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76.92% इंदौर का अनुभव / Chapter 10: सुहागरात की आहट

Kapitel 10: सुहागरात की आहट

इस तरह चूस चूसके उनका लन्ड अब लोहे के रॉड जैसा कड़क हो गया था।फिर चौपाई से मुझे उठाके दुल्हन की तरह बाहों में ले लिया और किसिंग करने लगे| मैने एक हाथ मे butt plug पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से उनका गरम लोहा पकड़ा था और मंद मंद हिलाने लगी थी| बहोत देर तक चुसनेसे मेरे होंठ और गाल दर्द कर रहे थे वो अब उनकी चुम्मियों की बजह से ठंडे पैड गए| उनका हाथ मेरे नितम्ब को दबानेसे और बीच में ही फैलाने की बजह से तड़प जादा हो रही थी| खेत से बहती हवा ठंडी थी मगर दो बदन बहोत गर्म हो चुके थे| ये व्हिस्की का असर था या जवानी का या उस खेत खलिहान का? पता नही, मगर जो भी हो रहा था, सब गर्मी बढ़ानेवाला हो रहा था| वो मेरी आग थे और में उनके लिए आग थी| मेरे दोनो हाथोंकी चूड़ियों को मसलते बोले "चलो, अब सुहाग रात मनाने वापिस फार्म हाउस की तरफ जाते हैं| हम आएंगे वापिस टेंट हाउस में|" फिर मेरे हाथों में जो butt plug था उसको उन्होंने वापिस मेरे गांड में थूक लगाके सील किया। वो सील हो रहा था और मेरा बदन तड़पने लगा, तो बोले "प्राजक्ता, तुम्हारी गांड इतनी मस्त है, और उसमे जो छेद है उसको अगर किसीने देख लिया तो वो बंदा तुम्हे प्यार किये बगैर और तुम्हारी रातभर गांड मारने के बगैर नही रह सकता", इसपर मैं क्या बोलती? फिर भी मैने उनसे पूछा "सचमे? मुझे नही ऐसा लगता.."| इसपर राजपूत साब बोले की "तुम आज रात देख लो " और हँसने लगे| फिर हम दोनो वापिस चूमते चूमते tent house से फार्म हाउस जाने के लिए सीढियां उतरे| तो राजपूत साब ने उनके होठों की तरफ इशारा किया तो मैने उनको किसिंग करने लगी, वो आगे बढ़ रहे थे और उनके हर एक कदम पर मैं उनकी चुम्मी लेती| खेती के बीचमे पैदल जाते समय ठंड और गर्मी दोनो बढ़ने लगी| मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और पैंटी के अंदर मेरा छोटुसा लंड ये सब तमाशा देख रहा था| चुम्माचाटि करते करते 5-10 मिनट में हम दोनो फार्म हाउस के हॉल में पोहोंचे तो राजपूत साब ने ऊपरवाले कमरे में जाके फिरसे तैयार होने को बोला| और वो नीचे रखी हुई गुलाब की पंखुड़ियों की बैग लेकर मेरे पीछे आने लगे| उन्होंने मेरे बाजू वाला कमरा खोल दिया, जो पहले लॉक था| और अंदर जाके दरवाजा बंद कर लिया| मैं मेरे मेकअप वाले पहले रूम जाके आयने में देखने लगी, तो देखा के मेरा मेकअप थोड़ा उत्तर गया था, मेरी लिपस्टिक पूरी खा ली थी राजपूत साब ने| मैं फ्रेश होकर, वापिस सब मेकअप किया, लाल ग्लॉसी लिपस्टिक लगाई, नथनी बदल कर अब छोटे छोटे अमेरिकन डायमंड्स की चमकने वाली नथनी पेहेन ली| दूसरे बैग से निकालकर हरी पेटीकोट, हरी साड़ी और हरा ब्लाउज पेहेन लिया, माथे पे लाल सिंदूर ही रखा| शाम के 5 बजे के बाद अब तक का सारा दृश्य मेरे आंखों से ओझल ना हो रहा था| और मेरा बदन बहोत तड़प रहा था, खास कर के मेरी गांड का छेद बहोत मचल रहा था, butt plug का सील होने के बावजूद| सब मेकअप और ड्रेसअप के बाद मुझे आयने में वापिस नई नवेली दुल्हन दिखने लगी| अब जी मचल रहा था के आगे क्या होगा? मैं राजपूत साब को खुश कर पवउंगी या नही? मैं उसी रूम में दुल्हन की लिबास में पायल और चूड़ियों की आवाज़ में घूमने लगी|


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