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71.87% Heartless king / Chapter 23: ch-23

Kapitel 23: ch-23

इधर दीक्षा के साथ उसकी टोली निकलती है। तभी उसके फोन पर सौम्या का मेसेज आता है, उसमें लिखा होता है, भाभी उस समय जो बड़े पापा के असिस्टें नरेंद्र शर्मा थे जो किसी इन्द्रपुर गाँव के रहने वाले थे। उनका पुराना घर बड़े बाजार के आस पास है। गली नंबर -3, मकान नंबर 2/8।

दीक्षा उसका मेसेज देख मुस्कुरा देती है।तूलिका गाड़ी चलाती हुई कहती है, कहाँ जाना है महरानी सा !! तभी दीक्षा कहती है बड़ा बाजार ले चलो। शुभ कहती है कोई सुराग मिला है। दीक्षा उसे अपना मोबाइल दिखाती है। सौम्या का मेसेज देख शुभ मुस्कुराते हुए कहती है, कमाल कर दिया छौरी ने !! ये सुनकर सभी हँस देती है।

रितिका कहती है, आज तो हम साथ है कल से हमदोनों अपने अपने काम पर लगेंगे फिर कैसे करोगी। रितिका की बात सुनकर दीक्षा कहती है, कल की कल देखेंगे। ऑफिस तो हमें भी देखना  है। रोज रोज नहीं ज़ब भी कोई सुराग हाथ आया तो हम निकलेंगे। ज्यादा निकलने लगे तो किसी के पति क़ो मालूम हो या ना हो, हमारे राजा सा क़ो तो तुरंत मालूम हो जाना है। सब उसकी हाँ मे हाँ मिलाती है।

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इधर अक्षय बार बार लावण्या क़ो फोन कर रहा था लेकिन वो उसका फोन नहीं उठाती है। लवनाया खुद से, मेरे पीछे क्यों पर गया है। मुझे नहीं निभानी कोई दोस्ती या मोहब्बत। हुऊउह्ह्ह!! अपने बालों क़ो नोचती हुई.... पागल हो जाउंगी,, आई नीड सम ब्रेक "!! क्लब जाती हूँ, खुद से बोलती हुई खुश हो. जाती है।

इधर अक्षय परेशान होकर कहता है, इस तरह तुम मुझे इग्नोर नहीं कर सकती। मै तुम्हें अब अपनी जिंदगी से जाने नहीं दूँगा इसके लिए मुझे जो करना पड़े। बस कुछ दिन और मै जाने से पहले तुमसे मिलना चाहता था। ये सोचते हुए वो भी निकल जाता है।

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दक्ष के ऑफिस मे, दक्ष किसी सोच मे डूबा हुआ था। तभी अनीश और अतुल. एक साथ आते है और कहते है, वो क्लाइंट जिसका हम बेसब्री से इंतजार कर रहे थे,वो हमारी दक्ष इम्पायर के साथ डील करने और हमसे मिलने क़ो राजी हो गये है। अभी उसके असिस्टेंट से बात हुई है।हम उसके पीछे लगभग तीन साल से पड़े हुए थे। अब जाकर उसके असिस्टेंट का फोन आया था। मैंने मेल तुझे शेयर कर दिया है।दोनों खुश थे।

तभी पृथ्वी, दक्ष के केबिन मे आते हुए कहता है,"छोटे !! पांच सालों से जिस प्रोजेक्ट की चाहत, हमें हमारे प्रजापति कम्पनी के लिए चाहिए थी। इसके लिए हम जिस जर्मनी की कम्पनी से बात कर रहे थे। उन्होंने खुद हमसे सम्पर्क किया है। उनके असिस्टेंट का अभी अभी फोन आया है की वो हमारे साथ जितनी जल्दी हो, मीटिंग करना चाहते।

दक्ष क़ो यु चुप और खामोश देख किसी क़ो समझ नहीं आ रहा था की दक्ष ऐसी बात सुनकर भी कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं कर रहा है।

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इधर तूलिका गाड़ी बाहर खड़ी कर देती है। सभी अपने अपने चेहरे पर मास्क लगा लेती है। गाड़ी अंदर नहीं जा सकती थी क्योंकि रास्ता बहुत संकरा था। तूलिका कहती है, मै शुभ जीजी और कनक उस तरफ जाते है और तुम दोनों  उस तरफ जाओ।

उसकी बातें सुनकर दीक्षा कहती है, हम सी आई डी नहीं है। हम साथ चलेंगे। आज पहली बार हम ऐसे जा रहे है। इसलिये कोई चूक और लापरवाही नहीं बरतनी हमें,!! ज़ब समय आएगा की हमें टीम क़ो बाँटना पड़ेगा तो हम जरूर करेंगे।

ये कहती हुई उस छोटी और संकरी गली से सभी उस जगह पहुंच जाती है। लेकिन इतना पुराना पता उसे ढूढ़ना सबके लिए मुश्किल हो रहा था।फिर भी बहुत मुश्किल से कुछ लोगों से पूछते हुए, वो सब उस पतें पर पहुँचे जाते है। रितिका खुश होकर कहती है मिल गया। ये सुनकर सभी का ध्यान उस पुरानी खंडर से घर मे जाती है, जहाँ ताला लगा हुआ था। अगल बगल देखने पर उन्हें एक बहुत बुजुर्ग महिला दिखती है, जिसे देख कर तेजी से कनक उनके पास जाती है और मारवाड़ी भाषा मे उससे बात करती हुई पूछती है, " अम्मा !! यहाँ शर्मा परिवार रहते थे वो कहाँ है !! वो बुजुर्ग महिला उसकी बात सुनकर अपनी लाठी क़ो जोर जोर से पटकती हुई उसे वहाँ से भागने के लिए कहती है।

