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50% Jyoti Kahani Sangharsh Ki / Chapter 1: अभागन ज्योति
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Jyoti Kahani Sangharsh Ki

Author: Nikhil_Rajwar

© WebNovel

Chapter 1: अभागन ज्योति

"मैं अब तुम्हारे साथ और नहीं रह सकता तुम और तुम्हारी बेटी दोनों ही मनहूस हो। मैं यहां से जा रहा हूं और दोबारा कभी लौट कर तुम्हारी जिंदगी में नहीं आऊंगा"। 45 साल का ललित गुस्से में अपनी बीवी कमला से कहता है।

आज ज्योति को पैदा हुए एक महीना हो गया था और ललित का अपने परिवार पर से मन उठ गया था। ललित अपने परिवार की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता था क्योंकि उसे एक बेटी नहीं बल्कि बेटा चाहिए था और इसी वजह से ललित कमल और ज्योति को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए दूर चला जाना चाहता था।

"आप मेरी बात सुनिए, मैं जानती हूं की आप इस बच्ची को जरा भी पसंद नहीं करते और ना आप इसकी कोई जिम्मेदारी उठाना चाहते हैं। लेकिन इस सब की वजह से आप मुझे क्यों इतना बड़ा दर्द दे रहे हैं। मुझे किस बात की सजा मिल रही है ललित जी"। कमला ललित से कहती है। 40 साल की कमला अपने पति ललित से  मिन्नते करती है कि वह अपना घर छोड़ने का ख्याल मन से निकाल दे।

" दर्द जो तुमने मुझे दिया है उसका क्या? मैं तुमसे इतना प्यार करता था और बदले में तुमने मुझे एक लड़की दि। तुम जानती हो मुझे लड़कियां बिल्कुल पसंद नहीं और मैं तुम्हें पहले भी कहा था कि मुझे सिर्फ एक लड़का चाहिए अगर लड़का नहीं तो कुछ नहीं फिर भी तुमने इस मनहूस को जन्म दिया। मैं अब यहां और नहीं रख सकता क्योंकि जब भी मैं इस मनहूस का चेहरा देखता हूं मुझे बहुत गुस्सा आता है"। 

" आप एक बार और सोच लीजिए आप अपनी जिंदगी का ही नहीं बल्कि मेरी जिंदगी का भी सबसे बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं। प्लीज आप रुक जाइए मैं इस लड़की का कोई जुगाड़ करती हूं तब तो आपको कोई दिक्कत नहीं होगी ना"। रोते हुए कमला ललित से रहती है। 

" कोई जरूरत नहीं है। मुझे अब यहां रहना ही नहीं है तो तुम इस मनोज का कहीं जुगाड़ करो या ना करो उससे मुझे क्या लेना देना है। मैंने मन बना लिया है और मैं अब इस घर में नहीं रहूंगा"। ललित गुस्से में कमला से कहता है। कमला उसे रोकने की बहुत कोशिश करती है लेकिन ललित फिर भी चला जाता है।

" हे भगवान! अब मैं क्या करूंगी मेरा पति मुझे इस मनहूस की वजह से छोड़ कर चला गया। जब से ये लड़की मेरी जिंदगी में आई है तब से मेरी जिंदगी में बस दुख ही दुख है। मैं इस मनोज के साथ अब और नहीं रह सकती मुझे इस लड़की का कुछ ना कुछ तो करना ही होगा"। रोते हुए कमला अपने आप से कहती है।

उसके बाद कुछ दिनों तक कमला घर से बाहर ही नहीं निकलती और घर पर बैठी रोते रहती है। ज्योति जब कभी भी रोती थी तो कमला उसे पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर उसे पिलाया करती थी।

" यहां मेरे पास खुद के खाने के लाले पड़े हैं और इस महारानी को हर वक्त दूध चाहिए। मैं इतना सारा खर्चा नहीं उठा सकती। मुझे जल्दी ही इसका कुछ करना पड़ेगा"। कमला गुस्से में अपने आप से कहती है।

कुछ दिनों बाद कमला को एक फैक्ट्री में झाड़ू लगाने का काम मिलता है। कमला जब भी कम पर जाती ज्योति को घर पर अकेला छोड़कर जाती थी और ज्योति दिन भर भोग की वजह से रोती रहती थी । कुछ दिन वहां काम करके कमला दिन की दिहाड़ी जोड़कर कुछ पैसे जोड़ लेती है।

कुछ दिनों बाद कमला को उसके खराब व्यवहार की वजह से कम से निकाल दिया जाता है कमलू का बॉस जगजीत कमला को नौकरी से निकलते हुए कहता है  " तुम सही से काम नहीं करती हो और ऊपर से बिना वजह सभी लोगों से लड़ाई करती रहती हो। मैं इस इस तरह के लोगों को अपने यहां कम पर नहीं रख सकता। कल से यहां आने की जरूरत नहीं है"।

" साहब प्लीज मुझे माफ कर दो। मैं आगे से किसी के साथ लड़ाई नहीं करूंगी। आप मुझे नौकरी से मत निकालिए। आप मुझे निकाल देंगे तो मेरा क्या होगा मैं कहां जाऊंगी"। कमला रोते हुए कहती है।

