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50% भक्षक : एक रहस्य / Chapter 1: चैप्टर १
भक्षक : एक रहस्य भक्षक : एक रहस्य original

भक्षक : एक रहस्य

Autor: Mohak_Rokade

© WebNovel

Capítulo 1: चैप्टर १

म.ह.ई रिसोर्ट, मानिकपुर गांव में. एक प्यारा सा कपल इस सुनसान रिसोर्ट में रहना आये थे | राज एक ६ फुट लम्बा आदमी था | राज कृति का उसका पति था | उसे लाल t-शर्ट पहना हुआ था | वोह हसस्ते हुए कहता है, "मुझे लगा ही था की तुम्हे ये रिसोर्ट पसंद आएगा मेरी करिटू! तुम जरा आराम करो तब तक में जरा फ्रेश होकर आता हूँ | उसके बाद हम टीवी पर एक प्यारी से मूवी भी देखेंगे!"

"तोह फिर ठीक है!" कृति ने कहाँ | उसने ब्लू गोउन पहना हुआ था |

"यहाँ से बाहर का नज़ारा कितना अच्छा दिक रहा है | ये बोहोत दुख की बात है की मुंबई में ऐसा नज़ारा कभी देखने को नहीं मिलता है!"

कृति रिसोर्ट रूम के विंडो से बाहर गार्डन को देख रही थी | पर कृति को बिलकुल भी अंदाजा नहीं था की उसस्के साथ आज रात क्या होने वाला है | उस गार्डन में एक स्कैरेक्रो यानि की बिजखा खड़ा था | अचानक एक काला धुँवा उस बिजका तरफ आया और उसके कपड़ो में घुस गया | धीरे से उस मटके की आँखे खुल गयी और लाल रंग की बन गयी | उस मटके पर बनाया होआ चेहरा बुरी तरह हसने लगा | कृति ने देखा की वोह पुतला हिल रहा था | उससे उसकी आँखोंन पर विश्वास नहीं हो रहा था |

"क्या? मुझे अभी ऐसा लगा जैसे ये स्कैरेक्रो थोड़ा हिला!" कृति ने फुसफुआया | कृति ने अपनी आँखे उस स्कैरेक्रो पर गधाकर रखी थी |

"र-राज! मुझे ऐसी लगी ये गार्डन की यह स्कैरेक्रो थोड़ा हिला! प्लीज यहाँ आओ और देखो ना!"

"क्या? मुझे लगता है ये कल के हॉरर मूवी के वजह से तुम्हे हालूसीनेशन हो रहा होगा!" राजीव ने बाथरूम से बोला | वोह अपना मुँ धो रहा था |

धीरे और आराम से वोह स्कैरेक्रो उस एस्टेट की और चलते होए आ रहा था |

"नहीं! कुछ तोह गड़बड़ है यहाँ पर, राजीव ! जल्दी से यहाँ आओ मुझे बोहोत डर लग रहा है!" कृति ने राजीव को पुकारा |

"ओके! ओके! में आ रहा हूँ रुको!" राजीव ने बाथरूम के नल को बांद करते हुए कहाँ |

वोह स्कैरेक्रो धीरे धीरे गुरराते हुए कृति की और आ रहा था | वोह हस्ते हुए आ रहा था | कृति घबराहट के साथ उस पुतले पर आँखे फाड़ कर देख रही थी |

"र-र-राजीव!!! ज-ज-जल्दी आ-आ-आओ!!!"

अचानक उस स्कैरेक्रो ने अपनी कुरहड्डी कृति पर दे मारी |

"आह्ह!" कृति जोरर से चिलाय, वोह ज़मीन पर घिर पड़ी |

राजीव कृति की चीख सुन कर बाहर दौड़ पड़ा | उस्सने कृति को देखा | वोह ज़मीन पर एडमारी पड़ी होए थी | उसके पेट से रक्त बहने लगा | वोह रात उन दोनों के लिए बोहोत डरावनी रात थी |

"कृतिईई!!!"

"कृति? ये क्या हो गया है तुम्हे?"

