल सके।"

यह सुनकर मैंने पूरी शक्ति लगाकर प्रीति को बाहों में जकड़ा और अपने लिंग के झटकों की रफ़्तार को किसी वाइब्रेटर के समान तेज कर दिया और कुछ मिनट बाद ही आख़िर एक तेज वीर्य की पिचकारी मेने प्रीति की योनि की अंतिम गहराई में पूरे प्रेशर से छोड़ दी और लगभग उसी समय प्रीति भी अंतिम बार झड़ी। स्खलित होने के कुछ सेकंड पहले मैंने मेरे लिंग इतनी ज़ोर से प्रीति की योनि पर दबाया कि सारा का सारा लिंग योनि में समा गया और मेरे लिंग के ऊपर की हड्डी और प्रीति की योनि के ऊपर की हड्डी आपस में इस तरह टकराई मानो कुदरत कह रही हो कि इससे आगे बढ़ने की अब-अब कोई संभावना नहीं है तुम्हारे पास।

मेरे जोरदार दबाव के कारण प्रीति का शरीर भी बेड के ऊपर की और खिसकने लगा, जिसे मैंने उसके कंधों को पकड़ कर नीचे की और खिंच कर रोका।

बहुत दिनों तक सेक्स या हस्त मैथुन नहीं करने के कारण मानो वीर्य का गर्म ज्वालामुखी मेरे शरीर में जमा हो गया था, जो आज मेरी प्यारी-सी नाज़ुक बहन की योनि की गहराईयों में फट पड़ा था। प्रीति का स्खलन भी साथ में होने के कारण उसकी योनी की गहराई में गर्म लावे का सैलाब आ गया था। जिसका असर प्रीति के शरीर की प्रतिक्रिया से साफ़ जाहिर हो रहा था। उसका पसीने से लथपथ बदन जोर-जोर से झटके ले रहा था। शरीर रह-रह कर अकड़ रहा था। मैं बस जैसे तैसे उसे सम्भाले हुए था।

उस समय प्रीति के प्यारे मासूम चेहरे पर आ रहे चरमसुख (आॅरगेस्म) के भावों को देखने से मुझे मिल रहे चरमसुख के अहसासों को कई गुना बढ़ा रहे थे।

लगभग 5-10 मिनट तक हम दोनों के नग्न शरीर एक दूसरे में किसी नाग नागिन के जोड़े की तरह लिपटे रहे और मेरा वीर्य भी झटके ले के कर लिंग से निकालता रहा और योनि की गागर को भरता रहा। इस दौरान प्रीति भी अपने मुलायम हाथों से मेरी पीठ और कुल्हों को सहला कर और होठों के चुंबन से मानो मुझे शाबासी दे रही थी।

हम दोनों थकान और सेक्स का चरमसुख मिलने के कारण लगभग बेहोश हो गए थे।

मैंने घड़ी पर नज़र डाली तो देखा कि सुबह के पाँच बजे थे। मुझे विश्वास नहीं हुआ कि पिछले 5-6 घंटों से मैं प्रीति को लगातार चोद रहा था और प्रीति की भी हिम्मत और समर्पण की दाद देनी पड़ेगी की अपने भाई को अपना कौमार्य तो समर्पित किया ही साथ ही पहली बार में ही इतनी लंबी चुदाई को सहन भी किया।

अब हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर गहरी नींद में जा चुके थे। मेरा लिंग भी वीर्य स्खलन होने के बाद पता नहीं कब नर्म होकर धीरे-धीरे प्रीति की योनि से बाहर आ गया और योनि में भरा ढेर सारा द्रव्य भी बेड पर फैलता चला गया।

अगले दिन दोपहर लगभग 12 बजे तक हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सोते रहे।

सुबह प्रीति से पहले मेरी नींद खुली। मैंने पाया कि आधा दिन बीत चुका है और मेरी प्यारी बहन अब भी गहरी नींद में है और पूरी नग्न अवस्था में मेरे बेड पर किसी बहुत पसंदीदा तोहफे की तरह सजी हुई है। मैंने बहुत ही प्यार से उसके माथे को चूम कर उसके गालों को सहलाते हुए उसे उठाया।

वह घबरा कर अचानक उठ कर बैठ गई और मुझसे नज़दीक पाकर तुरंत मुझसे लिपट गई।

मैंने आश्चर्य से पूछा "क्या हुआ मेरी जान?"