उसकी प्रतिक्रिया देख दीक्षा जाती है और उसके पैर के पास बैठ जाती है और दो बार ऊपर निचे कर पैर दबती हुई उससे आशीर्वाद लेती है। जिससे बूढ़ी अम्मा खुश होकर उसके सर पर हाथ फेरती हुई कहती है, बोल क्या पूछना है छौरी।!!

फिर दीक्षा कहती है, अम्मा आप अगर हमारी मदद कर देगी ये बता करकी शर्मा परिवार कहाँ है, तो हमारी बहुत मदद हो. जाएगी। वो हमारे परिवार के पुराने जान पहचान वाले है और किसी कारण वश हमारे परिवार से उनका सम्पर्क टूट गया था। इसलिये सालों बाद उनको ढूढ़ने आये है।

दीक्षा की बात सुनकर वो कहती है, सालों पहले वो सब रातों रात अपने पैतृक गाँव लखिपुर चले गए थे। उसके बाद हमें मालूम नहीं क्या हुआ की उसी रात उनके घर मे आग लग गयी।कुछ लोग आये थे उन्हें ढूढ़ने। अब ये मुझे मालूम नहीं की वो पकड़े गए या अब भी जिन्दा है।

दीक्षा उसकी बात सुनकर कहती है, धन्यवाद अम्मा !! आप अपना ख्याल रखियेगा। अम्मा की बात सुनकर सबका मन उदास हो जाता है। सभी आगे बढ़ने लगती है, तभी दीक्षा सब के सामने

एक औरत घर से बाहर गिर जाती है। उस घर मे शोर हो रहा था।वो औरत बार बार हाथ जोर कर कह रही होती है, मन्ने मत मारो,!! मारी बच्ची क़ो मुझे दे दो, मै चाली जाओगी। "

वो आदमी एक आदमी के साथ मिल कर उसे मारे जा रहा था और सभी औरत मर्द तमाशा देखें जा रहे थे। उस औरत की हालत बिल्कुल बुरी हो गयी थी, जिसे देख वहाँ खड़े किसी क़ो दया नहीं आ रही थी। सभी सिर्फ बातें बनाने मे लगे हुए थे।

दीक्षा क़ो ये देखा नहीं गया और ज़ब उस आदमी उस औरत पर लाठी उठा फिर से मारने लगा, तब तक दीक्षा ने उसकी लाठी पकड़ लीं। शुभ और कनक ने ज़ब उस औरत क़ो उठाने लगी, तो आगे आकर चार पांच महिलाओ ने उन्हें रोक दिया। पांचो ने अभी  भी मास्क लगा रखा था इसलिये किसी ने उन्हें पहचाना नहीं।

शुभ अपनी लाल आखों से देखती हुई कहती है, हाथ छोड़ो  हमारा नहीं तो अच्छा नहीं होगा। तभी एक अधेर और एक कम उम्र की महिला कहती है की ये हमारे घर की बात है। इसलिए बिच मे मत परो। कनक कहती है अगर तुम चारों अभी के अभी हमारे बिच से नहीं हटी तो बिच मे रहने लायक नहीं रहोगी।

शुभ और कनक की बातों का असर उन औरतों पर ना होता देख, दीक्षा जो अब तक सिर्फ लाठी पकड़ कर रखी हुई थी खींचती है। दूसरी तरफ से एक एक लात जोर से उस आदमी के सीने पर तूलिका और रितिका देती है, जिससे वो गिर जाता है।

दीक्षा उन औरतों क़ो देख कहती है, लगता है बिन लठ के तुम औरतों क़ो समझ मे नहीं आएगा और लठ उठाती है उनको मारने के लिए। मार के डर से सभी औरतें एक तरफ से  हो जाती है और उसके घर के जो मर्द होते हैं वह भी एक तरफ  हो जाते हैं।

जिसको तूलिका और रितिका ने मारा था वह खड़ा होकर कहता है कि आप लोग भी हमारे बीच में क्यों आ रहे हैं यह मेरी लुगाई है इसके साथ में कुछ भी कर सकता? रितिका उसे आंख दिखाते हुए कहती है अब अगर तुम्हें एक शब्द ही बोला ना तो जुबान निकालकर थे उसी से तेरे दो दोनों हाथ को बांध दूंगी। यह सुनकर वह चुप हो जाता है।

दीक्षा,शुभ और कनक उसी औरत को उठाते हैं जो बहुत घायल थी। उसे रितिका पानी देती है। पानी पीने के बाद तूलिका उसकी मरहम पट्टी करती हुई कहती है, यहाँ हॉस्पिटल मे तुम आ जाना, मै डॉक्टर हूँ तो वहाँ अच्छे से तुम्हें देख लुंगी। तभी वो औरत रोती हुई कहती है, थारा बहुत बहुत उपकार डाक्टरी साहिबा !!

