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100% सिया के राघव / Chapter 2: सिया के राघव 2

Kapitel 2: सिया के राघव 2

अगले दिन चंद्रिका जी ने राघव और कबीर को स्कूल के लिए उठाया ।राघव के थोड़ी आना कानी के बाद उठ गया लेकिन कुम्मकर्ण की औलाद कबीर बिना थप्पड़ खाए कहा उठने वाला था चंद्रिका जी ने उसे तीन चार थप्पड़ लगाए जब जाकर कही वो उठा और उठते ही रोने लगा चंद्रिका जी ने सिर पीट लिया पहले तो खुद ही मारो और खुद ही चुप कराओ कबीर ने रो रोकर सारा घर सिर पे उठा लिया ।

राघव नहा कर बाहर आया तो समझ गया की मांजरा क्या है उसने अमन जी को बुलाने के लिए उनके रूम में भागा एक अमन जी ही थे जो कबीर को चुप करा सकते थे अमन जी भागते हुए कबीर के रूम में आए और उसे गोद में उठा कर चुप कराने लगे ।

चंद्रिका जी ने अलमीरा से कपड़े निकाल कर राघव को पहनाने लगी तो राघव बोला –मॉम मैं कोई छोटा बच्चा नहीं है खुद पहन सकता हु....

चंद्रिका जी उसे शर्ट पहनाते हुए बोली –हा बहुत बड़ा हो गया है तू....इतना बड़ा हो गया है की मां की जरूरत ही नही है....

राघव –मॉम ऐसी बात नही है.....आपकी जरूरत तो हमेशा रहती है मुझे..... आई लव यू मॉम....और उनके गालों पर एक किस दिया ।

चंद्रिका मुस्कुरा कर बोली – दोनो बाप बेटे एक जैसे है अच्छे से मक्खन लगा लेते है...

चंद्रिका जी ने पेंट उठाई तो राघव छीनते हुए बोला –मॉम ये मैं खुद पहनूंगा....

चंद्रिका जी ने हामी भरी तो 

राघव मुस्कुरा दिया चंद्रिका जी उसे टाई लगा कर बोली – अब जल्दी से बेग जमा कर नीचे नाश्ता के लिए आ जाना.....

चंद्रिका जी चली गई तो राघव अपने बैग में किताबे रखने लगा ।वही अमन जी ने कबीर को नहला कर कपड़े पहनाए और उसका बेग लगाया और अपने साथ नीचे लाए ।

चंद्रिका जी उसे देखते हुए बोली – लगता है खूब जम रही है बाप बेटे में.....और कबीर तुम जब भी पापा आते है मां को भूल जाते हो....

कबीर हंसते हुए बोला – डेड आपकी तरह चांटा नही मारते ना मॉम.....

चंद्रिका जी उसके कान पकड़के बोली – अपने कारनामे सुधार लो फिर नही मारूंगी.....

सबने ब्रेकफास्ट किया और राघव ने अपने जूते पहनने के लिए बाहर गया वही कबीर के पास तो उसका परमानेंट सर्वेंट अमन जी थे तो उसे क्या ही कमी थी अमन जी ने उसे जूते पहनाए और दोनो कार में जाकर बैठ गए और हाथ हिलाकर अमन जी और चंद्रिका जी को बाय कहा तब तक सिया भी अपने घर से बाहर आई और सबके बाय बोलकर कार में बैठ गई कार चलने लगी तभी राघव को कुछ याद आया और उसने ड्राइवर को रोक कर यमुना जी के घर की तरफ दौड़ा राज जी उसे ऐसे देखते ही उसे पास आए और रोकते हुए बोले –बच्चा धीरे लग जायेगी नही तो.....वैसे दौड़ क्यू रहे थे 

राघव – आज 5 बजे पास वाले मैदान में आप आयेंगे ना.....

राज जी –आऊंगा बच्चे अभी जाओ अच्छे से पढ़ना....