जगजीत कमला की एक भी बात नहीं सुनता है और गुस्से में कहता है " मैं यहां तुम्हारे दुखड़े सुनने के लिए नहीं बैठा हूं। जब मैं तुमसे कह दिया की निकल जाओ तो मतलब निकल जाओ दोबारा यहां दिखी तो मैं तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगा"। कमला के पास और कोई चारा नहीं होता है।  वो चुपचाप रोते हुए वहां से चली जाती है।

रास्ते भर कमला जगजीत को कोसते हुए जाती है। गुस्से में कमला जब घर पहुंचती है तो देखी है कि ज्योति जोर-जोर से रो रही है और उसने अपने कपड़े गीले कर दिए हैं। उसे देखकर कमला को बहुत गुस्सा आता है और वह गुस्से में ज्योति को कोसते हुए कहती है " हे राम कैसी मनहूस है ये। इतनी जोर-जोर से रो रही है और मेरा दिमाग खराब हो रहा है। भगवान करें ये जल्दी मर जाए मेरा पिंड छूटेगा इससे"। 

पैसों की तंगी होने की वजह से कमला का जीवन दिन पर दिन और भी ज्यादा खराब होता जा रहा था। अब उसके पास कोई काम तो था नहीं जिससे वो काम कर अपना गुजारा कर सके इसीलिए वह दिन भर काम के चक्कर में इधर-उधर भटकती रहती और रात को घर आकर अपनी बेटी को कोसती।

" इसी मनहूस की वजह से मेरी जिंदगी मे ग्रहण लगा है। भगवान मेरी सुनता भी नहीं है इस मनहूस को अपने पास बुला लेता तो कितना अच्छा होता अपना खर्चा निकल पाना मुश्किल है इसके लिए दूध और खाना कहां से लाऊंगी और लाना भी क्यों है जिसकी वजह से मेरा पूरा परिवार बर्बाद हो गया मैं उसका पालन पोषण क्यों करूं"‌। कमला अपने आप से दुखी होकर कहती है।

एक दिन उसके घर पर उसकी सहेली नम्रता आती है। अपनी दोस्त को देखकर कमला बहुत खुश होती है। नम्रता भी कमला की जैसी ही खड़ूस और बदतमीज थी। उन दोनों की दोस्ती बचपन से थी जब से वो दोनों साथ में स्कूल जाया करते थे।

"अरे नम्रता कैसी है तू कितने दिनों बाद मुझे मिली है आजकल तो तूने आना बंद ही कर दिया है"।

कमला नम्रता से कहती है जिस पर नम्रता जवाब देती है " क्या बताऊं तुझे आजकल ग्राहक इतनी बढ़ गए हैं कि मुझे टाइम ही नहीं होता किसी से भी मिलने का वरना मैं तो हमेशा तुझे मिलने के लिए आ जाया करती थी हर महीने तू तो जानती ही है"। नम्रता कमला से कहती है। दरअसल नम्रता एक तवायफ घर की मालकिन है।

" हां अब तो बिजी होगी तू बहुत कम है ना तेरे पास और एक मैं हूं जिसका पति भी उसे छोड़कर चला गया और कहीं काम भी नहीं मिल रहा है"। कमला कहती है।

" तुझे काम नहीं मिल रहा तो क्या हुआ तू मेरे साथ चल मेरे धंधे में बहुत सारा पैसा है रातों-रात मालामाल हो जाएगी"। नम्रता कमला से कहती है।

"

नहीं नहीं मैं उसे तरह की औरत नहीं हूं। मुझे इस सब में नहीं पढ़ना। मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं इसका मतलब ये नहीं कि मैं तेरे साथ धंधा करने लग जाऊं"। कमला नम्रता से कहती है।

" तेरा पति तुझे छोड़कर चला गया इसीलिए परेशान हो रही है या फिर कुछ और बात है"। नम्रता कहती है।

"

मेरा पति मुझे छोड़ कर चला गया इस बात से तो मैं हमेशा दुखी रहती हूं लेकिन मेरे दुख की वजह मेरी मनहूस बेटी भी है"।

कमला नम्रता से कहती है जिस पर नम्रता पूछती है " क्या बोल रही है तू तेरी बेटी मनहूस तेरा पति मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे अच्छी तरह समझा कि तू कहना क्या चाहती है "। 

" मेरी बेटी के पैदा होते ही मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया और कहीं दूसरी जगह अपना घर बसा लिया। उन्होंने कहा की ज्योति और मैं भी। मैं उन्हें लड़का नहीं दे पाई इसलिए उन्होंने मुझे छोड़ दिया और जब से ज्योति मेरी जिंदगी में आई है तब से मेरी जिंदगी में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। मुझे ज्योति से बहुत ज्यादा नफरत है इस मनहूस बच्ची की वजह से मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई"। 

"अगर तू बुरा ना माने तो एक बात कहूं"। नम्रता कमला से कहती है। " क्या कहना चाहती है बोल मैं सुन रही हूं"। कमला नम्रता से कहती है। " मैं तेरी बच्ची को खरीदना चाहती हूं क्या तुम मुझे अपनी बच्ची बेच देगी"? 

नम्रता की बात सुनकर ज्योति का सौदा क्या कमल कर देगी? जानने के लिए पढ़िए ज्योति पॉकेट नोवल पर। 


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