वह बोली "रात में जो हुआ क्या वह सब हक़ीक़त था या कोई सपना था भैया?"

मैं मुस्कराते हुए बोला "वह सपना था"।

यह बोल कर मैंने अपने बेड की और इशारा किया और उठ कर खड़ा हो गया।

उसने मेरे नंगे बदन पर नज़र घूमाते हुए बेड पर नज़र डाली।

सारा बिस्तर बेतरतीब हो रहा था। बेडशीट पर खून के निशान थे जो प्रीति का कौमार्य भंग होने के कारण लगे थे और ढेर सारे वीर्य और योनि से निकलने वाले पदार्थ के दाग थे। उसके बाद अचानक प्रीति का ध्यान ख़ुद के बदन पर गया, जो अब भी पूरी तरह नग्न था। उसके हाथ अनायास ही अपने विशाल सख्त स्तनों को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगे।

अब उसकी आँखों के आगे रात का सारा घटना क्रम घूमने लगा। मैं बड़े प्यार से उसके चेहरे के पल-पल बदलते भावों को देख रहा था।

कुछ पलों तक सोचने के बाद प्रीति लड़खड़ाती आवाज़ में बोली "मेरे कपड़े कहाँ है भैया?"

इस बार भी मैंने बेडरूम के एक कोने में पड़े उसके कटे-फटे गाउन, ब्रा और पैंटी की और इशारा किया।

नग्न अवस्था में ही वह वहाँ तक पहुची और कटे हुए ब्रा और गाउन के टुकड़े को उठा कर मुझे गुस्से से देखने लगी।

मैं अब भी उसे देख कर मुस्करा रहा था।

कुछ सोच कर वह चलते हुए मेरे करीब आई और मेरे चेहरे के पास अपना प्यारा-सा खूबसूरत चेहरा नज़दीक लाकर धीरे से बोली "तुमने बड़ी ही चालाकी और खूबसूरती से अपनी सगी बहन को पाने के लिए ये जाल बुना था और बड़ी आसानी से कामयाब भी हो गये।"

"है ना मेरे प्यारे भैया?"

मेने भी अपने चेहरे को उसके थोड़ा और नज़दीक ले जाकर बड़े ही आत्म विश्वास से कहा "अपने भाई की चालाकी पर कोई शक है क्या मेरी प्यारी बहन?"

इस जवाब का इनाम मुझे तुरंत ही मिल गया।

प्रीति ने अपने एक हाथ से मेरे बालों को पकड़ कर मेरे सर को अपने चेहरे की और खींचा और

एक बहुत ही प्यारा-सा होंठो का चुंबन शुरू कर दिया और अपनी ज़ुबान मेरे मुंह में घुमाने लगी, साथ ही उसके दूसरे हाथ से मेरे शिथिल लिंग को सहलाने लगा।

मैं भी कहाँ कम था, मैंने भी अपने दोनों हाथों से उसके गोल-मटोल बड़े-बड़े कुल्हों में अपनी उंगलियों को दबाते हुए उसका पूरा बदन अपनी और खिंच लिया और चुंबन में पूरा योगदान देने लगा।

कुछ ही सेकंड मेरा लिंग प्रीति के हाथ के पकड़ की क्षमता से बाहर हो गया। जिन हाथो से कुछ सेकंड पहले प्रीति ने पूरे लिंग को जकड़ रखा था, वहीं लिंग अब इतना मोटा और लंबा हो गया था कि प्रीति के हाथों की उँगलियों के घेरे में लिंग की आधी गोलाई ही आ रही थी।

यह देख कर प्रीति ने तुरंत ही अपने हाथों को लिंग से हटाया और अपने दोनों हाथो की माला बना कर मेरे गले में डाल दी और चुंबन लेते हुए मुझ पर लगभग झूलने लगी। मैंने भी तुरंत उसके कुल्हों सहारा देते हुए उसके पूरे शरीर को ऊपर उठाया और उसके दोने पैरों को मेरी कमर के आसपास बाँध कर प्रीति को लगभग अपने मज़बूत लिंग पर बैठा लिया।

प्रीति ने इस पोजिशन में आने की कल्पना भी नहीं की थी। उसने महसूस किया कि इस वक़्त वह मेरे सख्त लिंग पर बैठी है। उसने मेरे लिंग की ताकत जाँचने के लिए मेरे गले में पड़ी अपने हाथों की माला को ढीला किया, जिससे प्रीति का लगभग सारा वज़न फिसलकर मेरे लिंग पर आ गया।