दीक्षा उसके कंधे पर हाथ रख कर पूछती है, " बताओं नाम क्या है तुम्हारा  और क्या ये लोग रोज तुम्हारे साथ ऐसा ही करते है।वो औरत कहती है, "माहरा नाम बरखा है। ये मारे ससुराल वाले है। मारी शादी क़ो साथ बरख हो गए है, माहरी दो छोरियाँ है एक पांच साल की एक एक तीन साल की।"दो दो छौरी होने से ये सब मन्ने और माहरी बेटी क़ो रोज मारे है। ना जाने दे वें है। ना मार देवे है। आज तो ये लोग माहरी छौरी क़ो जान से मारने की बात कहब रही थे। मैंने रोका तो ये लोग मन्ने मार रहे थे।

पांचो घूरती हुई उन सभी के साथ पुरे वहाँ खड़े लोगों क़ो घूरती है। पांचो की आँखे देख सभी अपनी नजर निचे कर लेते है। दीक्षा उससे पूछती है,"तो बताओ बरखा ! तुमको क्या करना है, क्या इसके साथ रहना है!! दीक्षा की बात सुनकर, वह उसके आगे हाथ जोड़कर कहती है,"  नहीं!! नहीं !! मैं कहीं भी रोजी-रोटी कमा लूंगी। मुझे बस मेरी दोनों छोरीयों को दिला दो।

रितिका पूछती है तुम्हारी बच्चियां कहां है?वो हाथ से इशारा करती है अंदर है, इनलोगो ने उसे कमरे में बंद कर रखा है। यह सुनकर गुस्से में कनक और तूलिका अंदर जाती है। जैसे ही दोनों दरवाजा खोलती है, सामने दो प्यारी प्यारी बच्चीया अपने चेहरे क़ो दोनों हाथों से छीपायी हुई, रोती हुई कहती है, "हमें मत मारो, हमने कुछ नहीं किया "!! दोनों बच्चों क़ो ऐसे रोते और सहमे देख उन दोनों के आखों मे आंसू आ जाते है। दोनों धीमी कदमों से उनके पास आती, लेकिन उन दोनों क़ो यु डरता देख। तूलिका जल्दी से अपने पॉकेट से चॉकलेट निकाल कर उन्हें दिखाती है।

कनक पूछती है, आपके पास ये चॉकलेट कहाँ से आया। अरे कुछ मेरी आदत है गाड़ी चलाते हुए चॉक्लेट खाने की इसलिये था। कनक हंसती हुई कहती है, अच्छी आदत है, आज से हम यही आदत डालेंगे।

दोनों बच्चियों क़ो कहती है, आराम से डरो नहीं हमें तुम तुम्हारी माँ के पास ले जाने आये है। अपनी माँ का नाम सुनकर दोनों एक साथ कहती है, हमारी माँ के पास !! हाँ आपकी माँ के पास !! दोनों उनके पास आकर पूछती है आप दोनों का नाम क्या है," बड़ी वाली कहती है, मेरा नाम मेघा है और ये है हमारी छोटी बहन वर्षा !! दोनों उनसे प्यार करती हुई कहती है, बहुत प्यारा नाम. है आपका। फिर तूलिका दोनों क़ो चॉक्लेट देती है। एक एक बच्चे क़ो दोनों गोद मे उठाती हुई बाहर आ जाती है।

अपनी दोनों बच्चियों क़ो देख बरखा दौड़ कर उनके पास आती है और चेहरे क़ो चूमती हुई कहती है, माहरी छौरी !! कनक और तूलिका मुस्कुरा कर उन्हें देखती है और खुद के साथ दीक्षा के पास ले आती है।

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इधर दक्ष खिड़की की तरफ देखते रहता है। तब पृथ्वी पूछता है, क्या बात है दक्ष, तुम चुप क्यों. हो !! क्या तुम्हें ख़ुशी नहीं हुई !!

दक्ष पृथ्वी की बात सुनकर कहता है, नहीं भाई !! ऐसी बात नहीं है !! यूरोप से लेकर एशिया तक हमारी दक्षलीस इम्पायर की अपनी पहचान है। जिस कम्पनी के साथ हम हमारी प्रोजेक्ट करना चाहते है। उसकी भी अपनी पहचान नार्थ देशो मे !! एक बड़ा नाम है यूनिक इंटरप्राइजेज का राव मेटेरियल का उसकी मेटेरियल सबसे बेस्ट होती है।आज तक उसका सीईओ बहुत ही रहस्यमय रहा है, वो. कभी हमारी तरह सामान्य लोगों के बिच ना रहता है और जाता है। उसकी अपनी एक दुनिया है, जहाँ वो रहता है। उसे किसी ने नहीं देखा है। यहाँ तक. की उसके असिस्टेंट तक ने उसे नहीं देखा है। वो सबसे सिर्फ वॉइस नोट से ही बात करता है।

जिस कंपनी के साथ हमारी प्रजापति इंटरप्राइजेज काम करना चाहती है। वो कम्पनी ट्राएंगिल कम्पनी !! ये भी रहस्यत्मक है और इन दोनों कंपनी ने काफ़ी सारे प्रोजेक्ट एक साथ किये भी और चल. भी रहे है।