राघव बाय बोलकर गाड़ी में बैठ गया और गाड़ी स्कूल की तरफ चल दी ।

स्कूल पहुंचते ही राधा तीनो के पास दौड़ी चली आई कबीर और सिया के साथ राधा 6 कक्षा में थी और राघव 8 वी में था ।

राघव उनसे अलग होकर अपने क्लास की तरफ बढ़ गया और कबीर सिया और राधा एक साथ चल पड़े ।

स्कूल के बाद तीनो एक साथ घर आए और राघव ने जल्दी से अपना होमवर्क किया क्योंकि उसे शाम को क्रिकेट खेलने जाना था ।

कबीर फिर से डोगी के बच्चे रॉकी से खेलने लगा इस रॉकी को कबीर ही एक सड़क से उठकर लाया था और तीन घंटे रोने के बाद उसे रॉकी को अपने साथ रखने की परमिशन मिली थी और वो अब रॉकी को अपने पीछे भगा भगा के उसका जीना हराम किए रहता था ।

शाम को राघव बेट के साथ घर से बाहर आया तो उसे गेट पर ही राज जी मिल गए और दोनो मैदान की तरफ बढ़ गए राघव ने खेलने से पहले अपने जेब से फोन निकाल कर अपने दादा को फोन किया और मुस्कुरा कर बोला – पाए लगानो दादू.....

दादू मुस्कुरा कर अपनी बंगाली भाषा में बोले बोले – बेमसे ठाकुन सूखे ठाकुन.....( जीता रह खुश रह ) 

राघव –दादू मेरा क्रिकेट मैच है आप फोन से ही पूरा देखना ओके ना....

दादू अपनी धोती संभालते हुए चेयर पर बैठकर बोले – ठीका अचे... कठिना खेला...ठीक है मन लगाकर खेलना.....

राघव ने फोन राज जी को थमाया और मैदान में दौड़ गया ।

और देखते ही देखते राघव की टीम ने मोंटी की टीम को हरा दिया और राज जी के साथ राघव के दादा केदार रॉय के चेहरे पर जीत की मुस्कान दौड़ गई ।

लेकिन हार से तिलमिलाए मोंटी ने बेट से राघव के सिर पर दे मारा और राघव का सिर फट गया खून बहने लगा ।राघव ने भी मोंटी की कॉलर पकड़ ली और लड़ने लगा उसे अपनी चोट या बहते खून की परवाह नही थी राज जी ने फोन जेब में डाली और दौड़ते हुए राघव को बच्चो से छुड़ाया और हॉस्पिटल की तरफ दौड़ पड़े वहा राघव के दादू हेलो हेलो बोल कर अपना गला फाड़े जा रहे थे ।

राघव के सिर की पट्टी करवा के राज जी उसे घर तक लाए तो यमुना जी उसके शर्ट पे लगी खून देखकर डर गई ।और दौड़ते हुए बाहर आई तब तक चंद्रिका जी और अमन जी मोंटी की मां बासुंदी के साथ आ गई थी ।

आते ही बासुंदी जी ने राघव की कॉलर पकड़ ली और थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया लेकिन उनका हाथ राज जी ने पकड़ लिया और उनका हाथ झटकते हुए बोली – आप होश में तो है बासुंदी बहन एक बच्चे पर हाथ उठा रही है...

बासुंदी जी मोंटी को आगे करके बोली – देखो कितना पीटा है आपके बच्चे में मेरे बेटे को.....बिचारे का हाथ तोड़ दिया और आपको ये बच्चा लगता है... अमीर बाप की औलाद है तो सोचा हम गरीबों के साथ कुछ भी करेगा हमारी जुबान तो बंद ही रहनी है.....और मोंटी जिसके हाथो में पट्टी बंधी थी उसे आगे कर दिया ।

राज जी बीच में बोले –देखिए बहन जी सबसे पहले मोंटी ने हाथ उठाए था मैने अपनी आखों से देखा और खुद देख लीजिए राघव की क्या हालत की है आपके बेटे ने.....और तो और राघव ने इतना भी तेज नही मारा की मोंटी का हाथ टूट जाए....

