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68.75% बात एक रात की... / द डॉल मैन-3

द डॉल मैन-3

मार्विन बहुत ही सावधानी पूर्वक अपने कमरे के दरवाजे को खोलता है ताकि दरवाजे के खुलने की आवाज़ किसी के कानो तक न पहुंच पाए, वह गश्त लगाने वाले उस बंदे को देखना चाहता था जो इतनी रात में बाहर टहलने निकला था। मार्विन देखता है कि कुबड़ा ओलिवर अपने ऊपर कम्बल डाल कर घर के मुख्य दरवाजे को खोलकर बाहर जाने का प्रयास कर रहा था, उसकी नज़र अब तक मार्विन पर नहीं पड़ी थी।

"ये इतनी रात में चोरों की तरह कहाँ जा रहा है, गुरु दाल में ज़रूर कुछ काला है... ये कुबड़ा इतना सीधा नहीं है जैसा प्रतीत होता है, इसके इस राज़ का तो पता लगाना ही पड़ेगा", मार्विन ने ओलिवर को रात में चोरों की तरह निकलते हुए देख कर ख़ुद से कहता है, उधर इस बात से अनजान ओलिवर धीरे से दरवाजे को खोलकर घर से बाहर निकल जाता है। मार्विन भी अपना ओवर कोट डालकर उसके पीछे-पीछे चल देता है।

रात अपने चरम पर थी, चारों ओर से भेड़ियों की भयानक आवाज़ें दिल दहला देने के लिए काफ़ी थीं पर फ़िर भी दो लोग ऐसे थे जिन्हें इस बात की परवाह बिलकुल नहीं थीं। ओलिवर को अपनी मंज़िल तक पहुंचने की जल्दी थी वहीं दूसरी ओर मार्विन को इस बात का पता लगाने की तीव्र इच्छा थी कि कुबड़ा ओलिवर कहाँ और क्या करने जा रहा है। कुछ ही देर में छोटी पहाड़ी का इलाका शुरु हो जाता है और जंगल से आ रही उन भेड़ियों की आवाज़ भी अब दबने लगी थी, ऐसे में ओलिवर को एहसास होता है कि कोई उसके पीछे चल रहा है, ओलिवर चलते- चलते अचानक रुक जाता है और तुरंत ही पीछे मुड़कर देखता है, वहाँ कोई नहीं था चतुर मार्विन पास ही एक पेड़ के पीछे छुप गया था और ऐसा ओलिवर के कुबड़ेपन के कारण था, वह आम लोगों के मुकाबले कुछ धीमा था, उसे चलने में भी काफ़ी परेशानी होती थी, झुका हुआ शरीर आखिर कितना तेज़ चल सकता था। ओलिवर देखता है कि पीछे कोई नहीं है वह फिर से मुड़कर अपनी मंज़िल की ओर बढ़ने लगता है, मार्विन भी पेड़ के पीछे से निकलकर दुबारा पीछा करने लगता है लेकिन इस बार वह और थोड़ा होशियारी से ऐसा करता है क्यूँकि उसे इस बात का पता चल गया था कि ओलिवर को शक़ हो गया था कि कोई उसका पीछा कर रहा है।

"ऐसा लग रहा है कि कोई मेरे पीछे चल रहा है, सूखे पत्तों की आवाज़ साफ़ मेरे कानों तक पहुंच रही है... कौन हो सकता है ", ओलिवर ख़ुद से कहता है और एक बार फिर चलते- चलते रुक जाता है पर एक बार फिर से उसके हाथ निराशा ही लगती है क्यूँकि फ़िर से उसकी धीमी गति और पेड़ का सहारा लेकर मार्विन ख़ुद को छुपाने में कामयाब हो जाता है।

" ये कुबड़ा तो बहुत ही बड़ा खिलाड़ी निकला... इसे दुबारा शक़ हो गया कि कोई इसका पीछा कर रहा है, इसके कान काफ़ी तेज़ मालूम पड़ते हैं", मार्विन पेड़ के पीछे छुपकर ओलिवर की ओर देखते हुए ख़ुद से कहता है।

