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53% यंग मास्टर गु, प्लीज बी जेंटल / Chapter 159: तुम्हारा क्या मतलब है, मैं गंदी हो गयी हूँ?

Kapitel 159: तुम्हारा क्या मतलब है, मैं गंदी हो गयी हूँ?

Redakteur: Providentia Translations

इन शब्दों के साथ, कि "उसकी अच्छी तरह से देखभाल करना", यह गारंटी देता था कि हैंग डोंग के लिए उसका जीवन अब नरक होने जा रहा था।

"हाँ, अध्यक्ष।" अंगरक्षक ने आदरपूर्वक उत्तर दिया।

गू मोहन टैंग मोर को उठाते हुए गुफा से बाहर निकल आया ।

रोल्स-रॉयस फैंटम गाड़ी में।

गू मोहन ने टैंग मोर को धीरे से पीछे की सीट पर रखा। फिर उसने एक छोटा सा दवा का डिब्बा निकाला और थप्पड़ से हुए उसके घाव पर दवा लगाना शुरू कर दिया।

टैंग मोर चुभने वाले दर्द के कारण एक झटके से सिकुड़ गयी। "मम्म, दर्द हो रहा है।"

"इसे थोड़ी देर के लिए बर्दाश्त करो, यह जल्द ही ठीक हो जाएगा।"

जैसे ही उसने उसके सुंदर चेहरे को देखा, टैंग मोर ने अपने सफेद दांतों से अपने निचले होंठ को हल्का सा काटते हुए बड़बड़ाते हुए कहा, "श्रीमान गू, मेरा अंडरवियर फटा हुआ है, क्या तुम किसी को नई जोड़ी खरीदने में मेरी मदद करने के लिए कह सकते हो।"

उसकी बातें सुनते हुए गू मोहन ने उसके घाव की पट्टी की, उसने अवचेतन रूप से अपने गले के हिस्से को हिलाया और एक अजीब सी मुस्कान देते हुए कहा "हम एक एक्सप्रेसवे पर हैं, मैं तुम्हें अंडरवियर की एक नई जोड़ी कहाँ से लाकर दूंगा?"

"पर…"

टैंग मोर का पीला और छोटा चेहरा तुरंत शर्म के कारण लाल हो गया , "श्रीमान गू, आप मेरे लिए एक एक्सप्रेसवे पर भी आ सकते हैं, यह कैसे संभव है कि आप मुझे एक जोड़ी अंडरवियर नहीं दिला सकते? आप पर कौन विश्वास करेगा ?आप यह सब जान बूझकर कर रहे हैं ।"

गू मोहन अपनी जगह पर ही थम गया। उसने अपनी आँखें उठाकर उसकी ओर देखा। जिस तरह से वह बैठी थी उससे उसके पतले पैर उसके काले कोट से ढँके हुए थे| उसका बैठने का तरीका संकोची और महिलाओं की तरह था। "मैंने क्या जान बूझकर किया, कृपया अपने संदेह को स्पष्ट करें, हमम?"

यह आदमी वास्तव में बेशर्म था वह एक विद्वान के भेष में एक गुण्डा था!

बैम! टैंग मोर ने उसकी बड़ी हथेली को दूर धकेल दिया और गुस्से में मुंह फेर कर खिड़की के बाहर देखने लगी थी।

वह स्पष्ट रूप से उसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहा था, बदमाश!

जब गू मोहन ने खुद को उसके शरीर के पिछले भाग पर दबा दिया था तो उसकी मर्दानी खुशबू टैंग के नथुनों में भर गई थी|उसकी अलग सी बड़ी हथेली ने उसके नन्हे चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ घूमने के लिए मजबूर किया। 

उसकी खुरदरी उँगलियों से मोर की निर्दोष त्वचा को सहलाते हुए उसने अंदर ही अंदर सोचा । उसे अभी देखकर लगता है वह पहले उसके अति सुंदर छोटे चेहरे के साथ कितनी मोहक रही होगी। उसके चेहरे ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया कि वह पाँच साल की भी नहीं थी जब उसने अपने सौतेले पिता का ध्यान आकर्षित किया था।

छोटी उम्र से ही अपनी स्त्री द्वारा दूसरे पुरुषों का ध्यान आकर्षित कर लेने का एहसास उसे अच्छा नहीं लग रहा था।

"तुम क्या कर रहे हो, दूर हटो!"

टैंग मोर ने उसे दूर धकेलने की कोशिश की क्योंकि वे एक दूसरे के बेहद करीब थे। उसने उसे एक कोने में धकेल दिया और उसके नाजुक शरीर पर अपनी मर्दाना छाती को दबाया। जिस तरह से वे एक साथ फंसे हुए यह एक संदिग्ध स्थिति बनाती थी।

उसके द्वारा अपने शरीर को उसकी त्वचा के ऊपर काफी अंतरंग तरीके से दबाने के कारण उसकी त्वचा गर्म हो गयी थी। यहाँ तक ​​कि कार के अंदर का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा था।

गू मोहन ने उसे देखते हुए अपनी गहरी आवाज़ कहा, "क्या उस घृणित आदमी तुम्हें अभी छुआ था?"

"नहीं!"

"क्या तुम यकीन के साथ कह रही हो? मुझे याद है कि जब मैं आया तो मैंने उसे तुम्हारे पैरों को फैलाते हुए देखा था।"

उसकी पूछताछ ने उसे घटना के विवरण की याद दिला दिए थें जिससे टैंग मोर का छोटा लाल चेहरा रक्तहीन होकर पीला पड़ गया। उसने गुस्से में उसे देखते हुए कहा, "तुम्हारा क्या मतलब है, तुम मुझ पर संदेह कर रहे हो कि उसने मुझे छुआ और महसूस किया तो क्या मैं अब तुम्हारे लिए बहुत गंदी हो गयी हूँ?"

गू मोहन ने आगे कुछ नहीं कहा इसके बजाय उसने सीधे उसे उसके लाल होंठों पर चूम लिया।

उसका जवाब ना पाकर टैंग मोर ने उसे खुद को चूमने देने के लिए तैयार नहीं थी। उसने अपने छोटे हाथों से उसकी छाती को दूर धकेल दिया और अपने दांतों को अच्छे से जकड़ लिया ताकि वह उसके मुंह पर आक्रमण ना कर पाए।

"अच्छा व्यवहार करो, अपना मुंह खोलो।" उसकी आवाज़ पूरी तरह से गम्भीर थी जबकि उसकी गर्म साँस उसके होंठों को छू रही थी।

"बदमाश!" टैंग मोर ने गुस्से में थी, वह हिल नहीं पा रही थी क्योंकि वह वास्तव में उसके ऊपर था। वह केवल उसे लात मारने के लिए अपने लंबे पैर को बाहर निकाल पाई थी।

गू मोहन ने एक रूखेपन से उसे देखा और उसके पैर को पकड़ लिया। यह महिला वास्तव में शानदार थी| कोई आश्चर्य नहीं था कि पुरुष उसे भूल नहीं सकते थे।

अलग-अलग हाथों से उसने उसके घुटनों को पकड़ा और जबरन उसे चारों ओर घुमाया और उसकी लात की मार को रोक लिया। उसके मोहक होंठों को सहलाते हुए वह शैतानी हँसी हँसा "छोटी बात थी, क्या तुम अब आज्ञाकारी बनने जा रही हो?"


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