बासुंदी की झूठा रोना रोने लगी जिससे मोहल्ले की कुछ और लोग वहा आ गए बासुंडी सबको सुनाते हुए बोली – अरे देखो रे इन अमीरों के चोचले ...मेरे बच्चे का हाथ तोड़ दिया अब उसपर ही इल्जाम लगा रहे है.....

राज जी आगे आकर बोले –आप क्यू बात का बतंगड़ कर रही है बच्चो के बीच की आपसी लड़ाई को क्यू सबको घसीट रही है.....और वैसे भी राघव पूरी तरह बेकसूर है...

बासुंदी मुंह बनाते हुए बोली – अरे हा हा तुम तो अपने लाडले का ही साथ दोगे ना आखिर बेटी जो ब्याहनी है इससे...इतना अमीर दामाद बैठे बिठाए मिल गया और क्या चाहिए होगा आपको अब पैसों के बाल बिक गए हो तो दामाद के तलवे ही चाटोगे ना ... पूरा मोहल्ला जानता है की तुम्हारी बेटी का नाता जुड़ा है इससे अब तुम्हारी इतनी औकात नही है तो फिर झुकोगे ही ना.....अरी बोल ना सरला क्या कुछ गलत बोला मैंने ....

सरला राधा की मां थी वो भी सिया से जलती थी क्योंकि उसे राघव अपने राधा के लिए चाहिए था वो भी उसकी हा में हा मिलाती हुई बोली – हा हा सही तो बोल रही है तू बासुंदी आखिर दामाद की इज्जत तो करनी ही पड़ती है.....

राज जी एक ईमानदार और आत्मसम्मान प्रिय इंसान थे ये सब सुनना उनके बस की बात नही थी उन्होंने सबके आगे हाथ जोड़ कर कहा – देखिए अब आप सब हद पार कर रहे है.....मानता हु मेरी हैसियत नहीं है राघव को अपना दामाद बनाने की लेकिन उसका मतलब ये नही की आप मेरे ईमान मेरे चरित्र पर कीचड़ उछाले... मैं हाथ जोड़ता हु प्लीज मुझे बक्श दे....

राघव का ये देख कर आखें भर आईं और वो राज जी से लिपट गया । यमुना जी भी सिया को बाहों में भरकर सिसक पड़ी ।

पर सिया की आखों में क्रोध था अब वो भीड़ के प्रति या राघव के ये तो वही जानती थी एक छोटी बच्ची समाज के सामने अपने पिता को हाथ जोड़ता देख उसके अंदर क्या भावना आयेगी ये तो शब्दो मे वयक्त करना मुश्किल है ।

अमन जी आगे आकर बोले – देखिए बहन जी बच्चो की छोटी मोटी लड़ाई को इस तरह राई का पहाड़ मत बनाइए.....आप बताइए क्या चाहती है आप .....?राघव माफी मांगे ठीक है मांग लेगा राघव माफी...और राघव की और देखकर बोले – बेटा आगे आके मोंटी को सॉरी बोलो....

राज जी बीच में पड़ते हुए बोले – पर भाई साहब....

अमन जी उन्हे हाथ दिखाकर रोकते हुए बोले – माफी मांगने से कोई छोटा नही हो जाता राज साहब....अगर इन्हे माफी से तसल्ली मिलती है तो वही सही.....

बासुंदी जी आके आगे बोली – अरे माफी से क्या मेरा बच्चा ठीक होगा....?

अमन जी झुंझलाते हुए बोले – फिर क्या चाहिए आपको.....?

बासुंदी जी – एक लाख रुपया.....मेरे बच्चे के इलाज के लिए.....

राज जी बोले – ओह तो ये सारा ड्रामा पैसे ऐंठने के लिए किया था.....पर सुन लो बहन राघव ने कोई गलती नही की तो एक पैसा नही मिलेगा तुम्हे.....

अमन जी ने अपनी चेक बुक मंगाकर एक लाख का चेक बासुंदी के मुंह पर दे मारते हुए बोले – लो और दफा हो जाओ और अपने बेटे को मेरे राघव से दूर ही रखना...

राज जी ने सवाल किया – पर भाई साहब....?

