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100% "Holoom Almahdi".. (Jinno Ka ek Shahzada) / Chapter 10: Alvida

Kapitel 10: Alvida

तलवारें म्यान में रखते हुए शाहज़ादा हालूम अल्माहदी ने इर्द गिर्द देखा!उस राक्षस से लड़ाई करता करता वह बहुत दूर आ गया था जंगल में!"काज़" उसने तेज़ आवाज़ लगाई और ज़मीन पर पैर मारा!दूसरे ही पल हवा में लहराता वह दरख्तों पर पैर रखता काज़ तक पंहुचा था!काज़ उसकी आवाज़ पर उधर ही दौड़ता आ रहा था!उसकी पीठ पर हल्की हल्की बेहोशी में खोई अमल थी!शाहज़ादा होलूम ने आहिस्ता से ज़मीन पर उतर आया था!वह पूरी तरह बेहोश नहीं थी!उसे देख सकती थी जो भारी क़दमों  के साथ चलता पास आ गया था!वह मुंदी मुंदी आँखों से उसे देख रही थी!

उसके चेहरे पर गहरे दर्द की लकीरें थीं!आँखों के नीचे घेरे में जैसे वह राक्षस अपने काले अँधेरे छोड़ गया था!शाहज़ादा होलूम ने उसकी कलाई पकड़ कर उसे खींचा था और अपने सीने पर ले लिया था!उस वक़्त शज़दा होलूम ने अपना क़द अमल से बस ज़रा ही ऊँचा रखा था!अमल ने आसानी से अपना चेहरा उसके कांधे पर गिरा लिया था!तकलीफ की शिद्दत से उसकी टांगे काँप रही थीं और खड़ा होना मुश्किल हो रहा था! शाहज़ादा होलूम में कुछ और उसके बदन को सहारा लगाया और उसकी कमर पर हाथ फेरना शुरू किया!जैसे जैसे वह हाथ फेर रहा था वैसे नीली रौशनी के साथ उसके ज़ख्मों से ख़ून रिसना बंद होता जा रहा था! फटे हुए ज़ख्म सिलते जा रहे थे!उसकी तकलीफ तो मानों कुछ थी ही नहीं!अमल की आंखें खुलती चली गई थीं!अमल ने महसूस किया कि शाहज़ादा होलूम के अंदर से इत्र जैसी बेहद खूबसूरत खुशबु फूट रही थी!और उसका दिल धड़क रहा था!वह आहिस्ता से पीछे हट गई और उसकी तरफ देखा!वह भी उसे देख रहा था!उसकी नीली आँखों में अमल का चेहरा दिखाई दे रहा था जैसे उसकी आंखें शीशे की थीं!उस वक़्त  जाने क्यों  उसे शाहज़ादा  होलूम  से  डर  नहीं  लग  रहा था !बलकि दिल  चाह  रहा  था  कि  वह  उसके चेहरे  पर लगे  आधे  नक़ाब  को  खींच  दे! उसका क़द अमल से ज़्यादा लम्बा नहीं था!जैसा कि अमल ने पहले देखा था!उस वक़्त तो उसकी तरफ देखने से चेहरा 5वे माले पर लगता था!उसे इतना ही सोच कर हंसी सी आ गई!वह चेहरा झुका कर हंसने लगी!शाहज़ादा होलूम ने उसकी कमर पर रखे अपने हाथ हटाए थे और उसकी तरह ही हलके से हंस दिया था!पूछना चाहता था कि वह हंस क्यों रही है?मगर नहीं पूछा!किसी लड़की से इतना फ्री होना उस लड़की के लिये उसे सही लगता था!"चलना चाहिए" शाहज़ादा होलूम ने काज़ की पीठ पर रखे बिस्तर को दुरुस्त करते हुए कहा!अमल के ज़ख्मों से निकला ख़ून अब उसके बिस्तर पर नहीं था!"कहाँ जाना है हमें?"अमल पहली बार चौंकी!आपको अपने घर नहीं जाना?"उसने उल्टा उसी से सवाल किया था जिसमे अमल के लिये जवाब भी था

अमल.."मैं यहाँ कैसे आई?"

शाहज़ादा होलूम.."अपने आप से puchhiye..hum नहीं जानते" कहते हुए उसने अमल को घोड़े पर अपने आगे बिठा दिया था!"यह जंगल बहुत खतरनाक है यहाँ सवाल जवाब ना करें!घर के बारे में सोचें"उसका लहजा  बड़ा सटीक सा था जो हर चीज़ खोजने वाली अमल की तबियत को पसंद नहीं आया था मगर वह खामोशी से उसके साथ घोड़े पर चल दी थी!वह बहुत बड़ी उधेड़ बुन में थी!आखिर यह सब उसके साथ क्या हो रहा था?वह राक्षस उसके पीछे क्यों लग रहा था!क्यों उसे मारना चाहता था!शाहज़ादा होलूम को कैसे पता चला और वह उसे बचाने क्यों आया?वह इस जंगल में कैसे आई?गाइड के हमशकल कौन था?वह राइटर ज़िंदा था या मर गया!या वह भी एक भ्रम था?कितने सारे सवाल और कश्मकश थीं!मगर उसके पास एक का भी जवाब नहीं था!

#...#....#

वह एयरपोर्ट पर खड़ी थी!उसके सारे दोस्त कब के इंडिया चले गए थे!उसकी उमर से बात हुई थी!वह उसकी खैरियत ले रहा था!"तुम लोग मुझे छोड़ कर कैसे चले गए?" उसे बहुत ग़ुस्सा था इस बात का!"हम क्यों छोड़ कर आने लगे!पहले तुम बेहोश हो गई थीं!फिर अचानक अपने कमरे में से आकर कहने लगी कि तुम यहाँ और रुकना चाहती हो और हमें कितनी कसमें देकर तुमने भेजा है वहां से?अब हम पर ही चढ़ दौड़ रही हो" उसने खुद भी नाराज़गी से कहा तो चुप की चुप रह गई!वह समझ गई!उन लोगों को उससे दूर करने के लिये उनके साथ भी खेल खेला गया था!उसने ख़ामोशी से फ़ोन कट कर दिया!एक खूबसूरत सा नौजवान उसके पास आकर खड़ा हो गया था!वह अंजान नज़रों से उसे देखने लगी!उसने उसका पासपोर्ट उसके सामने रखा और कहने लगा!"यह आपका पासपोर्ट है!आप आराम से इंडिया जाएँ!और अपना ख्याल रखना"वह अंजान नज़रों से उसे देखती रही!अब यह कौन था?उसका सर चकराने लगा था!"मैं शहज़ादा होलूम हूँ!भेस बदलना पड़ता है!"उसने उसकी नज़रों के सवाल पर कहा तो वह गहरा साँस लेकर सर हिलाने लगी"

"मैं आपको 2 लम्हों में इंडिया पंहुचा सकता हूँ!लेकिन हवा में आपके लिये बहुत सी मुश्किलें आ सकती हैं!इसलिए आपका इसी तरह जाना सही है"वह उसे देखती रही!आज वह ब्लू कलर की टी शर्ट और जीन्स पहने हुए था!उसकी आँखों का रंग भी अलग था!वह खूबसूरत लग रहा था मगर वह उसका अपना चेहरा नहीं था जिसे वह आधा छुपाये रखता था!उसकी फ्लाइट की अनाउंसमेंट हुई तो वह उसे अलविदा करती चली गई!मगर वह देर तक जैसे उसे जाता देखता रहा!कितने करोड़ो इंसानो में जैसे वह उसके लिये सबसे अलग थी!


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