उस स्कैरेक्रो ने खिड़की ने विंडो की काच को तोड़ दिया और फिर अपने कुल्हाड्डी को राजीव के सीने पर ज़ोर से दे मारा |

"अअअअअअअ!" वोह दर्द से करह रहा था |

"तुम क-कौन हो?" राजीव ने मरते वक़्त पूछा |

उस स्कैरेक्रो ने अपना मुँ खोला और बोला, "में दानावो का दानाव हु! ये कटपुतली का शरीर तोह बस एक जरिया है मेरे लिए | पर मेरे रोम रोम में काली दैत्य शक्तियां मौजूद है! में मृत्यु का तांडव हूँ! ये मनुष्य मुझे उनका भक्षक बुलाते है! हा-हा-हा-हा!!!!"

वोह दानाव एक काली पहाड़ी के गुफा में रहता था | आज मानिकपुर के गांव वालो ने उससे उसका शिकार यानि की "जानवर का मास" भेट नहीं चढ़ाया था | उस स्कैरेक्रो में से काला धुए वाला साया निकल गया और उस गुफा में वापस चला गया | उसने कृति और राजीव को मारने के बाद, गांव के जंगल में भटक रहा था | वोह 4 पैर वाले इंसान को तरह दिख रहा था, पर उस्का मुँ एक राक्षश के तरह था, दो सिंह और 2 लाग चमकली आँखे जंगल में अपने अगले शिकार को को ढूंढ रही थी | उसके नुकैले काले दाँत भूक से तिलमिला रहे थे | "गररररररर" उस दानव ने गुरराया | जंगल पार करते होवे ही वोह गांव पोहोच गया था | गांव के कोने में एक चाय के स्टाल पर, तो व्यक्ति रामु और मनोज चाय की टापरी पर चाय पी रहे थे | भुवन चाचा उन दोनों को अपनी दूकान में चाय कप से परोस रहे थे |

"पता है! हमरी सरकार हमें कितने आस्वाशन देती है की बिजली २४/७ देंगे और बड़ी पक्की सड़के बनाएँगे पर ससुरे बस भाषण करते रहता है | देखो ना बाबू भैया! आज तोह ससुरी बिजली की चली गयी है गांव में! हमें पूरी शाम लालटेन लेकर भैतना पड़ा!" दूकान वाले भुवन चाचा ने कहाँ |

"अरे! क्यों इतने फ़िक्र करते हो चाचा? देखो मौनसून का महीना चल रहा है चाचा! पावर कट्स तोह होते रहता है | पर इतना बता सकता हूँ इस बरस फसल अच्छी होजाएगी! अपने इंद्र देव की कृपा से बारिश अच्छी हुए है इस साल!"

राजू रिक्शावाला अपनी रिक्शा को गाड़ी के सामने रोक दी थी | "अरे! रामु तेरे फसल ख़राब हो चुकी है! देख जारा..." रिक्शा-वाले ने कहाँ | भुवन चाचा और मनोज रामु के साथ उसके खेत में चलने लगे | जब वोह वहा पोहोचे तोह देखा की सब फासले ख़राब हो चुकी थी | "अरे! आज तुमको उस दानाव को भोग चढ़ाना था ना!" मनोज ने पूछा |

"में जानवर की बाली नहीं दे सकता, भैया! सिर्फ एक अंधाविश्वास के वजह से में ये बुरा काम नहीं कर सकता हूँ | गांववालो की इच्छा पूरी करने के लिए में ये सब क्यों करू?"

"अरे! नालायक! तू जानता भी है की तूने क्या किया है! वोह दानाव अब किसी को भी ज़िंदा नहीं छोड़ेगा!" मनोज ने गुस्से से कहाँ |

"तुम इस गांव में नये आये होंगे पर हमारी प्रथा का पालन करना तुम्हारा कर्त्तव्य था | वोह अब हम सबको मार देंगा मूर्ख!" भुवन चाचा ने कहाँ |

"देखिये चाचा! अगर गांव वालो को इस बाकवास कहानी पर विश्वास रखना है रखे मुझे कोई फरक नहीं पड़ता!" रामु ने गुस्सा से काहा | पीछे से वोह दानाव धीरे धीरे रामु की तरफ आ रहा था |

"क्या हुआ अब सब डर से मुझे क्यों देख रहे है? क्या हुआ चाचा?"