अमन जी उनके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले – नही राज .....ये एक लाख रूपए का तुम्हारी ईमानदारी के आगे कोई मोल नहीं ...इनके मुंह लगकर अपना मुंह गंदा नही करना चाहिए...चलो घर आओ ...

राज जी –नही आप राघव को ले जाइए.....अभी थोड़ा काम है फिर आऊंगा...

अमन जी – ठीक है जैसी आपकी इच्छा.....पर इनकी बातो को दिल से न लेना.....

राज जी मुस्कुरा कर बोले – आप जैसा दोस्त पाकर धन्य हो गया अब कोई गाली भी दे तो बुरा नही लगेगा...

अमन जी ने राज जी को गले लगाया और राघव को लेकर जाने लगे लेकिन राघव ने राज जी की शर्ट का। कोना पकड़ा हुआ था राज जी उनकी मन की बात समझते हुए उसके साथ घर के अंदर चल पड़े ।

घर के अंदर आते ही चंद्रिका जी सबके लिए पानी लाकर बोली – पर ये सब हुआ कैसे.....?मतलब राघव तू तो किसी से लड़ता नही फिर.....

राज जी में सारी बात बताई तो चंद्रिका जी सिर पर हाथ रखकर बोली – मेरे भोले से बच्चे का सब फायदा उठा लेते है.....वो तो अच्छा था आप थे वहा भैया वरना न जाने मेरे बच्चे का क्या हाल करते वो बदमाश बच्चे.....

राज जी – अरे कैसी बात कर रही हो बहन राघव मेरे बेटे जैसा है....मुझे तो उस बासुंदी पर गुस्सा आ रहा है ऐसे कैसे वो हमारे राघव पे इल्जाम लगा के चली गई....और भाई साहब आप पैसे देकर आपने क्या साबित किया की अपना राघव गुनेगार है....

अमन जी सिर झुका कर बोले –मैं आपका अपमान नही देख सकता राज .....आप मेरे छोटे भाई जैसे है और कोई आपके चरित्र पर लांछन लगाए ये मुझे गवारा नहीं.....

राज जी ने राघव को देखा जो सो गया था शायद दर्द और थकान की वजह से ।

राज जी चंद्रिका जी को बोले –बहन इसकी शर्ट बदल कर सुला देना बहुत थक गया है

...

चंद्रिका जी ने हा में सिर हिलाया तो राज जी उसे गोद में उठाकर कमरे तक ले गए और सुला दिया ।

नीचे आकर राज बोले – भाई साहब आपके पिताजी उस वक्त फोन में थे शायद राघव को चोट लगते देखा होगा आप बात कर लीजिएगा बेचन होंगे वो.....और राघव का फोन आगे कर दिया अमन जी ने फोन लेकर अपने पिता को फोन लगाया और बाहर की तरफ रुख किया ।

राज जी भी यमुना और सिया के साथ बाहर चले गए कबीर वही बैठा रह गया किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया वो अपने भाई की शर्ट पे खून देखकर इतना डर गया था की कुछ बोल ही नहीं पाया....

अगली सुबह 

राघव उठा तो कबीर पहले से ही उसे बैठकर घूरे जा रहा था ।

राघव झटके से उठकर बोला – कबीर तू इतनी जल्दी उठ गया...सोया था भी या नही...

कबीर ना में सिर हिलाते हुए राघव के सिर की पट्टी को छुने लगा तो राघव दर्द से कराह उठा ।

कबीर ने तुरंत ही हाथ हटा लिया और कान पकड़ लिए राघव उसके हाथ नीचे करके बोला – पर तू सोया क्यू नही.....?

कबीर रोते हुए बोला – भैया मुझे लगा आप मर जाओगे...

राघव उसके आसू पोछते हुए बोला – और तुझे ऐसा क्यों लगा.....?

कबीर – आपका बहुत खून बह गया था ना.....

राघव हंसते हुए बोला – पगले मेरे अन्दर बहुत खून है इतनी सी खून से कुछ नही होगा मेरा ...वैसे भी जल्दी नही मरने वाला मैं....

कबीर उसके आखें में देखते हुए बोला – सच्ची भैया.....