"लगता है कोई नहीं है, शायद मेरे ही कानों को धोखा हुआ हो... ख़ैर कुछ देर रुक कर देखता हूँ फ़िर आगे अपनी मंज़िल की ओर निकलूंगा ", ओलिवर मौके की नज़ाकत को समझते हुए ख़ुद से कहता है और थोड़ी देर वहीं रुक कर फ़िर से आगे की ओर बढ़ता है। मार्विन पेड़ के पीछे से निकलकर फ़िर से उसका पीछा करने लगता है।

इस बार ओलिवर थोड़ा ज़्यादा ही सतर्कता से आगे बढ़ रहा था और मार्विन उससे भी ज्यादा सतर्कता से उसका पीछा कर रहा था।

ये ओलिवर का दुर्भाग्य था कि उसके कंधों के ऊपर पूरी दुनिया का भार परमात्मा ने रख दिया था जिसका भरपूर फायदा मार्विन उठा रहा था और ओलिवर का पीछा करने में उसे ज़्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ रहा था क्यूँकि उसकी गति इतनी तेज़ नहीं थी।

काफ़ी दूर चलते हुए एक बार फिर से ओलिवर को ऐसा लगने लगता है कि कोई उसका सही में पीछा कर रहा है, वह फिर से रुक कर पीछे पलट कर देखता है, "कौन हो सकता है जो आज इस तरह से पीछा कर रहा है... ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ, घर में जो मेहमान आयें हैं वो तो शराब पीकर सोए पड़े होंगे, उनमें से तो कोई नहीं हो सकता है, फिर ये कौन है जो इतनी रात में पीछा कर रहा है सोने के बजाए... कोई दिख भी तो नहीं रहा है", ओलिवर ख़ुद से ही कहता है और इधर उधर अपना पीछा करने वाले को देखने लगता है।

" ओहो... ये कुबड़ा तो चलते हुए बीच बीच हर बार पीछे मुड़कर देखता है, पता नहीं आज पहुंचेगा कि नहीं, एक तो चलता ही धीरे - धीरे है ऊपर से बार - बार पीछे जासूसी करता फ़िर रहा है ", एक बार फिर से ओलिवर की धीमी गति का फायदा उठाकर पेड़ के पीछे छुप कर मार्विन ख़ुद से कहता है। वह कच्ची सड़क के किनारे उगे हुए पेड़ों का भरपूर फायदा उठा रहा था ख़ुद को छुपाने में। ओलिवर काफ़ी देर तक रुक कर अपना पीछा करने वाले को देखता है पर उसे कोई भी व्यक्ति दिखाई नहीं देता है यहाँ तक कि कोई जानवर भी मौजूद नहीं थे।

" लगता है कि कोई नहीं है इस बार फिर से धोखा हुआ है... अब आगे की ओर बढ़ता हूँ काफ़ी देर हो गई इसी चक्कर में, बार - बार पीछे ही देखता रहूँगा तो सुबह हो जाएगी और अपना काम नहीं निपटा पाऊँगा जिस कारण रात में निकला हूँ", ओलिवर ने उसी जगह खड़े - खड़े हर दिशा में देखते हुए ख़ुद से कहता है।

" अरे कुबड़े आगे क्यूँ नहीं बढ़ता है... गुरु लगता है कोई बड़ा हाँथ मारने के लिए रात में निकला है, अगर ऐसा न होता तो इसे पकड़े जाने का डर नहीं होता और ये बार - बार पीछे मुड़कर न देख रहा होता, ये ज़रूर कोई ऐसा काम करने जा रहा है जिसके बारे में ये किसी को पता नहीं चलने देना चाहता है ", पेड़ के पीछे से छुप कर ओलिवर को देखता हुआ मार्विन ख़ुद से कहता है और पेड़ के पीछे तब तक छुपा रहता है जब तक ओलिवर को पूरी तरह से तसल्ली नहीं हो गई कि उसके पीछे कोई भी नहीं है।