मुझे भी बहुत आश्चर्य हुआ, क्योंकि प्रीति का वज़न कम नहीं था। विशाल स्तन, कुल्हों और गदराये बदन के कारण मेरे अनुमान से प्रीति का वज़न 65-70 किलो के लगभग होगा। जो इस वक़्त मेरे विशाल लिंग पर रखा हुआ था। हम दोनों ने ही लगभग एक साथ आश्चर्य से एक दूसरे को देखा।

प्रीति चेहरे पर आश्चर्य के भाव बना कर बोली "तुम तो सुपरमेन हो भैया, इतनी ताकत कहाँ से आई तुम्हारे अंदर।" ऐसा कह कर प्रीति ने अपने हाथ अपने कुल्हों की और हाथ ले जा कर मेरे लिंग का मुआयना किया तो और भी आश्चर्यचकित हो गई। उसके हाथों में 2-3 इंच बाहर को निकला लिंग भी आ गया।

अब तो उसका मुह खुला का खुला रह गया।

वह आश्चर्य के भाव से मेरी और देखती रह गई। कुछ पलों के बाद लगभग एक साथ हम दोनों की ही हंसी छूट गई।

मैंने प्रीति मज़ाक के लहजे में पूछा "करना है रॉकेट की सवारी?"

प्रीति "नहीं, अभी मुझे नहाना है।"

देखो रात भर में क्या हाल कर दिया तुमने मेरा।

मेरे अरमानों को तो जैसे ब्रेक लगा दिया गया हो।

पर फिर मुझे एक आइडिया सूझा।

मैं प्रीति को उसी पोजीशन में उठाकर चलते हुए बाथरूम में ले गया और वह मेरे चेहरे को देखती रही।

शाॅवर के नीचे ले जाकर मैं प्रीति से बोला "नहाना और रॉकेट की सवारी करना दोनों एक साथ भी तो किया जा सकता है।"

प्रीति ने शरारती अंदाज़ में पूछा "भला वह कैसे होगा।"

जवाब में मैंने एक हाथ से गर्म पानी का शाॅवर चालू कर दिया और प्रीति को चुंबन करने लगा।

दोनों के बदन भीगने लगे और गीले बदन के स्पर्श के अहसासों से अलग ही सुख मिलने लगा।

प्रीति अब तक आगे की पोजिशन को समझ चुकी थी।

वह अब भी मेरे गले में हाथ लपेट कर मेरे लिंग पर बैठी थी।

मैंने चुंबन लेते हुए ही प्रीति के मांसल कुल्हों को सहारा देते हुए उसके बदन को ऊपर की और उठाया। इस क्रिया में प्रीति ने भी मेरी मदद की और मेरी कमर में उलझे पैरों और गले में लिपटे हाथों की मदद से अपने शरीर को उपर की और उठा कर रोक लिया।

अब मेरा लिंग प्रीति के भार से मुक्त हो गया।

हालांकि इस नई सेक्स पोजीशन की कल्पना से ही प्रीति की योनि से बहुत मात्रा में प्रीकम बहना शुरू हो चुका था, ऊपर से शॉवर के पानी ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी।

मैंने अपने लोहे की तरह कठोर हो चुके, भीगे हुए और आसमान की और निशाना साध रहे लिंग का मुहाना पकड़कर प्रीति की योनि की तरफ़ मोड़ दिया और उसके कुल्हों से अपने हाथ का सहारा हटा लिया।

अब प्रीति की बारी थी और वह समझ भी चुकी थी। पर वह डर रही थी कि कहीं ज़्यादा दर्द तो नहीं होगा।

मैंने उसे आँखों से इशारा करके नीचे वज़न देने को कहा।

वह झिझकते हुए मेरे गले से अपने हाथों की पकड़ को ढीला करने लगी जिससे मेरा लिंग उसकी योनि में उतरने लगा। वैसे मेरी रात में की गई मेहनत के कारण अभी प्रीति को ज़्यादा दर्द नहीं होना था पर इस नई पोजीशन के कारण वह असहज थी।

