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60% हमारी अधूरी कहानी (एक नई दास्ताँ) / Chapter 3: जिंदगी भर का प्यार

Kapitel 3: जिंदगी भर का प्यार

एक दिन की बात है। परवीना अपने घर के बाहर उदास बैठी थी। तभी उसके पापा आ जाते है। वो उसे ऐसे बैठे देख खुदको रोक नहीं पाते और पूछ बैठते है।

"बेटा यहां क्यों बैठी है और ये मुह क्यों लटका रखा है, किसी ने कुछ बोला" वो बोलती है "नही अब्बू कुछ नही हुआ आपकी बेटी से को कुछ बोल सकता है"

वेसे तो परवीना अपने पापा से कुछ नही छिपाती थी, लेकिन ये बात उसने अपने दिल ही मे दबा रखी थी कि 'वो साहिल को अपना दिल दे बैठी थी और शादी भी करनी है तो सिर्फ उसी से करनी है'

उसके पापा बोलते है।

"मेरे बच्चे में तुम्हारा अब्बू हूँ और अब्बू से कभी कोई बात सीक्रेट नही रखते"

परवीना उन्हें बोलने ही लगी थी कि साहिल आ जाता है। और बोलता है "ये पागल आज इतनी चुप चुप क्यों है, खालाजान ने मारा क्या।"

परवीना उस को उससे कुछ कहते नही बना और वो उठ कर अंदर चली जाती है।

लेकिन अब उसके पापा समझ गए थे कि बात क्या है। लेकिन उन्होंने सोचा कि पहले पूरी तरह पता लगा लेते है कि क्या ये सच है।

वो बोलते है "साहिल वो तुझ से नाराज़ है अब जा कर तू ही मना उसे"

साहिल बोलता है "जी अंकल में करता हूँ कुछ।

वो अंदर जाता है और चुप चाप बेथ जाता है। परवीना उसे देखती रहती है। वैसे साहिल कभी उसके सामने चुप नही रहता था हर समय कुछ न कुछ बोलता ही रहता था और परवीना को भी ये सब अच्छा लगता था। लेकिन आज वो ऐसे बैठा था मानो वो भी उदास हो। परवीना को उसकी ख़ामोशी इतनी चुभती है कि वो बोल पड़ती है "कमीने ऐसे क्यों बैठा है कुछ तो बोल, तू ऐसे ख़ामोश अच्छा नही लगता"

साहिल बोलता है "तो तू कोनसी लगती है ऐसे तो दिन भर कुछ न कुछ बक-बक लगी रहेगी और आज देखो कैसे बैठी हुई है।"

परवीना बोलती है "अब्बू कहाँ है"

साहिल जवाब देता है "बाहर रूम में"

वो बोलती है

"तुझे सुन्ना है ना तो सुन प्यार करती हूं तुझसे, तेरे से शादी करनी है, और अपनी सारी जिंदगी तेरे साथ गुज़ारनी हैं, लेकिन जब तू उस आमिना के साथ दिखता है तो जी करता है कि मार दु उसे"

इतना बोलना था कि साहिल ने जोर से थप्पड़ मारा और बिना कुछ बोले बाहर चला गया।

परवीना चुपचाप बस देखती रही कुछ बोल नही पायी।

साहिल को उसने पहली बार इतने गुस्से में देखा

वो बाहर अपने पापा के रूम में आई और पूरी बात उन्हें समझाई और बोली

"अब्बू में कुछ नही जानती मुझे बस उसी से शादी करनी है चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े, आज उसने जो थप्पड़ मुझे मार मुझे बुरा नही लगा बल्कि अच्छा लगा क्योकि ये थप्पड़ इसलिए नही था कि उसे गुस्सा आया बल्कि इसलिए था क्योंकि यहां बात उसके प्यार की थी"

परवीना के अब्बू इस सोच में थे कि जब वो अपने प्यार के नाम पे इतने गुस्से में आ गया तो तब क्या होगा जब में उसे ये बोलूंगा की तू मेरी बेटी से शादी कर ले।

ये बात मन ही मन उसे खाये जा रही थी

आगे जारी हैं.....


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