तभी अनीश पूछता है तो क्या इनदोनो मे से किसी से हम नहीं मिले है। दक्ष खिड़की से घूम कर अपनी कुर्सी पर आ कर बैठ जाता है और एक रहस्यमय मुस्कान के साथ उन तीनों क़ो देखते हुए कहता है,

"दक्ष प्रजापति से कुछ छिपा नहीं है। वो छिप कर काम करते है इसका मतलब ये नहीं की वो शेर है। चूहें बिल मे ही रहते है। शेर की तरह जंगल मे नहीं। उनको बिल मे रहते रहते ये गुरूर हो जाता है की वो सबसे ज्यादा शक्तिशाली है। अब बिल से निकले है वो भी एक साथ तो सोचना पड़ेगा ना की बात क्या है !! "

अतुल मुस्कुरा देता है, लेकिन पृथ्वी फिर पूछता है, मै समझा नहीं छोटे !! अगर वो लोग अच्छे नहीं है तो. हम क्यों डील करे। नहीं करते है। वैसे ही हमारे दुश्मन कम. नहीं है। कभी कभी सोचता हुई की भारत देश मे बाहर दुश्मन से ज्यादा तो अपने दुश्मन हो जाते है। पता नहीं क्या हासिल कर लेते है।

पृथ्वी की बात सुनकर अनीश कहता है, बड़े भाई !! इंसानी फितरत ही ऐसी है की किसी का अच्छा करना तो जाने दीजिये। बुरा सोच कर खुद क़ो बेहतर कहते है। हासिल क्या होता है, अगर ये सोचने लगे तो "सर्व जन सूखाय और सर्व जन हिताय " की बातें सत्य नहीं हो जाएगी।

यहाँ चलती है, "सर्व जन दुखाया और सर्व जन अहिताय "!!!!!

सभी उसकी बातें सुनकर कर मुस्कुरा देते है। अतुल कहता है,"तो अब क्या करना है !!

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दीक्षा की आंखें नम हो जाती है, उन तीनों क़ो देख कर !! दीक्षा कहती है,"बरखा मै जो कहूँगी वो क्या तुम्हें मंजूर होगा "!! वो हाथ जो कर कहती है, माहरे लिए तो आप ही भगवान हो। आप ना होते तो मै और माहरी छोरियाँ आज कोणों ना होती।

दीक्षा अब गुस्से से बरखा के ससुराल वाले क़ो कहती है, की यहाँ खड़े हो जाओ और उसके पति से पूछती है, नाम क्या है तुम्हारा  "!! वो कहता है जी माधव !!

दीक्षा फिर कहती है, हाँ तो माधव क्या करुं तुम्हारे साथ !!  वो कुछ कहता है, तब तक उसकी माँ आगे आकर कहती है, अरे तु है कौन जो माहरे घर के मामलों मे पर रही है। हम उसे मारे पीटे कुछ भी करे तुझे उससे क्या !! ये सुनकर शुभ उसे तीन चार थप्पड़ मारती हुई कहती है, हम भी तुझे मारे पीटे ये हमारी मर्जी उससे तुझे क्या !!

ऐसे अचानक मारने से वो अपने दोनों गालों पर हाथ रख डरती हुई पीछे होती है और कहती है, ये तुमने अच्छा नहीं किया!! पुलिस आती ही होगी !!

कनक कहती है, आने जरा हम भी देख ले। तभी बरखा कहती है, हुकुम !! वो थानेदार बिल्कुल अच्छा नहीं है, कई बार मै गयी उसके थाने रपट लिखने। एक तो मन्ने डरा कर भागा देता था। ऊपर से माहरे साथ गंदी गंदी हरकत करता था। फिर मै ना गयी।

तूलिका कई आँखे गुस्से से लाल हो. गयी। वो सभी क़ो देख कर कहती है, अगर तुम. सबको अपने नालायक कपूत कई तरह बेटा चाहिए था तो इसे छोड़ देते। कह तो रही है कई वो अपनी दोनों बच्चियों क़ो लेकर चली जाती, फिर क्यों मारते थे कहती हुई सब पर लाठियाँ बरसा देती है। सभी चीखने लगते है।

दीक्षा कहती है, चोट लगा !! दर्द हुआ होगा ना !! चलो और मार नहीं खानी है तो बताओं क्यों करते थे !! बोल माधव!!

दक्ष कई मुस्कान देख पृथ्वी कहता है, क्या चाहता है तु और क्या चल रहा है तेरे दिमाग़ मे!! भाई सा!!सोचने वाली बात ये है कई इतने सालों बाद उन्होंने हमें क्यों कांटेक्ट किया। दूसरी बात उन्हें कैसे मालूम हुआ क़ी हमने अभी तक उस प्रोजेक्ट पर काम नहीं शरू किया और तीसरी और अहम बात दोनों कम्पनी मे एक साथ बात करना और अगर मेरा अनुमान सही है तो एक ही वक़्त पर।

उसकी बात सुनकर पृथ्वी और अतुल समय चेक करते है। दोनों का समय एक ही था। दक्ष क़ी तरफ दोनों देखते हुए कहते है, तुम ठीक कह रहे हो !

दक्ष ये सुनकर अपना सर पीछे करते हुए कहता है, उनसे मीटिंग फिक्स करो। लेकिन शर्त रखना क़ी मीटिंग हमारी सीईओ से ही होगी किसी असिस्टेंट से नहीं !!