जैसे-जैसे लिंग योनि के अंदर उतर रहा था प्रीति का मुह खुलता जा रहा था और उसकी दर्द भरी आवाज़ तेज होती जा रही थी। पर 4-5 इंच पर ही प्रीति ने हार मान ली और मेरे गले में पड़ी हाथों की माला को फिर से कस लिया और उसका नीचे की और सरकता बदन अचानक रुक गया।

जिससे मुझे मिल रहे चरम सुख में थोड़ी रुकावट आ गई। मैंने नाराज होने का भाव बना कर प्रीति से इशारे में कारण पूछा।

प्रीति बोली "इस पोजिशन में थोड़ा दर्द हो रहा है भैया, थोड़ा तो रहम करो मुझ पर।"

मैंने भी उसी स्थिति में प्रीति के कुल्हों को सहारा देकर थोड़ा ऊपर नीचे करने लगा और प्रीति के भीगते बदन को चूमने लगा और उसके होंठो पर भी चुंबन करने लगा। वह भी मुझे सहयोग करने लगी।

कुछ मिनट तक इस क्रिया को करते हुए अचानक मैंने मेरे गले में कसी प्रीति के हाथो की माला को खोल दिया जिससे प्रीति के बदन का सारा भार अचानक एक झटके से नीचे मेरे लिंग पर आ गया।

नतीजा आप समझ सकते हो।

एक पल में ही मेरा सारा का सारा लिंग प्रीति की योनि की अंतिम गहराई में समा गया। प्रीति की तो मानो साँस ही कुछ पल के लिए रुक गई हो।

उसकी जोरदार चीख निकली और आँखों की पुतलियाँ मानो गुम हो गई हो।

इस वक़्त प्रीति का सारा भारी बदन मेरे सख्त लिंग रूपी खूँटे पर टंगा हुआ था और मैंने बस उसकी कमर को पीछे से सहारा दिया हुआ था, जिससे वह पीछे की और नहीं गिर रही थी। प्रीति को अपने आप को सम्भालने में कुछ समय लगा। पर सम्भालने के तुरंत बाद वह मेरे सीने पर अपनी मुट्ठी से बहुत सारे प्रहार करते हुए कहने लगी "तुम तो बड़े निर्दय हो भैया, अपनी बहन की कुछ तो फ़िक्र करो जान ही ले ली तुमने तो मेरी।"

मैं बोला "तुम ने ही तो रात में कहा था कि मैं तुम्हारी जान ले सकता हूँ।"

मेरी बात सुनकर वह भोली सूरत और आँखों में गुस्सा करते हुए कुछ देर मुझे देखती रही और फिर मेरे गले में हाथों की माला कसते हुए मुझे चुंबन करने लगी। साथ ही हाथों और मेरी कमर में लिपटे पैरों के सहारे से मुझसे लिपटे हुए बदन को ऊपर नीचे करने लगी।

मैंने भी उसकी कमर को पकड़ कर उसका सहयोग करने लगा।

मेरा विशाल सख्त 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लिंग उसकी अत्यधिक कसी हुई योनि में फिर सफ़र करने लगा। शाॅवर से गिरता गुनगुना पानी हम दोनों कर शरीर को भिगा कर मजे को कई गुना बढ़ा रहा था।

ऊपर नीचे होने के दौरान प्रीति के भीगे बड़े-बड़े स्तन मेरे सीने से घर्षण कर रहे थे।

उसके भीगे हुए लंबे और घने बालों ने मेरे और उसके बदन को ढक रखा था। शावर से प्रीति के सर से चेहरे और होंठो पर फिसलते पानी के कारण उसके भीगे होंठो को चूसने में कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था।

जितनी बार प्रीति का भीगा बदन ऊपर उठ कर छप्प से मेरे लिंग पर गिरता तो हम दोनों के मुह से कामुक सिसकारी निकल जाती।

बीच-बीच में मैं प्रीति के दोनों भीगे स्तनों के निप्पलों को चूस कर और ज़ोर से मसल कर उसकी उत्तेजना को और बढ़ाता रहा।

यह छपा-छप चुदाई का सिलसिला लगभग एक घंटे चलता रहा। एक घंटे बाद प्रीति स्खलित हो गई और साथ ही में भी।

स्खलित होते ही वह मेरे बदन से कस कर लिपट गई और उसने ऊपर नीचे होना बंद कर दिया। पर लिंग रूपी खूँटे पर वह अब भी टंगी हुई थी।