रामु को महसूस हो रहा था की उसके पीछे कोई काढ़ा था और गुररा राहा था | रामु बस मूड ही रहा था तभी उस दानाव ने अपने नुकहिले नाखूनओ से उसके गले पर वार कर दिया था | रामु का सर उसके धड से अलग होकर खेत के ज़मीन पर गिर गया था | रिक्शा-वाला चिलाय और बोला, "जल्दी से रिक्शा में बैठो!"

रामु को छोड़कर मनोज और भुवन चाचा रिक्शा के और दौड़ पड़े | जब वोह रिक्शा के अंदर बैठे गए थे तभी एक हाथ भुवन चाचा के अंदर पर आ रुख गया था | वोह दानाव का हाथ था | मनोज रिक्शा में बैठे और रिक्शा चल पडी | पर फिर रिक्शा के छत पर कोई खुद पड़ा था | उस दानाव ने रिक्शा की छत फाड़ डी थी और मनोज को अपनी और बाहर निकल लिया | मनोज ज़मीन पर गिर गया था | रिक्शा-वाला रिक्शा लेकर दूर निकल चूका था | मनोज अपने पैरो पर खड़ा होआ, पर तभी उस दानाव ने उसके पंजे मनोज के पेट के आर पार गुस्साया था | "अह्ह्ह्हहहह !" मनोज ज़ोरसे चिलाय |

तभी अयूष अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ | उसने अपना फ़ोन चेक किया | "अरे! में लेट हो गया हूँ मुझे अपने दोस्तों के साथ आज ट्रैन से मानिकपुर में पोहोचना था! ओह गॉड! 10 बजे है? शिट! जल्दी करनी पड़ेगी वरना पार्टी तोह मेरी बांद बजा देगी!"अयूष अपने बिस्तर से उठा और फटाफट अपने बाथरूम की और दौड़ा | आयुष ने आईने में देखा। वह बिल्कुल ठीक था। "वह सपना किस बारे में था? मानिकपुर का रिसॉर्ट? और कृति कौन है? वह बिजूका कौन था जिसने उन्हें मारा? वह सब क्या है? बिजूका उन्हें कैसे मार सकता है? एक खेत में एक बिजूका नवविवाहित जोड़े को कुल्हाड़ी से मारता है ?" आयुष आईने को देखकर बड़बड़ाया। आयुष ने अपनी आँखें बंद कर लीं, फिर उसने अपने सपने को फिर से याद करने की कोशिश की। उसने कुछ भयानक मौतों को देखा था! "एक मिनट... मुझे तैयार होना था! मैं क्या कर रहा हूँ? मुझे अभी जाना है!"

उसने जोर से अपने बाथरूम के दरवाज़े को बांद कर लिया था | कुछ समय बाद, पुणे सिटी से एक ट्रैन अपने स्टेशन से निकल पड़ी और मानिकपुर गांव की और चल पड़ी | उस ट्रैन के एक कम्पार्टमेंट में एक बुड्ढा आदमी चढ़ार ओढ़ कर बैठा हुआ था | आयुष अपने दोस्तों के पास बैठा था। उसने अपना पसंदीदा बैंगनी हेडफोन अपने कानों में डाला। उन्होंने अपने फोन की संगीत गैलरी में स्क्रॉल किया और उन्हें अपना पसंदीदा संगीत एल्बम मिला। उन्होंने उस पर क्लिक किया और उपयुक्त गीत खोजने के लिए अपनी उंगली को स्क्रॉल किया। आह! आखिरकार! उसने पाया! उनकी लंबी यात्रा के लिए गीत। उसने उस पर क्लिक किया और गाना बजने लगा। वह अपनी आँखें बंद कर ट्रेन की सीट पर सो गया, जबकि उसके दोस्त चुटकुले सुना रहे थे और कुछ किसी बात पर गपशप कर रहे थे। उस बूढ़े आदमी के सामने की सीट्स पर ६ लोग बैठे हुए थे |

"आप लोग कहाँ जा रहे हो?" उनमें से एक मोटे लड़के ने उस आदमी को देखा | उस मोटे लड़के ने लाल हूडी पहना हुआ था | उसने अपने चश्मे को थोड़ा अजस्ट किया और बोला, "चाचा! हम मानिकपुर विलेज में जा रहे है!"

