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7.33% यंग मास्टर गु, प्लीज बी जेंटल / Chapter 22: तुम रो कैसे सकती हो जब तुम इतनी निराशात्मक हो

Kapitel 22: तुम रो कैसे सकती हो जब तुम इतनी निराशात्मक हो

Redakteur: Providentia Translations

एक हसीन आदमी भीड़ के सामने खड़ा था, वह पुलिस स्टेशन में घुसा, और जल्दबाजी में उसका पीछा करते हुए भीड़ उसके पीछे आ गई। उसने ब्लैक पैंट के साथ नेवी ब्लू शर्ट पहनी थी, जिसके साथ एक फिट ब्लैक कोट भी था। उसके पॉलिश किए हुए चमड़े के जूते काले रंग के थे और वातावरण में उग्रता को दर्शा रहे थे। उसका व्यक्तित्क एक ऐसे इंसान का था जो निर्णायक और बलशाली दोनों था, एक राजा का प्रतीक जो उच्च और आम लोगों की पहुँच से दूर था।

अपने माथे से आने वाले ठंडे पसीने को पोंछते हुए पुलिस प्रमुख अपनी ऊँची एड़ी के जूते पहने भागता हुआ वहाँ पहुँची। कारघालिक जैसी छोटी-सी राजधानी में ऐसे शक्तिशाली व्यक्ति के आने के पीछे का कारण उन्हें नहीं पता था।

"मिस्टर गू, आपको हमारे स्टेशन पर आने का समय कैसे मिला? यह वास्तव में मेरा सबसे बड़ा सम्मान है कि आपके यहांँ आए।" निर्देशक ने उसकी तारीफ़ करनी शुरू कर दी जिससे कि ऐसा न हो कि उसे भविष्य में उसके मदद की आवश्यकता पड़ जाये।

गू मोहन ने पुलिस प्रमुख को बिना किसी प्रतिक्रिया के अंदर घुसने से पहले ठंडी निगाह से देखा।

उसने तुरंत एक कोने में दुबकी हुई एक कमज़ोर औरत को देखा। उसने अपना चेहरा अपने घुटनों में दबाया हुआ था और उसका नाजुक शरीर फीकी रोशनी में छिपा हुआ था। उसके पूरे आचरण ने एक गहरे अकेलेपन का एहसास दिलाया, जो किसी का भी दिल तोड़ने में सक्षम था।

`उसके कंधे काँप रहे थे, ऐसा लग रहा था कि वो रो रही थी।

"मैं तुम्हें कुछ घंटे ही नहीं मिला और तुम्हारे पूर्व मंगेतर और सौतेली बहन के कारण तुम पोलिस स्टेशन पहुँच गईं"?

टेंग मोर ने जब एक गहरी आवाज सुनी जो परिचित और अप्रत्याशित दोनों थी, तो वो भौंचक्की रह गई।

उसने धीरे से अपना सिर उठाया और गू मोहन के करिश्माई चेहरे ने उसकी आँसू भरी आंँखों में जगह ले ली।

वह यहांँ क्यों आया है?

उसने हाथ के अस्पष्ट आकार में अपने चेहरे के दाईं ओर एक चमकदार लाल प्रिंट देखा। उसके पास अपना चेहरा साफ करने का समय नहीं था और इस तरह उसने अपने अस्त-व्यस्त चेहरे को देखा, आंँसुओं और बलगम से भरा हुआ, जब उसने अपना सिर उठाया। उसका चेहरा बेहद गन्दा था।

गू मोहन ने फौरन घृणा में अपने भौंहों को ऊपर उठाया।

वह अपने एक घुटने के बल नीचे बैठ गया और उसके गंदे चेहरे को अपनी बड़ी हथेली में ले लिया।

उसके पतले होंठों ने एक मजबूत रेखा बनायी क्योंकि उसने अपने होंठों को एक साथ दबाया था, उसके नैन-नक्श भावहीन और तीखे थे। उसने उसे डांँटते हुए कहा, "तुम्हारी रोने की हिम्मत कैसे हुई जब तुम बेवकूफ़ से ज़्यादा कुछ नहीं हो। क्या तुम्हारे आँसू कीमती नहीं हैं?"