अनीश कहता है, तेरे दिमाग़ मे क्या चल रहा है। अभी अगर पंगा लेने क़ी सोच रहा है तो उसे रोक दे भाई क्योंकि पुरानी चुनोतियाँ ही सर पर तांडव मचाने क़ो आमादा हो रही है। फिर नई चुनौतीयों क़ो बुला कर क्यों भाँगड़ा करने पर तुला हुआ है।

दक्ष उसकी बात सुनकर कर कहता है, अगर मै कहुँ क़ी ये भी पुरानी चुनौतीयों के साथ जुड़ा हुआ है। फिर दक्ष टेबल पर हाथ पटक कर अपनी लाल आखों से आग उगलते हुए कहता है, इस बार सारे प्यादे और उसका राजा के साथ ही शतरंज क़ी मोहरे बिछऊंगा !!

ताकि सभी क़ी चालो पर शय और मात सिर्फ हमारी हो। मै हमारे बच्चों के लिए कोई पुरानी रंजिश नहीं छोड़ना चाहता हूँ। इस बार इस कहानी क़ो अंजाम तक पहुंचना ही है मुझे। तब तक मै राजस्थान से कही नहीं जाऊंगा।

सभी मुस्कुरा देते है। दक्ष कहता है, "अतुल दीक्षा क़ी माँ के परिवार क़ो हमें ढूढ़ना होगा "!! आगे कुछ कहता तब तक दक्ष का फोन बजता है। फोन उठा कर उधर से कुछ कहा जाता है, जिसे सुनकर दक्ष कहता है,"हम्म्म्म!! कोई बात नहीं !! तुम सब रुको हम आ रहे है !! फोन रखने के बाद दक्ष कहता है चलिए हमें चलना है।

तब तक रौनक आ  जाता है और कहता है, भाई सा!!वो भाभी माँ!! रौनक क़ी बात सुनकर दक्ष कहता है हमें मालूम है, हम चल रहे है !!

पृथ्वी कहता है बात क्या है वो बताओगे !! दक्ष कहता है, आप भूल रहे है क़ी हमारी पत्नियां शादी से पहले वाली हिरणीयाँ नहीं रह गयी शेरनी हो गयी है। सभी निकल परी है, उलझी हुई ग़ुथियों क़ो सुलझाने मे !!

दक्ष क़ी बातें सुनकर, पृथ्वी कहता है, लेकिन दक्ष हमें उन सब क़ो रोकना होगा। हम नहीं चाहते है क़ी वो सब इन मे पड़े और कोई नुकसान हो।

दक्ष कहता है, भाई सा!!आग से खेलने वाले अगर ये सोचे क़ी वो जले ना ये सम्भव नहीं है। रही बात उन सभी क़ी तो हमारे कहने पर रुक जाती तो हमसे बिना पूछे या बताये वो जाती ही नहीं !! और सारे काम हम सब नहीं कर सकते। उन्हें जहाँ तक पहुंचना है पहुंचने दीजिये। हम उनकी सुरक्षा मे चूक नहीं होने देंगे। वो जिस घर मे आयी है, वहाँ तलवार आम बात है। इस सच से आप और हम नहीं भाग सकते है।

आज आपने दादी माँ का रूप नहीं देखा।

पृथ्वी कहता है फिर अभी हम कहाँ जा रहे है। क्या वो सभी मुसीबत मे है।

दक्ष कहता है नहीं वो सब मुसीबत मे नहीं है। बल्कि वो वहाँ मुसीबत क़ो खत्म कर रही है। हमें भी निकलना है तो हमारे आदमी जो हमने उन सभी क़ी सुरक्षा के लिए लगा रखे है। उन्होंने हमें बताया क़ी वो बड़ा बाजार मे है।

अनीश कहता है, वहाँ क्या कर रही है,!! अतुल कहता है पता नहीं वकील कैसे बना !! चल पहले वहाँ देख लेना क़ी क्या कर रही है।

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माधव काँपते हुए कुछ कहता, तब तक थाना क़ी जीप आ जाती है। थाने दार क़ो देख बरखा के ससुराल वालों क़ी आँखे चमक जाती है।

तभी बरखा क़ी सास तूलिका से कहती है, तूने मुझे मारा ना छौरी !! अब तुझे बताउंगी। माधव भी कहता है, अब देखता हूँ कैसे तु इसे और इसकी बेटी क़ो ले जाती है।

तब तक वहाँ थाने दार आता है, पांच दस हवालदार के साथ। माधव जा कर उसके पैर पर गिरते हुए कहता है, माई -बाप देखो इन सबको मुझे मेरी लुगाई से अलग करने पर लगे है और बहुत मारा है।वो उन पांचो क़ी तरफ इशारा करता है, जिन्होंने अब तक अपने चेहरे से मास्क नहीं  उतारा था ।

थाने दार उन पांचो के पास आता है और बरखा क़ी तरफ अपनी गंदी नजर से देखता है। बरखा शुभ के पीछे छिप जाती है। उसकी गंदी नजर देख दीक्षा कहती है, " आँखे नीची रखो इंस्पेक्टर !! गंदी नजर चाहे बाप क़ी हो,भाई क़ी हो या थानेदार क़ी दोषी सभी होते है। इसलिये आँख नीची करो!!"