"आह... अरे ये मार्विन कहाँ लापता हो गया इतनी रात में, चारों तरफ जंगल से भेड़ियों के रोने की डरावनी आवाज़ें आ रही हैं, ऐसे में मार्विन को कौन सा काम आन पड़ा जो रात ही में निकल पड़ा वो भी बिना मुझे बताए, लगता है आज इस इलाके की छानबीन करते हुए कुछ बहुत ज़रूरी हाथ लगा है इसलिए बच्चू बिना बताए निकल पड़ा... इतने सालों का भरोसा पल भर में तोड़ दिया, ज़रा कमरे से बाहर देखता हूँ हो सकता है वहीं पर मौजूद हो और मैं बेवजह ही परेशान हो रहा हूँ ", नशा टूटते ही डेनियल भी नींद से जाग कर अंगड़ाई लेते हुए मार्विन के बिस्तर की ओर देखता है, उसे बिस्तर पर न पाकर मार्विन ख़ुद से कहता है और एक बार कमरे के दरवाजे से बाहर हॉल की ओर देखने का प्रयास करता है।

" अरे यहाँ तो कोई भी नहीं है, आखिर मार्विन कहाँ जा सकता है... ये जगह भी उसके लिए उतनी ही अनजान है जितनी मेरे लिए फ़िर ऐसे में उसे अकेले जाने की ज़रूरत क्यूँ पड़ गई, कहीं ऐसा तो नहीं है कि मार्विन का इरादा अब बदल गया हो और वह मुझे ही धोखा देना चाहता हो वर्ना आज तक उसने मुझे कभी कुछ बताए बिना नहीं किया... हम दोनों का संबंध सगे भाइयों से भी बढ़कर था, तो फिर आज मार्विन के हाथ ऐसा कौन सा राज़ लग गया जो इतने पुराने संबंध पर शक़ की दरार आ गई...मार्विन इस जगह पर आते ही बदल गया है ", डेनियल ने पूरे घर में मार्विन को तलाश किया पर उसे कहीं भी न पाकर निराश होते हुए ख़ुद से कहा। डेनियल को अब मार्विन के इरादों पर शक़ होने लगा था कि वह इस लूट में उसके साथ शायद हेरा फेरी करने की सोच रहा है।

इस बात की तसल्ली हो जाने पर कि कोई ओलिवर का पीछा नहीं कर रहा है, वह अपनी मंज़िल की ओर एक बार फिर से बढ़ना प्रारम्भ करता है, ओलिवर धीरे - धीरे अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ रहा था और उसी के पीछे - पीछे चतुर मार्विन भी उसी ओर बढ़ रहा था जहाँ ओलिवर को जाना था। काफ़ी देर यूँही आँख मिचौली का खेल खेलकर ओलिवर को पहले ही काफ़ी देर हो गई थी फ़िर भी वह इस बात को नज़रअंदाज़ करते हुए चला जा रहा था।

"लगता है कि ये कुबड़ा कोई ख़ास खिचड़ी पकाने के इरादे से इतनी रात में निकला है... अब पता ये करना है कि यह इसका रोज़ का काम है या फिर आज इसके हाथ कोई ख़ज़ाना लगने वाला है, इसका पता तो तब तक नहीं चलेगा जब तक कि अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँचता है, चलता भी तो बहुत धीरे - धीरे है ", मार्विन ने ओलिवर का पीछा करते हुए ख़ुद से कहा, वह इस बात का पूरी तरह से ध्यान रखे हुए था कि ओलिवर उसे देख न ले।