कुछ समय बाद जब मेरा लिंग नर्म पड़ने लगा तो मैं प्रीति से बोला "रॉकेट की सवारी हो गई हो तो नीचे उतर जाओ मेरी प्यारी बहन।"

वह मेरी और देख कर मुस्कराते हुए मेरे बदन से उतर गई। लगभग डेढ़ घंटे के बाद उसने अपने पैर ज़मीन पर रखे। उतारे ही वह बोली "थैंक्स भैया, इतनी अच्छी सवारी करवाने के लिए।"

ऐसा कहकर वह बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में चलते हुए अपने कमरे में चली गई और मैं उसके मटकते कुल्हों अपने से दूर जाते देखता रह गया।

अब हम दोनों ने फ्रेश होकर बेडरूम को व्यवस्थित किया और डायनिंग रूम में आकर बैठ गए। काफ़ी भूख लगने के कारण पहले तो प्रीति ने खाना बनाया और हम दोनों ने साथ ही खाया। बाहर बारिश रुक चुकी थी। दोपहर के तीन बजे थे हमने अब तक आपस में किसी भी विषय पर बात नहीं की थी। मुझे लगा शायद इतना सब होने के कारण प्रीति को पछतावा हो रहा है और शायद वह भी मेरे बारे में यही सोच रही थी।

मैं सोफ़े पर बैठ कर मोबाइल चलाने लगा। प्रीति भी यह देख कर अपना मोबाइल लेकर मेरे नज़दीक बैठ गई। अचानक मैंने देखा कि उसने मम्मी-पापा को कॉल कर दिया। मैं बहुत घबरा गया।

वह उनसे बात करते हुए दूसरे कमरे में चली गई और मैं उनकी बात सुन नहीं पाया।

कुछ देर बाद वह फिर मेरे पास आकर बैठ गई और बोली "मम्मी-पापा तीन दिन बाद वापस आ रहे हैं, हमारे पास शायद यही तीन दिन है, हम भाई बहन होने के कारण हमेशा तो साथ नहीं रह सकते, पर इन तीन दिनों में तुम मुझे इतना प्यार दो की मेरा होने वाला पति ज़िन्दगी भर भी ना दे सके।"

मैंने सोचा है कि आने वाले तीन दिन हम दोनों को एक पति पत्नी की तरह बिताना चाहिए। एक नए शादी शुदा जोड़े की तरह। इसके बाद हम दोनों फिर भाई बहन की तरह आम ज़िन्दगी जियेंगे। यह राज हम दोनों के बीच ही रहेगा।

इन तीन दिनों मैं तुम्हें मुझसे जो कुछ भी चाहिए मैं तुम्हें दूंगी। तुम मेरे साथ वह सब कुछ करने के लिए आजाद हो जिससे तुम्हें ख़ुशी और संतुष्टि मिलती है। यह तीन दिन हमारे हनीमून ट्रिप की तरह होंगे जो हमे घर में ही मनाना है। यह मैं सिर्फ़ तुम्हारी ख़ुशी के लिए कर रही हूँ।

मैं उसकी बातें सुनकर दंग ही रह गया। इतनी ख़ुशी महसूस हुई कि बता नहीं सकता।

मैं बोला "मेरी प्यारी बहन, तुमने तो मुझे सारी खुशियाँ, मेरे सारे सपने पहले ही साकार कर दिए। अब मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि यह सब मुझे तीन दिनों तक और मिलने वाला है।"

प्रीति "हाँ भैया, केवल तुम्हारी ख़ुशी के लिए।"

मैं "और तुम्हें भी ख़ुशी मिलेगी ना?"

प्रीति "बिलकुल मिलेगी भईया, क्यों नहीं मिलेगी? तुम्हारे जैसा ताकतवर मर्द दूसरा कोई मुझे मिलेगा भी नहीं ज़िन्दगी में।"

मुझे यह सुनकर बहुत ख़ुशी हुई और मैंने प्रीति को गले से लगा लिया।

अब आगे के तीन दिनों की दास्तान अगली पोस्ट में दोस्तों...

उम्मीद है कि आप को कहानी पसंद आ रही है।

मैं कोशिश कर रहा हूँ कि अगली पोस्ट भी जल्द पेश कर सकूं...

कृपया कमेन्ट करके फीडबैक दें...

धन्यवाद...


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