दीक्षा क़ी सर्द लहजे मे बोली बात सुनकर इंस्पेक्टर उसकी हेजल आखों मे देखता है, "और मक्कारी भरी आवाज़ मे कहता है," मेरा नाम भोला यादव है और मै उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूँ । मेरी यहाँ पर पोस्टिंग हुई है। ये मेरा इलाका है और इस इलाके क़ी कानूनी व्यवस्था बनाये रखना और शांति बहाल करने क़ी जिम्मेदारी दारी मुझ पर है। "

और आप हमारे इलाके क़ी शांति क़ो भंग कर रही है। साथ साथ अपना सुन्दर मुखरा भी छिपा रखी है। अब आप ही बताईये इस नजीज क़ो कैसे मालूम हो क़ी किससे बात हो रही है। "

दीक्षा उसकी आखों मे देखती हुई कहती है, " मैंने अपना मास्क हटा लिया तो तुम दुनिया से उठ जाओगे। दूसरी बात अगर शांति व्यवस्था पर इतना ध्यान है तो ये आदमी बिच चौराहे पर अपनी पत्नी से रोज मार पीट करता है और उसकी कम्प्लेन लिखने कितनी बार उसकी पत्नी तुम्हारी थाने पर आयी। तब क्यों नहीं तुमने कम्प्लेन दर्ज किया और उस पर कोई करवाई क़ी!!

अरे मैडम क्यों आप एम मिया बीबी के मामले मे पर रही है। पति पत्नी है, इनमें ऐसा होने आम बात है। पत्नियां तो होती ही है, अपने पति क़ी मार और दुलार के लिए। पति प्यार करे तो अच्छा और मारे तो बुरा। ये बात तो गलत है ना मेडम !! दो बच्चों क़ी माँ है!! फिर भी इसकी अकड़ देखो !! मै कहता हूँ, आप भी जाओ और इसे ( ये कहते हुए वो शुभ के पीछे से बरखा क़ी कलाई पकड़ लेता है )!! कलाई पकड़ उसे अपनी तरफ खींचता तब तक शुभ उसकी कलाई पकड़ उसे छुराती हुई कहती है, "दोबारा इसे छूने क़ी कोशिश क़ी तो अभी कलाई सिर्फ छुराई हूँ !! अगली बार तोड़ दूँगी !! दूर से बात करो इंस्पेक्टर!!""

ये सुनकर इंस्पेक्टर कहता है, "जबसे इज्जत दे रहा हूँ तुम औरतों क़ो तो रास नहीं आ रही है, तेरी तो कहते हुए शुभ क़ी तरफ बढ़ता है क़ी तूलिका आगे पैर बढ़ा देती है जिससे इंस्पेक्टर ओंधे मुँह निचे गिर जाता है। फिर कनक और रितिका उसे यु गिरा हुआ देख कर कहती है,"अब आया तु अपनी जगह पर!!

वो उठने क़ी कोशिश करता है, तब तक दीक्षा उसे एक लात मारती हुई सीधा कर उसके छाती पर पैर रख देती है और अपने पैरों क़ो घुमाती है, जिससे उसकी चीख निकल जाती है और गुस्से मे उसे देखते हुए कहता है," कमीनी!!बदजात !! "

कनक उसे रोकती हुई कहती है, यही रुक जा थानेदार कही तेरे एक एक शब्द तुझ पर भाड़ी ना पर जाये!!

वो चीखते हुए कहता है, ऑन ड्यूटी पुलिस पर हाथ उठाने क़ी सजा जानती है !! ये सुनकर रितिका कहती है, हाँ जानती हूँ!! लेकिन वो भी तब ज़ब ये जुर्म साबित तु कर दे। देख तेरे सारे हवालदार तो पीछे मुँह करके खड़े है। वो तो देख ही नहीं रहे और ये कस्बे वाले ( फिर सबकी तरफ देखती है तो सब अपनी नजर निचे कर लेते है ) इंस्पेक्टर क़ी तरफ देख कर हंसती हुई कहती है, "देख सबकी नजरें झुकी हुई है !! और अब इस दोगले परिवार क़ी बात तु कर रहा है तो. तुझे बता दू.... इन पर मै इतनी धारा लगवाउंगी क़ी मरने के बाद इनकी आत्मा ही बाहर आएगी।

तभी इंस्पेक्टर जो दीक्षा के पैरों के निचे गिरा पड़ा है, गुस्से मे कहता है, तुम सब हो कौन,!! आज से पहले मैंने नहीं देखा तुम सबको !!

