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33.33% mine writer / Chapter 1: अंजान शख्स
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Autor: Simran_simran_sim

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Kapitel 1: अंजान शख्स

एक नया सफर एक नई कहानी चलिए शुरवात करते है।

मुंबई सपनो का शहर या फिर सपनो की दुनिया। लेकिन महंगाई में सबसे आगे।

वही एक लड़की एक बड़ी से दुकान के अंदर खड़ी थी। वहा के लोग उसे अजीब तरीके से देख रहे थे। वो अपने मुलामय गुलाबी होठों से गुस्से बोल रही थी।

वो गुस्से से जेसे ही कहती है उसकी माथे की लकीरें एक साथ आ जाती है। वो अपने हाथ में एक डायरी लिए हुई थी। जिस पर गोल्डन कलर एक डिजाइन बनी हुई थी।

वो गुस्से से उस डायरी को आगे करते हुए " भैया जब आपको देनी ही नही होती तो दुकान ही क्यों खोलकर रखी है आप इसे बंद क्यों नहीं कर देते।"

वो दुकानदार भी सामने से डायरी को पकड़ते हुए " देखिए हम तो दे रहे अगर आपको हमारे बताए हुए प्राइस पर नहीं लेनी तो हम नही दे सकते आप जा सकती है।

वो लड़की जेसे ही ये सुनती है तो गुस्से से " भैया हमारा नाम न पंक्ति है। हम पंक्तियां अच्छे से लिख लेते है और साथ में दूसरो की ये जो पंक्तियां होती है ना वो भी बिगाड़ देते है।"

पंक्ति खूबसूरती की एक कयामत केहर ढा रही थी। कुछ लड़के तो उसकी प्यारी आवाज पर ही फिदा हो गए थे। फेयर कलर , माथे पर छोटी सी ट्रांसपेरेंट सा स्टोन जो एक बिंदी का काम कर रहा था। घने लम्बे बाल जो कमर से नीचे जा रहे थे। उसने इस वक्त व्हाइट कलर का अनारकली सूट पहना था। और रेड कलर का गले में दुप्पटा ले रखा था। पैरो में ट्रांसपेरेंट हील्स।

दुकान दार भी ज़िद पर अड़ते हुए " यार समझिए ना आप भी जो चीज इतने की है ही नही वो हम केसे कम पैसों पर दे दे। इससे तो हमे ही नुकसान होगा।"

पंक्ति जेसे ही ये सुनती है तो चिड़ते हुए " भैया आप एक काम क्यों नहीं करते दुकान ही बंद कर दीजिए। नही चाहिए हमें कोई डायरी।"

वो जेसे ही कहती है डायरी को जोर से पटकते हुए दे देती है ; हम जा रहे है रखें अपनी डायरी अपने पास।

अगले ही पल वो जहा से जाने लगती है कि तभी दुकान दार पंक्ति को रोकते हुए " अच्छा ठीक है ले लो। हर बार यही से लेती हो इसीलिए दे रहा हूँ।"

पंक्ति जल्दी से डायरी को उठा लेती है और मुस्कुराते हुए " थैंक्यू भैया।"

दुकान दार सिर्फ हा में सिर हिला देता है और वही पंक्ति अपने पर्स से पेस निकाल कर दे देती है।

और चुप चाप वहा से चली जाती है।

पंक्ति जेसे ही दुकान से बाहर आती है तो सामने देखते हुए खुद से कहती है " यार अभी तक तो इतनी भीड़ नहीं थी। इतनी जल्दी भीड़ केसे हो गई।"

वो ये सोचते हुए इग्नोर करती है और धीरे से अपने छोटे छोटे कदमों से आगे जाने लगती है। उसके हाथ में एक फोन था तो किसी को फोन मिलाती है।

कुछ देर तक रिंग जाने के बाद फोन को उठा लिया जाता है।

पंक्ति जल्दी से " मम्मा हम मार्केट आ गए है आपको क्या सामान चाहिए था।"

वो जेसे ही बोलती है तो अगले ही पल दूसरी तरफ से आवाज आती उससे पहले पंक्ति से कोई टकरा जाता है जिससे उसका फोन नीचे गिर जाता है।

उसकी माथे की लकीरें एक साथ आ जाती है। और गुस्से से उस लड़के को कहती हुई "अंधे हो क्या। दो आंखे दी है ना भगवान ने आराम से चल लो यार।"

सामने वाला लड़का जेसे ही पंक्ति की गुस्से भरी आवाज सुनता है तो माफी मांगते हुए " i am sorry mam."

पंक्ति उस लड़के को इग्नोर करती है और अपने फोन को नीचे से जेसे ही उठाने के लिए नीचे झुकती है। तो कोई एक दम से पंक्ति की कमर पर हाथ रख देता है। और जल्दी से उसके गाल पर अपने चेहरे को पास लेकर जाता है और उसके गाल पर होठ रख देता है।

पंक्ति जल्दी से खड़ी होती है। वो हैरानी से देख रही थी लेकिन वो लड़का जल्दी से गायब हो गया था।

उसके हाथ की मुट्ठी एक दम से कस गई थी। वो गुस्से से आगे जाकर देखने लगती है तो वहा पर कोई नही था।

वो धीरे से अपने मन में कहते हुए अपने गाल पर उंगलियां फिराते हुए " कोन था ये। ये सब गलती से नहीं हुआ है।"

उसके मन में ये सब चल ही रहा था की पंक्ति की नजर एक नही दस लोगों पर जाति है जिन्होंने ने मास्क लगा रखा था।

सबके मास्क एक जैसे थे काले। लेकिन सबसे आगे एक इंसान चल रहा था और बाकी के सारे उसके पीछे। सभी ने ब्लैक शर्ट पैंट पहन रखा था। लेकिन उस लड़के ने डार्क ग्रे कलर का सूट। 

पंक्ति उस लड़के के पीछे जाने लगती है तभी वो लड़का अपने हाथ को ऊपर करता है और बाय का इशारा करने लगता है।

वो खुद से " कोन है ये। और गुस्से से आगे कहते हुए "रूक जाओ छोड़ूंगी नहीं मै तुम्हे।"

पंक्ति जल्दी से उन लोगों के पीछे जाने लगती है। मार्केट में भीड़ बढ़ती जा रही थी। वो जेसे जेसे आगे जा रही थी कि तभी पीछे से कोई जोर से पंक्ति सिर पर मार देता है

पक्ति जेसे ही पीछे देखती है तो एक मास्क वाला लड़का खड़ा था। वो अपने सिर को पकड़ कर दर्द से कहराहते हुए " आह।"

अगले ही पल पंक्ति की आंखे बंद होने लगती है वो जेसे ही गिरने वाली थी वो लड़का एक दम से पंक्ति को पकड़ लेता है। अब वो उसकी बाहों में झूल रही थी।

कोन था ये इंसान जो पंक्ति को भरी मार्केट में उसके गाल पर किस कर गया है? आखिर क्यों किया उस इंसान ने। क्या पंक्ति पता कर पाएगी कोना है ये इंसान ? कोन था जिसने। पंक्ति को सिर पर मारा? क्या कनेक्शन है पंक्ति का इन सब से। के लिए पढ़ते रहिए


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