जब उस आदमी ने "मानिकपुर" का नाम सुना तोह वोह डंग रहे गया था | उसकी आँखे बड़ी हो गयी थी |

"क्या हुआ चाचा? अब डरे हुए क्यों लग रहे है? क्या मानिकपुर जाने में कोई प्रॉब्लम है?" वरुण से पूछा |

उस भूड़े आदमी ने अपना मुँ ट्रैन के खिड़की की तरफ फेर लिया और उस लड़के की बातों पर दयान नहीं दिया |

"क्या हुआ चाचा? बताये ना क्या गड़बड़ है?" वरुण ने उस आदमी को पूछा |

"मानिकपुर कोंकन की भूमि पर सबसे सुन्दर गांव है | पर-पर उस में में बोहोत बुरी घटनाए होती है! कितने के तोह गांववाले उस बुरी शक्ति के कारण मारे जा चुके है!" उस आदमी ने शांनती से कहाँ | सभी उसकी तरफ देखने लगे |

"क्या तुम्हे इस गांव का असली नाम पता है?"

"हा! माँरकवादी है ना?" वरुण ने कहाँ |

" क्या तुम्हे इस नाम का मतलब भी पता है? इसका मतलब है मृत्यु का घर! क्या तुमलोग वोह क्या कहता है? इंटरनेट पर इस गांव की कहानी नहीं पढ़ी है क्या? या फिर किसी बाहर वाले को ही पूछ लेता वोह बता देता की मानिकपुर गांव क्या चीज है!"

"मृत्यु का घर? क्या बकवास है ये?" एक वाइट टी-शर्ट पहने हुए जवान लड़का ने कहाँ |

"अगर तुम बच्चो को इस पर यकीन नहीं करना है तोह मत करो, पर यह सबसे दूर ही रहो! तुम्हे मुझपर विश्वास नहीं ही मत करो! पर जब तुम उस सबको अपनी आँखोन से देखोगे तम पता चलेगा तुम्हे में किश चीज की बात कर रहा हूँ! आह! मुझे लगता ही मेरा स्टेशन आ गया है अब मुझे चलना होगा!"

वोह आदमी ट्रैन के रुख ने के बाद, प्लेटफार्म पे उतर गया और आगे चलने लगा | तभी उनमेंसे एक आदमी ने उससे पुकारा | "अरे, चाचा? पर बताएं तोह? की उस गांव में ऐसा क्या है जिससे हमें सावदान रहना होगा? और उससे मौत का घर क्यों कहता है?" एक धाधी वाले आदमी ने पूछा | उसने ग्रीन कलर का शर्ट और ब्लू जीन्स पहनी हुई थी |

वही ट्रैन के कम्पार्टमेंट में बैठे हुए लड़की ने आयुष को पूछा, "चलो उस आदमी को छोड़ो, अयूष!" गूगल मैपस पर हम इस मानिकपुर के बारे में सर्च करते है! हमें शायद गूगल बाबा क्या बताते है | कुछ तोह पता चलेगा इस गांव के बारे में?" उस लड़का ने अयूष को पूछा | उस लड़की ने ग्रीन हूडी पहना हुआ था | "इस जंक्शन के बाद ट्रैन फिर अब सिर्फ मानिकपुर पर ही रुकेगी!"

उस प्लेटफार्म पर वो ग्रीन शर्ट वाले आदमी ने उस वृद्ध आदमी से पूछा, "अगर मानिकपुर लास्ट स्टेशन है तोह तुम यहाँ क्यों उतर रहे हो चाचा? या फिर तुम हम से बाग़ रहे हो?"

"आरे! गौर से सुनो! जोह भी उस गांव में गया है वो कभी भी जिन्दा नहीं लौटा है | जो भी लौटा है वो सिर्फ अब मृत शरीर के साथ थी आया है!"