ये सुनकर कनक कहती है, याद रख लो अब रोज कही ना कही हम तुम्हें दिख ही जायेगे। उसके साथ तूलिका कहती है, हम है कौन ये जान गया तो तु युहीं मर जायेगे और जिसके कदमों के निचे तुझे अभी जहनुम दिख रही है,उसे जान गया तो तेरी आत्मा क़ो मुक्ति नहीं मिलेगी।

दीक्षा उसके कॉलर पकड़ उसे उठाती हुई कहती है,"कमीने!! तुझ जैसे हरामखोरों क़ी वजह से सारे पुलिस वाले क़ो गंदा कहाँ जाता है। तेरे जैसे दोगलो क़ी वजह से वो पुलिस वाले जो देश के लिए कुछ काम करते है, कर नहीं पाते। वर्दी तुझे जेसो क़ो ज़ब मिलती है तो खुद क़ो भगवान समझ लेते है। फिर उसके चेहरे पर एक मुक्का मारती है। उसके मुक्के क़ी वार इतनी तेज होती है क़ी वो हटा कटा इंस्पेक्टर दूर जाकर गिरता है और उसके दो दाँत टूट जाते है। वहाँ के लोग ये देख कर अपनी मुँह पर हाथ रख लेते है।

दीक्षा जैसे ही लठ उठाती है। कनक धीरे से सबको कहती य, चढ़ गयी हमारी देवी मईया पर चंडी माता अब तो गया ये।

दीक्षा लाठी उठा कर उस इंस्पेक्टर क़ो मारना शुरू कर देती है और मारती हुई कहती है, तुम मर्दो क़ी मानसिकता इतनी घटिया क्यों है, पैदा लेते हो. एक औरत के वजूद से, पलते हो औरत क़ी खुन से सींचे हुए दूध से !! फिर बगैरत क़ी तरफ तुमलोग औरतों क़ो अपनी पैरों क़ी जूती समझते हो, क्यों,!!

क्योंकि,!! कमीने तुम लोगों क़ो लगता है क़ी तुम बाहर चार पैसे कमाते हो तो तुम मालिक और औरत तुम्हारी गुलाम!!अरे हरामखोरों घर मे चार दिन रह कर तो देखो और घर संभाल कर देखो। फिर एक लात मारती है। जिससे उसकी चीख निकल जाती है। बच्चे तो पैदा कर नहीं सकते तो उस दर्द का अंदाजा तुम्हें कैसे होगा। फिर उसकी कलाई क़ो मरोड़ उसकी हड्डी तोड़ देती है।

इंस्पेक्टर दर्दनाक चीख के साथ कहता है, माफ कर दो देवी मैंया!! दीक्षा कहती है क्यों एक हड्डी टूटी तो इतना दर्द क़ी मर्दानगी भूल माफ़ी मांगने लगे। इस तरह दो सो छः हड्डियां टूटने का दर्द एक औरत बच्चा जन्म देती हुई सहती है। औरत कमजोर सिर्फ दिल से होती है, अपने रिश्ते से होती है। शरीर से तो हर मामले मे तुम मर्दो से वो भारी और मजबूत होती है।

तब तक दक्ष उसका पीछे से हाथ पकड़ अपनी तरफ घुमाते हुए कहता है, महरानी सा !! दीक्षा क़ी आँखे क्रोध से लाल थी।

दक्ष क़ो देख सभी सर झुकाते हुए कहते है, राजा साहब !! दीक्षा के चेहरे से दक्ष मास्क हटा देता है। ज़ब सबकी नजर दीक्षा पर पड़ती है तो. सब के सब सर झुका कर कहते है, रानी सा !!

तभी रौनक और अनीश उस इंस्पेक्टर क़ी हालत देख अपने आदमियों से कहते है। इसे हॉस्पिटल ले जाओ और इसके खिलाफ जो भी कम्प्लेन है वो कमीशनर क़ी ऑफिस मे पहुंचा दो। बाक़ी बाद मे देख लेगे।

तभी इंस्पेक्टर हाथ जोड़ कर कहता है, माफ कर दीजिये राजा साहब,!! मुझसे गलती हो गयी,!! रानी जी ने सही कहा, मै अपनी वर्दी का गलत इस्तेमाल कर रहा था। फिर सभी से हाथ कर माफ़ी मांगता है।

पृथ्वी इशारा करते है सब उसे ले जाने लगते है, तभी शुभ कहती है रुको। फिर माधव के परिवार क़ो देखती है और कहती है, इन लोगों क़ो ले जाओ और ध्यान रहे इन पड़ इतनी शख्त करवाई हो क़ी कोई दूसरा कभी अपनी पत्नी और घर क़ी बहु बेटी क़ो मारने के बारे मे हजार बार सोचे।फिर सारे खड़े लोगों क़ो देखती हुई कहती है, ये सारी बात आप सभी पड़ लागु होती है। सभी हाथ जोड़ लेते है।

सभी दीक्षा क़ो देखते है, जिसका गुस्सा अभि तक शांत नहीं होता है। तभी दक्ष का प्यार भरा स्पर्श उसके होठों क़ो चुमता है, जिससे उसकी आँखे बंद हो जाती है।दक्ष कहता है अब चलिए।

दीक्षा  रुक कर बरखा क़ो कहती है, तुम चलो हमारे साथ। तुम्हारी दोनों बेटियों क़ो पढ़ाने क़ी जिम्मेदारी हमारी और तुम महल मे काम करना। ये कह कर दीक्षा दक्ष क़ी तरफ देखती है, दक्ष पलकें झपका कर सहमती दे देता है। फिर वो दोनों बच्चियों के माथे पर हाथ रख कर पूछता है, "क्या नाम है आपका तो दोनों कहती है, मेघा और वर्षा !! दक्ष मुस्कुराते हुए कहता है बहुत प्यारा नाम है आपका।

वीर!!इधर आइये !! वीर दक्ष के बुलाने पड़ सामने खड़ा हो जाता है। वीर ये आज से हमारी छोटी बहन हुई और इनकी बच्चीया हमारी बेटियाँ। अब आप पड़ हम जिम्मेदारी देते है क़ी इनका ख्याल रखे और इनके रहने क़ी सारी व्यवस्था आप करे।

वीर सर झुका कर कहता है, जी हो जायेगा भाई सा !!

