Zusammenfassung
भरी सभा में महाराज धनानंद से अपमानित होकर आचार्य चाणक्य प्रण लेते हैं कि जब तक वो मगध साम्राज्य से नन्द वंशों का अस्तित्व नहीं मिटा देंगे, अपनी शिखा खुली रखेंगे. वो एक मौर्य बालक चन्द्रगुप्त को शस्त्र और शास्त्र में निपुण बनाकर मगध सम्राट बनने के योग्य बनाते हैं. वो साथ मिलकर नन्द वंश को पराजित कर मौर्य वंश की नींव रखते हैं और अखंड भारत का अपना स्वपन्न पूर्ण करते हैं.
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Schreiben Sie eine RezensionAutor Ajad3199
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