" लगता है कि फ़िर से कोई मेरे पीछे पीछे चल रहा है, पता नहीं कौन है जो इतनी बुरी तरह से हाँथ पैर धोकर पीछे पड़ा हुआ है... कहीं कोई पहचान वाला तो नहीं जिसे मुझ पर शक़ हो गया हो और वह छुप कर ये देखना चाहता हो कि मैं कहाँ आता जाता हूँ, यदि ऐसा है तो ये एक चिंता का विषय है क्यूँकि जो राज़ मैंने इतने सालों से छुपाकर रखा है वह सभी के सामने आ जाएगा... पर अब बार - बार रुक कर पता लगाने का समय नहीं, जो भी हो अगर कोई पीछा कर भी रहा है तो मेरी पकड़ में आने वाला नहीं है और मेरे पास इतना समय भी नहीं बचा है कुछ ही देर में सुबह हो जाएगी उससे पहले मुझे आज का काम निपटाना ही पड़ेगा", कुबड़े ओलिवर ने पीछा करने वाले की आहट मिलते ही ख़ुद से कहा पर इस बार वह रुक कर पीछा करने वाले को देखने के मूड में बिलकुल भी नहीं था, उसे तो अपनी मंज़िल पर पहुंच कर अपना काम निपटाने की जल्दी थी क्यूँकि थोड़ी ही देर में सुबह होने वाली थी और उस इलाके में सुबह - सुबह ओलिवर की मनहूस सूरत कोई भी देखना नहीं पसंद करता। इस बात का विशेष ध्यान रखते हुए ही ओलिवर ने रात का ही वक़्त अपने काम के लिए मुनासिब समझा।

इसी तरह से चलते चलते कुछ ही देर में वह अपनी मंज़िल तक पहुंच गया, अपनी जेब से एक चाभी निकाल कर ओलिवर ने बंद ताले को खोला और उस इमारत के अंदर प्रवेश कर गया, अंदर उचित प्रकाश के लिए उसने अपनी जेब से एक मॉमबत्ती निकाल कर माचिस से जला ली, उस इमारत के बाहर खड़ा मार्विन एक शीशे की खिड़की से अंदर घटित घटनाओं को अच्छी तरह से देख रहा था... एक उचित खाली स्थान पाते ही ओलिवर ने अपनी जेब से कुछ और मॉमबत्तियां निकाल कर जला लीं, अब चारों ओर अच्छा खासा प्रकाश फैल चुका था, मार्विन को भी बाहर से अंदर देखने में ज़्यादा कष्टों का सामना नहीं करना पड़ रहा था, वह शांतिपूर्वक अन्दर घटित होने वाली घटनाओं को देख रहा था।

"काफ़ी देर हो गई और मार्विन अब तक नहीं लौटा... कहीं भेड़ियों का शिकार तो नहीं हो गया, वैसे भेड़िये रात में ज़्यादा आक्रामक हो जाते हैं और झुण्ड बनाकर अपने शिकार पर हमला करते हैं, ऐसे में बेचारा मार्विन अकेले क्या करेगा, वैसे मुझे इस बात पर बिलकुल यकीन नहीं है कि वह भेड़ियों का शिकार हो सकता है, वह ज़रूर कोई बड़ा हाथ मारने गया होगा... अरे ये छोटी पहाड़ी की ओर से कौन भागा चला आ रहा है, कहीं ये मार्विन तो नहीं है लेकिन ये इतनी बुरी तरह से क्यूँ भाग रहा है जैसे भूत देख लिया हो, वह अनजान शख्स इसी घर की ओर भागते हुए आ रहा है ", डेनियल नदी के किनारे कुबड़े ओलिवर के घर पर बैठा अपने साथी मार्विन के बारे में विचार करते हुए ख़ुद से कहता है कि तभी अचानक उसे एक अनजान साया छोटी पहाड़ी से घर की तरफ़ भाग के आते हुए दिखाई पड़ता है, डेनियल इधर-उधर देखता है और अपनी सुरक्षा के लिए पास ही रखी एक कुल्हाड़ी हाथ में उठा लेता है।

To be continued...

©IVANMAXIMUSEDWIN


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