पृथ्वी कहता है, क्या अब आप सब चलेगी !! हमें जरूरी बात करनी है !!

पृथ्वी क़ी बात सुनते ही शुभ कहती है, लो हो गया सब कुछ ॐ नमः शिवाय,!! उसकी बातें सुनकर कनक कहती है, हम अब क्या कहेंगे, ज़ब ये पूछेंगे क़ी हम यहाँ क्या कर रहे थे। सभी अपनी अपनी विचारों मे लगी हुई थी क़ी दक्ष मुड़ कर कहता है, पूरा रास्ता है, आप सब बहाने ढूढ़ लीजियेगा अभी चलिए, यहाँ से।

तूलिका और रितिका दीक्षा के पास आकर कहती है, अब क्या करेंगे दिक्षु !! दीक्षा सबके मुँह पड़ बारह बजा देख कहती है, सभी अपने कान इधर लाओ।

पांचो घेरा बना लेती है। तभी दीक्षा कहती है, लोहा क़ो लोहा काटता है !! कनक कहती है, हम समझे नहीं !! शुभ कहती है, दीक्षा का मतलब ये है क़ी अगर वो सब हम पड़ तैयार है, हमला करने क़ो तो उससे पहले हम हमला कर देंगे !! रितिका कहती है, यानी उनके सवाल पूछने से पहले हमें सवाल पूछना है। तभी तूलिका कहती है और वो सब गुस्सा हो, उसे पहले हम सब क़ो गुस्सा होने है। "दीक्षा मुस्कुरा कर कहती है, क्या बात है मेरी शेरनियो !! चलो फिर लगाम कसे अपने शेरो पड़!!

दक्ष के साथ सभी उन पांचो क़ो ऐसे घेरा बना कर देख, कहते है, पता नहीं  अब क्या करने पड़ लगी हुई है। सबकी बात सुनकर दक्ष कहता है, कुछ नहीं बस नहले पे दहला मारने के फिराक मे है। उसकी बात सुनकर अनीश कहता है, क्या मतलब है तेरा !!

उसकी बात सुनकर पृथ्वी ये कहता है,"मतलब ये है क़ी हमलोग गुस्सा करे, या कोई सवाल करे उससे पहले ही वो सभी हमसे नाराज होगी और उल्टा हमी से सवाल करेगी!!यही हुआ नहले पर दहला !!

सभी कहते फिर हम क्या करेंगे।

दक्ष कहता है, क्या करना है!उनकी जो मर्जी है करने देते है। पहले उन्हें जीतने देते है।सभी मुस्कुरा देते है और अपनी पत्नियों क़ो आते देखते है।

दोनों तरफ अपनी अपनी तरकीबे लगी है। देखते है किसी तरकीब सही लगती है।

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इधर अक्षय उसी क्लब मे होता है जिसमे लावण्या आयी हुई होती है। अक्षय क़ी नजर लावण्या पड़ जाती है, जिसे देख वो. खुश हो जाता है। इधर लावण्या क़ी नजर उस पड़ नहीं पड़ती और वो वोटका पड़ वोटका पीती जाती है।तभी अक्षय उसके पास आता है और उसका हाथ पकड़ लेता है। वो अब तक काफ़ी नशे मे हो गयी होती है।

अक्षय उसे देख कर कहता है, ज़ब सम्भलती नहीं है तो इतनी पीती क्यों हो !! ये सुनकर वो गुस्सै मे कहती है,"हैलो!!एक्सक्यूज़ मी!! तुम होते कौन हो मुझे ये कहने वाले !! ये वो इतनी जोर से बोलती है क़ी अगल बगल सारे लोग देखने लगते है। जिसे देख अक्षय कहता है, सॉरी !! ये मेरी गर्लफ्रेंड है !!

लावण्या फिर कुछ कहने क़ो मुँह खोलती है। तब तक अक्षय उसे गोद मे उठा कर बाहर ले आता है। वो उसकी गोद मे नशे मे कहती है, मुझे नहीं जाना तुम्हारे साथ कही लेकिन अक्षय उसे गाड़ी मे बिठा कर अपने साथ लेकर चला जाता है।

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प्रजापति महल

कुल पुरोहित आ रखे होते है। राजेंद्र जी के साथ तुलसी जी, लक्ष्य -सुमन, निशा -मुकुल, सुकन्या -चेतन्य, और अनंत -अर्चना जी बैठे होते है। लक्ष्य के गोद मे दक्षांश बैठा होता है।

राजेंद्र जी कहते है, कुल पुरोहित जी, हमने आपको इसलिए याद किया है क़ी, "हम चाहते है क़ी आप राज्यभिषेक के लिए कोई अच्छी सी मुहूर्त देख ले।तुलसी जी कहती है और ये है हमारी चौथी पीढ़ी का पहला अंश। दक्षांश उनको प्रणाम करता है।

उसे देख कुल पुरोहित जी कहते है,"अखंड विजयी भवः!!


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