"क्या? डेड बॉदी..?" ट्रैन के कम्पार्टमेंट से उस ग्रीन हूडी वाली लड़की ने चिलाय |

"इसी लिए तोह इस गांव का मौत का घर यानि की माराखवादी काहा गया है!" उस वृद्ध आदमी ने फुसफुसाते हुऐ कहाँ | आयुष ने देखा कि उसके दोस्त एक-एक कर ट्रेन से जा रहे हैं। वरुण अपना भारी बैग जमीन पर खींच रहे थे। जबकि अन्य ट्रेन के गेट से नीचे उतर रहे थे। आयुष ने देखा कि उनमें से एक वृद्ध व्यक्ति के साथ बहस कर रहा था। वे कुछ समय पहले ही वृद्ध आदमी से मिले थे। उसने उन्हें मानिकपुर न जाने की चेतावनी दी थी। उसने यह नहीं बताया कि उसे और उसके दोस्तों को वहाँ क्यों नहीं जाना चाहिए था? आयुष ने अपना फोन चेक किया। वॉलपेपर उसकी माँ की तस्वीर का था जिसे देखकर वह भावनात्मक रूप से मुस्कुराया। एक एक करके वो ६ दोस्त ट्रैन की गाडी से निचे उतर जाते है | अयूष जल्दी से अपनी जीन्स की पॉकेट में अपना फ़ोन डाल देता है | अयूष अपना बैग उठाता है और निचे उतर जाता है | "अरे यार? अब और कितनी प्रोब्लेम्स आने वाली है?" अयूष ने अपने दोस्तों को देखा | सब लोग अब बाहर उतर चूका थे | अयूष ने अपना फ़ोन चेक किया | तभी वो वृद्ध आदमी उन सबको गौर से देखने लगा | "क्या इतने सबको बताना जरुरी होगा?" उस वृद्ध आदमी ने फुसफुसाया | वो उन सबको फिर से देखने लगा और बोला, "मानिकपुर जिससे मृत्यु का द्वार भी कहाँ जाता है | २० साल पहले जो भी उस गांव में जाता था वो कभी वापस लौट कर नहीं आया | ऐसा लगता है की यह जगह श्रपित है! बच्चो तुम्हारे पास अभी भी मौका है की तुम सही सलामत अपने घर लौट जाओ!"

सब डर गए थे, उनके चेहरों पर डर का ख़ौफ़ साफ देख रहा था | पर ये बच्चे तोह मॉडर्न जनरेशन के थे | उनके डर के पीछे उनका मनन इस रहस्य को सुलझाने के लिए बोहोत उतावला हो रहा था | अब वो लोग इतने एग्जिटड थे की वोह इस मैस्टरी को सोल्वे करके ही जाते |

अचानक, उस वृद्ध आदमी ने अपनी शाल उतर डी, जिससे उसका चेहरा थोड़ा ढाका रहता था | अयूष और उसके दोस्तों ने देखा ही उस वृद्ध आदमी की राइट हैंड ही नहीं था | उसके शरीर पर हर जगह स्क्रैच मार्क्स थे | उसकी बॉडी सूखे हुए झखमों से पूरी तरह भर गयी थी | अयूष और उसका दोस्त ये सब देख कर और डर ने लगे |

बूढ़ा आधा नंगा खड़ा था, उसने खाकी धोती पहनी हुई थी। उन्होंने भूरे रंग की सैंडल पहनी हुई थी। उसका चेहरा बड़ा था और उसकी नाक चोंच की तरह नुकीली थी। उसकी झाडीदार सफेद दाढ़ी और बिखरे सफेद बाल थे। उसकी पीली भूरी त्वचा थी, उसका बायाँ अंग एक पट्टी से बंधा हुआ था। अपनी उम्र के बावजूद वह सीधा और मजबूत खड़ा था। गाँव के बाकी बुज़ुर्गों की तरह उसे चलने के लिए छड़ी की ज़रूरत नहीं थी। वह एक बहादुर योद्धा की तरह लग रहा था। उसकी सफेद मूँछें हवा में लहरा रही थीं। आयुष और उनके दोस्त उनके लुक से हैरान रह गए।

हूडी पहना हुई लड़की ने उस वृद्ध आदमी से पूछा, "चाचा? बताईना की अपना साथ ये सब कैसे हुआ था?"


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