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Kapitel 51: रोमांस से ज्यादा...

Redakteur: Providentia Translations

युन शीशी ने मजबूती से उसके कंधों को पकड़ लिया।

मानो उनका खून और हड्डियां एक दूसरे में पूरी तरह से समाने जा रहे हों; वह जोड़ी एक दूसरे से ऐसे चिपक गयी,कि उनके बीच में ज़रा भी गैप नहीं था।

म्यू याज़हे ने उसे ठंडी दीवार की तरफ धक्का दिया, और युन शीशी अनजाने में दर्द से छटपटाने लगी। अपना सिर नीचे करते हुए,म्यू याज़हे ने युन शीशी के होंठों पर कब्जा कर लिया,और अपनी जीभ की नोक से उसके मुंह के अंदरूनी हिस्सों को खोजने लगा।

उस पल, कोई सिर्फ भगवान के बनाये हुए नियमों की तारीफ कर सकता था।

उन्होंने पुरुषों को मजबूत और आकर्षक और महिलाओं को कोमल और सुंदर बनाया है।

स्त्री और पुरुष के बीच का सामंजस्य यहाँ देखने को मिलता था।

म्यू याज़हे ने युन शीशी के गालों को कसकर पकड़ लिया, वो उसे यह जतलाना चाहता था कि वो जानबूझकर उसके साथ बुरा व्यवहार कर रहा था। सीधे शब्दों में कहें, तो वो उसके साथ बिल्कुल भी कोमल नहीं था।

वो चाहता था कि,युन शीशी और अधिक सतर्क हो जाए - अच्छा होता अगर युन शीशी संयम में रहती- ताकि उसे पता चल जाता कि उस वक़्त वो किसके साथ थी।

वो इस लड़की से नफरत करता था।

वो युन शीशी के लापरवाह और ओछे व्यवहार से बहुत नफरत करता था।

अगर वो समय पर नहीं आता, तो आज रात इस कमरे में क्या हो रहा होता?

अगर युन शीशी उस समय उसके साथ नहीं होती, तो वो किसी दूसरे आदमी को कैसे लुभा रही होती?

बस यह सब सोचकर म्यू याज़हे का खून उबलने लगा।

उसने युन शीशी के नरम कूल्हों को पकड़ लिया और उसके होंठों को और क्रूरता से जकड़ लिया।

अब वो पहले जैसी कुंवारी नहीं थी, और इससे भी ज्यादा, उसका शरीर अब छह साल पहले की तरह अविकसित नहीं था। स्तनपान कराने के बाद, उसका शरीर और भी सुंदर हो गया था।

म्यू याज़हे की आक्रमकता से युन शीशी को दर्द हो रहा था। वो खुद पर नियंत्रण नहीं रख पा रही थी, और धीरे से कराह रही थी। म्यू याज़हे के आक्रमक हमलों के कारण युन शीशी को लगभग ऑक्सीजन की कमी हो गई थी।

उसके छोटे-छोटे हाथ म्यू याज़हे की गर्दन पर कसकर चिपक गए। जैसे-जैसे वो आनंद में डूबती गई, उसके होठों ने म्यू याज़हे के कानों को सहलाया, म्यू याज़हे को उसकी लुभावनी साँसें सुनाई दे रही थीं। उसने लगभग खुद पर नियंत्रण खो दिया था !

धिक्कार है इस महिला को!

वो इंसान के रूप में एक दुष्ट दानव थी, बिलकुल उन दुष्ट रखैलों की तरह जिनके कारण प्राचीन काल में राज्यों का पतन हो जाता था।

म्यू याज़हे और अधिक आक्रामक हो गया। युन शीशी इतने दर्द में थी कि वो हांफने लगी। उसने म्यू याज़हे के कंधों को दूर धकेलने की कोशिश की और उसे एक नरम आवाज़ में कहा,"नहीं; तुम मुझे चोट पहुँचा रहे हो।"

"क्या? क्या तुम यही नहीं चाहती हो?"

 म्यू याज़हे मुस्कुराया और, और भी बेसब्र हो गया। उसकी ताकत कम नहीं हो रही थी।

वह दर्दनाक था, लेकिन फिर भी उनके शरीर में जलती आग के आगे,दर्द सुन्न हो गया था।

उन दोनों के शरीर के हर हिस्से में एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी,जिसके कारण वे बेकाबू हो रहे थे।

असहाय रूप से, युन शीशी ने उसे और कस कर पकड़ लिया। उसकी आँखों से आँसू बह निकले और उसकी स्पष्ट आँखें अब धुंध में डूब गयी थीं।

वे इतनी गन्दी अवस्था में थे कि,युन शीशी को सब कुछ धुँधला दिखाई दे रहा था। वो केवल अपने अंदर की इच्छाओं का पालन कर रही थी,और लगातार और अधिक की तलाश कर रही थी।

उसने खुद को खो दिया था...

म्यू याज़हे ने उसे मजबूती से पकड़ा हुआ था। उसने धैर्यपूर्वक अगला कदम बढ़ाया, जैसे कि वो उसे जानबूझकर छेड़ रहा था।

उसने अपने हाथ से युन शीशी का जबड़ा पकड़ लिया,और फिर उसके निचले होंठ पर ज़ोर से काटा और मुस्कुराने लगा।"यही चाहती थीं न तुम? अब सहो !"

दोनों एक-दूसरे के काफी अंतरंग थे; यह एहसास समझ से परे था। युन शीशी ने अपना सब कुछ खो दिया था, यहां तक कि अपनी पहचान भी।

युन शीशी की सांस धीरे-धीरे तेज हो गई,उसका मन पूरी तरह से बेहोश था। उसने म्यू याज़हे के कंधों को तब तक पूरी ताकत से पकड़ रखा था...जब तक, आखिरकार,उसने अपने आप को पूरी तरह से उसके हवाले नहीं कर दिया।

उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसके अंदर की खाली जगह एक ही बार में भर गयी हो। उसके अंदर समुद्र की लहरों की तरह जादुई तरंगें अचानक से उठने लगीं।

वो अपने सिर को उठाने के लिए संघर्ष कर रही थी, उसकी भौंहें थोड़ी सी सिकुड़ गयीं।

उसका शरीर कुछ हल्का हुआ। पिछले छह वर्षों से, उसके शरीर को एक बार भी किसी और ने नहीं छुआ था। वो इतनी प्यारी थी कि,बखान नहीं किया जा सकता था।

नशीली दवाओं के प्रभाव के कारण, सब कुछ गड़बड़ हो गया था।

म्यू याज़हे ने अपने गले को कस लिया और युन शीशी के होंठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया।

दोनों को देखकर ऐसा लग रहा था,जैसे वे तीव्र लपटों से घिरे हुए हों।

म्यू याज़हे का ठंडा पसीना लगातार टपक रहा था, जिससे युन शीशी की मोटी और काली पलकें नम हो गयीं।

वे एक दूसरे में पूरी तरह से पिघल रहे थे,और बहुत भावुक हो रहे थे।

पूरा कमरा वासना से भर गया था ...


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