"…"

टैंग मोर पहले से ही परेशान थी और अब जब उसने भी उसे डांँटना शुरू कर दिया तो, उसके आँसू रुक ही नहीं रहे थे। उसके होंठ एक झटके में बाहर निकले, फिर कंपकंपी के साथ वह फट से बोला, "तुम ... तुम मुझे डांँट रहे हो..." उसने हिचकी लेते हुए कहा और, उसके चेहरे को नीचे गिरते हुए आँसूओं के साथ ऐसा लगा मानो उस पर दुख का एक और पहाड़ टूट पड़ा था।

गू मोहन का हसीन चेहरा और भी भावहीन हो गया। उसने अपनी ब्लेज़र की जेब से एक रूमाल निकाला और उसके छोटे से चेहरे को पकड़ लिया। उसने अपने हाथ से उसके आँसू को पोंछ दिया।

उसने उसके चेहरे पर लाल रंग के दाग को छुआ, जहांँ उसे थप्पड़ मारा गया था और टैंग मोर हल्के दबाव के कारण बोली "यहाँ दर्द हो रहा है ..."

गू मोहन ने एक अतिशयोक्तिपूर्ण सांस को छोड़ दिया, "तुमने किसी को तुम्हें मारने करने की अनुमति क्यों दी, जबकि तुम यह जानती थी कि इसका नतीजा क्या होने वाला है?"

उसने बोलते हुए उसके चेहरे को और अधिक आराम से पकड़ा और उसे अपने करीब खींच लिया।

वह जब उसके साथ होती थी तो उसका बहुत ध्यान रखता था, वो उसे मारने या डांँटने का सोच भी नहीं सकता था। वह बाहरी दुनिया के लिए बिल्कुल अलग व्यक्ति थी। वह न केवल बेवकूफ़ थी और खुद को दूसरों से तंग होने देती थी, बल्कि वह चुपके से अकेले में रोती भी थी। वह उसके साथ क्या कर सकता था?

गू मोहन ने अपने रूमाल को कूड़ेदान में फेंकने से पहले उसका चेहरा साफ किया। तब उसने उसे पकड़कर और उसकी पतली भुजाओं को सहारा देकर उसकी मदद की, जैसे कि वह एक छोटे से मुर्गी के बच्चे को पकड़े हुए था और उसे उसके पहले कदम रखना सिखा रहा था।

टैंग मोर उठने के बाद दुबारा जमीन पर फिसल गई, जैसे ही उसने उसे छोड़ा, उसके घुटनों ने उसी समय जवाब दे दिया।

गू मोहन को गुस्सा आ गया और उसने उसे अधीरता से देखा, "क्या बात है?"

यह महिला वाकई बहुत परेशान कर सकती थी।

टैंग मोर उसके गुस्से को भाँप गई और उसकी आँखों में फिर से जलन होने लगी। जब उसे किसी ने नहीं मारा था जिसके शरीर पर चोट नहीं लगी थी और ना ही उसे पुलिस स्टेशन में अकेला छोड़ दिया गया था तो फिर उसे गुस्सा क्यों आ रहा था? यह तो वो थी जो दुख सहन कर रही थी। 

"मेरे ... मेरी टांगें सुन्न हो रखी हैं ..."

गू मोहन ने अपने कोट उतारने से पहले उसे देखा और उसके शरीर पर उसे लपेट दिया। फिर वह नीचे झुका और उसे एक राजकुमारी की तरह उठाया, उसकी टांगें उसकी मजबूत बाहों में झूल रहीं थीं और उसका शरीर उसकी छाती से सटा हुआ था।

टैंग मोर ने उसके शरीर की गंध को सूंघा, यह मर्दाना थी, फिर भी सुखद और उसे सुरक्षा की भावना दे रही थी। उसे उसकी बाहों में सुरक्षित महसूस हो रहा था। उसने धीरे से अपने दोनों हाथों को बढ़ाया और उसकी गर्दन को पकड़ लिया, फिर खुद को अपनी मांसल छाती में छुपा लिया। एक बिल्ली के बच्चे की तरह, उसने उसके चेहरे की ओर अपना मुंँह घुमाया और अपनी आँखें बंद कर लीं।


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