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57.14% जिंदगी 1 / Chapter 4: बीते लम्हे 4

Kapitel 4: बीते लम्हे 4

उसके ख्यालों मे डुबा हुआ मौ फिर अपने घर से अपने क्लास की और निकल पड़ा । आज मै कुछ ज्यादा ही खुस था ।तरह तरह के बिचार मेरे दिमाग मे आ रहे थे ।सोच रहा था कैसे आज मै उससे बाते करू गा ।बस इसी सब खयालो मे डूबा हुआ मै अपने क्लास मे जा पहूचा । क्लास मे अभी बहुत कम बच्चे थे। धीरे धीरे सब आ रहे थे मै जा के अपनी जगह पे बैठ गया,और मन ही मन मै उसका इन्तजार कर ने लगा।लगभग बच्चे आ ग्ये थे अब लेकिन अभी तक वो नही आयी थी ।कुछ देर बाद क्लास सुरु होने वली थी ।मै अपने बगल मे बार बार जगह को साफ कर रहा था की वो आये गी तो बैठे गी ।तभी वो आयी,मै खुस हो गया था । मै उसे देखने लगा उस्की नजरों से मै अपनी नजर मिलाने की कोसिस कर ने लगा , ये सोच कर की वो भी मेरा इन्तज़ार कर रही होगी ।वो जल्दी से क्लास मे आके सिर्फ़ मेरे बगल मे बैथ के मुझ से बात करे गी ।जितना इंतजार मैने उसका किया था वो भी मेरा कर रही होगी ।वो कितना हसिन पल होगा जब वो आके बोले की कुछ ।कितना प्यारा होगा वो पल ।मै ये सब सोच ही रहा था तभी सब बच्चे खरे हो गए ।मैने जब देखा ,तो सर आ चुके थे।हमरी क्लास सुरु होने वली थी ।सब अपने अपने जगह पर बैठ ग्ये थे ।लेकिन ये क्या मेरी बगल वाली जगह तो अभी अभी उसी तरह किसी के इन्तजार मे तरप रही थी ।मैने पीछे मुर कर देखा आज वो कही और बैठ कर किसी और के साथ बात कर रही थी । मै तो देखता ही रह गया ।क्लास सुरु हो चुकी थी ।इस बार मै कुछ नही सोच रहा था ।और यू कहे की कुछ सोचने का मन ही नही हो रहा था ।बस मै सर जो पढा रहे थे उस को बस समझने की कोसिस कर रहा था ।और कुछ देर बाद अखिर मै समझने मे कामयाब भी रहा। इसी तरह समय बित रहा था ।धीरे धीरे क्लास खत्म हुई और लन्च का समय हो गया ।सब अपने अपने लन्च कर ने मे लग गये ।मेरे पास तो कुछ था ही नही मै ऐसे ही बैठा था । कुछ देर बाद मैने एक बार उसकी तरफ देखा वो आराम से बैठ के अपने दोस्तों के साथ बाते कर के नास्ता कर रही थी । मुझे भी अब भूख लगने लगी थी मै परेसान होने लगा था ।तभी मैने सोचा क्यू ना बाहर जा कर ही कुछ खा लू ।ये सोच कर मै बाहर कंटीन मे गया ।अपने पर्श निकलने की कोसिस की मैने लेकिन वो मेरे पास नही था ।सायद आज मै उसे घर ही भुल आया था ।कुछ देर उसी तरह मै वही खरा रहा ।मै वही खरा हो के बस बाहर ही देख रहा था ।तभी मैने देखा वो लरकी कुछ लरकी और लरके के साथ इधर ही आ रही थी ।मैने उसे देखा और पता नही अचानक मेरे कदम दुसरे दिशा मे चल परे ।मै वहाँ से चला गया था ।मेरे कदम अचानक रुक गये,एक बार मै उसे देखना चाहता था ।मै पीछे मुर कर बस एक बार उसे देखना चाहता था ।मै देखना चाहता था की वो कित्नी खुश है ,मेरे बिना क्या वो मेरे साथ इत्नी खुस रह पाती ।बस येही मै एक बार उसे देखना चाहता था ।

मै निकल गया वहाँ से ,थोड़ी सी मुझे खुसी भी थी ,और मैन मे टीस भी रह रह के चुभ रही थी की काश मैने अपने आप को उस काबिल बनाया होता की किसी की जिंदगी मेरे बिना अधुरि होती लेकिन कोन यहाँ किस के बिना अधूरा है ,यहाँ तो खलिपन अब मिनटो मे भरने लगी है यहाँ मौजुद है अब बिकल्प सारे रास्ते पे ,जहाँ अब कोई रस्ता खत्म होता है वहीं से दुसरी बिकल्प सुरु हो जाती है। अब सब कुछ का बिकल्प है ।फिर मैने कुछ समझने की कोसिस की,क्या यहाँ सब कुछ का बिकल्प है तो मेरे प्यार का भी कुछ बिकल्प होगा ।बस येही सोचता हुआ मै आगे बढ गया । फिर से हमारी क्लास सुरु हुई ।इस बार मै पूरे मन से पढ रहा था ,फिर हमरी छूटी हुई । और हम घर आ गये ।

मै पुरे एक दिन से भूखा था।आराम से बैठ के मैने खाना खाया ।फिर मै अपनी बुक ले के सोचा कुछ पढ़ लू।कुछ देर पढ्ने के बाद फिर से मेरे दिमाग मे कुछ कुछ चल्ने लगा। मै सोच रहा था ,की अखिर क्या कमी है मुझ मे ,या फिर मै ये सोच रहा था की क्या ये जरुरी है की मै बद्लू अपने आप को किसी और को पसंद आने के लिये । खैर बात अभी यहाँ तक पहुची नही थी ।

गलती उसकी भी नही थी वो तो कल पहली दिन आयी थी ,उसे क्या पता की मै उसे प्यार कर ने लगा हू ,ये तो मेरी बेबकूफी थी की वो मुझे पहली बार मे ही पसंद आ ग्यी थी ।इसमे गलती मेरी भी नही थी आखिर वो थी ही इत्नी खुबसूरत ।हो सकता हो कोई और भी उस से प्यार कर ने लगे हो ये मुझे नही पता मुझे तो बस अपना पता था ।हा कुछ बच्चो को बात कर ते ये जरुर सुना था ये की कित्नी हसिन है ये लरकी ।सुन के बुरा ही लगा था लेकिन मै कुछ कर नही सकता था ।सब को अधिकार था ये ,वो कोई मेरी पर्सनल प्रॉपर्टी नही थी ।मै तो बस दिवाना था उसका इतना ही अधिकार था मेरा उस पे, वो भी बिना उसकी इजाजत के।

एक अलग ही मजा है खुद मे प्यार कर ने मे ।ये एकतरफा प्यार भी कहलाता है । येही था मेरे साथ उसे पता भी नही था और मै उसे टुट के चाहे जा रहा था ।मैने सोचा कही मै गलत तो नही कर रहा हू ।लेकिन उसमे गलत क्या? कुछ नही था ।मुझे भी मजा आ रहा था ,और उसे कोई परेसानी भी नही थी ,दोनो का काम हो रहा था ,फिर कैसी प्रॉब्लम ।एकतरफा प्यार मे बहुत आजादी रह्ती है ।कोई प्रोब्लेम नही ,सब कुछ अपने मन से ही होता है बस उसमे होती है तो अपने मन की आजादी ।


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