राघव उसके सिर पर चपत लगाते बोला – अरे हा रे पगले अब लिख कर दू क्या...

कबीर ने ना में सिर हिलाया तो राघव आखें छोटी छोटी करके बोला – वैसे तूने मेरे चॉकलेट क्यू छिपा लिए थे....?

कबीर आजू बाजू देखने लगा तो राघव उसके कान पकड़ के बोला – तू नही सुधरेगा मैं जानता हु...वैसे भी वो चॉकलेट मैं तुझे ही देने वाला था तुझे पता तो है मुझे मीठा पसंद नही...आधा सिया को दे देना और आधा खुद रख लेना ठीक है.....

कबीर ने हा में सिर हिलाया तो राघव नहाने चला गया ।

कबीर उसके जाते ही बोला – मैं नही दूंगा एक भी चॉकलेट उस छिपकली को ....वैसे ही मेरे भैया की सारी बुक हड़प ली है उसने.....मेरे खिलौना भी कल तोड़ा था अब तो बिलकुल नहीं दूंगा...और चॉकलेट निकाल कर खाने लगा ।

चंद्रिका जी जब कमरे में आई तो कबीर को चॉकलेट खाते देख उनका पारा चढ़ गया उन्होंने कबीर को एक चपत लगाकर बोली – ये देखो जरा बिना मुंह हाथ धोए जनाब चॉकलेट उड़ा रहे है...क्यू कबीर सुबह सुबह ही तेरा शुरू हो गया....ब्रश किया तूने ...मुझे पता है नही किया होगा....

कबीर थप्पड़ पे थप्पड़ खाते हुए भी चॉकलेट खा रहा था राघव नहा कर आया तो चंद्रिका जी कबीर को छोड़ राघव के और बढ़कर बोली – बेटा कैसा लग रहा है ज्यादा दर्द हो रहा है क्या.....

राघव – नही मॉम.....अब ठीक हु मै.....आप प्लीज मेरे लिए कुछ बना दो मुझे बहुत भूख लगी है.....

चंद्रिका जी – हा कल दोपहर से मेरे बच्चे ने कुछ नही खाया..... तू नीचे आ मैं नाश्ता बनाती हु...और तुम कबीर अभी डेड के पास जाओ और जल्दी से तैयार हो जाओ...

कबीर को कोई फर्क नहीं पड़ा चंद्रिका जी आगे बढ़ी की राघव कबीर का हाथ पकड़ के खींचते हुए ले जाने लगा और चंद्रिका जी की तरफ मुड़ कर बोला – डोंट वरी मॉम मैं इसे डेड के पास छोड़ के आता हु...

चंद्रिका जी नीचे चली गई और राघव कबीर का हाथ पकड़े अपने डेड के पास जाकर उन्हें जगाने लगा लेकिन वो उठने का नाम ही नही ले रहे थे तो कबीर बोला – भैया आप हटो मैं उठाता हु.....और अमन जी के उपर चढ़ गया और उनके बाल पकड़ के खींचते हुए बोला – डेड उठो ना.....मुझे तैयार करो स्कूल जाना है..... डेड उठो ना ...

अमन जी झटके से उठे और डरते हुए पीछे हो गए कबीर बेड पर गिर गया ।

अमन की कबीर के कान खीच कर बोले – ये कोनसा तरीका है उठाने का कबीर...फिर उनकी नजर राघव पर पड़ी तो उन्होंने इशारे से राघव को पास बुलाया राघव उनके करीब गया तो अमन जी बोले – बेटा ठीक हो ना तुम..... कहो तो डॉक्टर बुलाऊं.....

राघव – नो डेड आइएम एब्सोल्यूटलि फाइन.....आप बस इस बंदर को संभालो कूद कूद के मॉम की नाक में दम कर रखा है इसने ...

अमन जी उसके गाल थपथपाकर बोले – माय ब्रेव सन....फिर कबीर को गोद में लेकर जकड़ते हुए बोले – और तू तूफानी.... रुक बताता हु तुझे...और फिर दोनो बाप बेटे कुस्ती लड़ने लगे ।

राघव ये सब देख मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चला गया ।


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